बीते डेढ़ साल से कोविड-19 महामारी ने हिंदुस्तानियों को भले ही घरों में कैद कर दिया हो पर मायूसी और बर्बादी के बीच एक क्षेत्र में खासा उछाल आया और वह है स्ट्रीमिंग मनोरंजन का क्षेत्र. ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्मों की बिल्कुल नई दिलेर दुनिया के नए रचियताओं और वितरकों की पूरी नई जमात ने घरों में कैद हिंदुस्तानियों का वक्त गुजारने का तरीका खामोशी से आमूलचूल बदल डाला.
केबल टीवी की तरह तय वक्त पर और पुरानी फिल्में बार-बार दिखाने के अत्याचार से हटकर ओटीटी प्लेटफॉर्म इंटरनेट के जरिए सभी विधाओं, फॉर्मेट और भाषाओं के दिलबहलाऊ कार्यक्रम स्ट्रीम करते हैं. सबसे महत्वपूर्ण यह कि यह सब अपनी सुविधा और पसंद से किसी भी वक्त, किसी भी जगह और किसी भी माध्यम पर देखा जा सकता है, चाहे वह सेलफोन हो, लैपटॉप या टैबलेट और हां, टीवी स्क्रीन भी.
भारतीय मनोरंजन उद्योग के लिए 2020 वाकई आमूलचूल बदलाव का साल था. ढेरों विकल्पों की मौजूदगी ने भारतीय दर्शकों को आखिरकार बिगाड़ ही दिया. ओटीटी ने बड़ी तादाद में जो फिल्में, सीरीज, एंथोलॉजी, डॉक्यूमेंट्री और शॉर्ट फिल्में पेश कीं, वे केवल देसी खुराक तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उनमें दुनिया भर के ढेरों पकवान और व्यंजन
यानी पूरा का पूरा बफे था. चाहे वह एंथोलॉजी सीरीज रे हो, मनी हाइस्ट (स्पेन) में प्रोफेसर के कारनामे या कोरियन ड्रामा सीरियलों के 16 एपिसोड लगातार देखना, इनमें सबके लिए कुछ न कुछ था. जब फिल्म उद्योग में अनिश्चितता का बोलबाला था तब 40 के करीब ओटीटी प्लेटफॉर्मों ने दर्शकों के लिए 2020 में करीब 1,200 घंटों की ताजा और नई सामग्री परोसी. इनमें ओटीटी प्लेटफॉर्मों के दिग्गज नेटक्रिलक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, डिज्नी-हॉटस्टार, सोनी लिव और जी5 भी थे.
ईवाइ-फिक्की की मार्च 2021 की एक रिपोर्ट तस्दीक करती है कि महामारी ने इस उद्योग की वृद्धि को तेज रफ्तार दी, जब पिछले साल 2019 के 1.05 करोड़ से बढ़कर 2.8 करोड़ लोगों ने ओटीटी के 5.3 करोड़ सबस्क्रिप्शन का भुगतान किया. बॉलीवुड ओटीटी की ताकत को अब और अनदेखा नहीं कर सकता. आखिर पैसा यहां है और नौकरियां भी यहीं हैं.
मीडिया पार्टनर एशिया की 'द फ्यूचर ऑफ इंडियाज ऑनलाइन वीडिया मार्केट’ रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में ओटीटी प्लेटफॉर्मों की तरफ से कंटेट में 1 अरब डॉलर के निवेश की उम्मीद है. अक्षय कुमार, अजय देवगन और शाहिद कपूर उन बहुत-से सितारों में हैं जो डिजिटल माध्यम में पहला कदम रखने जा रहे हैं. जब जी5 सरीखे भारतीय स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म भारत में जल्द आने का मंसूबा बना रहे एचबीओ मैक्स सरीखे अंतरराष्ट्रीय प्लेटफॉर्मों से होड़ कर रहे हों, तो प्रतिस्पर्धा और बढ़ेगी ही.
फिल्म उद्योग पर राज करने वाले लोग भी बदल रहे हैं, क्योंकि पारंपरिक फिल्म निर्मातों की जगह ओटीटी प्लेटफॉर्मों के मठाधीशों ने ले ली है और वे ही यह तय करने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं कि भारत क्या देखे. तीन सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्मों की क्रिएटिव यानी सृजन शाखाओं की अगुआई कर रही तीन मोहतरमाएं इस स्ट्रीमिंग क्रांति की सबसे अगली कतार में हैं : अमजेन प्राइम वीडियो में इंडिया ओरिजिनल की हेड अपर्णा पुरोहित, नेटफ्लिक्स में वाइस-प्रेसिडेंट, कंटेट, मोनिका शेरगिल और बालाजी टेलीफिल्म्स की जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर एकता कपूर. इंडिया टुडे मैग्जीन के आवरण के लिए पहली बार एक साथ आईं ये तीनों नए मनोरंजन की मलिकाएं हैं.
