
आवरण कथाः सेक्स सर्वे / रुझान
नेहा कपूर (बदला हुआ नाम) 14 बरस की हैं और उनकी बड़ी बहन ज्योति 27 की. दोनों में पीढ़ीगत फर्क कभी उतना जाहिर नहीं होता जितना सेक्स की बात आने पर होता है. दिल्ली की इन बहनों का कहना है कि शारीरिक अंतरंगता के बारे में दोनों के विचारों में फर्क देखकर वे दंग रह गईं. नेहा के दक्षिण दिल्ली के लोकप्रिय स्कूल की कोई दोस्त अगर किसी के साथ शारीरिक रिश्ते में हो तो वे पलक तक नहीं झपकातीं, जबकि वेब डिजाइनर ज्योति की प्रतिक्रिया इससे बिल्कुल उलटी है.
ज्योति कहती हैं, ''सेक्स मेरे लिए अब भी कुछ मायने रखता है. यह ऐसी चीज नहीं जो और बिंदास और बेपरवाह करे. लेकिन मेरी बहन बिल्कुल उलट है. सेक्स सांस लेने की तरह है. उन्हें किसी के सेक्स नहीं करने से ज्यादा धक्का लगता है, बजाय किसी के सेक्स करने से.’’
इंडिया टुडे का सर्वे भी इस पीढ़ीगत फर्क को दर्ज करता है, जिसमें पहले के मुकाबले अब ज्यादा लोग किशोर उम्र में सेक्स कर रहे हैं. 2017 में करीब 24 फीसद ने 13 से 19 के बीच सेक्स किया था. आज नतीजे यह आंकड़ा 35 फीसद बता रहे हैं. यही रवैया कौमार्य के मामले में भी देखा जा सकता है. 18 से 25 साल के बीच की उम्र के बहुतायत (54 फीसद) लोगों का कहना है कि कौमार्य या कुंआरा/कुंआरी होना उनके लिए अहमियत नहीं रखता और 46 फीसद कहते हैं कि अहमियत रखता है.
मगर 25 से ऊपर के लोगों में यह रवैया उलट जाता है—25 से 35 के बीच की उम्र के 52.2 फीसद और 36-45 के बीच के 57.5 फीसद लोगों का कहना है कि कौमार्य उनके लिए मायने नहीं रखता. दिलचस्प यह कि छोटे शहरों के उत्तरदाता कौमार्य के मामले में ज्यादा उदार हैं—इंदौर के 92 फीसद, चंडीगढ़ के 63 फीसद, भुवनेश्वर के 61 फीसद, अहमदाबाद के 50 फीसद और पुणे के 62 फीसद का कहना है कि उन्हें इसकी परवाह नहीं.

अलबत्ता जब यह बात आती है कि सबसे ज्यादा उन्हें क्या उत्तेजित करता है, तो तमाम आयु समूह एक राय हैं, जिनमें बहुतायत का कहना है कि प्यार भरी बातें और उसके बाद फोरप्ले या संभोग पूर्व क्रीड़ाएं. पसंदीदा यौन आसन (पुरुष ऊपर) और संभोग पूर्व क्रीड़ा का पंसदीदा रूप (चूमना) भी सभी आयु समूहों में एक समान है. सभी आयु समूहों में यौन प्रयोग का सबसे आम रूप ओरल सेक्स या मुख मैथुन है, वहीं 25 से कम उम्र के ज्यादातर लोगों ने फोन सेक्स आजमाया.
मुंबई के मनोचिकित्सक डॉ. हरीश शेट्टी बताते हैं, ''डिजिटल युग ने युवाओं के सेक्स और रिश्तों को देखने पर भारी असर डाला है. चूंकि वे काफी कम उम्र से ही तकरीबन हर जगह इसके संपर्क में आते हैं, उनके लिए यह उतना मायने नहीं रखता जितना उन लोगों के लिए जो ओटीटी, टीवी शो, फिल्में, गाने, वीडियो गेम्स देखते बड़े नहीं हुए हैं जिनमें यौन सांकेतिकता आम बात है.’’
युवाओं के पास सेक्स के लिए ज्यादा वक्त भी मालूम देता है. 18 से 25 साल के बीच की उम्र के बहुतायत (35 फीसद) लोग संभोग पूर्व क्रीड़ाओं पर 10 से 15 मिनट बिताते हैं, उनके बाद 20 फीसद का कहना है कि वे इसे 15 मिनट से ज्यादा वक्त देते हैं. वहीं 36 से 45 साल के बीच के ज्यादातर लोग (38 फीसद) कहते हैं कि वे फोरप्ले करते हुए 5 से 10 मिनट बिताते हैं.
इसी तरह, जो लोग सेक्स करते हुए 45 मिनट तक बिताते हैं, उनमें बहुतायत युवाओं की है, जिनमें 18 से 25 की उम्र के 23 फीसद का कहना है कि वे ऐसा करते हैं और 36 से 45 की उम्र के 17.5 फीसद लोगों का भी यही कहना है. 25 से कम उम्र के 34 फीसद लोगों का कहना है कि दिन में किसी भी वक्त सेक्स कर सकते हैं, तो 36 से ऊपर की उम्र के महज 22 फीसद लोग यही बात कहते हैं, जबकि इन 22 फीसद में से भी ज्यादातर (70 फीसद) रात में सेक्स करना पसंद करते हैं.
बदलाव के दूसरे संकेत भी हैं. जो लोग अपने को होमोसेक्चुअल या समलैंगिक के खाने में रखते हैं, उनमें से 60 फीसद का कहना है कि वे समलैंगिक साथी के साथ सेक्स कर चुके हैं. 2018 में समलैंगिकता को अपराध नहीं मानने से मदद मिली, कुछ का कहना है कि लोकप्रिय मीडिया में समलैंगिकों के बखान से स्वीकृति कुछ बढ़ी है.


अपने पिता के निर्यात कारोबार में काम कर रहे 29 वर्षीय अनुराग सेठ (बदला हुआ नाम) कहते हैं, ''2028 के पहले से तुलना करें तो दिल्ली जैसे शहर में आज डेटिंग करना कहीं ज्यादा आसान है. छोटे शहरों की बात मैं नहीं कह सकता. गे-फ्रेंडली या समलैंगिकों के अनुकूल तमाम ऐप से भी साथी ढूंढने की संभावनाएं बढ़ी हैं, लेकिन समलैंगिक के नाते मैं अब भी सड़क पर खुलेआम नहीं चूमूंगा या मीडिया से बात नहीं करूंगा और हमें अभी कड़ी मेहनत करनी होगी कि ऐसा दिन आए.’’
सेक्स और यौन व्यवहारों के ज्यादा से ज्यादा सामान्य होते जाने के साथ इसके प्रति सोच में बदलाव आना स्वाभाविक है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस बदलाव को अच्छा या बुरा कह पाना मुश्किल है, पर इसे एक नई संस्कृति के उद्भव के तौर पर देखा जा सकता है, जिसमें यौन सुख की तलाश और चर्चा में हिचकिचाहट कम और सुगमता ज्यादा है.
—सोनाली आचार्जी