
मैंने घर से बाहर की दुनिया नहीं देखी थी. मैंने कभी इस बारे में सोचा भी नहीं था क्योंकि मेरे पास जो था, मैं उसी में खुश थी. लेकिन एक दिन मेरे बेटे ने कहा, "मां, आप इतना अच्छा खाना बनाती हो, इसे दुनिया के साथ साझा क्यों नहीं करतीं?"
मैं शर्मीली थी और कैमरे के सामने आने से हिचकिचाती थी और बोलने से डरती थी. लेकिन धीरे-धीरे सोशल मीडिया ने कैमरे में दिखना, बोलना और लोगों का प्यार पाना सब सिखा दिया." यह बात 51 वर्षीय उषा बिषयी—जिन्होंने डिजिटल उपनाम @oldays_kitchen से खास पहचान बना रखी है—ने एक रील में कही, जिसे 4,30,000 लोगों ने लाइक किया और जो अब तक 47 लाख बार देखी जा चुकी है.
इसमें उषा ने पश्चिम बंगाल से बाहर अपनी पहली यात्रा के बारे में बताया है. कैसे उन्होंने पहली बार मुंबई के लिए उड़ान भरी, जहां उनकी मुलकात अंतत: इंस्टाग्राम के प्रमुख एडम मोसेरी से हुई और उन्होंने उनके साथ डांस भी किया.
उषा देश के उन 46 लाख क्रिएटर या इन्फ्लूएंसरों में से एक हैं, जिनके लिए यूट्यब और इंस्टाग्राम जैसे वीडियो शेयरिंग प्लेटफॉर्म जिंदगी में बदलाव लाने वाले साबित हुए हैं. दर्शकों ने उषा की स्वादिष्ट बंगाली रेसिपी का लुत्फ उठाना शुरू ही किया था कि कई ब्रांड उनकी तरफ खिंचे चले आने लगे.
आज उषा बड़े ब्रांड्स के सामने एक आईफोन 16—सीधे-सीधे 75,000 रुपए के आसपास—की कीमत कोट करती हैं. अभी तक उनका बेटा सुप्रभ रोजमर्रा का सारा कामकाज संभालता रहा है लेकिन जिस रफ्तार से उषा के प्रशंसकों की संख्या बढ़ रही है, दोनों जल्द ही एक मैनेजर नियुक्त करना चाहते हैं.
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अपनी खुद की बनाई दुनिया
करिश्मा गंगवाल, 31 वर्ष
(आरजे करिश्मा, मुंबई)
यूट्यूब - 82.1 लाख सब्सक्राइबर
इंस्टाग्राम - 69 लाख फॉलोअर

बचपन में करिश्मा को अपनी मां की साड़ी पहनना और आईने के सामने टीवी शो के किरदारों की नकल उतारना बहुत पसंद था. उसके दो दशक बाद, अब वे फोन कैमरे के सामने अपने सपनों के किरदारों को निभाती हैं.
उनमें चर्चित मम्मीजी और विक्की का किरदार शामिल हैं. देश की शीर्ष कॉमेडी कंटेंट क्रिएटरों में से एक करिश्मा साल 2023 में मुंबई जाने से पहले इंदौर में एक मशहूर रेडियो जॉकी थीं. उस वक्त वे नौकरी के साथ-साथ ऑरिजनल वीडियो कंटेंट लिखने, उसे शूट करने और उसके संपादन की अपनी दिलचस्पी के काम भी किया करती थीं.
अपने 'जोखिम भरे पेशे' के बारे में करिश्मा कहती हैं, "आप ढीले नहीं पड़ सकते...यह नहीं कह सकते कि 'मैं तो ओजी [ऑरिजनल] हूं.' कोई भी आकर आपकी जगह ले सकता है." करिश्मा डिजिटल माइक्रो ड्रामा लिखकर, उसमें अभिनय करके और उसको प्रोड्यूस करके अपने फलक का विस्तार कर रही हैं. ब्राइट भविष्य लोडिंग 'करिश्मावर्स’ यानी कई किरदारों वाली करिश्मा की दुनिया है.—सुहानी सिंह
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उषा जैसे क्रिएटरों का उभरना इस बात का सबूत है कि कैसे देश के लोग उन पर अपना प्यार लुटा रहे हैं, जो आराम से घर में बैठकर अपनी कला को स्वाभाविक ढंग से परोसना चाहते हैं. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि ऑनलाइन समय बिताने के मामले में ब्राजील और इंडोनेशिया के लोगों के बाद हम दूसरे स्थान पर हैं.
कंसल्टिंग फर्म ईवाई के मुताबिक, 2024 में हमने 11 खरब घंटे यानी रोजाना औसतन पांच घंटे मोबाइल स्क्रीन देखते हुए बिताए. उसमें 70 फीसद वक्त सोशल मीडिया, वीडियो प्लेटफॉर्म और गेमिंग पर खर्च किया गया.
सिर्फ यही नहीं, दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला हमारा देश सबसे ज्यादा इंस्टाग्राम रील बनाता है और उसके पास सबसे ज्यादा यूट्यूब चैनल भी हैं (10 करोड़ से ज्यादा, जिनमें 15,000 से ज्यादा लोगों के पास 10 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं).
इसमें कोई अचरज की बात नहीं कि डिजिटल चैनलों ने मीडिया और मनोरंजन उद्योग के सबसे बड़े खंड के तौर पर उभरने के साथ टेलीविजन को पीछे छोड़ दिया है और 2024 में उनकी कमाई 80,200 करोड़ रुपए की हुई.
