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गैंग्स ऑफ पंजाब 

पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या ने विदेशों तक फैली पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री में गैंगस्टरों के दखल को उघाड़कर रख दिया. अपराधियों की जड़ें अब यहां काफी गहरी हो गई हैं और विदेशों तक से इनके तार जुड़े हैं.

दिनदहाड़े : मूसेवाला (बाईं ओर बीच में) की 29 मई को पंजाब के एक ग्रामीण इलाके में जिस महिंद्रा थार वाहन में हत्या की गई, उसकी बुलेट से छलनी बॉडी की पड़ताल करती पंजाब पुलिस
दिनदहाड़े : मूसेवाला (बाईं ओर बीच में) की 29 मई को पंजाब के एक ग्रामीण इलाके में जिस महिंद्रा थार वाहन में हत्या की गई, उसकी बुलेट से छलनी बॉडी की पड़ताल करती पंजाब पुलिस

पंजाबी गायक शुभदीप सिंह उर्फ सिद्धू मूसेवाला के जून 2020 में आए बंबीहा बोले टाइटल वाले वीडियो गाने को यूट्यूब पर 18 करोड़ से ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. संयोग देखिए कि पंजाब में बंबीहा नाम का एक गैंगस्टर भी था जिसे पुलिस एनकाउंटर में मार चुकी थी. बंबीहा दरअसल मोगा के एक गांव का नाम भी है.

29 मई को मूसेवाला की हत्या की खबर न्यूज चैनलों पर फ्लैश हुए अभी कुछ ही मिनट हुए थे कि कनाडा स्थित सतविंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ की फेसबुक पोस्ट का स्क्रीनशॉट पत्रकारों के व्हॉट्सऐप पर तैरने लगा जिसमें इस हत्या की जिम्मेदारी ली गई थी. इसमें यह भी दावा किया गया कि हत्या पिछले साल अकाली दल के युवा नेता विक्रमजीत मिड्डूखेड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए की गई. मिड्डूखेड़ा को बराड़ और उसके गिरोह के सरगना लॉरेंस बिश्नोई का सरपरस्त माना जाता था.

अगले दिन फेसबुक पर एक और पोस्ट आई, जो आर्मेनिया स्थित पंजाबी गैंगस्टर गौरव पटियाल उर्फ लकी की थी, जिसमें मूसेवाला की हत्या का बदला लेने की कसम खाई गई और लोकप्रिय पंजाबी गायक मनकीरत औलख को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया. औलख तभी से पंजाब और हरियाणा के कई गिरोहों से लगातार धमकियां मिलने की शिकायत कर रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया लाइव के जरिए

आनन-फानन में सफाई भी दी कि मूसेवाला की जघन्य हत्या में उनका कोई रोल नहीं था.
आखिर मूसेवाला की हत्या क्यों की गई? पंजाब पुलिस के हवाले से एक लाइन में इस सवाल का जवाब लेना जरूरी है. उसका मानना है कि मूसेवाला अच्छा इनसान था और म्यूजिक इंडस्ट्री में गैंगस्टरों की वर्चस्व की लड़ाई का निशाना बन गया. पुलिस को गुमराह करने के लिए मूसेवाला की हत्या में भाड़े के आठ हत्यारों को लगाया गया, जिनमें तीन पंजाब के, दो-दो महाराष्ट्र और हरियाणा के जबकि एक राजस्थान का है.

पुलिस ने यह निष्कर्ष लॉरेंस गैंग के शूटरों का पता लगाने के दौरान मिली सूचनाओं के आधार पर निकाला है. इन्हीं आठ बदमाशों पर सबसे ज्यादा शक गया. शूटरों को गाड़ी मुहैया कराने के आरोप में पुलिस ने तरनतारन (पंजाब) के मनप्रीत सिंह मन्नू को उत्तराखंड से पकड़ा. बाकी के नाम हैं: जगरूप सिंह रूपा—तरनतारन, हरकमल उर्फ रानू (बठिंडा), प्रियव्रत उर्फ फौजी, मनजीत उर्फ भोलू (दोनों सोनीपत), सौरव उर्फ महाकाल, संतोष जाधव (दोनों पुणे) और सुभाष बनौदा (सीकर) राजस्थान. ये सभी लॉरेंस गैंग के हैं. 8 जून को पुलिस ने महाकाल को भी दबोच लिया.

पंजाब में गिरोहों के काम करने का एक ढर्रा है; वे अपराध करते हैं और फिर सोशल मीडिया पर शेखी बघारते हैं. सोशल मीडिया पर उनकी अच्छी-खासी मौजूदगी है. लॉरेंस बिश्नोई जैसे जेल में बैठे गैंगस्टर का सोशल मीडिया पेज अपडेट बाहर बैठे उनके गुर्गे करते हैं. 

