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कहानी संकलन: वही तीखे-मीठे तेवर

इंसानी जीवन से जुड़ी त्रासदियों और औरत जीवन की मार्मिकता का मिला-जुला आईना.

अपडेटेड 3 अप्रैल , 2013

एक अश्लील कहानी
कमलेश्वर,
हिंद पॉकेट बुक्स, जोरबाग लेन, नई दिल्ली-3,
कीमत: 150 रु.
contact@fullcirclebooks.in
कमलेश्वर हिंदी साहित्य जगत् में एक ऐसा नाम है जो कभी एक विधा से बंधकर नहीं रहा. उन्होंने राजा निरबंसिया और मांस का दरिया जैसी कहानियां लिखीं तो कितने पाकिस्तान उपन्यास भी उनके नाम दर्ज है जिसने उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार दिलवाया. उनके उपन्यास काली आंधी पर गुलजार ने आंधी फिल्म बनाई तो राम बलराम, अमानुष, मौसम, सौतन, द बर्निंग ट्रेन और लैला जैसी फिल्में बॉलीवुड को उनकी ही देन हैं.

टीवी के लोकप्रिय धारावाहिक चंद्रकांता के रचयिता कमलेश्वर ही थे जो एक मिसाल बना. नई कहानी आंदोलन की चर्चित तिकड़ी में से एक कमलेश्वर ने हिंदी कहानी को नए आयाम दिए और 300 से ज्यादा कहानियां लिखीं. उनकी रचनाओं में युवाओं को साथ लेकर चलने की कुव्वत है तभी गुलजार ने उनके बारे में लिखा था, ''उनकी कहानी ने युवा पीढ़ी को नई दिशा दी है.”

प्रस्तुत संकलन में कमलेश्वर की तेरह यादगार कहानियों को समेटा गया है, ये वे कहानियां हैं जो हिंदी जगत् में विशिष्ट स्थान रखती हैं. इन कहानियों में कस्बाई गंध है तो शहरी मध्यवर्ग की त्रासदियां भी रची-बसी हैं. उनके लेखन में अपने समय के सच को बयान करने वाला ऐसा माद्दा है जो उनकी रचनाओं को आज भी प्रासंगिक बनाए हुए है. राजा निरबंसिया कहानी से हिंदी साहित्य के आकाश पर चमकने वाले कमलेश्वर की चुनिंदा कहानियों का संकलन एक अश्लील कहानी इस कसौटी पर एकदम खरा उतरता है.

शीर्षक कहानी एक अश्लील कहानी की बात करें तो कमलेश्वर ने जिस तरह इसे लिखा है, उसमें नाटकीयता का जबरदस्त पुट है. इसकी शुरुआत एक पुरुष (चंद्रनाथ) के रईस औरत (कुंती) को लेकर पूर्वाग्रह ग्रस्त मनोभावों से होती है. कहानी जिस तरह आगे बढ़ती है, उसमें पुरुष का एक स्त्री को सिर्फ भोग्या समझने का भाव भी तूफानी गति से आगे बढ़ता है. जिसके लिए कहानी का नायक चंद्रनाथ तरह-तरह के तर्क गढ़ता है. लेकिन अंत आते-आते लेखक ने कहानी को अलग ही ट्रैक पर दौड़ा दिया. एक समय कुंती को कनखियों से कपड़े बदलते हुए देखने वाला चंद्रनाथ आखिर में ऐसी परिस्थितियों में फंस जाता है कि उसे भोग्या नजर आने वाली कुंती मां जैसी लगने लगती है.

कमलेश्वर की कहानियों में महानगर के साथ-साथ मध्यवर्गीय जीवन में रचा-बसा वह कस्बा बराबर मौजूद रहा जिसमें उनका जन्म हुआ और जिसे देखते हुए उन्होंने इस दुनिया और साहित्य के रंगों को बखूबी समझ. इसकी झलक मुर्दों की दुनिया के निसार और साबित्तरी के साथ ही, लॉरी के अड्डे के विवरण में मिलती है. यहां स्त्री-पुरुष संबंधों की गूढ़ता है तो समाज में तरक्की के आने से पैदा होती नई परिस्थितियों की झलक भी है. निसार साबित्तरी से दिल लगा बैठता है. लेकिन आजादख्याल साबित्तरी का अपना एक टॉरगेट है और वह उसे हर कीमत पर पूरा करना है. खास यह कि निसार को साबित्तरी की जो बात पसंद आती है, वह है साबित्तरी का मरदाना टच. ऐसा सिर्फ कमलेश्वर ही कर सकते थे. आखिर में जाकर निसार समझ पाता है कि साबित्तरी तो स्वार्थों की पोटली का नाम था.

रात, औरत और गुनाह कहानी में वकीलन का किरदार बहुत ही मार्मिक है. यहां एक औरत के मां न बन पाने का दर्द है तो औरत के चरित्र को लेकर बातें बनाने की समाज की पुरानी बीमारी भी साफ झ्लकती है. नीली झील के महेस पांडे के पारबती को लेकर प्रेम की परिणति पक्षी प्रेम में होना, वाकई एकदम नयापन है. आज़ादी मुबारक में उन्होंने किस्सागोई की नई शैली को आजमाते हुए खुद को और मंटो को इसके केंद्र में रखा है, और इसी शैली के जरिये भारत-पाकिस्तान विभाजन के दर्द को समेटने की कोशिश की है. इस संकलन की बाकी कहानियां जामातलाशी, नागमणि, कितने पाकिस्तान और गर्मियों के दिन भी मानवीय संबंधों, रोजमर्रा की परेशानियों और मध्यवर्गीय जीवन की विसंगति और विडंबना को बखूबी बयान करती हैं.

कुछ लोगों ने हमेशा से कमलेश्वर की कहानियों को बचकानी और बनावटी कहकर विभाजित करने की कोशिश की है लेकिन इस सच से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता कि उन्होंने आम आदमी की पीड़ा को उसी की भाषा और अंदाज में पेश करने की कोशिश की है. हिंदी कहानी के धुरंधर कुछ भी कहें, यह बात सौ फीसदी खरी है कि कमलेश्वर आज भी प्रासंगिक हैं.

नाटकीयता के धनी कमलेश्वर की एक अश्लील कहानी का चंद्रनाथ ऐसी परिस्थितियों में फंस जाता है कि उसे भोग्या नजर आने वाली कुंती मां जैसी दिखने लगती है.

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