भारत की क्रिएटर अर्थव्यवस्था को अब मीडिया और मनोरंजन जगत के एक बड़े हिस्से के तौर पर देखा जा रहा है. हाल ही में मुंबई में आयोजित ऑडियो विजुअल एंटरटेनमेंट समिट (वेव्ज) में क्रिएटर और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने बॉलीवुड हस्तियों जैसा ही जलवा बिखेरा. टेक्निकल गुरुजी उर्फ गौरव चौधरी ने एक सत्र का संचालन किया.
फूड ऐंड ट्रैवल इन्फ्लुएंसर कामिया जानी उर्फ कर्ली टेल्स एक सत्र का हिस्सा रहीं; और फिर तेजी से उभरते इस उद्योग को समर्पित एक मंडप क्रिएटरस्फीयर भी था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन भाषण में क्रिएटर समुदाय की सराहना में कहा, ''ऑरेंज इकोनॉमी में उछाल को देखते हुए मैं भारत के हर युवा क्रिएटर से कहूंगा. चाहे आप गुवाहाटी में संगीतकार हों या कोच्चि में पॉडकास्टर अथवा बेंगलूरू में बैठकर गेम डिजाइन कर रहे हों, आप सभी अर्थव्यवस्था को बढ़ा रहे हैं, रचनात्मकता की लहर ला रहे हैं." वे क्रिएट इन इंडिया चैलेंज के 750 से ज्यादा फाइनलिस्ट से भी मिले और नई पीढ़ी के क्रिएटरों को नए कौशल के साथ प्रशिक्षित करने के लिए मुंबई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी की स्थापना का ऐलान किया.
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कामयाबी का बंगाली जायका
उषा बिषयी, 51 वर्ष
सुप्रभ बिषयी, 28 वर्ष
ओल्डेज किचन, मोहनपुर पश्चिम बंगाल
यूट्यूब - 32 लाख सब्सक्राइबर
इंस्टाग्राम - 5,32,000 फॉलोअर

बिषयी परिवार मिठाई की दुकान चलाता था. महामारी के दौरान उनका यह कारोबार पूरी तरह से चौपट हो गया. वित्तीय संघर्ष बढ़ता गया जिसमें सबसे बड़ी चुनौती तो घर का कर्ज चुकाने की थी. 2021 में मां-बेटे, उषा और सुप्रभ, दोनों ने एक यूट्यूब चैनल शुरू करने की कोशिश की. वह सफल नहीं हुआ.
होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले सुप्रभ कहते हैं, ''मगर हम हार नहीं मान सकते थे." अगली बार उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया—कर्ज चुकाने के लिए अपना घर बेच दिया और बची हुई रकम से आईफोन 14 खरीद लिया. उषा याद करती हैं, ''यह भरोसे का कदम था."
ओल्डेज किचन की शुरुआत साधारण उद्यम के रूप में हुई—किचन में सिर्फ मां थी जो पुराने जमाने के माहौल में पारंपरिक बंगाली व्यंजन बहुत ही सावधानी से पकाती थी. तीसरे वीडियो तक सुप्रभ के मन में एक विचार आया—कितना अच्छा हो अगर मां खाने पर आधारित तुकबंदी भी सुनाए? यह रणनीति—एक छोटी, मजेदार तुकबंदी (छोरा)—काम कर गई जो उस दिन की रेसिपी से जुड़ी थी और जिसे देहाती चूल्हे में पकाया गया था.
उनकी पहली वायरल हिट सिमुइर पायेश (सेवई की खीर) के डेमो के साथ थी. एक दिन सुप्रभ ने मां को कैमरे पर अपनी डिश चखने और उसके बारे में बताने के लिए कहा. मां ने मुस्कराते हुए कहा, ''दारुन!" (शानदार)—अब यही शब्द उनका प्रतीक (सिग्नेचर) बन गया है.
अब क्या सपना है? अगले तीन साल में एक कैफे खोलना—शायद कोलकाता में, मगर ज्यादा संभावना है कि समुद्र के किनारे उषा के गृहनगर दीघा में.—अर्कमय दत्ता मजूमदार
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कोई भी बन सकता है क्रिएटर
यूट्यूब साउथ ईस्ट एशिया ऐंड इमर्जिंग मार्केट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय विद्यासागर कहते हैं, ''इसमें कोई दो राय नहीं कि भारत क्रिएटर राष्ट्र बन चुका है. यही नहीं, जिस जोश और तेजी के साथ भारतीय क्रिएटर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर सफलता के झंडे गाड़ रहे हैं, वह असाधारण रूप से प्रेरणादायक है."
2022-2024 में यूट्यूब ने क्रिएटर, आर्टिस्ट और मीडिया कंपनियों को 21,000 करोड़ रुपए का भुगतान किया. विकास को गति देने के लिए यह अगले दो साल में 850 करोड़ रुपए के निवेश की योजना बना रहा है.
क्रिएटिविटी के इस विस्फोट की आखिर वजह क्या है? एक बात तो साफ दिखती है कि किफायती इंटरनेट और स्मार्टफोन की आसान उपलब्धता ने सोशल मीडिया पर कंटेंट देखना-सुनना आसान बना दिया है. फिर जिस बिजली की गति से कंटेंट बन और वायरल हो रहा है, उसे आप कतई अनदेखा नहीं कर सकते.
