कोरोना महामारी से परेशान लोग राहत पाने के लिए संगीत का भी सहारा ले रहे हैं. ऐसे में ताजा रचे जा रहे गानों की मांग बढ़ गई है. नतीजतन डूबती म्युजिक इंडस्ट्री में नई जान आ गई है. संगीत के कारोबार को बढ़ावा देने में डिजिटल प्लेटफार्म का साथ मिल गया है.
यही वो आज का तकनीकी माध्यम है जहां से लोग अपनी पसंद के गाने डाउनलोड करके सुनते हैं, वीडियो देखते हैं और हिट्स के हिसाब से म्युजिक कंपनियों के एकाउंट में सीधे पैसे आने से कमाई हो रही है. सारेगामा इंडिया लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम मेहरा इसे कुछ यूं बयान करते हैं, ''इन दिनों लोग घर में झाड़ू लगाते हुए, ऑफिस का काम करते हुए या फिर बस, ट्रेन में या परिवार के साथ बैठकर पुराने और ताजा आ रहे गाने सुन रहे हैं.
गानों की खपत बहुत बढ़ गई है. इसका फायदा म्युजिक इंडस्ट्री को हो रहा है.’’ संगीत के डिजिटल कारोबार की लोकप्रिय म्युजिक कंपनी टी-सीरीज सुपर कैसेट्स इंडस्ट्रीज के सीएमडी भूषण कुमार विषय के कैनवस को थोड़ा और फैलाते हुए कहते हैं, ''पूरी फिल्म बिरादरी के लिए 2020 की शुरुआत अच्छी नहीं थी.
लेकिन संपूर्ण लॉकडाउन के दौरान जिस तरह से लोगों ने गानों को देखा, सुना और पसंद किया, उससे हमें संगीत बनाने के लिए प्रोत्साहन मिला और हमने उनके मनोरंजन के लिए अच्छा म्युजिक रचा.’’ टिप्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कुमार तौरानी ने भी अच्छे संगीत के प्रति श्रोताओं-दर्शकों के मूड को भांपते हुए गानों में जबरन कोरोना शब्द डालने से इनकार कर दिया ‘‘क्योंकि लोग दुखी हैं, सहमे हुए हैं. उनके लिए तो हौसला बढ़ाने वाला गाना बनाना चाहिए. हमने सकारात्मक सोच के साथ गाने बनाए और लोगों ने उसे पसंद किया.’’
पहले ही महामारी की मार से परेशान श्रोता-दर्शक उदासी भरे संगीत को सुनने से इनकार कर रहे हैं. बडोला म्युजिक कंपनी के म्युजिक डायरेक्टर डी.जे. शेजवुड का अपना फीडबैक है: ‘‘लोगों ने घरों में बैठकर मेलोडी, रोमांटिक और डांस नंबर ज्यादा सुने हैं.’’ अल्ट्रा मीडिया ऐंड इंटरटेनमेंट ग्रुप के सीईओ सुशील कुमार अग्रवाल का मानना है कि ‘‘में घरों में बंद लोगों के लिए म्युजिक अच्छा दोस्त बन गया.’’
महामारी से पहले लोग ज्यादातर फिल्मी गाने सुनते थे. अब उनकी पसंद बदल गई है. अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान गैरफिल्मी गाने पसंद किए गए. मजे की बात है कि जिस डिजिटल माध्यम ने म्युजिक इंडस्ट्री का भट्टा बैठाया था, पायरेसी से सब सत्यानाश किया था, आज उसी माध्यम के जरिए लोगों तक ये गाने पहुंच रहे हैं. मेहरा स्पष्ट करते हैं कि कस्टमर क्या बदलेगा? वह तो बादशाह है. बदलना कंपनियों को है.
‘‘अच्छी बात यह है कि गाना सुनने की आदत नहीं बदली. आज भी संगीतप्रेमी मानते हैं कि साहिर लुधियानवी, आनंद बक्शी, गुलजार और जावेद अख्तर जो लिखते थे वे गाने होते थे.’’ इस बीच म्युजिक का ऑडिएंस बेस बढ़ने से हुआ यह है कि किसी भी अच्छे एल्बम को छह महीने में अच्छा नतीजा आ जाता है. 2001-02 में कैसेट, सीडी वाला म्युजिक बिजनेस खत्म हो गया था. 2010-11 के बाद तो यूट्यूब और सावन जैसे प्लेटफॉर्म्स ने म्युजिक इंडस्ट्री को बचाया.
