आयुष्मान खुराना चैन से नहीं बैठ सकते. हाल ही में वे कैंसर के खिलाफ सफलता से लडऩे वाली अपनी पत्नी ताहिरा कश्यप के साथ ऑस्ट्रिया के वेलनेस रिजॉर्ट वाइवामेर गए थे, जो बॉलीवुड की पसंदीदा सैरगाह है. वापस आए हफ्ता भी नहीं बीता था कि खुराना ड्रीम गर्ल के प्रोमोशन में जुट गए, जो 2019 की उनकी दूसरी रिलीज है. उन्हें ब्रेक की भला क्या जरूरत.
राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजे गए यह अभिनेता 2018 के आखिर से ही एक के बाद एक फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं. वैसे ही जैसे दो दशक पहले के अभिनेता किया करते थे और इन दिनों केवल अक्षय कुमार करते हैं. खुराना जिन फिल्मों में व्यस्त रहे, उनमें शामिल हैं ड्रीम गर्ल, अनुभव सिन्हा की 65 करोड़ रुपए कमाने वाली ताकतवर खोजी थ्रिलर फिल्म आर्टिकल 15, असमय गंजेपन से परेशान किरदार में उनकी अदाकारी से सजी बाला, जो नवंबर में रिलीज होगी, और 2020 में रिलीज होने वाली गुलाबो सिताबो, जिसमें वे जाने-माने फिल्मकार शूजित सरकार के साथ फिर काम कर रहे हैं.
सरकार ने ही 2012 में उन्हें विकी डोनर से ब्रेक दिया था. मानो यह काफी थकाऊ न हो, खुराना ने अपनी अगली फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान की शूटिंग पहले ही शुरू कर दी है, जिसमें वे ऐसा किरदार निभा रहे हैं जो कम ही लोकप्रिय अभिनेताओं ने अदा किया है—समलैंगिक आदमी का किरदार.
खुराना कहते हैं, ''इसे सामान्य दिखाने के लिए आपको जनता का हीरो चाहिए. हालांकि धारा 377 को अपराध मुक्त बना दिया गया है, फिर भी यह कइयों के लिए वर्जित है. मैं उत्साहित हूं कि यह (फिल्म) छोटे शहरों में जा रही है. तभी आप पूर्वाग्रहों को दूर कर पाएंगे. वरना आप उन लोगों को उपदेश दे रहे हैं जो पहले ही बदल चुके हैं. इसका भला क्या मतलब?'' एक के बाद एक तीन हिट फिल्मों—अंधाधुन, बधाई हो और आर्टिकल 15—के बाद करियर की ऊंचाई पर उड़ रहे खुराना कहते हैं कि इस विषय को उठाने का यह 'बिल्कुल मौजूं वक्त' है. नए जोखिम उठाने का यह माद्दा ही है जो उन्हें बॉलीवुड में आगे रखता है.
उनकी ताजातरीन फिल्म ड्रीम गर्ल एक और मिसाल है जो बताती है कि खुराना किस तरह दर्शकों को हैरान करते और इस प्रक्रिया में नई चुनौतियां स्वीकार करते हैं. करम का किरदार अदा करने के लिए उन्हें औरत की तरह बोलना पड़ा और यहां तक कि उनकी तरह कपड़े भी पहनने पड़े. खुराना कहते हैं, ''मैं हमेशा बीच रास्तों पर चला हूं और आलोचकों के प्रति दोस्ताना रहा हूं. इस बार मैं बोझिल रास्ते पर चला गया. ड्रीम गर्ल '90 के दशक की कॉमेडी का कसीदा पढ़ती है. यह स्लैपस्टिक है, जो सिर से ऊपर है, और इसलिए मैं कहता हूं कि अपना दिमाग घर पर छोड़ आएं और फिल्म का मजा लें.''
ड्रीम गर्ल इस बात का भी सबूत है कि प्रतिभावान सहायक अदाकार कैसे उन्हें और फिल्म को बेहतर बनाते हैं. बरेली की बर्फी में राजकुमार राव और पंकज त्रिपाठी ने यह किया था, तो बधाई हो में गजराज राव, सुरेखा सीकरी और नीना गुप्ता ने. ड्रीम गर्ल में विजय राज, अन्नू कपूर और मनजोत सिंह की अदाकरी दर्शकों को गुदगुदाएगी.
खुराना फिलहाल दूसरे अभिनेताओं की तरह वे न तो असल जिंदगी के किरदार निभा रहे हैं और न ही बड़े बजट की फिल्में कर रहे हैं. वे हर सेकंड प्रसारित होने वाले विज्ञापनों में भी नहीं आ रहे हैं. इसके बजाए वे अजीबोगरीब और फिर भी लोगों से जुडऩे वाली परेशानियों से जूझते और अपनी असरदार ऊर्जा से उनके बीच रास्ते बनाते आम आदमी के तौर पर अपनी जगह बना रहे हैं. पहली बार फिल्म बना रहे निर्देशकों के नाम गिनाते हुए वे कहते हैं, ''अच्छा आइडिया कहीं से भी आ सकता है. मैं इंडस्ट्री के दिग्गजों के ही नहीं, ठेठ नए लोगों के विचारों का भी स्वागत करता हूं.''
फिल्म के बजट या प्रोड्यूसर से ज्यादा खुराना को यह बात आकर्षित करती है कि फिल्म बुनियादी तौर पर क्या कहना चाहती है और किस तरह कहना चाहती है. ''यह कितनी दिलचस्प और अलग है'', इसी से उनका इसमें काम करना या न करना तय होता है. हालांकि अब वे इससे आगे जाना और ऐक्शन फिल्म या लव स्टोरी करना चाहते हैं.
फिलहाल खुराना को खुद नहीं पता कि शुभ मंगल ज्यादा सावधान के बाद वे क्या करेंगे. वे कहते हैं, ''अगर अच्छी पटकथा नहीं मिली तो मैं एक और साल इंतजार करूंगा. मैं यह गवारा कर सकता हूं क्योंकि अगले साल की योजना तैयार है.'' जाहिर है, कामयाबी के साथ आत्मविश्वास भी आ जाता है.