मसलन, धमाल मचा देने वाले ''प्रशांत" मीम को ले लीजिए. एक छोटे से स्प्लिट-स्क्रीन अंग्रेजी ट्यूटोरियल वीडियो में युवा क्रिएटर आयुष एक क्रोसैंट दिखाते हैं और पूछते हैं, ''इसे क्या कहते हैं?" और फिर उसे प्रशांत बताते हैं. मार्च में इंटरनेट पर आने के बाद से इस अजीबोगरीब वीडियो को 1.7 करोड़ से ज्यादा बार देखा गया. आयुष को फिलिप्स होम लिविंग के साथ एक विज्ञापन करने का भी मौका मिला है, जिसमें वे क्रोसैंट खाने का आनंद उठाने के साथ एक एयर फ्रायर का प्रचार करते दिखे.
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खानपान और सेहत का पैरोकार
रेवंत हिमतसिंगका, 33 वर्ष
फूड फार्मर, मुंबई
यूट्यूब - 12.5 लाख सब्सक्राइबर
इंस्टाग्राम - 28 लाख फॉलोअर

रेवंत हिमतसिंगका क्रिएटरों की दुनिया में एक पहेली सरीखे हैं. वे न्यूट्रीशन इन्फ्लुएंसर के तौर पर मशहूर हैं. उन्होंने अपने पहले ही वीडियो में बॉर्नवीटा में अत्यधिक चीनी की मात्रा का सवाल उठाया और कानूनी नोटिस झेली. उन्होंने लेज को भारत में पाम ऑयल से सूरजमुखी के तेल के इस्तेमाल के लिए मजबूर किया; और 'लेबल पढ़ेगा इंडिया' अभियान शुरू किया.
रेवंत को 'डी-इन्फ्लुएंसर' कहा जाता है, यानी ऐसा शख्स जो सेहतमंद चीजें मुहैया न कराने वाले ब्रांडों की खिंचाई करता है, जिसका वे जोरशोर से वादा करते हैं.
रेवंत का कहना है, ''पहले साल, मैंने कोई पैसा नहीं कमाया" और उन्होंने अमेरिका में अपनी नौकरी से कमाई बचत को क्रिएटिव काम में लगा दिया. वे कहते हैं, ''मेरी नीति है कि किसी भी फूड ब्रांड के साथ कोई सौदा नहीं करना है. मुझे बेहिसाब रकम की पेशकश की गई..."
इन दिनों, वित्त सेवा फर्म जेरोधा उनके नवीनतम पॉडकास्ट द सिंपल हेल्थ सीरीज की लागत को प्रायोजित कर रही है. खुशखबरी यह है कि एक प्लाइवुड ब्रांड ने भी उनसे संपर्क किया है क्योंकि उसका नारा ''भरोसा और भरोसेमंद" है.
—सुहानी सिंह
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सबसे दिलचस्प यह है कि क्रिएटरों को अपने कंटेंट के लिए किसी तर्क या बहुत ऊंचे मानक गढ़ने की भी जरूरत नहीं. राकू दा के नाम से ख्यात असम के राजकुमार ठकुरिया की लोकप्रियता को ही देख लीजिए.
इससे बेहतर और क्या मिसाल हो सकती है? 70 वर्षीय सेवानिवृत्त बैंकर के ''मैं डॉक्टर हूं, तुम ड्राइवर हो’’ जैसे शीर्षक वाले ''क्रिंज पॉप" गाने सिर्फ पूर्वोत्तर ही नहीं, पूरे भारत में लोगों का दिल जीत रहे हैं. उनके यूट्यूब पर 80,000 से ज्यादा सब्सक्राइबर हैं और इंस्टाग्राम पर तो 2,36,000 फॉलोअर हैं.
क्रिएटरों के साथ नजर आना अब पॉप कल्चर ट्रेंड के साथ जुड़े रहने और खुद को प्रासंगिक बनाए रखने का जरिया बनता जा रहा है. यही वजह है, बिल गेट्स ने भारत के सबसे लोकप्रिय पॉडकास्टरों में एक राज शमानी (1 करोड़ से ज्यादा यूट्यूब सब्सक्राइबर) से बातचीत की और नागपुर के एक चाय विक्रेता डॉली चायवाला (50 लाख इंस्टाग्राम फॉलोअर) की बनाई चाय का लुत्फ उठाया. इसी नाम से मशहूर सुनील पाटील बेहद रोचक अंदाज में चाय परोसने की अपनी शैली के कारण इंटरनेट पर छाए रहते हैं.
भारतीय क्रिएटर अपनी मुकम्मल जगह भी बना रहे हैं. पेरिस ओलंपिक, 2024 में बरखा सिंह और करण सोनवणे (@focussedindian) को इंस्टाग्राम ने अपने क्रिएटर स्क्वैड का हिस्सा बनाया, ताकि खेलों के दौरान पर्दे के पीछे की गतिविधियों से जुड़े आकर्षक वीडियो के साथ सुर्खियां बटोरी जा सकें. कान फिल्म महोत्सव में अब रेड कार्पेट पर फिल्मी सितारों से ज्यादा क्रिएटर नजर आते हैं.
लेकिन भारत के लोगों की उत्सुकता अच्छे-बुरे या चलताऊ वीडियो देखने-बनाने तक ही सीमित नहीं है. हजारों क्रिएटर कंटेंट साझा करने, कम्युनिटी बनाने, बदलाव की प्रेरणा देने और आजीविका का स्थायी साधन स्थापित करने तक में डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठा रहे हैं. महाराष्ट्र के कर्वे गांव के किसान संतोष जाधव इन्हीं में एक हैं.