बीते एक दशक में पंजाब के इन गिरोहों/गैंगस्टरों की तादाद भी बढ़ी है और पहुंच भी. अप्रैल के पहले हफ्ते में राज्य के डीजीपी वी.के. भावरा ने बताया था कि कुछ साल पहले राज्य में ए, बी और सी श्रेणी के 545 गैंगस्टर थे, जिनमें से 515 के खिलाफ असरदार कार्रवाई की गई है. कैप्टन अमरिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान विकी ग्राउंडर, प्रेमा लाहोरिया और जयपाल समेत आठ गैंगस्टरों को मुठभेड़ में मार गिराया गया था. उसी के बाद कई गैंगस्टर्स ने पंजाब से हटाकर अपना अड्डा कनाडा, आर्मेनिया, दुबई और पाकिस्तान में जमा लिया.

पुलिस भले उन्हें पकड़कर या मुठभेड़ों के जरिए खत्म कर रही हो, पर कई नए अपराधी गैंग बना रहे हैं. बल्कि ये नए गैंगस्टर ज्यादा खौफनाक हैं. उनका नेटवर्क भी गहरा है और अपराध की भूख भी. कोढ़ में खाज देखिए कि यही गैंगस्टर दुनिया के कई हिस्सों में बैठे खालिस्तानी उग्रवादियों और नशे के सरगनाओं को गुर्गे मुहैया करवाते हैं.

लूट-डकैती, अपहरण, ठेके पर हत्या, जमीन कब्जाने, अवैध वसूली और शराब के कारोबार सरीखे पारंपरिक काम तो इन गिरोहों के पास पहले से हैं. मूसेवाला की हत्या के इर्द-गिर्द घटी घटनाओं ने गिरोहों की इस दुनिया के अंधेरे तहखाने और पंजाबी संगीत तथा फिल्मों के दुनियाभर में बिजनेस से आ रहे नए पैसे में उनकी ज्यादा गहरी पैठ को उघाड़कर रख दिया है.

अपराधियों और म्यूजिक इंडस्ट्री पर नजर रखने वाले बताते हैं कि पंजाब की म्यूजिक इंडस्ट्री में गैंगस्टर्स की पूरी दिलचस्पी है क्योंकि गाने के वायरल होने से अच्छी कमाई होती है. वे गायकों का इस्तेमाल करते हैं और चाहते हैं कि हर उभरता गायक उनका गाना गाए. वीडियो/गाने प्रोड्यूसर, कंपोजर, ऐक्टर वही तय करना चाहते हैं.

गैंगस्टर म्यूजिक इंडस्ट्री में निवेश भी कर रहे हैं. हिट सिंगर को अपनी पसंद का गाना गाने के लिए बाध्य करते हैं. पुलिस का मानना है कि अलग-अलग गैंगस्टर सिद्धू मूसेवाला को नियंत्रित करना चाहते थे और वे इसके लिए राजी नहीं थे. गैंगस्टर्स का इरादा वसूली का था इसलिए मूसेवाला की हत्या हुई.

बीते पांच साल में अलग-अलग आपराधिक मामलों की जांच से हुए खुलासे बताते हैं कि लखबीर रोडे, परमजीत पंजवार, वाधवा सिंह बब्बर और रणजीत सिंह नीता सरीखे लाहौर (पाकिस्तान) स्थित खालिस्तानी उग्रवादी इनमें से कई गैंगस्टरों के साथ सांठगांठ कर न केवल हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थ ठेलने का काम कर रहे हैं बल्कि पंजाब के संगीत और फिल्म उद्योग में अपने निवेशों पर भी पकड़ बनाए हुए हैं.

इसकी एक कड़ी रोडे और उसके कनाडा स्थित बेटे भगत बरार से भी जुड़ती है. खुफिया एजेंसियां मानती हैं कि अस्सी और नब्बे के दशक में बॉलीवुड के साथ साये की मानिंद लगे डी-गैंग की तरह भगत बराड़ गैंगस्टरों के एक गिरोह के जरिए पंजाबी गायकों और फिल्मी सितारों से अवैध वसूली का नेटवर्क चला रहा है. पिछले दिनों सोशल मीडिया पर भगत बरार और कई भगोड़े गैंगस्टरों के साथ कनाडा की यात्रा पर गए बहुत-से पंजाबी सितारों की तस्वीरें आईं.

इस बीच पिछले साल मोहाली पुलिस ने ठग लाइफ और गोल्ड मीडिया नाम की दो संगीत कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए खुलासा किया कि इन कंपनियों को विदेश से सीधे गैंगस्टर चला रहे थे. यह भी कि दविंदर बंबीहा का गिरोह अवैध वसूली का पैसा इन्हीं कंपनियों में लगा रहा था. मूसेवाला से पहले 2018 में दिलप्रीत सिंह दहन गिरोह के गैंगस्टरों ने मोहाली में वसूली का पैसा नहीं देने की वजह से गायक-अभिनेता परमीश वर्मा को गोली मार दी थी. वह भी बंबीहा गिरोह का सहयोगी था और उसने गायक-अभिनेता गिप्पी ग्रेवाल को धमकी दी थी.

