
गोलियों की रासलीला: राम-लीला में दीपिका पादुकोण के कजिन भवानी (गुलशन देवैया) हों या हॉलिेड का स्लीपर सेल का प्रमुख अली (फ्रेडी दारूवाला) या फिर मरदानी का वॉल्ट उर्फ करन (ताहिर राज भसीन), ये ऐसे विलेन हैं, जो हम, आप जैसे दिखते हैं लेकिन जिनकी सोच तबाही और खौफ पैदा करने वाली है. ये मीठी भाषा बोलते हैं, मॉडर्न हैं, खूबसूरत हैं लेकिन खतरनाक हैं.
नए दौर के विलेन को अपने जमाने के कांइयां टाइप विलेन प्रेम चोपड़ा बखूबी बयान करते हैं, ''पहले जमाने में हीरो चॉकलेटी टाइप का लड़का होता था जो अच्छे व्यवहार के लिए जाना जाता था जबकि विलेन नकारात्मकता के लिए. लेकिन आज के विलेन काफी गहरे हैं. उनके पीछे एक कहानी है कि वे विलेन क्यों बने और यह दिलचस्प बात है.” कृष-3 का काल (विवेक ओबेरॉय) इसकी अच्छी मिसाल है. उसमें वही डीएनए है जो कृष में है लेकिन उसका चरित्र उससे एकदम उलट है. काल भारत में साइंस आधारित खलनायकों की एक शुरुआत भी कहा जा सकता है.
सुपरस्टार सलमान खान और शाहरुख खान की पसंद बन चुके निकेतन धीर गब्बर में अक्षय कुमार से लोहा लेते नजर आएंगे. गुलशन अपनी अगली फिल्म हंटर में ग्रे शेड लिए हुए कैरेक्टर का रोल कर रहे हैं. वे कहते हैं, ''हंटर में मेरा कैरेक्टर पूरी तरह नेगेटिव नहीं है लेकिन कुछ ग्रे शेड्स जरूर हैं” वे मानते हैं कि हर आदमी में जैसे कुछ खामियां होती हैं, उसी तरह उनके ऑनस्क्रीन कैरेक्टर भी हैं. इसी तरह के कैरेक्टर्स से ऑडियंस कनेक्ट भी करती है. यही वजह है कि लार्जर दैन लाइफ हीरो के साथ ही ऐसे विलेन भी गायब हो गए हैं.
पहले विलेन लाउड और अपने तालीमार संवादों की वजह से पहचाने जाते थे. गुलशन कहते हैं, ''किक में शिव गजरा (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) जैसे सिरफिरे लोग असल में भी हो सकते हैं. साधारण, लेकिन हरकतों से खौफ पैदा करने वाले.”
फिल्मों में नजर आने वाले नए विलेन किसी मजबूरी में खलनायकी नहीं कर रहे हैं. ऐसा नहीं है कि उनके पास काम नहीं है. यह कैरेक्टर और ऐक्टिंग को लेकर उनकी अपनी पसंद है. कुछ समय पहले कहा जा रहा था कि विलेंस का जमाना गया. ऐसा नहीं है. फिल्मों में विलेन लौटा है और वह भी पूरी मजबूती के साथ.