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युवा पीढ़ी का रोमांस
आदित्य शुक्ला, 15 वर्ष
(आदी, नई दिल्ली)
इंस्टाग्राम - 16 लाख फॉलोअर

कमाल की बात है कि आदित्य शुक्ला के पास अपना कोई फोन नहीं है...अभी तक तो नहीं. मगर जाहिर है, अपनी रीलों से दस लाख से ज्यादा लोगों को जोड़ने वाला यह लड़का अपनी मां और बड़े भाई आकाश की चीजों का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना बखूबी जानता है.
क्रिएटरस्फीयर में आदी के नाम से मशहूर इस लड़के ने अपने जीवन को रिकॉर्ड करने के लिए डिवाइस का इस्तेमाल किया है, जिसमें सीबीएसई बोर्ड की तैयारी करना, दोस्तों के साथ तफरीह करना वगैरह शामिल है. और यही जनरेशन अल्फा के दिमाग में झांकने का मौका देता है. उसके स्क्रीन टाइम को लेकर फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं क्योंकि वह खराब छात्र नहीं है. उसने हाल ही में कक्षा 10 में 88 फीसद अंक हासिल किए हैं.
आदि का कहना है, ''अगर मैं पढ़ाई में अच्छा नहीं कर पाता तो शिक्षक शिकायत करते. मैं इस बात का सबूत हूं कि कंटेंट बनाते हुए भी आप पढ़ाई कर सकते हैं और बाकी सब कुछ भी कर सकते हैं." उसका कंटेंट बिल्कुल साफ-सुथरा है और उसका व्यवहार मेलजोल बढ़ाने वाला है, जो किशोरावस्था में आम होता है.
शुक्ला के इंस्टाग्राम पर क्रिएशन से उसे कुछ सौदे (सारेगामा और डोमिनोज़, सिर्फ दो नाम) मिले और कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा के दफ्तर से एक डीएम (डायरेक्ट मैसेज) मिला. इसके नतीजतन उसे नेटफ्लिक्स के सीरीज द रेलवे मेन में एक भूमिका मिल गई. शुक्ला का कहना है, ''मुझे नहीं मालूम था कि इससे पैसे कमाए जा सकते हैं." पहली प्रायोजक डील से उसने 2,000 रुपए कमाए. तब उसके फॉलोअर 10,000 थे. मोटे तौर पर हिसाब लगाएं तो यह सौदा बुरा नहीं है. —सुहानी सिंह
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ऑनलाइन @indianfarmer के नाम से मशहूर संतोष खेती को 'सम्मानजनक पेशा' साबित करने के अपने मिशन के तहत 2018 से अब तक 5,000 से ज्यादा वीडियो अपलोड कर चुके हैं. वे कहते हैं, ''मैंने महसूस किया कि खेती को पेशे के तौर पर नहीं देखा जाता. पैसा मिलता नहीं. शादी होगी नहीं. बाजार हाथ में नहीं है.
फिर जलवायु भी एक मुद्दा है. तो मैंने सोचा कि चलो यह छवि बदलते हैं. ऐसे वीडियो बनाए जाएं जो दूसरों को जागरूक करें और फायदेमंद भी हों." उन्होंने सह-संस्थापक आकाश जाधव के साथ बदलाव की नींव रखी.
इसने उन्हें यूट्यूब पर 49.4 लाख सब्सक्राइबर, पुणे में एक प्रोडक्शन टीम और विज्ञापन राजस्व और ब्रांड सौदों के जरिए 1.5 करोड़ रुपए का वार्षिक कारोबार दिलाया. सफलता के बावजूद संतोष अब भी खेतों में काम करते हैं. वे कहते हैं, ''हमारा लक्ष्य पराली रहित खेती को प्रोत्साहित करना है जो टिकाऊ और लाभदायक हो." संतोष और आकाश जाधव ने शैक्षणिक कंटेंट पर भी ध्यान बनाए रखा है.
पैसा कहां है
इसके संकेत 2017 में दिखने लगे थे, जब लोकप्रियता को भुनाने के साथ ही उसकी मार्केटिंग शुरू हो गई. उस साल विराज शेठ और रणवीर अल्लाहबादिया (@beerbiceps) ने मांक एंटरटेनमेंट या मांक-ई की स्थापना की, जो टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी है जिसका उद्देश्य क्रिएटरों और ब्रांडों के बीच खाई को पाटना है.
आज यह फूड, ब्यूटी, फैशन, यात्रा, लाइफस्टाइल, पॉडकास्ट और प्रौद्योगिकी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लगभग 120 क्रिएटरों का प्रतिनिधित्व करती है. फैशन क्रिएटर नैन्सी त्यागी भी इससे जुड़ी हैं, जिन्होंने पिछले वर्ष कान उत्सव में एक आकर्षक गुलाबी गाउन पहनकर सबका ध्यान खींचा. इसे उन्होंने खुद ही डिजाइन किया था.
शेठ कहते हैं, ''कंटेंट क्रिएटर खुद में पांच कंपनियों के बराबर होते हैं. इससे ब्रांड के लिए लागत काफी घट जाती है. वे दर्शकों के साथ बेहतर जुड़ाव रखते हैं जिससे ब्रांड के लिए अपनी बात उन तक पहुंचाना ज्यादा आसान होता है." यही कारण है कि ब्रांड अपनी टार्गेट ऑडियंस तक पहुंचने के लिए महंगे और नक्शेबाज बॉलीवुड और खेल सेलेब्रिटी की तुलना में क्रिएटर्स को चुन रहे हैं.
