scorecardresearch

लिटन ब्लॉक गिर रहा है: ताजादम और बाशऊर पड़ाव

हरनोट की सीधी-सरल भाषा में कही गई कहानियां अंतर्मन को गहरे तक छूने का काम करती हैं.

अपडेटेड 25 नवंबर , 2014
एस.आर. हरनोट हिमाचल प्रदेश के प्रतिष्ठित, सक्रिय और भरोसेमंद कथाकार हैं. हिमाचली परिवेश और संस्कृति को वे गहरी संवेदना और जज्बात से व्यक्त करते हैं. दृश्यात्मकता उनकी कहानियों की ताकत है और अनुभव, कहानियों के भीतर गूंजता Þआ कालखंड! वे एक दुर्लभ वृत्तांत की रचना करते हुए अपनी कथा को विस्तार देते हैं—मसलन आभी कहानी. यह महज कहानी नहीं, प्रकृति पर लिखी गई लंबी नज्म है. यहां संसार का सबसे मासूम पात्र (एक चिडिय़ा) आभी है तो उसके  बरअक्स मनुष्य की बनाई हुई निस्संग दुनिया. यह क हानी बाजारवादी छवियों का विनम्र प्रतिवाद है. दरख्तों को बचाए रखने की चिंताएं तो हैं ही. कहानी जिस जज्बे से लिखी गई है उसका खैरमकदम जरूरी है. 'सादगी’ को शिल्प बनाना हरनोट की विशेषता है. यही विशेषता लिटन ब्लॉक गिर रहा है कहानी में भी है. यहां 'गिरना’ शब्द गौर तलब है. महज लिटन ब्लॉक ही नहीं गिर रहा, रवायतें गिर रही हैं. इनसानी कद्रें गिर रही हैं और गुजिश्ता वक्त के कई आख्यान भी गिर रहे हैं.

हरनोट के शिल्प की एक खूबी यह भी है कि तंत्र की कारगुजारियों को रेशा-रेशा किया जाता है, लेकिन सब कुछ अदब के दायरे में. हरनोट को 'लाउड’ होना नहीं आता. उनकी कहानियों के पात्र पसमांदा, दुखी, शिकस्ता जीवन जीनेवाले लोग होते हैं. अतिसाधारण पात्र. लेकिन उनका जिंदगीनामा असाधारण! वे जीवन जीते हुए यूं लगते हैं जैसे एक हिस्सा मौत का भी जी रहे हैं. हक्वाई क हानी के किरदार की यही तौफीक है. जूते-चप्पल-सैंडिल गांठनेवाले भागीराम का दुख, संघर्ष, उपेक्षा और जलालत इस कहानी में अपनी संपूर्णता से उभरती चली जाती है. तंत्र के सम्मुख उसकी बेचारगी और लाचारगी तथा उसका निरंतर टूटना-बिखरना-उसकी ध्वनियां इस कहानी में साफ तौर से सुनी जा सकती हैं.

हरनोट आभी, लिटन ब्लॉक गिर रहा है और हक्वाई कहानी के जरिए बड़ी सूझबूझ (और कलात्मकता) के साथ दो समयों को भी व्यक्त कर रहे होते हैं. एक वह समय जो गुजर चुका है, दूसरा अपनी वर्तमानता की नुकीली चुभन के साथ मौजूद है. जो फर्क  है, वह महसूस होने लगता है. सिर्फ शिमला ही नहीं बदला, हिमाचल की तहजीब में भी बदलाव, इन कहानियों के माध्यम से परखा जा सकता है.

इकबाल के शेर का एक मिसरा है—के शिकस्ता हो तो अजीजतर है निगाहे-आईना साज में (खुदा को तू उतना ज्यादा प्रिय होगा, जितना अधिक तू टूटता चला जाएगा). यही बात हरनोट की कहानियों के पात्रों की है. वे इसलिए हमें अपने गाढ़े दुख के  साथ सम्मोहित करते हैं कि उनका दुख हमें अपना-सा लगता है. जैसे शहर में रतीराम. वह इतना सरल हृदय पात्र है कि बीमारी के बाद जब सेहतमंद होता है तो दो रुपए का कर्ज चुकाने बाजार जाता है तो हतप्रभ रह जाता है. कितना कुछ बदल गया है इन दो-ढाई सालों में. यह क हानी सीधे-सीधे स्मृतियों और पुराने संस्कारों के खत्म हो जाने की कहानी है. यह वाल्टर बेंजामिन के विचार की भी तस्दीक करती है कि शॉपिंग मॉल पूरी संस्कृति को हड़प लेंगे. संग्रह की अन्य प्रमुख कहानी लोग नहीं जानते थे कि उनके पहाड़ खतरे में हैं  में पहाड़, संस्कृति, वृक्ष और जनजीवन को बचाने की कोशिकाएं और आस्थाएं क हानी के रूप में क्रमश: उभरती हैं और विकास पाती हैं. यहां सबसे बड़ा सूत्र यह है कि ईमानदारी से अगर एक आवाज भी उभरे तो वह आंदोलन का रूप अख्तियार कर लेती है. जूजू और गाली संग्रह की साधारण कहानियां हैं.
इस संग्रह की कहानियों में स्मृतियों का आवेग है और नए समय की चेतना. लिटन ब्लॉक गिर रहा है  हरनोट की कथायात्रा का अगला पड़ाव है—ताजादम और बाशऊर!   
Advertisement
Advertisement