फेसबुक, इंस्टाग्राम, गाना के साथ ओटीटी वाले आए तो लोगों को भरपूर ही गाना सुनने को मिलने लगा. अब हर किसी के हाथ में ही म्युजिक है. एक मोटे अंदाज के अनुसार, दुनिया में रोज यही कोई 60,000 गाने रिलीज होते हैं. भूषण भी स्वीकारते हैं कि डिजिटलाइजेशन के साथ पहुंच बढऩे से मनोरंजन उद्योग को आर्थिक लाभ मिल रहा है. ''हमारी सामग्री विभिन्न ऑडियो स्ट्रीमिंग और वीडियो प्लेटफार्मों के माध्यम से दर्शकों-श्रोताओं तक एक क्लिक में पहुंच जाती है.’’
आजकल एल्बम नहीं बल्कि गाने लांच होते हैं. पिछले साल रिलीज फिल्में थिएटर की बजाय सीधे डिजिटल पर चली गईं तो कोरोना काल में म्युजिक कंपनियों ने गैरफिल्मी गानों पर फोकस किया. मेहरा बताते हैं, ''सारेगामा ने बड़े टाइअप करके गैरफिल्मी गाने, वह भी हिंदी, पंजाबी, गुजराती, भोजपुरी और तमिल भाषाओं में लांच करने की कोशिश की. इस कंपनी के हिंदी में मजा (बी प्राक और जानी), आज सजेया (गोल्डी सोहेल और अलाया एफ) और रंग लगेया (रोचक कोहली और मोहित चौहान) चर्चित हैं.
हमने घर बैठे आर्टिस्टों मीका सिंह, सनम पुरी और पलाश सेन के साथ पुराने गानों का रिइंटरप्रेटेशन किया.’’ ऐसे कलाकारों की भी खोज हुई जिनके गले में दम है पर उन्हें मौका नहीं मिल रहा था. गुजराती में काजल माहेरिया (हवे मलवानी आशा ना रखो) और हिंदी में गोल्डी सोहेल को पेश किया गया. तमिल में यूट्यूब पर कारवां लाउंज नाम से प्रॉपर्टी तैयार हुई जिसमें विजय अंटोनी सहित कई बड़े गायकों से तमिल के पुराने गाने नए ढंग से पेश कराए गए. अमेजन इसमें बतौर एडवरटाइजर जुड़ा.
सारेगामा के हिंदी में एक्सोन (पैपोन), चमन बहार (सोनू निगम), भोजपुरी में अपनी तो जैसे तैसे (खेसारी लाल यादव), गोरकी पतरकी रे (रितेश पांडे), गुजराती में कोना रे भरोसे (राकेश बारोट), मारु आ दिल तारा बाप नी जगीर नथी (जिग्नेश बारोट) और पंजाबी में धुंद दी खुशबू (काका) तथा नीट (परमीश वर्मा) जैसे हिट गाने हैं.
महामारी के दौरान म्युजिक कंपनियां थोड़ी संवेदनशील भी रही हैं. सारेगामा ने अपने कारवां विंग के तहत लॉकडाउन के समय दो ऐसे नए प्रॉडक्ट लांच किए जो परिवार और बच्चों को कोरोना से बचाव में मददगार साबित हो रहे हैं. एक है कारवां मिनी किड्स जो अभिभावकों की परेशानी को समझ कर बाजार में लाए गए. अभिभावक अपने दस साल की उम्र तक के बच्चों को दिनभर मोबाइल और घर से बाहर खेलने नहीं देना चाहते.
उनके लिए यह छोटा कारवां म्युजिक के साथ मोबाइल की जगह खेलने और पढऩे का लोकप्रिय सामान बन गया. इसमें छह बच्चों के क्रिएटिव्स भी डाले गए हैं. लकड़ी की काठी जैसे गाने हैं तो कहानियां और कविताएं भी. गणित भी गाने से पढ़ाई जाती है. नर्सरी की लाइंस और गायत्री मंत्र समेत और भी चीजें हैं. दूसरा प्रोडक्ट है पोर्टेबल म्युजिक प्लेयर कारवां कराओके.
उसमें 5,000 सदाबहार गानों के अलावा एक हजार प्री-लोडेड कराओके ट्रैक हैं. यह उनके लिए है जो कोरोना से बचने के लिए इस समय रेस्त्रां या होटल में जाकर पार्टी नहीं करना चाहते. इसमें एक स्क्रीन पर गाना चलता रहता है और दो लोग माइक्रोफोन पर उसे देखकर अपनी पसंद के सिंगर के गाने गा सकते हैं. साथ ही घर में मित्रों-रिश्तेदारों के साथ पार्टी भी चलती रहेगी.