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कामकाजी तबके का नायक
केएल ब्रो बिजू, 38 वर्ष
केएल ब्रो बीजू ऋत्विक
कन्नूर, केरल
यूट्यूब - 7.27 करोड़ सब्सक्राइबर
इंस्टाग्राम - 12 लाख फॉलोअर

ऋत्विक ने जीवन को मुश्किल पहलुओं से देखा है—खदान में मजदूर के रूप में, एक लॉरी में सहायक के रूप में और बाद में मिनी ट्रक और जीप ड्राइवर के रूप में. महामारी के दौरान बेरोजगार हो जाने और घर में ही फंस जाने पर उन्होंने एक दोस्त से पैसे लेकर सैमसंग फोन खरीदा और वीडियो बनाने का फैसला किया. वे शादी भी करना चाहते थे मगर उनके बेरोजगार ड्राइवर के मन में बहुत भरोसा नहीं जग पाया.
उनका पहला यूट्यूब वीडियो साल 2021 में अपलोड किया गया था. यह पास के कर्नाटक में अपने लिए दुल्हन खोजने के बारे में था. वह वीडियो वायरल हो गया. तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा है. उनके वीडियो में केवल मलयालम बोली जाती है और वे सरल, रोजमर्रा की घरेलू गतिविधियों या छोटे सफर के आसपास केंद्रित होते हैं.
इनमें उनका परिवार होता है—28 वर्षीया पत्नी कविता, 68 वर्षीया मां कार्तियानी, बच्चे 8 साल के ऋत्विक और 3 साल के ऋष्विक और उनकी 14 वर्षीया भतीजी अनु लक्ष्मी. ऋत्विक के लिए जो कभी समय बिताने की एक तलाश थी, उसने प्रसिद्धि और जीविका का रास्ता खोल दिया; उनका जीवन अब अपने परिवार की जिंदगी के इर्द-गिर्द घूमता है.
वे आंकड़े नहीं बताते, मगर कहते हैं कि वे एक कंटेंट क्रिएटर के रूप में अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए 'पर्याप्त' कमा लेते हैं. बीजू कहते हैं, ''मुझे नहीं पता कि यूट्यूब और अन्य प्लेटफॉर्मों की खोज किसने की मगर वे मेरे जैसे लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं."—एम.जी. अरुण
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कोविड-19 महामारी ने क्रिएटरों के लिए अवसरों के असीम दरवाजे खोल दिए. लॉकडाउन के दौरान मशहूर हस्तियों तक पहुंचना सीमित हो जाने के कारण ब्रांड तेजी से ऐसे क्रिएटरों की ओर मुड़े, जिन्होंने न सिर्फ अभिनय किया, निर्देशन किया, स्क्रिप्ट लिखी और कंटेंट का डिस्ट्रीब्यूशन किया, बल्कि अपनी ऑनलाइन उपस्थिति की वजह से कम्युनिटी के बड़े हिस्से को इससे जोड़ा भी.
इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग सिर्फ क्रिएटरों को सशक्त ही नहीं बना रही, बल्कि उन्हें अच्छे-खासे पैसे भी मिल रहे हैं. 2025 में द गोट इंडिया इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में यह उद्योग 3,600 करोड़ रुपए का था और 2025 में उसमें 25 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान है.
हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड में वाइस प्रेसिडेंट स्किन केयर प्रतीक वेद कहते हैं, ''नया मार्केटिंग मॉडल सिर्फ ब्रांड की पहचान बनाने के बजाए इसके प्रति लोगों का ध्यान आकृष्ट करने और उनसे सीधा जुड़ाव स्थापित करने पर केंद्रित है. इन्फ्लुएंसर अपने फॉलोअर के साथ प्रामाणिक, भरोसेमंद रिश्ते बनाकर इस बदलाव का केंद्रबिंदु बन रहे हैं." हिन्दुस्तान यूनिलीवर ने अंकुश बहुगुणा और कोमल पांडे जैसे डिजिटल क्रिएटरों के साथ मिलकर डव, सिंपल, पॉन्ड्स और वैसलीन जैसे ब्रांड के लिए अभियान चलाए हैं.
उद्योग के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक, 10 लाख फॉलोअर और 50,000 से 7,00,000 तक व्यूज के साथ कोई ब्यूटी, फैशन और लाइफस्टाइल क्रिएटर एक रील पर 5-10 लाख रुपए और एक इंस्टा स्टोरी पर 2-3 लाख रुपए कमा सकता है.
वहीं, इतने फॉलोअर और व्यूज वाला लोकप्रिय एंटरटेनमेंट क्रिएटर सालाना 80 लाख से 1.5 करोड़ रुपए तक कमा सकता है. इंस्टाग्राम पर 'बॉर्न ऑन इंस्टाग्राम' भी है, जो ब्रांड और क्रिएटर्स के बीच एक कड़ी के तौर पर काम करता है और उनकी साझेदारी मजबूत करने के लिए एक क्रिएटर मार्केटप्लेस भी है.