गोल्डी बरार के बयान के बाद अब बंबीहा गैंग ने भी खूनी खेल की धमकी दी है. बंबीहा का असली नाम दविंदर सिंह सिद्धू था और यह शार्प शूटर मोगा के बंबीहा भाई गांव का रहने वाला था. कॉलेज के दिनों में ही उसका नाम हत्या के एक केस से जुड़ा था. बाद में दूसरे अपराधों में भी उसका नाम आया और वह जेल से भी भागा.

2012 से लेकर 2016 में एनकाउंटर में मारे जाने तक वह पंजाब का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर था. वह सोशल मीडिया पेज हमेशा अपडेट करता था. बंबीहा भले मारा गया पर बताते हैं कि बंबीहा गैंग का संचालन आर्मेनिया में बैठा लकी गौरव पटियाल कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी संदीप की हत्या में इसी गैंग का हाथ था.

बंदूक और गुलाब

पंजाब के एक गायक इंडिया टुडे से बातचीत में कहते हैं कि पंजाबी संगीत की ग्लोबल अपील के चलते इस बाजार तक पहुंचने के लिए वीडियो बनाना खासा महंगा है. उनके शब्दों में, ''ये गैंग निर्माताओं और संगीत कंपनियों से पैसा निकालने में गायकों और कलाकारों की मदद करते हैं और कई बार वीडियो बनाने के लिए पैसा भी देते हैं.’’ पंजाब के शीर्ष कलाकारों में गिने जाने वाले इस गायक ने यह भी बताया कि इन नकद सौदों में कई बार काला धन होता है, जो इन गिरोहों से जुड़े लोगों के लिए मुनाफे का कारोबार है.

एक शीर्ष पंजाबी अदाकार कहते हैं, ''अब वे भले गैंगस्टर हों, पर आते तो उसी सामाजिक हलके से हैं. कुछ तो कॉलेज में साथ पढ़े होते हैं. बदकिस्मती से कलाकार अपनी हद नहीं पहचान पाते.’’ और इन्हीं पुराने संबंधों, इलाकाई रिश्तों या फिर खालिस उपयोगिता के आधार पर हरेक गैंगस्टर के अपने पसंदीदा गायक और अदाकार बन जाते हैं.

बीते सालों में बंदूक की संस्कृति, जाट मर्दानगी और गिरोहों को रॉबिनहुडों या स्टाइल आइकन की तरह वैधता देने वाली फिल्मों और गानों की पंजाबी बाजार में बाढ़ आ गई है. यह बाजार यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के प्रवासियों के बीच भी फैला है. वहां इन गानों को लेकर यहां जैसी ही दीवानगी है. 

यहां तक कि अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने हाल ही में एक बयान में कहा कि हरेक सिख को अपने पास लाइसेंसशुदा हथियार रखने को कोशिश करनी चाहिए, ''क्योंकि जो वक्त आ रहा है और जो हालात हावी होने वाले हैं, उनका यही तकाजा है.’’ इस बयान के लिए उनकी आलोचना हुई पर इससे राज्य की मानसिकता और कानून-व्यवस्था की स्थिति का पता तो चलता ही है.

पंजाब के पुलिसकर्मी भी मानते हैं कि बंदूकों के प्रति रूमानियत और इन गिरोहों को रूमानी बनाकर पेश किए जाने की वजह से युवा पीढ़ी के बहुत-से लोग जुर्म की दुनिया की तरफ आकर्षित होते रहेंगे. मूसेवाला के आखिरी गाने लास्ट राइड की पंक्ति—हो चोब्बर दे चेहरे उत्ते नूर दास्स्दा नी इहदा उठुगा जवानी च जनाजा मिठिए—जवानी में मारे गए गैंगस्टर की जिंदगी को रूमानी बनाकर पेश करती है.

यह सीधे अमेरिकी लेखक विलार्ड मोटले के 1947 के क्लासिक नॉवेल नॉक ऑन एनी डोर से ली गई है, जिसमें कहा गया था, ''फास्ट जियो, यंग मरो, और खूबसूरत लाश बनो.’’ इन गैंगस्टरों ने ये पंक्तियां पढ़ी भले न हों पर मारे गए इसी के मुताबिक. वे ऐसे ही संदेशों वाली टी-शर्ट पहनते हैं और हिंसा के रास्ते पर चलकर जवानी में मारे गए लोगों की पूजा करते हैं, जिनमें स्वतंत्रता सेनानी उधम सिंह, भगत सिंह, करतार सिंह सराभा; दक्षिण अमेरिकी क्रांतिकारी चे ग्वेरा या आतंकवादी जरनैल सिंह भिंडरांवाले शामिल हैं. मूसेवाला अकेले नहीं थे.