सारेगामा की तरह टिप्स ने भी नए गायकों की खोज की और हिंदी सहित छह क्षेत्रीय भाषाओं में गैरफिल्मी गाने बनाए. उसने समीर खान, साहिल खान, संजीव राठौड़ (मुंबई), बंदिश वाज (अहमदाबाद), सोनू सिंह (दिल्ली) आदि के साथ 20 गाने तैयार किए हैं. यूट्यूब पर टिप्स इबादत, टिप्स भक्ति प्रेम, टिप्स मराठी के साथ गुजराती, भोजपुरी, पंजाबी, हरियाणवी भाषा के चैनल हैं.
टिप्स का मुख्य चैनल है टिप्स ऑफिशियल. टिप्स इबादत के लिए 15 गाने बनाए गए हैं. बीते एक साल में भोजपुरी और हरियाणवी गाने सबसे ज्यादा हैं. पंजाबी और हिंदी गाने थोड़े कम हैं. डिजिटल पर सबसे बड़ा प्लेटफार्म यूट्यूब है. यहां कभी-कभी छह महीने के बाद भी गाने हिट होते हैं. बकौल तौराणी, अलका याज्ञनिक, कुमार सानू, सोनू निगम, खेसारीलाल यादव टिप्स के टॉप टेन सिंगरों में हैं.
जीनियस फिल्म के गाने तेरा फितूर, दिल मेरी ना सुने और जिन्ने मेरा दिल लुटिया, कुली नंबर-1 का हुस्न है सुहाना हिट लिस्ट में हैं. ईश्वर का वो सच्चा बंदा (सोनू निगम) को दस लाख से ज्यादा दर्शक देख चुके हैं. कैलाश खेर का सतगुरु मेहेर कर (आठ लाख दर्शक) और समीर अनजान का लिखा हरे कृष्णा हरे कृष्णा इसी साल रिलीज हुआ है. इसे अब तक एक करोड़ से ज्यादा लोगों ने पसंद किया है.’’
म्युजिक बाजार में टी-सीरीज भी बड़ा खिलाड़ी है. नए सिंगरों को पेश करने के साथ गाने बेचने में अव्वल है. महामारी के दौरान उसके जारी किए गए लुट गए, मेरी आशिकी, तारों के शहर, दिल तोड़ के, बेबी गर्ल, तेरी आंखों में और नाम जैसे गानों को सभी वीडियो और ऑडियो स्ट्रीमिंग साइटों पर पसंद किया गया. 2020-21 के दौरान 60 से अधिक एकल म्युजिक जारी किए गए. यूट्यूब और अन्य ऑडियो प्लेटफार्म से बेहतर फीडबैक मिले हैं. अपने गानों से 4 अरब से ज्यादा लोगों को मोहित करने वाले जुबिन नौटियाल इस समय सबसे सफल गायकों में से एक हैं.
म्युजिक के एक अन्य खिलाड़ी अल्ट्रा ने अप्रैल 2020 से अब तक 250 से ज्यादा म्युजिक एल्बम निकाले हैं. इनमें 60 हिंदी पॉप और धार्मिक, 170 मराठी के लोकसंगीत और धार्मिक, 6 गुजराती के और 29 बंगाली के लोक और धार्मिक हैं. अनूप जलोटा के हिंदी भजन तुलसी की रामायण बोले, मराठी में चंदाचे आई बनानी और चल इश्काची वाट धारू के साथ गुजराती में सजन तारा संभारना टॉप फाइव में जगह बनाए हुए हैं.
अल्ट्रा के म्यूजिक वीडियो और एलबम अल्ट्रा बॉलीवुड, अल्ट्रा भक्ति, अल्ट्रा गुजराती, कृणाल म्युजिक, अल्ट्रा बंगाली पोस्ट के अलावा गाना, सावन, स्पॉटिफाइ, अमेजन म्युजिक, विंक ऐप पर भी हैं.’’ हरिद्वार के रहने वाले म्युजिक डायरेक्टर शेजवुड बताते हैं कि बडोला म्युजिक ने भी दर्जन भर से ज्यादा गाने बनाए हैं जिसमें बब्बू मान का मेरी जन्नत और बारिश की बूंदें काफी लोकप्रिय हैं.’’ म्युजिक इंडस्ट्री को जिस तरह से संवरने का मौका मिल रहा है उससे इंडस्ट्री के लोग अब अच्छा म्युजिक बनाने पर फोकस कर रहे हैं.
—नवीन कुमार.