इसके लाभार्थियों में पुणे की 45 वर्षीया मधुरा बाछल (@madhurarecipe ) मराठी भी हैं, जो भारतीय क्रिएटरों की उद्यमशीलता की भावना को सबसे बेहतर ढंग से उजाकर करती हैं. पूर्व बैंकर मधुरा महाराष्ट्र के व्यंजनों को दुनिया की नजरों में लाने के लक्ष्य के साथ 2008 में यूट्यूब से जुड़ीं थी और अपने बच्चे के सोने के दौरान वीडियो शूट करती थीं.
2016 में उन्हें एहसास हुआ कि अगर स्थानीय भाषा में अपनी रेसिपी साझा करें तो उन्हें बहुत जल्द सब्सक्राइबर मिल सकते हैं, और इसलिए उन्होंने मराठी में एक और चैनल शुरू किया. आज वे तीन चैनल चला रही हैं, 12 किताबें लिख चुकी हैं.
उनके पास मसालों और रसोई में काम आने वाले बर्तनों और उपकरणों की अच्छी-खासी रेंज है जो वे ऑनलाइन बेचती हैं. वे बताती हैं, ''मैं कंटेंट क्रिएटर के नाते बैंकर के तौर पर काम से कहीं ज्यादा कमा रही हूं." उन्होंने बताया कि कैसे वे ब्रांड सहयोग और कंटेंट के बदलेे मिलने वाले पैसों से हर महीने छह से सात अंकों की कमाई करती हैं.
हालांकि, हर कोई सिर्फ पैसे के लिए काम नहीं कर रहा. 'चेंजमेकर' इन्फ्लूएंसर यह सब अच्छे बदलाव लाने के लिए भी करते हैं. मसलन, पर्यावरणविद मल्हार कलंबे को ही ले लीजिए, जो समुद्र तट की साफ-सफाई के लिए काम करते हैं. फिर सिद्धेश लोकारे (@ sidiously) हैं जो वंचित तबके के लोगों की मदद करने के लिए कई ब्रांड के साथ जुड़ते हैं, और समाज के असली नायकों की कहानियां सामने लाते हैं.
रेवंत हिमतसिंगका (@FoodPharmer) के मामले में ब्रांड से ज्यादा कमाई कॉर्पोरेट और कॉलेजों में परिचर्चा से जुड़े कार्यक्रमों में बोलने से ज्यादा होती है. रेवंत के लिए उनके वीडियो को कितने लोगों ने देखा, इससे ज्यादा यह मायने रखता है कि उसका असर कितना रहा.
और उनकी हाल की सबसे बड़ी सफलता यह है कि सीबीएसई ने अपने सभी स्कूलों में शुगर बोर्ड अनिवार्य कर दिया है. यह उनके #SugarBoardMovement अभियान का नतीजा है जिसमें सॉफ्ट ड्रिंक्स में चीनी की मात्रा को रेखांकित किया गया था. इस कदम का उल्लेख प्रधानमंत्री मोदी ने अपने 'मन की बात' कार्यक्रम के ताजा एपिसोड में भी किया था.
जितना ज्यादा उतना ही अच्छा
यह सिर्फ एक मिथक है कि भारत की क्रिएटर इकोनॉमी मुख्यत: जेन ज़ी पर आधारित है या यह सिर्फ मेट्रो शहरों तक ही सीमित है. यह तो ऐसा उद्योग है जहां हर किसी का स्वागत है. एक शूटिंग डिवाइस, एक इंटरनेट कनेक्शन, अच्छी-बुरी कैसी भी बस थोड़ी-बहुत प्रतिभा हो तो आप इंटरनेट पर सुर्खियों में आने को तैयार हैं.
पश्चिम मेदिनीपुर की रूपाली सिंह (@sad_rupaa) को सबसे ज्यादा खुशी उस वक्त मिलती है जब हिंदी गानों पर डांस करते हुए इंस्टा रील और यूट्यूब शॉर्ट्स बनाती हैं. दो बेटों के साथ उनके 'तौबा तौबा' डांस को 8.82 करोड़ से ज्यादा बार देखा जा चुका है.
चांदनी भाभड़ा तो ऐसी मिमिक्री करती हैं कि लॉरियल ने उन्हें अपने ब्रांड एंबेसडर आलिया भट्ट के साथ सोफे पर बैठाया और उनसे अभिनेत्री की नकल करने को कहा. 25 वर्षीया चांदनी कहती हैं, ''मैं आवाज और किरदार को समझ लेती हूं तो काम शुरू कर देती हूं." उन्हें नकल उतारने की यह आदत स्कूली समय से ही है, जब वे शिक्षकों की नकल करती थीं.
18 साल तक किराए के मकान में रहीं चांदनी ने सोशल मीडिया पर काम करके इतना पैसा कमाया है कि आज मुंबई के अंधेरी में घर खरीद चुकी हैं. चांदनी कहती हैं, ''मैं कहानियां सुनाना चाहती हूं. ब्रांड को मेरा काम पसंद आता है. आप मुझे बस थोड़ा समय दीजिए और मैं गुणवत्ता से कोई समझौता किए बिना उसे किरदार में ढाल दूंगी."
प्लेटफॉर्म एकदम लोकतांत्रिक तरीके से सबके लिए सुलभ है. इसने चांदनी जैसी जेन ज़ी के लोगों को मौका दिया तो जेन अल्फा को भी पंख दिए. आदित्य शुक्ला 10 वर्ष के थे, जब उन्होंने इंस्टा पर वीडियो बनाने शुरू किए क्योंकि लॉकडाउन के दौरान उनके पास ''पढ़ने के अलावा करने को कुछ नहीं था."
