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राजस्थान में नशे में डूबने की यह मारामारी

डोडा पोस्त की कमी के कारण आक्रोशित लोगों का गुस्सा आए दिन फूट रहा है, राजस्थान में इसके लिए बदतर हुए हालात.

अपडेटेड 13 मई , 2014
राजस्थान के बाड़मेर में डोडा पोस्त खरीदने पहुंची सेतू देवी दुकान बंद पड़ी देख फट पड़ती हैं. वह कहती हैं, ''हमारा तो जीना मुहाल हो गया है. डोडा न मिलने से मेरे पति और लड़कों की हालत खराब है और वे काम पर नहीं जा पा रहे हैं. '' उनकी बात से डोडा पोस्त के प्रति दीवानगी का अंदाजा बखूबी लगाया जा सकता है. पश्चिमी राजस्थान में डोडा पोस्त की दुकानों पर रोजाना की लंबी कतारें इस सच को और नुमायां करती हैं. आलम ऐसा है कि डोडा न मिलने पर लोग आए दिन हंगामा और हाइवे जाम करने लगे हैं.

विडंबना ही है कि एक ओर केंद्र सरकार विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के मुताबिक और उसके दबाव में डोडा पोस्त जैसी नशीली वस्तुओं को हतोत्साहित करने के लिए उनकी खेती के रकबे में साल-दर-साल कमी कर रही है जबकि इसके विपरीत डोडा पोस्त और अफीम का सेवन करने वालों की संख्या में उछाल आया है. मजे की बात है कि पश्चिमी राजस्थान में राज्य सरकार के मुताबिक महज 7,247 लोगों को ही इसका परमिट मिला है, जबकि इनकी संख्या कहीं ज्यादा है. डोडा पोस्त की उपलब्धता में भारी कमी ने आग में घी का काम किया है. डोडा पोस्त की सरकारी सप्लाई भी पूरी नहीं पड़ रही. उसके न मिलने से लोग नशे के इंजेक्शनों का सहारा ले रहे हैं. कथित तौर पर दो व्यक्तियों ने नशा असहनीय होने पर आत्महत्या भी कर ली. पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में ऐसा ही हाल है.

बाड़मेर में सैकड़ों लोगों ने पिछले हफ्ते राजमार्ग जाम कर दिया. ये सभी डोडा पोस्त की आपूर्ति करने, सभी का लाइसेंस बनाने या लाइसेंस का नियम खत्म करने की मांग कर रहे थे. उधर जैसलमेर जिले में भी डोडा पोस्त की कमी के चलते परेशान लोगों का गुस्सा फूटा. एक नशेड़ी फरसा राम ने बताया, ''डोडा की कमी का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि घर की महिलाओं को अब सड़कों पर उतरना पड़ रहा है.'' बाड़मेर के एक नशेड़ी फूसाराम ने बताया, ''डोडा न मिलने से लोग अब नशे के इंजेक्शन का सहारा ले रहे हैं. ''  

बाड़मेर के शिव से विधायक मानवेंद्र सिंह ने डोडा पोस्त के संकट के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया. उन्होंने बताया, ''इसका मुख्य कारण डोडा पोस्त की पैदावार में कमी आना है.'' 2011-12 में चित्तौडग़ढ़ और प्रतापगढ़ जिले के अंदर कुल 20,372 काश्तकारों को 9,491.30 हेक्टेयर इलाके में डोडा पोस्त की खेती करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से पट्टे जारी किए गए थे. लेकिन 2012-13 में सिर्फ 18,351 काश्तकारों को 2445.40 हेक्टेयर में ही पट्टे जारी किए गए. लिहाजा 2012-13 में इसका उत्पादन 75 फीसदी कम हुआ.

जोधपुर डिवीजन के एडिशनल एक्साइज कमिश्नर बी.आर. डेलू ने स्वीकार किया कि डोडा पोस्त की खेती के लिए सरकार हर वर्ष पट्टे  कम कर रही है. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने 2001 के बाद कोई भी नया परमिट जारी नहीं किया है. जारी परमिटों में कई ऐसे व्यक्ति भी शामिल हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है और 2-3 साल बीत जाने के बाद परमिट रिन्यू नहीं करवाने वालों के परमिट खारिज हो गए हैं. डेलू बताते हैं कि जोधपुर संभाग में बाड़मेर में 22, जैसलमेर में 8, जालौर में 11, पाली में 11, सिरोही में 6 और जोधपुर में 17 डोडा पोस्त बिक्री की दुकानें हैं लेकिन इन्हें परमिटधारियों के मुताबिक ही उसकी आपूर्ति हो रही है. वहीं हंगामे के बावजूद सरकार गंभीर नहीं दिख रही.
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