उनके प्रतिद्वंद्वियों मनकीरत सिंह औलख का आठ राफलां (आठ राइफलें) और दो राफलां (दो राइफलें), करन औजला का यारां दा गैंगस्टर सीन, नव संधू का गैंगस्टर यार सभी गिरोहों और बंदूकों के प्रति दीवानगी को महिमामंडित करते हैं. यहां युवाओं को हथियारों के साथ मर्दानगी के प्रतीक के तौर पर दर्शाया जाता है. 

आखिरी बार पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने अपने गानों में बंदूकें लहराने और हिंसा को बढ़ावा देने के लिए मूसेवाला और औलख सहित इन गायकों पर कड़ी कार्रवाई करके बंदूकों की इस संस्कृति पर लगाम लगाने की कोशिश की थी. पंजाब और हरियाणा हाइकोर्ट, पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के पुलिस महानिदेशक को पहले ही यह पक्का करने का निर्देश दे चुका है कि लाइव शो में शराब, नशीले पदार्थ और हिंसा को महिमामंडित करने वाले गाने न बजाए जाएं. 

बंदूक से बंदूक 

पंजाब पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में 4.25 लाख से ज्यादा लाइसेंसशुदा हथियार हैं जबकि खुद राज्य पुलिस के पास 1.25 लाख से भी कम हथियार हैं. मूसेवाला ने जिस गाने से गीतकार के रूप में पदार्पण किया, उसकी एक मशहूर पंक्ति है—दर्हदनिया हिक्का ओह लाइसेंस नहिओ लेहंदे— बोलचाल की भाषा में इसका अर्थ है कि जिन्हें प्रतिद्वंद्वियों की छाती में छेद करना है, वे लाइसेंस का मुंह नहीं ताकते.

पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह पंजाब और जम्मू-कश्मीर के सरहदी इलाकों में ड्रोन से हथियार और गोला-बारूद के साथ नशीले पदार्थ गिराने के लिए पाकिस्तानी एजेंसी आइएसआइ को दोषी ठहराते हैं. भारतीय अफसरों का कहना है कि सितंबर 2019 के बाद ड्रोन आधारित खेपों के कम से कम 20 मामले पकड़े गए हैं. इसी की बदौलत इन गैंगस्टरों के पास एएन-94, असॉल्ट राइफल, सी-30 पिस्तौल, बेरेटा पिस्तौल, ग्लॉक 17 और रॉकेट से छोड़े जाने वाले ग्रेनेड सरीखे परिष्कृत हथियार हैं.

राज्य पुलिस की पुरानी पीढ़ी के हथियार  एके-47, 303, एएलआर और एलएमजी का इनसे कोई मुकाबला ही नहीं. मूसेवाला पर एएन-94 से हमला करने से पहले 10 मई को पंजाब पुलिस की खुफिया शाखा के मुख्यालय पर चीन निर्मित आरपीजी से हमला किया गया. एएन 94 में डबल बर्स्ट है और यह 900 मीटर की दूरी पर एक मिनट में 1,800 गोलियां दाग सकती है; इसे चलाने के लिए गहरे हुनर की दरकार होती है, इसीलिए दुनिया भर में बहुत कम ही सुरक्षा एजेंसियां इस हथियार का इस्तेमाल करती हैं.

पूर्व डीजीपी शशि कांत कहते हैं, ''यह हथियार इन गैंगस्टरों के हाथ में पहुंचना खतरे की घंटी है. इसका मतलब है कि अब ग्लोबल क्राइम सिंडिकेट में इनकी मौजूदगी हो सकती है.’’ अफगानिस्तान में तालिबान ने और सीरियाई विद्रोहियों ने आरपीजी का खुलकर इस्तेमाल किया, पर खालिस्तानी संगठनों और पंजाबी गैंगस्टरों ने अब तक नहीं किया था.

एजेंसियों के अफसरों का कहना है कि कुछेक नक्सल धड़े भी इस हथियार का इस्तेमाल करने लगे हैं. इस साल जनवरी में गुरदासपुर पुलिस ने दीनानगर इलाके से अंडर-बैरल ग्रेनेड लॉन्चर (यूबीजीएल) बरामद किया. यह ड्रोन के जरिए ऊपर से गिराया गया था और जाहिरा तौर पर रोडे ने भेजा था.

मुंबई में बॉलीवुड का जो रिश्ता एक वक्त अंडरवर्ल्ड से था वैसा ही कुछ पंजाब में भी दिख रहा है. इस पर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह कहते हैं, ''पंजाब के मामले में इसमें एक और आयाम जुड़ता है और वह है ड्रग्स. पंजाब का गैंगस्टर नब्बे के बाद की पैदाइश का है जबकि मुंबई का माफिया, लकड़ावाला, करीम लाला, छोटा शकील वगैरह बड़ी उम्र के थे. पंजाब की आबादी दिल्ली के बराबर है.

