शब्दों से गपशप ओम निश्चल की सहृदय आलोचना कृति है. इसमें अज्ञेय से अष्टभुजा शुक्ल तक 13 कवि हैं. ओम कविता के भावक हैं. वे अपनी आलोचना में कविता का उत्सव मनाते हैं. उनका आलोचना स्वर समावेशी है. इस किताब में कवियों का उदात्त चयन है. जहां एक ओर अज्ञेय, कुंवर नारायण, विनोद कुमार शुक्ल और अशोक वाजपेयी हैं तो दूसरी ओर प्रगतिशील काव्यधारा के नागार्जुन, केदारनाथ अग्रवाल, त्रिलोचन, केदारनाथ सिंह, ज्ञानेंद्रपति, अरुण कमल, लीलाधर जगूड़ी आदि. यह आलोचना का जनतांत्रिक परिसर है जो इस तरह कम द्रष्टव्य है.
ये कविताएं जहां एक ओर प्रतिरोधी स्वर के कारण अपना होना विशिष्ट बनाती हैं तो दूसरी ओर जीवनमर्म की खोज और काव्य व्याख्या की अनुपम प्रस्तुति हैं. इन कविताओं का मकसद एक यात्रा के सामाजिक सरोकारों को केंद्रीयता प्रदान करना भी है. इन तथ्यों का रेखांकन ओम अपने निबंधों में करते हैं. वे लिखते हुए सहचर की भूमिका में अधिक उजागर हैं. कविता के आनंद में डूबना उनकी आलोचना का प्रमुख भाव है. वे अज्ञेय की पंञ्चिड्ढत को उद्धृत करते हुए उस जीवन मर्म की ओर इशारा करते हैं जो हमारी कविता की ताकत है- ''मैं अखिल विश्व का प्रेम खोजता फिरता हूं."
यह कृति क्रूरता, विदू्रपता और विभिन्न हिंसाओं के बीच मनुष्य की बुनियादी शक्तियों यथा प्रेम, करुणा, अहिंसा और न्याय के निहितार्थों को गुपचुप ढंग से अभिव्यक्त करती है. ओम लिखते हुए सौंदर्य दृष्टि के अलक्षित बिंदुओं को भी आलोचना के केंद्र में रखते हैं. एक ही समय में उपस्थित कविता की दो मुख्य धाराओं की विवेचना करते हुए, वे जनतांत्रिक स्पेस की गतिशीलता को ओझल नहीं होने देते. कवियों से गपशप करते हुए उनमें सलाहियत के साथ संदेह के कण भी मूर्त होते हैं. जो अंतर्तहों में धैर्य से पढ़े जा सकते हैं.
ओम उन आलोचकों में हैं जो आलोचकीय फतवों से बचते हुए रचना के आस्वाद के निकट बने रहते हैं. उनकी गपशप कविता में हर क्षण अच्छे मुहूर्त की खोज में सक्रिय है. उन्होंने युवा कवियों पर भी मनोयोग से लिखकर नई गपशप शुरू की है.
शब्दों से गपशप
लेखकः ओम निश्चल प्रकाशकः साहित्य भंडार
मूल्यः 100 रु.