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कहानी 'कृष्ण की बांसुरी की

यह बातचीत करीब एक दशक पुरानी है पर फन की हदों को काफी आगे बढ़ा चुकीं फनकार लता मंगेशकर से जुड़ी हर बात दिलचस्प है, खासकर जब वे खुद बयान कर रही हों.

'वॉयस ऑफ द नेशन’
'वॉयस ऑफ द नेशन’
अपडेटेड 10 सितंबर , 2020

उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर की पहली पत्नी नर्मदा ने प्रसव के दौरान प्राण त्याग दिए थे. जो बच्ची पैदा हुई उसका नाम लता था, लेकिन वह नौ महीने ही जिंदा रही. नौ महीने तक उसकी देखभाल बच्ची की मौसी ने की. बाद में उस बच्ची के पिता ने उसकी मौसी—शुद्धमती से विवाह कर लिया. वे थालनेर के संपन्न व्यवसायी सेठ हरिदास रामदास लाड की बेटी थीं. उनके पांच बच्चे हुए—हृदया, आशा, मीना, उषा और हृदयनाथ. यही हृदया बाद में लता कैसे हो गई, खुद लता मंगेशकर को भी नहीं मालूम.

'बाबा’ दीनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय संगीतकार थे और सब बच्चे घर पर दिन-रात गीत-संगीत सुना करते थे. कम उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया और लता ने अपने परिवार को पालने का जिम्मा उठा लिया. पार्श्वगायन का प्रचलन नहीं था, लिहाजा, फिल्मों में अभिनय के सिवा कोई विकल्प नहीं था. पहिली मंगलगौर के निर्देशक आर.एस. जुनारकर ''मुझे देखते हुए बोले, 'तुम्हारी भौंहें मोटी हैं, क्या हम इसे तराश सकते हैं?’ मैंने नम्रता से कहा, 'चलेगा.’ ‘‘पर घर पहुंचकर वे बहुत रोईं. और जिस दिन से पार्श्वगाय की शुरू की उसके बाद से कभी ऐक्टिंग नहीं की.


डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता और लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर उनसे सवाल करती जाती हैं और वे अपने जेहन पर जोर डाले बगैर तारीख और वर्ष के साथ घटनाएं बयान करती जाती हैं: बचपन में हर रोज देखे गए सपने और उसकी ताबीर, पिता की मौत के बाद अपने भाई-बहनों के लिए मां-बाप की भूमिका निभाना, विभिन्न फिल्मी हस्तियों के बारे में उनकी राय और उनके साथ संबंध, खाना बनाने का शौक, दोस्त और परिचितों के बारे में उनकी राय, उनसे जुड़ी भ्रांतियां, उनकी पसंद-नापसंद. वे सारी परिस्थितियां और घटनाएं जिन्होंने एक कलाकार को वस्तुत: कला से भी बड़ा बना दिया.

वे बताती हैं कि शम्मी कपूर से उनकी क्यों नहीं बनती थी, हालांकि वे बाद में अच्छे दोस्त बन गए थे; मोहम्मद रफी के साथ चार साल तक गाना क्यों नहीं गाया; दिलीप कुमार से पहली मुलाकात में उनकी कौन-सी बात उन्हें नागवार गुजरी जिससे उन्होंने उर्दू सीखना शुरू कर दिया; किशोर कुमार पहली मुलाकात से पहले उनका पीछा क्यों कर रहे थे; जयकिशन ने फिल्मफेयर पुरस्कार समारोह में मंच पर गाने के लिए कहा तो उन्होंने क्यों मना कर दिया; राज कपूर की एक फिल्म में गाने के लिए क्यों तैयार नहीं थीं; नर्सरी में दाखिले के बाद शिक्षक की कौन-सी बात उन्हें इतनी चुभ गई कि वे फिर कभी स्कूल गईं ही नहीं; कैसे पता चला कि मराठी संगीतकार 'आनंदघन’ दरअसल लता ही हैं.

अनुवाद सही है पर 'नात’ को 'नाट’ और बेजा नुक्ते खटकते हैं. हालांकि लता मंगेशकर ने इस पुस्तक को अपने ''प्रिय बाबा और प्रिय माई को अर्पण’’ किया लेकिन यह उनकी आत्मकथा नहीं है. ''आपको इसके लिए पूरी तरह ईमानदार होना चाहिए; और यह बहुत-से लोगों को तकलीफ पहुंचा सकता है.’’ यानी सारी अच्छी-अच्छी बातें ही हैं.

लेकिन लिविंग लीजेंड की हर बात रोचक है. भगवान में अटूट विश्वास रखने वाली  लता कागज पर गानों के बोल लिखने से पहले सबसे ऊपर 'श्री’ लिखती हैं और गाने के समय नंगे पांव रहती हैं. वे बताती हैं कि  आवारा का गाना 'घर आया मेरा परदेसी’ मिस्री गायिका उम कुलसुम के 'अला बलदे अल महबूब’ की तर्ज पर है, एक और मिस्री गायक अद्ब्रदल वहाब की बहुतेरी रचनाओं की नकल की गई जिनमें उडऩ खटोला का 'दिल का पयाम ले जा’ शामिल है. 'इतना न मुझसे तू प्यार बढ़ा’ मोजार्ट की 1788 में रचित 40वीं सिम्फनी पर आधारित है.

'वॉयस ऑफ द नेशन’ के खिताब से नवाजी जा चुकीं भारत रत्न लता मंगेशकर की जिंदगी के विभिन्न पहलुओं की कहानी उन्हीं की जुबानी, रोचक और संग्रहणीय है.

अपने ख़ुद के शब्दों में...लता मंगेशकर नसरीन मुन्नी कबीर के साथ बातचीत
 

अनुवादक: डी. श्याम कुमार

प्रकाशक: नियोगी बुक्स, नई दिल्ली

कीमत: 750 रु.

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