उसमें 75 गैंग और 500 गैंग मेंबर हैं जिनमें से 200 जेल में और 300 बाहर हैं. इनके पास एएन-94, यूजी सब मशीनगन जैसे अत्याधुनिक हथियार हैं. मुंबई के डॉन इनके सामने कुछ भी नहीं. बिश्नोई जैसे अपराधी सारा काम जेल से कर रहे हैं जो कि जेलों में भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल है.’’ उन्होंने राजनैतिक संरक्षण का फायदा उठाया है. वे गायकों से प्रोटेक्शन मनी मांग रहे हैं. खालिस्तान के समर्थन में गाना गाने को कहते हैं. उन्हें ड्रोन से मादक पदार्थ और हथियार पहुंचाने में आइएसआइ का भी हाथ है. वे मुंबई अंडरवर्ल्ड का परिष्कृत मॉडल हैं. वे हवाला के अलावा क्रिप्टोकरेंसी में भी पैसों का लेनदेन करते हैं.

नकली नायक

मौजूदा पीढ़ी प्रभजिंदर सिंह डिंपी उर्फ डिंपी चंदभान को याद करती है, जो आधुनिक पंजाब का पहला गैंगस्टर था और 1985 में पंजाब विश्वविद्यालय के छात्र नेता माखन सिंह की हत्या के बाद सुर्खियों में आया था. उस वक्त गायकों ने उसे नी तेदी पग्ग बन्ने डिम्पी चंदभान वरगी (वह चंदभान सरीखी खिताबी पगड़ी पहनता है) सरीखे गाने गाकर महिमामंडित किया था.

मगर ये गाने डिंपी के मूल फरीदकोट जिले के इर्द-गिर्द निहायत स्थानीय ही बने रहे. पर हाल ही में मूसेवाला ने इसे ग्लोबल गाना बनाने के लिए नई सज-धज से मालवा ब्लॉक की शक्ल में गाया. 2006 में चंडीगढ़ के लेक क्लब के बाहर डिंपी को मार दिया गया.

राज्य में पहला गैंगवार था, जिसमें हत्या के लिए उसके दोस्त से दुश्मन बने जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी फाजिल्का का नाम आया. उसने और दोस्त रॉकी फाजिल्का ने एक अन्य गैंगस्टर से राजनेता बने मुख्तार अंसारी के साथ बरसों काम किया, पर 2005 में हरियाणा की जेल से भागने के बाद उनमें झगड़ा हो गया. 

इस हत्या के बाद रॉकी ने पंजाब में संगठित अपराधों की दुनिया में अपना दबदबा कायम कर लिया. बाद में वह आपराधिक गतिविधियों से हटकर राजनीति की तरफ आया, हालांकि लक्खा सिधाना और लॉरेंस बिश्नोई सरीखे प्रमुख गैंगस्टरों पर उसका नियंत्रण बना रहा. रॉकी ने 2012 का विधानसभा चुनाव फाजिल्का से लड़ा, लेकिन बहुत कम अंतर से भाजपा के सुरजीत कुमार ज्याणी से हार गया.

उस वक्त भाजपा के कई नेताओं ने शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) पर आरोप लगाया था कि उसके स्थानीय कार्यकर्ताओं ने रॉकी के लिए काम किया. हालांकि तब एसएडी भाजपा का सहयोगी दल था और फिर ज्याणी की जीत पक्की करने के लिए पार्टी के मुखिया सुखबीर सिंह बादल को दखल देनी पड़ी. रॉकी ने शराब के ताकतवर कारोबारी शिवलाल डोडा से भी दोस्ती गांठ ली थी, जो दलित कार्यकर्ता भीम टांक की बर्बर हत्या के लिए कुख्यात थे.

डोडा पड़ोस की अबोहर सीट से निर्दलीय उम्मीदवार थे और तब कांग्रेस के नेता सुनील जाखड़ उनसे हारते-हारते बचे. रॉकी पर हत्या, अपहरण जैसे 22 संगीन जुर्म के केस थे. उसकी मौत पर विरोधी बदमाशों ने सोशल मीडिया पर खुशी मनाई थी लेकिन जिन अकाउंट्स से ये इजहार किया गया उन सभी के बदमाश जेल में बंद थे.

इस बीच रॉकी के घुटे चेले सिधाना ने पिछला विधानसभा चुनाव 22 यूनियनों की तरफ से बलबीर राजेवाल की अगुआई में बनाए गए राजनैतिक प्लेटफॉर्म संयुक्त समाज मोर्चे के टिकट पर मौड़ मंडी से लड़ा और आप के सुखवीर मैसेर खाना के बाद दूसरे नंबर पर आए, जबकि रॉकी की बहन राजदीप कौर पहले एसएडी और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गईं.

