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सेलेब्रिटी मैनेजर: ये लोग थामते हैं सितारों की डोर

आज बॉलीवुड में सितारों का प्रतिनिधित्व करने वाले सेलेब्रिटी मैनेजरों की बाढ़ आ गई है, जिनका काम अपने स्टार को मुंहमांगी कीमत दिलाना है.

अपडेटेड 20 अप्रैल , 2013

उन्हें सिर्फ एक दिन के लिए सेलेब्रिटी मैनेजर बनने का मौका मिला, लेकिन पुनीत (बदला हुआ नाम) आज तक उसे अपनी पेशेवर जिंदगी का सबसे रोमांचक दिन मानते हैं. एक बड़ी टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी के कर्मचारी पुनीत को आखिरी मौके पर बताया गया कि उन्हें एक ऐक्टर के साथ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में जाना होगा. पुनीत याद करते हुए बताते हैं, “कभी अचानक ही वे बड़े विनम्र और दोस्ताना व्यवहार वाले हो जाते और अपने साथ के लोगों से मेरा परिचय करवाते. फिर अगले ही पल उन्हें याद आता कि वे तो सेलेब्रिटी हैं और अचानक उनका रवैया बदल जाता, वे कहते, ‘मैं सेलेब्रिटी हूं. तुम मुझे इतनी देर इंतजार नहीं करवा सकते’.”Vidya Balan कुछ देर पहले ही वह अभिनेता दूसरों को ऑटोग्राफ देने में मशगूल था, लेकिन उसने अचानक पुनीत को इस बात के लिए टोका कि वे प्रशंसकों को उनसे दूर क्यों नहीं रख रहे हैं? वे किसी भी कीमत पर समारोह स्थल के भीतर अपना मोबाइल फोन ले जाना चाहते थे, सो पुनीत को स्थिति संभालने के लिए मजबूरन उसे अपनी पैंट में छिपाकर ले जाना पड़ा. हालांकि प्रोग्राम के बाद दोनों ने इस घटना पर जमकर ठहाके लगाए.

पिछले कुछ वर्षों के दौरान बॉलीवुड में सेलेब्रिटी मैनेजरों की बाढ़-सी आ गई है और स्थिति यह हो गई है कि ऐक्टर अब उनके बगैर एक कदम भी आगे बढऩे के बारे में नहीं सोच पाते. पहले फिल्मी सितारों के निजी सचिव हुआ करते थे, जिनका काम उनके कैलेंडर को संभालना, पत्रकारों से निपटना और बड़े निर्माताओं के साथ सौदे पटाना होता था. आज एक सितारे को बीस से तीस साल की उम्र के ऐसे मैनेजरों की जरूरत पड़ती है, जो अलग-अलग मसलों पर उन्हें राय देने का काम करते हैं. मसलन, कौन-सी फिल्म करनी है, कौन-सी नहीं, किस प्रोग्राम में जाना है, किसकी शादी में नाचना है, किस टेलीविजन शो को जज करना है, किस पुरस्कार समारोह में आइटम पेश करना है और कौन-से ब्रांड का विज्ञापन करना है. ऐसे प्रोफेशनल मैनेजरों के पास हर चीज का एक पैकेज होता हैः ये ऐसे लोग होते हैं, जिनके पास कंजूस से कंजूस ग्राहक से दो कौड़ी ज्यादा निकलवा लेने की क्षमता होती है और ये हर स्थिति का प्रबंधन करने में समर्थ होते हैं.

बैड ब्वाय से बीइंग ह्यूमन तक का सफर
ऐसे सेलेब्रिटी मैनेजर मैट्रिक्स, कार्विंग ड्रीम्स, ब्लिंग, सीएए क्वान या फिर यशराज फिल्म्स जैसी टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसियों के होते हैं, जो अपने सितारे के पीछे परछाई की तरह रहकर काम करते हैं. स्क्रिप्ट पढऩे का सेशन हो, अखबारों-पत्रिकाओं को दिए जाने वाले इंटरव्यू हों, पत्रिकाओं के कवर के लिए शूट हों; ये मैनेजर लगातार अपने सितारों के साथ बने रहते हैं, उनके लिए नियम और शर्तें तय करते हैं, जिनके बारे में खुद सितारों को बात करना पसंद नहीं होता, जैसे बिजनेस क्लास हवाई यात्रा, एस-क्लास कार पिक-अप या फाइव स्टार होटलों के सुइट में ठहरने के इंतजाम आदि.Salman Khan

