• हमेशा की तरह मैडम चीफ मिनिस्टर में भी आपको बगावती तेवर वाला किरदार मिला है...
मसान में मेरा किरदार बागी ही था, गैंग्स ऑफ वासेपुर में थोड़ा लाउड और फुकरे में भी ढर्रे को तोडऩे वाला था. लेकिन तारा अभी तक किए मेरे किरदारों में इनसे भी आगे और बेहद दिलचस्प है.
वह अंडरडॉग, मुंहफट है और औरत को लेकर ज्यादा लाज-लिहाज की बातों को भी नहीं मानती. छुटभैयेपन से आगे बढ़कर मुख्यमंत्री बनने तक का उसका सफर मेरे लिए बेहद मजेदार था.
• लोगों ने अनुमान लगाना शुरू कर दिया है कि किस नेता के जीवन पर यह बनी है.
इस फिल्म में ऐसी कई घटनाएं हैं जो आपको सच्चे वाकयों की याद दिलाएंगी. (फिल्मकार) सुभाष कपूर ने सात-आठ पुरुष और महिला राजनेताओं की जिंदगी से ये टुकड़े उठाए हैं और उनको किस्से में ढालकर यह किरदार बनाया है.
इसकी आजादी होनी भी चाहिए. लोग इसे एक नेता से जोडऩे की कोशिश करेंगे, मैं समझ सकती हूं पर सच पूछिए तो यह किसी एक की कहानी है नहीं.
• सामाजिक-राजनैतिक रूप से आप जागरूक हैं और अपनी राय भी बेहिचक रखती हैं. इससे आपके भीतर के कलाकार को मदद मिलती है?
पच्चीस की उम्र तक मुझे इसका पता नहीं था. सियासत ने मुझे बिल्कुल प्रभावित नहीं किया. मुझे लगा मैं हिप्पियों की तरह जिंदगी जिऊंगी. सियासत को मैं हिकारत और संदेह से देखती थी. पर तभी चीजें बदलीं. लोकतंत्र में न्याय और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए मुखर होना जरूरी है.
बतौर ऐक्टर मैं असल जिंदगी से बहुत सारी प्रेरणा ग्रहण करती हूं. इस फिल्म के निर्माण में इससे बहुत मदद मिली है.
• आप डिजिटल पर उतरने वाले शुरुआती कलाकारों में थीं. आपने इनसाइड एज किया.
अब हर कोई इसे अपना रहा है... मैंने इनसाइड एज किया था तब लोगों ने कहा कि मैं नीचे उतर आई हूं. मेरे मां-बाप टीवी के स्वर्णिम युग में बड़े हुए थे लेकिन हमारे पास सास-बहू या सांप-छछूंदर देखने के अलावा कुछ न था.
मेरी पीढ़ी इनसे रिलेट नहीं कर सकती. मुझे पता था कि ओटीटी उस खाई को पाटेगा.