मलिकाओं का उत्थान
इनमें से हरेक के पास शिखर पर पहुंचने की अपनी दिलकश कहानी है. मसलन पुरोहित दूरदर्शन के तमस, बुनियाद, हम लोग सरीखे शो और बाद में फिल्म उत्सवों में विश्व सिनेमा का आनंद लेते हुए दिल्ली में पली-बढ़ीं. जामिया मिल्लिया इस्लामिया के जनसंचार प्रोग्राम की यह पूर्व छात्रा मुंबई आ गई और पहले सोनी टीवी, यूटीवी और राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम में काम किया.
2015 में प्राइम वीडियो में आईं, जहां उन्होंने फिल्मकारों को मनाया कि वे लॉन्च होने जा रहे एसवीओडी (सब्स्क्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड) प्लेटफॉर्म के लिए ऐसी फिल्में बनाएं जो वे दिल से बनाना चाहते हैं. 42 वर्षीय पुरोहित याद करती हैं, ‘‘पहली प्रतिक्रिया (हमें यह मिलती) थी कि 'तुम लोग एक बड़ा मॉल हो. कंटेट के बारे में तुम जानते ही क्या हो?’ एक फिल्ममेकर हैं, जिनकी मैं बहुत तारीफ करती हूं, उन्होंने कहा, 'हमारे भीतर अब भी कुछ फिल्में बची हैं.
मेहरबानी करके हमें ये वेब शो करने के लिए न कहें’.’’ पुरोहित को अब कहानियों के पीछे भागना नहीं पड़ता. उन्हें रोज करीब 10 प्रस्ताव मिलते हैं. 2018 में ऐसा ही एक प्रस्ताव यूपी के कस्बे की पृष्ठभूमि में ऐक्शन, दुश्मनी, बदला और हास-परिहास से भरा क्राइम ड्रामा बनाने का प्रस्ताव था. पुरोहित कहती हैं, ''डेटा से हमें पता चला कि वाकई मर्दों का दिल बहलाने लायक कुछ था ही नहीं.’’ आज मिर्जापुर प्राइम के सबसे लोकप्रिय शो में है. इसके तीसरे सीजन को हरी झंडी मिल गई है और औरतें भी इसकी मुरीद हैं.
नेटफ्लिक्स में शेरगिल तय करती हैं कि 2019 और 2020 में भारत की मौलिक फिल्में, शो, डॉक्यूमेंटरी और कॉमेडी स्पेशल बनाने के लिए अलग रखे गए 3,000 करोड़ रुपए का बेहतर से बेहतर इस्तेमाल कैसे हो. नेटफ्लिक्स ने भारत में बस इतना ही निवेश नहीं किया. स्ट्रीमिंग की यह दिग्गज कंपनी अपनी तरह के पहले उद्यम में मुंबई में पोस्ट-प्रोडक्शन सुविधा केंद्र बना रही है. शेरगिल कहती हैं, ''हमें दर्शकों को बेहतरीन कहानियां सुनानी हैं तो समुदाय में योगदान देना और इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना होगा’’
इन्हीं की खोज करते शेरगिल को अब दो दशक से ज्यादा वक्त हुआ. यह खोज उन्होंने पत्रकार बनकर शुरू की. 1990 के दशक के शुरुआती सालों में टीवी सीरीज लिविंग ऑन द एज के लिए पर्यावरण और सामाजिक न्याय से जुड़ी रिपोर्ट करते हुए वे भारत भर में घूमीं. उन्होंने आमिर खान की तरफ से होस्ट किए गए सत्यमेव जयते सरीखे शो बनाए और जस्सी जैसी कोई नहीं तथा सीआइडी सरीखे शो भी.
नेटफ्लिक्स में शेरगिल पाती हैं कि ''दर्शकों की कई जिम्मेदारियां उनके सिर पर’’ हैं, क्योंकि विभिन्न दर्शकों की बारीक पसंदों के हिसाब से अनेक किस्म की सामग्री उन्हें परोसनी होती है. नतीजा है मसाबा मसाबा और जामतारा: सबका नंबर आएगा सरीखे शो, जिनमें पहले में हकीकत और फसाना का फर्क धुंधला हो जाता है और दूसरा झारखंड के फिशिंग घोटाले से प्रेरित क्राइम ड्रामा है.
एकता कपूर के पास भले ही नेटफ्लिक्स के बजट का महज पांचवां हिस्सा भर हो, उनके हौसलों में कमी नहीं आई. सास भी कभी बहू थी और पवित्र रिश्ता सरीखे टीवी शो से महिलाओं का दिल वे जीत ही चुकी थीं, फिर उन्हें लगा कि आबादी के दो प्रमुख तबके युवा और पुरुष भी संभावनाओं से भरपूर हैं.