उनकी पहली कमाई 2,000 रुपए थी और उनके पहले फॉलोअर बस 10,000 थे. पांच साल बाद उन्होंने पढ़ाई और रील बनाने के बीच संतुलन साधा. नतीजा, डोमिनोज जैसे ब्रांड उन्हें लुभाने में जुट गए ताकि उनके 16 लाख किशोर इंस्टा दर्शकों तक पैठ बना सकें.
2018 में अपने पिता को खो देने वाले आदित्य अपने दो बड़े भाई-बहनों के साथ मिलकर अपनी गृहिणी मां की मदद करने में खुश हैं. आदित्य कहते हैं, ''मैंने पहले ही इतना कुछ बना लिया है जिससे मुझे बाद में ज्यादा तकलीफ नहीं उठानी पड़ेगी."
सिर्फ शॉर्ट्स ही नहीं बिकते, लंबे फॉर्मेट वाले वीडियो के अपने दर्शक हैं, जो राज शमानी जैसे क्रिएटर को उनके यूट्यूब पॉडकास्ट शो फिगरिंग आउट पर 45 मिनट से लेकर दो-तीन घंटे लंबा इंटरव्यू करने पर प्रोत्साहित करते हैं.
वे कहते हैं, ''मुझे लगता है कि कंटेंट परखने की क्षमता तेजी से बढ़ी है." इस पॉडकास्टर के पास अभी 50 लोगों की टीम है, जो अलग-अलग काम संभालती है और इससे उन्हें सात चैनलों और कई प्लेटफॉर्म पर सप्ताह में तीन एपिसोड और प्रतिदिन 25 शॉर्ट डालने में मदद मिलती है.
अधिकांश लोग इस बात से सहमत हैं कि एक युवा अर्थव्यवस्था की शुरुआत हो चुकी है, जो करीब 15 वर्ष पुरानी है और जिसकी अनदेखी करना मुश्किल है. पॉकेट एसेज के चीफ बिजनेस ऑफिसर विनय पिल्लै कहते हैं, ''भारत में अभी पर्याप्त संख्या में मजबूत आधार वाले क्रिएटर नहीं हैं. हम उन्हें विकसित करने के चरण में हैं."
पॉकेट एसेज प्रतिभा प्रबंधन से जुड़ी इकाई क्लाउट का संचालन करता है जिससे फिलहाल 225 इन्फ्लुएंसर जुड़े हैं. पिल्लै के मुताबिक, ''यह काम पूरा हो जाएगा तो हमें काइली जेनर या मिस्टर बीस्ट जैसे क्रिएटर मिलने लगेंगे और आप क्रिएटर अर्थव्यवस्था के अगले चरण में पहुंच जाएंगे. उनके काम की कमाई उद्योग में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी."
पिल्लै का मानना है कि क्रिएटरों का अगला समूह एकदम अलग और बेहद दिलचस्प होगा क्योंकि उनकी प्रेरणा फिल्मी सितारे नहीं बल्कि उनके अपने जैसे लोग ही होंगे. उन्होंने कहा, ''आज भी और 10-15 साल बाद भी सबसे अच्छे क्रिएटर वही कहलाएंगे जो मौलिकता के साथ अपनी आवाज को बुलंद करेंगे, न कि लकीर के फकीर बने रहेंगे."
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इस पूरे खेल को और बदलने वाला साबित होगा, जिससे कंटेंट की फौरन डिलिवरी आसान होगी. तमिल यूट्यूबर मदन गौरी चैटजीपीटी, गूगल के जेमिनी और डीपसीक जैसे टूल पर रिसर्च और स्क्रिप्टिंग से लेकर संपादन तक सब कुछ करते हैं.
वे ऐसे मुद्दों को छांटने के लिए भी एआई की मदद लेते हैं जो दर्शकों को पसंद आ सकते हैं. वे कहते हैं, ''इससे मुझे दर्शकों की संख्या बढ़ाने में मदद मिली है. हमें बस सही प्रॉम्प्ट खोजना होता है और फिर उसके मुताबिक ही हम अपना कंटेंट तैयार करते हैं."
आगे की राह
बढ़ती अर्थव्यवस्था संभवत: अधिक निगरानी भी मांगती है. उपभोक्ता खर्च पर क्रिएटरों के असर को देखते हुए यह बात भी उठने लगी है कि वे कमजोर दर्शक वर्ग खासकर बच्चों और युवाओं को कितना नुक्सान पहुंचा सकते हैं. द एडवर्टाइजिंग स्टैंडर्ड्स काउंसिल ऑफ इंडिया (एएससीआई) के हाल ही जारी इन्फ्लुएंसर अनुपालन स्कोरकार्ड से पता चलता है कि देश के शीर्ष 100 डिजिटल क्रिएटरों में 69 फीसद ब्रांड सहयोग संबंधी बुनियादी जानकारी का खुलासा करने के दिशानिर्देशों का पालन नहीं करते.
एएससीआई की सीईओ तथा महासचिव मनीषा कपूर कहती हैं, ''यह जागरूकता के अभाव या नियम-कायदों के पालन की अनिच्छा को दर्शाता है, जिस वजह से नियामक कार्रवाई जरूरी है. स्वास्थ्य, वित्त, गेमिंग और वर्चुअल डिजिटल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में इन्फ्लुएंसर की तरफ से किया जा रहा प्रचार सार्वजनिक सुरक्षा के लिए गंभीर जोखिम पैदा करता है."
