खुशी की खोज
विशेष जरूरत वाले बच्चों की आशा
दीपमाला पांडेय, 38 वर्ष, प्रधानाचार्य
इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल, डभौरा गंगापुर, बरेली.
ऐसे बांटी खुशी : बरेली के एक इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल की प्रधानाचार्य दीपमाला ने ''चाइल्ड विथ स्पेशल नीड’’ बच्चों को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए शुरू किया अभियान
बरेली से करीब 30 किलामीटर दूर भुता ब्लॉक के इंग्लिश मीडियम प्राइमरी स्कूल डभौरा गंगापुर की प्रधानाचार्य दीपमाला पांडेय (38) उस वक्त अचरज में पड़ गई थीं जब उनके स्कूल में सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित मानसिक रूप से कमजोर बच्चे अनमोल ने कक्षा दो में एडमिशन लिया. अनमोल बोल नहीं सकता था, समझता भी कम था, दीपमाला के लिए यह नया अनुभव था. उन्होंने आम बच्चों के साथ अनमोल को पढ़ाने के लिए 'साइन लैंग्वेज’ समेत नए तौर-तरीके अपनाए. आज अनमोल कक्षा पांच में पहुंच गया है.
वह स्कूल के सभी क्रियाकलापों में भाग लेता है. योगा करता है, 'राइम्स’ पर थिरकने के साथ क्लास में मॉनिटर की जिम्मेदारी भी बखूबी संभालता है. सेरेब्रल पाल्सी से जूझते हुए भी अनमोल ने स्कूल में 90 फीसदी से अधिक उपस्थिति दर्ज कराकर दूसरे सामान्य बच्चों को पीछे छोड़ दिया है. इसके लिए अनमोल को सरकार की तरफ से पांच हजार रुपए की छात्रवृत्ति भी मिली है.
दीपमाला के स्कूल में कक्षा चार में पढ़ने वाला अतुल 60 प्रतिशत दिव्यांग है. वह भी जिलास्तरीय कला प्रतियोगिता में कई पुरस्कार पा चुका है. असल में अनमोल, अतुल जैसे बच्चों को तकनीकी भाषा में विशेष जरूरतों वाले बच्चे ''चाइल्ड विद स्पेशल नीड’’ (सीडब्ल्यूएसएम) बच्चे कहा जाता है. ऐसे बच्चों के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में ''राइट आफ पर्सन विथ डिसएबिलिटी (आरपीडब्ल्यूडी) ऐक्ट’’ लागू किया था.
इसके जरिए सरकार ने सीडब्ल्यूएसएम बच्चों को सामान्य स्कूलों में ही एडमिशन देने का प्रावधान किया. ये बच्चे चाहें तो अपने लिए बने स्पेशल स्कूलों में एडमिशन ले सकते हैं चाहे तो सामान्य स्कूलों में आम बच्चों के साथ भी पढ़ सकते हैं. अनमोल के दाखिला लेने के बाद दीपमाला पांडेय ने विशेष जरूरतों वाले सीडब्ल्यूएसएम बच्चों को अधिक से अधिक स्कूलों में एडमिशन दिलाकर इन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का अभियान शुरू किया.
आज दीपमाला के स्कूल में ऐसे चार बच्चे शिक्षा ले रहे हैं जबकि इनके प्रयास से बरेली और आसपास के जिलों के 800 से अधिक विशेष जरूरत वाले बच्चे आम स्कूलों में दाखिला ले चुके हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए दीपमाला ने ''स्टेम (साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स पर आधारित ) एक्टीविटी’’ ईजाद की जिसने पढ़ाई को रोचक बनाया. दो वर्ष पहले लाकडाउन के दौरान सीडब्ल्यूएसएम बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने के लिए दीपमाला ने ''वन टीचर वन काल’’ अभियान शुरू किया.
इसके तहत हर शिक्षक को केवल एक अन्य शिक्षक को फोन करके विशेष जरूरत वाले बच्चों को दाखिला देने के लिए प्रेरित करने के साथ इसके तकनीकी पहलुओं को समझाना होता है. दीपमाला के इस अभियान से अबतक बरेली और आसपास के जिलों के 350 शिक्षक जुड़ चुके हैं. दीपमाला के इस अभियान की सराहना पिछले साल प्रधानमंत्री ने अपने ''मन की बात’’ कार्यक्रम में की थी.
खुशी के सूत्र
दीपमाला ने ''स्टेम (साइंस, टेक्नोलाजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स पर आधारित ) एक्टिविटी’’ ईजाद की जिसने पढ़ाई को रोचक बनाया