फिलहाल वे कैप्टन अमरिंदर सिंह की पंजाब लोक कांग्रेस में हैं. रॉकी मई 2016 में हिमाचल प्रदेश के परवानू में गैंगवार में मारा गया. इसके पीछे हरजिंदर सिंह भुल्लर उर्फ विकी ग्राउंडर सरीखे उसके तत्कालीन सहयोगी का हाथ होने का शक था. लेकिन इस मामले में पुलिस तफ्तीश काफी सुस्त रही.

राज्य स्तर के चक्का फेंक खिलाड़ी भुल्लर ने दो अन्य एथलीट बाधा दौड़ के धावक प्रेमा लाहोरिया और हैमर थ्रो के खिलाड़ी जयपाल सिंह के साथ-साथ लवली बाबा और सुक्खा काहलवां सरीखे दूसरे अपराधियों से हाथ मिला लिया. ये एथलीट जालंधर के गवर्मेंट आटर्स ऐंड स्पोट्र्स कॉलेज की पैदाइश थे, जो उत्तर भारत का सबसे अच्छा खेल स्कूल है. दरअसल भुल्लर को ग्राउंडर नाम खेल के मैदान में बिताए वक्त की वजह से मिला.

वह 2015 में उस वक्त चर्चा में आया जब उसने बाबा की हत्या का ''बदला’’ लेने के लिए काहलवां की हत्या कर दी. बाद में 2016 में कुख्यात नाभा जेल ब्रेक कांड के बाद, जिसमें वह अपने गिरोह के सदस्यों गुरप्रीत सेखों, नीता देओल और अमनदीप धोतियां के अलावा खालिस्तान समर्थक उग्रवादी हरमिंदर सिंह मिंटू और कश्मीर सिंह गलवंडी के साथ भाग निकला था, पंजाब का मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर बन गया.

ग्राउंडर और लाहोरिया 2018 में राजस्थान बॉर्डर पर मारे गए, जबकि जयपाल पश्चिम बंगाल पुलिस के साथ साझा कार्रवाई में कोलकाता में हुई नाटकीय मुठभेड़ में मारा गया. इस धड़े की अगुआई अब गुरप्रीत सेखों जेल से कर रहा है और लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर काम करता है.

शिखर की लड़ाई

आज गोल्डी बरार लॉरेंस बिश्नोई गैंग का असल सीईओ है और लॉरेंस के कजिन सचिन बिश्नोई की मदद से कनाडा से गैंग चलाता है. बिश्नोई गैंग 700 अपराधियों के गिरोह के साथ काम करता है. गिरोह के ये लड़के पंजाब और हरियाणा में सक्रिय हैं. बंबीहा गैंग के लिए काम करने वाले लड़कों की संख्या करीब 300 बताई जाती है. बिश्नोई के कट्टर प्रतिद्वंद्वी गैंग बंबीहा को अब आर्मेनिया स्थित लकी पटियाल चलाता है और उससे पहले दिलप्रीत बाबा और बाद में सुखप्रीत 'बुड्ढा’ चलाता था.

दोनों अब जेल में हैं. रॉकी फाजिल्का और चंदभान ने जो हासिल किया, बिश्नोई धड़ा उसके पासंग भी नहीं है, पर उसका क्राइम सिंडिकेट उत्तर भारत की संगठित अपराधों की दुनिया में अपना दबदबा स्थापित करने में जुटा है. शराब के कारोबार का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के लिए हरियाणा स्थित कौशल-डागर गैंग के साथ उसकी लगातार लड़ाई चलती रहती है.

जग्गू भगवानपुरिया के नेटवर्क और कबड्डी सर्किट में लॉरेंस बिश्नोई गैंग का कब्जा तोड़ने के लिए बंबीहा धड़ा कौशल डागर के साथ आ गया है. इस साल मार्च में ब्रिटिश नागरिक संदीप सिंह उर्फ संदीप नांगल आंबिया की हत्या हो गई. पंजाबी प्रवासियों में फिल्मों की तरह कबड्डी का भी जलवा है. ग्रामीण पंजाब और कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप वगैरह में नियमित तौर पर टूर्नामेंट आयोजित किए जाते हैं. ये टूर्नामेंट धन के अलावा मानव तस्करी के नियमित साधन हैं जिसे पंजाबी में कबूतरबाजी कहा जाता है.

2016 में गिरफ्तार होने से पहले बिश्नोई ने पूरे उत्तर भारत में अपने धड़े का विस्तार किया. इसके लिए उसने हरियाणा के काला जठेड़ी और सुब्बे गुज्जर, राजस्थान के आनंद पाल सिंह और दिल्ली के जितेंद्र गोगी के साथ गठबंधन बनाए. अपने कई प्रतिद्वंद्वियों के खात्मे का फायदा उसके धड़े को निश्चित रूप से मिला. बिश्नोई गैंग ने अपने साथी अंकित भादू की हत्या झेली. उसके ज्यादातर प्रमुख गैंगबाज विदेशों में सुरक्षित ठिकानों या जेलों से भ्रष्ट अफसरों, वर्चुअल फोन या साथियों के जरिए काम कर रहे हैं.