इस फेहरिस्त में सबसे आगे रेशमा शेट्टी का नाम है, जिन्होंने 2002 में मैट्रिक्स एजेंसी की स्थापना की थी. बॉलीवुड की लौह महिलाओं में शुमार शेट्टी को बिगड़ैल सलमान खान को एक अनुशासित और विनम्र शख्स बना देने का श्रेय जाता है और इसी काम के लिए वे सबसे ज्यादा पहचानी जाती हैं. एक पब्लिसिस्ट बताते हैं, “रेशमा ने अगर कह दिया कि सलमान दो बजे पहुंचेंगे, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है.” जहां तक बिजनेस की बात है, कहा जाता है कि इस बारे में आखिरी फैसला रेशमा खुद बांद्रा स्थित सलमान के गैलेक्सी अपार्टमेंट में उनके साथ बैठकर ही लेती हैं. रेशमा बेहद अनुशासन पसंद हैं और इसीलिए उन्होंने हाल ही में संजय दत्त से अपना नाता तोड़ लिया क्योंकि वे उनके बताए वक्त पर अमल नहीं कर सके.

आज किसी सितारे तक पहुंचने वाली राह में मैनेजर नाम के पड़ाव से गुजरना अनिवार्य हो गया है. आम तौर पर ये मैनेजर खुद इतने व्यस्त रहते हैं कि इन तक पहुंचना भी उतना ही मुश्किल होता है. लेकिन इनके काम की कोई सीमा नहीं होती. ब्लिंग एजेंसी के डायरेक्टर 47 वर्षीय फोटोग्राफर अतुल कस्बेकर के मुताबिक, “आप ही सितारों के मनोचिकित्सक भी हैं, उनके संरक्षक भी, संकटमोचन और मदर टेरेसा के-से सफेद लिबास में ढके उनके कर्ता-धर्ता भी.Ranbir Kapoor दूसरे तरीके से कहें तो आपको ही उनका गुस्सा और नखरे सब झेलने पड़ते हैं. इन सब भूमिकाओं को निभाते हुए आपको एक बौद्ध भिक्षु की तरह शांत रहना पड़ता है, लेकिन हर कारोबारी सलाह भावनाओं से मुक्त होती है.” सेलेब्रिटी मैनेजरों से अकसर उम्मीद की जाती है कि वे कुछ ऐसा कर गुजरें जो नामुमकिन हो. ब्लिंग में ही डायरेक्टर 35 वर्षीया पिया साहनी बताती हैं, ‘वे सुदूर इलाकों की डायरेक्ट फ्लाइट के टिकट की मांग कर सकते हैं और आखिरी मौके पर बोल सकते हैं कि टिकट रद्द कर दी जाए. उन्हें यह बात नहीं समझ आती कि एअरलाइन हमारी बपौती नहीं है.’ होटल में चेक-इन और चेक-आउट करने से लेकर सुरक्षा गार्डों की तयशुदा मौजूदगी और वैनिटी वैन के सेट पर पहुंच जाने की गारंटी तक कोई भी काम ऐसा नहीं है जो ये मैनेजर न करते हों ताकि उनके सितारे को कम से कम जहमत उठानी पड़े और उसकी पेशानी पर बल न पड़ें.

पंगा नहीं वरना...
हालांकि सितारों को इन मैनेजरों की सबसे ज्यादा अहमियत कारोबारी सलाह के दौरान ही समझ में आती है. कॉर्पोरेट कल्चर के इस दौर में इन मैनेजरों ने अपने सितारों को सिनेमा की दुनिया से पार ले जाने का काम किया है. सीएए क्वान के 34 वर्षीय अनिर्बान दास ब्ला मानते हैं कि किसी भी टॉप ऐक्ट्रेस की 70 से 75 फीसदी आय गैर-फिल्मी स्रोतों से आती है, जिनमें विज्ञापन सबसे आगे हैं. ऐक्टरों के लिए यह हिस्सा कुछ कम होता है, करीब 50 फीसदी क्योंकि बॉक्स ऑफिस पर होने वाली आय से उन्हें कहीं ज्यादा पैसा आता है. ऐक्टर का कारोबारी प्रतिनिधित्व करने वाली एजेंसी भी 10 से 20 फीसदी कमीशन बतौर अपनी फीस ले लेती है.Aamir Khan

ब्ला आगे बताते हैं कि इस पेशे में टिकने के लिए संयम, संगठन संबंधी बेहतरीन कौशल और काम पर नैतिकता के उच्च मानदंड बेहद जरूरी हैं. उनके मुताबिक, “आपको काफी कुछ छोडऩा होता है. आपको एक व्यक्ति की जरूरतों के प्रति नरमदिल होना पड़ता है और यह सुनिश्चित करना पड़ता है कि कहीं कुछ घपला न हो जाए.” यह ऐसा रिश्ता है जो नौकरी से आगे बढ़कर आपसी भरोसे पर टिका होता है. मसलन, परिणीति चोपड़ा और उनकी 26 वर्षीया मैनेजर नेहा आनंद दोस्त हैं, जो संग में पिज्जा खाने जाती हैं और मुंबई के ट्रैफिक से जूझते हुए पंजाबी संगीत की धुनों का भरपूर लुत्फ उठाती हैं.