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जो चाहें सो बताएं
मदन गौरी, 31 वर्ष
एमजी स्क्वैड,चेन्नै
यूट्यूब - 81.7 लाख सब्सक्राइबर
इंस्टाग्राम - 26 लाख फॉलोअर

मदन गौरी की कामयाबी साबित करती है कि बेहद भीड़ वाले क्षेत्रों से इतर भौतिकी से लेकर राजनीति तक, विभिन्न विषयों से जुड़ा कंटेंट देखने के इच्छुक लोगों की संख्या भी लाखों में है. और अधिकांश लोग इसे स्थानीय भाषा में देखना पसंद करते हैं. 2017 में एक अंग्रेजी यूट्यूब चैनल के रूप में शुरू हुआ यह चैनल एक बेहद लोकप्रिय तमिल चैनल में बदल चुका है.
अच्छी तरह शोध पर आधारित और जटिलताओं को आसान भाषा में समझाने के साथ गौरी का कंटेंट लोगों के ज्ञान की भूख को शांत करता है और उनकी समझ को बढ़ाता है. हालांकि, वे कहते हैं, ''आमतौर पर आप एकदम कोई मुद्दा चुनकर उस पर बात नहीं कर सकते. मैं उन चीजों पर ध्यान केंद्रित करता हूं जो लोग जानना चाहते हैं, जैसे मुख्यधारा के मीडिया में कौन-से मुद्दे छाए हैं."
वे कहते हैं, ''पहले जब आप किसी को बताते थे कि आप एक यूट्यूबर हैं तो लोगों को लगता था कि यह कोई गंभीर पेशा है. लेकिन आज...वे कुछ इस तरह कहते नजर आते हैं...यहां तक कि मेरा बच्चा भी एक यूट्यूबर है. प्रतिस्पर्धा बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है." वे पूरे उत्साह के साथ बताते हैं कि पिछले 6-7 साल से रोजाना एक वीडियो डालते हैं. यूट्यूब से होने वाली आय की बदौलत ही गौरी 40-50 कर्मचारियों की सेवाएं ले रहे हैं और एक डिजिटल मार्केटिंग फर्म चलाते हैं.
दिग्गज क्रिएटर भुवन बाम उर्फ बीबी की वाइन्स की तरह गौरी भी फिल्मों में कदम रख रहे हैं. मगर उनका कहना है कि वे कंटेंट क्रिएटर का तमगा कभी नहीं छोड़ेंगे. वे कहते हैं, ''मुझे यह अवसर इसीलिए मिल रहा है क्योंकि मैं जो कुछ भी हूं अपने कंटेंट की वजह से हूं. मैंने जिस दिन यह करना बंद कर दिया, तो मेरी कोई कीमत नहीं रह जाएगी."—सुहानी सिंह
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निकाय चाहता है कि किसी तरह का तकनीकी दावा करते समय इन्फ्लुएंसर इस बात का खुलासा करें कि क्या वे अपनी विशेषज्ञता के लिहाज से इसके योग्य हैं और ''न सिर्फ इन्फ्लुएंसर बल्कि ब्रांड और एजेंसियां भी ज्यादा सतर्कता बरतें ताकि गैर-जिम्मेदाराना प्रचार पर अंकुश लगे."
इन्फ्लुएंसर की बाढ़ का मतलब है ज्यादा प्रतिस्पर्धा और ऐसे में क्रिएटरों को हर कदम बेहद सतर्कता के साथ उठाना पड़ता है. मांक एंटरटेनमेंट के शेठ कहते हैं, ''देखने में यह सब बहुत आसान लगता है लेकिन इसे कायम रख पाना बहुत मुश्किल होता है. छह महीने तक शॉर्ट-फॉर्म कंटेंट के जरिए डिस्ट्रीब्यूशन की कोशिश करें. अगर पर्याप्त लाइक या व्यू नहीं मिलने से हताश न हो जाएं तो मैं अपना नाम बदल दूंगा. इसमें प्रतिस्पर्धा बहुत है, क्योंकि फोन रखने वाला हर व्यक्ति संभावित क्रिएटर है."
यहां तक, यूट्यूब और इंस्टा दोनों पर लाखों लोगों की कम्युनिटी से जुड़ी आरजे करिश्मा जैसी लोकप्रिय हस्तियां भी अनिश्चितता का दबाव महसूस करने की बात स्वीकार करती हैं.
एक महीने में एक दर्जन ब्रांड के साथ डील हो सकती है और अगले महीने हो सकता है कि हाथ में कुछ भी न हो. वे बताती हैं, ''जब मैंने शुरुआत की थी तब इतने ज्यादा क्रिएटर नहीं थे और उस समय यह कहने की हिम्मत रखती थी कि मैं अमुक रकम लेती हूं, इससे कम नहीं लूंगी. पर अब समझौता करना पड़ रहा है. अब क्रिएटर ज्यादा हैं, इसलिए मना करते हैं तो वे किसी और को ढूंढ़ लेंगे."
आखिरकार, यह उनका बनाया समुदाय ही तो है जो रचनात्मकता को बढ़ावा देता है और उन्हें आगे बढ़ाता है. करिश्मा उनकी आभारी हैं. सोशल मीडिया पर सास-बहू के किरदारों को निभाने की वजह से ही उन्हें दर्शक मिले और वे अपनी मां के कैंसर के इलाज का खर्च उठा पाईं. करिश्मा कहती हैं, ''मैं अपने दर्शकों की आभारी हूं. उनकी वजह से ही आज मेरी मां जिंदा हैं."