बिश्नोई पर अभी तक हत्या, हत्या के प्रयास, गैरकानूनी घुसपैठ, हमले, अवैध वसूली और लूट-डकैती के कम से कम दो दर्जन मामले हैं. 2016 में गिरफ्तारी के बाद उसे राजस्थान की भरतपुर जेल में रखा गया, पर बाद में एक साल पहले महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (एमसीओसीए या मकोका) से जुड़े मामले में दिल्ली की मंडोली जेल ले आया गया. बाद में दिल्ली की तिहाड़ जेल में रख दिया गया, जहां वह अभी भी है.

दरअसल, बिश्नोई ने पहले रेडी फिल्म की शूटिंग के दौरान सलमान खान की हत्या का मंसूबा बनाया था क्योंकि बिश्नोई समुदाय काले हिरण के शिकार के मामले में अभिनेता के शामिल होने से जाहिरा तौर पर नाराज था. यह काम उसने मुंबई के गैंगस्टर नरेश शेट्टी को सौंपा, जबकि बिश्नोई के करीबी साथी संपत नेहरा ने रेकी की. पर्याप्त रेंज वाला हथियार न होने और मुंबई पुलिस के हाथों इत्तफाकन इन गैंगस्टरों की गिरफ्तारी से यह हमला टल गया. जून के पहले हफ्ते में सलमान के घर के नजदीक पुलिस को फिर एक चिट्ठी मिली जिसमें मूसेवाला की तरह सलमान को खत्म करने की धमकी दी गई थी.

गायक की हत्या से बिश्नोई और उसके दोस्तों के खिलाफ गुस्सा बढ़ गया है. वहीं कानून और व्यवस्था की 'बदइंतजामी’ के लिए भगवंत मान की सरकार भी बैकफुट पर है. सभी निगाहें 23 जून को संगरूर के चुनाव पर लगी हैं. प्रतिकूल नतीजे की संभावना से मान की सरकार पर इन गिरोहों और खासकर बिश्नोई गैंग के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का दबाव आ जाएगा. शायद बिश्नोई को भी इसकी भनक है और इसीलिए वह पंजाब पुलिस को सौंपे जाने का विरोध कर रहा है.

नापाक पड़ोसी 

पंजाब के मालवा इलाके में तीन प्रमुख गैंगस्टर धड़े हैं, जिनकी अगुआई सुख भिखारीवाल, जग्गू भगवानपुरिया और लखबीर सिंह लांडा कर रहे हैं. लांडा ब्रैंप्टन में रहता है और बाकी दोनों जेल में हैं. पाकिस्तान स्थित लखबीर रोडे अपने नेटवर्क का इस्तेमाल करके निशानेवार हत्याओं के लिए हथियारों की आपूर्ति करता है. वह दूसरे राज्यों के गिरोहों और मध्य तथा पूर्वी भारत में नक्सलियों को भी हथियार सप्लाइ करता है.

शक है कि गैंगस्टर हरिंदर सिंह रिंदा 2019 में नेपाल के रास्ते जाली पासपोर्ट पर पाकिस्तान भाग गया. उससे पहले भगवानपुरिया धड़े के दो गैंगस्टर पवित्तर सिंह और हुसनदीप भी, जिनकी हत्या, अवैध वसूली और हत्या के प्रयास के दर्जन भर से ज्यादा मामलों में तलाश है, खालिस्तान समर्थक तत्वों की मदद से अमेरिका भाग गए. इसी तरह रमनजीत रोमी हांगकांग भाग गया, जो पाकिस्तान के खालिस्तानी धड़ों और पंजाब के गैंगस्टरों के बीच कड़ी था.

पंजाब के पुलिसजन मानते हैं कि राज्य के दो हिंदुत्ववादी नेताओं की निशानेवार हत्या के पीछे उसी का हाथ था और उग्रवादियों हरमिंदर मिंटू तथा कश्मीर सिंह गलवंडी को छुड़वाने की खातिर नाभा जेल ब्रेक को अंजाम देने के लिए विकी ग्राउंडर को पैसा भी उसी ने दिया था. रोमी हांगकांग जेल में है और भारत को सौंपे जाने से बचने के लिए लड़ रहा है; उसकी दलील यह है कि खालिस्तान समर्थक नौजवान सिख होने की वजह से सरकार उसे निशाना बना रही है.

दिल्ली पुलिस का स्पेशल सेल 2021 में गैंगस्टर सुख भिखारीवाल को दुबई की उसकी पनाहगाह से लाने में सफल रहा. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि भिखारीवाल ने बहुत-सी निशानेवार हत्याओं को अंजाम देने की खातिर लखबीर रोडे, पाकिस्तान स्थित सिख नेता गोपाल चावला और कनाडाई गुरप्रीत सिंह चीमा से हाथ मिला लिया था.