पिछले 16 साल से सनी देओल का काम देख रहीं नीना राव आज उनका दायां हाथ बन चुकी हैं. वे कहती हैं, “शुरू में तो सनी मेरा नाम तक नहीं जानते थे. वे इतने शर्मीले थे कि मुझसे खुलने में ही उन्हें छह महीने लग गए. लेकिन अब साथ में इतना वक्त गुजर चुका है कि हम एक-दूसरे के परिवारों को लेकर भी चिंतित रहते हैं.”

जाहिर है, दूरियां घटेंगी तो ताकत भी बढ़ेगी. सेलेब्रिटी मैनेजरों को सितारों से जुड़ी हर बात की जानकारी अच्छे से होती है. किसी सितारे के डर्र्र्टी सीक्रेट्स जानने हों तो उसके मैनेजर से बेहतर स्रोत नहीं हो सकता. एक बड़ी एजेंसी के साथ काम कर चुके दिनेश (बदला हुआ नाम) याद करते हैं कि अपने कद को लेकर हीन भावना से ग्रस्त एक ऐक्टर ने कैसे अपने मैनेजर को कह दिया था कि उसके सामने वे हील वाले जूते न पहना करें. दिनेश कहते हैं, “मैंने देखा है कि जो स्टार जितना बड़ा होता है, उतना ही घटिया भी होता है.” एक और मैनेजर एक बार का किस्सा सुनाते हैं कि गहनों की किसी दुकान का उद्घाटन करने गई एक ऐक्ट्रेस को आयोजकों ने सोने के गहने के दो सेट उपहार में दिए. जब उसने देखा कि एक डिब्बा खाली है, तो वह अपनी कार में बैठी इंतजार करती रही कि उसे बदल दिया जाए.Katrina Kaif

स्टारडम का अच्छा, बुरा और बदतर चेहरा
एक सेलेब्रिटी मैनेजर शुरुआत में 25,000 रु. महीना कमाता है, लेकिन तजुर्बे और समय के साथ उसकी कमाई 30 से 40 लाख रु. सालाना तक हो सकती है. दूर से देखने में भले यह काम उतना आकर्षक न दिखता हो, लेकिन उसी में मौके भी मिलते हैं. मसलन, सीएए क्वान में सीनियर एजेंट जयंती साहा नवंबर 2012 में फ्रीडा पिंडो के साथ दोहा फिल्म फेस्टिवल में गई थीं. वहीं उनकी मुलाकात रॉबर्ट डी नीरो से हुई. कल्कि केकलैं, अनुराग कश्यप, महेश बाबू और दीपिका पादुकोण के अकाउंट का प्रबंधन करने वाली 27 वर्षीया जयंती कहती हैं, “इन सितारों पर बहुत दबाव होता है. ये क्या खाते हैं, क्या पहनते-ओढ़ते हैं और क्या-क्या करते हैं, सब पर लोगों की नजर रहती है. हमें समझना चाहिए कि वे भी इंसान हैं और उनके दिन भी अच्छे-बुरे हो सकते हैं.”

हर कोई इसे पसंद करे, जरूरी नहीं. कनिका (बदला हुआ नाम) को ही लीजिए. उन्होंने बमुश्किल साल भर परसेप्ट टैलेंट मैनेजमेंट के साथ काम किया और अपने क्लाइंट्स के नाज-नखरों और उनकी सनक से आजिज आ गईं. उन्हें तड़के तीन बजे नींद से उठकर होटल के कमरे बुक करवाने को कहा जाता, तो कभी एक बड़े सितारे के बच्चों के लिए बुफे काउंटर से डेसर्ट टॉपिंग पैक करवाने को कहा जाता. कनिका कहती हैं, “ऐक्टरों को लगता है कि आप उनकी जागीर हैं. उनके लिए हम हमेशा सेक्रेटरी या स्पॉट ब्वाय जैसे ही बने रहेंगे.”

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