खालिस्तान विरोधी कार्यकर्ता और शौर्य चक्र विजेता बलविंदर सिंह संधू की तरनतारन में हुई हत्या के पीछे भिखारीवाल का हाथ होने का शक है और फरवरी में उसके धड़े ने गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक इलाके में हिंदुत्ववादी नेता हनी महाजन पर भी गोलियां चलाई थीं. महाजन बच गए पर उनके साथी दुकानदार अशोक कुमार की मौत हो गई. मगर यह रिंदा ही है जिससे पाकिस्तानी एजेंसियों को बल मिला.

वह औपचारिक तौर पर वाधवा सिंह बब्बर की अगुआई वाले बब्बर खालसा इंटरनेशनल में शामिल हो गया है और सुरक्षा एजेंसियां मानती हैं कि पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी धड़ों और पंजाब स्थित गैंगस्टर/गिरोहों के साथ मिलकर ''लश्कर-ए-खालसा’’ बनाने की आइएसआइ की महत्वाकांक्षी योजना को अंजाम देने में उसकी प्रमुख भूमिका है. सुरक्षा एजेंसियों के अफसरों का कहना है कि अफगानिस्तान स्थित भाड़े के तालिबानी हत्यारों को भी इस धड़े का हिस्सा बनाया जा रहा है. वे तमाम किस्म के रॉकेट लॉन्चरों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दे रहे हैं. 

मई के पहले हक्रते में इंटेलिजेंस ब्यूरो, पंजाब पुलिस और हरियाणा पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में फिरोजपुर के रहने वाले गैंगस्टरों गुरप्रीत सिंह, उसके भाई अमनदीप सिंह और परमिंदर सिंह तथा लुधियाना के भूपिंदर सिंह को अंबाला-दिल्ली राष्ट्रीय राजमार्ग पर बस्तारा टोल प्लाजा पर रोक लिया. पूछताछ से पता चला कि वे विस्फोटक और हथियार पहुंचाने के लिए तेलंगाना के आदिलाबाद जा रहे थे.

उन्हें हथियारों की खेप ड्रोन के जरिए रिंदा ने भेजी थी. पिछले तीन साल में नक्सली इलाकों के विद्रोहियों और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के अपराधियों तक पहुंचाने के लिए पाकिस्तान के सप्लायरों की तरफ से कई खेप भेजी गई हैं. इनके वाहक ये गैंगस्टर ही रहे हैं. 

अधिकारी मानते हैं कि आतंकवादियों और गैंगस्टर्स का एक स्वाभाविक गठजोड़ है. मसलन, रिंदा पाकिस्तान में है. रिंदा गोल्डी बरार और लांडा के संपर्क में है. ये सभी देश के गैंगस्टर्स के टच में हैं. और इसी तरह ये ऑपरेट कर रहे हैं. खालिस्तान आंदोलन चलाने के लिए युवाओं को प्रेरित करने का रास्ता उग्रवादी छोड़ चुके हैं. पाकिस्तान से ऑपरेट करने वाले आतंकवादियों को ऑपरेट करने के लिए मोटिवेशन और आइडियोलॉजी के आधार पर तैयार करने में टाइम लगता था.

अब ये बदमाशों को थोड़ा पैसा देकर वारदात करा लेते हैं. यह आसान तरीका है. पंजाब राज्य पुलिस के मुख्यालय पर पिछले दिनों हुआ रॉकेट हमला इसी तरह की वारदात माना जा रहा है. इसके अलावा अन्य गतिविधियों के संचालन के लिए ये लोग डार्क वेब का इस्तेमाल, वीपीएन, वर्चुअल नेटवर्क पर ऑपरेट करते हैं. फिलहाल दो दर्जन से ज्यादा खालिस्तानी उग्रवादी संगठन विभिन्न देशों में सक्रिय बताए जाते हैं. 

इस बीच प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के गुरपतवंत पन्नू ने वीडियो जारी कर लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया और दलप्रीत बरार से खालिस्तान आंदोलन में शामिल होने को कहा है. जून की शुरुआत में आए इस वीडियो में ऑपरेशन ब्लू स्टार में शामिल सेना के अफसरों पर हमले करने को भी कहा गया है.

मूसेवाला की हत्या में 8 जून तक पंजाब पुलिस ने 8 लोगों को पकड़ा. लॉरेंस बिश्नोई जैसे जेल में बंद गैंगस्टर एक बार फिर गिरफ्तार हों या उनकी फिर से जमानत हो जाए, उन पर अंदर और बाहर रहने का कोई फर्क नहीं पड़ता. लेकिन उनकी हरकतों पर लगाम लगाने का कोई पुख्ता तरीका सिस्टम को जरूर खोजना पड़ेगा.

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