2017 में उन्होंने आल्टबालाजी शुरू किया. 1994 में टीवी प्रोड्यूसर बनकर शुरुआत करने वाली 46 वर्षीय एकता कहती हैं, ''आल्ट नहीं होता तो मैं बूढ़ी और बेकार हो गई होती. एक वक्त था जब कंटेंट को लेकर मैं नींद खराब नहीं करती थी. मगर अब मैं करती हूं और मुझे बहुत अच्छा लगता है. ’’
आल्टबालाजी अब सबसे उर्वर एसओवीडी प्लेटफॉर्म में से एक है. इसके पास 86 वेब शो की लाइब्रेरी है जिनमें से कई जी5 और एमएक्स प्लेयर सरीखे दूसरे प्लेटफॉर्म पर भी देखे जा सकते हैं. नौजवानों की कामवासना की पड़ताल करने वाले गंदी बात, एक्सएक्सएक्स और वर्जिन भास्कर सरीखे शो के चलते इसे ऐप की दुनिया के ''बैड बॉय’’ (कपूर के लफ्जों में) की तरह देखा जाता है. वे कहती हैं, ''हमारे इतने सारे शो हैं पर मुझे नहीं पता कि वह क्या है, टीवी की पृष्ठभूमि से पैदा उक्वमीदें या महिलाओं के जोखिम भरा या धारदार कंटेंट बनाने का जुनून, जिससे हमें यह शोहरत मिली है.’’
तीनों प्लेटफॉर्मों के बीच इंटरनेट के समय को लेकर मारामारी मची है, पर इन मलिकाओं के लिए कहानियां बयान करने का इससे बेहतर वक्त नहीं हो सकता था. पुरोहित सुबह तक जागकर ओटीटी शो देखती हैं, यह जानने के लिए कि प्रतिस्पर्धी क्या कर रहे हैं और कौन नए लेखक और अदाकार आ रहे हैं. शेरगिल को काम का नशा है.
वे बॉलीवुड की नामी-गिरामी शख्सियतों के साथ तेजी से करारों पर दस्तखत कर रही हैं, संजय लीला भंसाली हों या करण जौहर, या फरहान अख्तर और रितेश सिधवानी. फिल्म प्रोड्यूसर भी होने के नाते कपूर ओटीटी के बढ़ते दबदबे का असर सिनेमा पर भी देख रही हैं, जहां फिल्मकारों को सोचना पड़ रहा है कि फिल्म देखने के ''तजुर्बे को और ज्यादा बड़ा’’ कैसे बनाएं, ताकि दर्शक सिनेमाघरों में लौटें.
महामारी से आया उछाल
तीनों मलिकाएं एकमत हैं कि उनके दर्शकों और किस्मतों में यह उछाल महामारी की देन है. पुरोहित के 76 वर्षीय पिता और 67 वर्षीय मां की तरह कई भारतीयों ने पहली बार ओटीटी देखना शुरू किया. मीडिया एनालिटिक्स और कंसल्टिंग फर्म ओरमैक्स का 2020 का अध्ययन बताता है कि अप्रैल-अगस्त 2020 के बीच करीब 2.3 करोड़ टीवी दर्शक स्ट्रीम करने लगे, जिनमें 57 फीसद महिलाएं थीं.
ओरमैक्स मीडिया के सीईओ शैलेष कपूर कहते हैं, ''साफ है कि जब टीवी शो का प्रसारण बंद था, युवा दर्शकों और पुरुषों की पहल पर बुजुर्गों व महिलाओं ने नमूने की तौर पर ओटीटी का ओरिजिनल कंटेट देखना शुरू किया.’’
ओटीटी कारोबार इसलिए भी फला-फूला कि महामारी में देश भर के सिनेमाघर काफी हद तक बंद रहे. महाराष्ट्र में तो अगस्त 2021 तक ताले पड़े थे. नतीजा यह कि बॉलीवुड के घर मुंबई में अक्षय कुमार की ताजा प्रदर्शित फिल्म बेलबॉटम के पोस्टर नहीं लगे. उसकी जगह डिज्नी-हॉटस्टार के द एम्पायर के होर्डिंग लगे.
ओटीटी कई मायनों में बराबरी लाने वाला बन गया, जिसने स्टारडम की परिभाषा बदल दी. होनहार अदाकार अब हाशियों में नहीं रहे. स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्मों पर उन्हें नामी शो मिल रहे हैं. मनोज बाजपेयी बताते हैं कि द फैमिली मैन के चलते हवाई अड्डों पर अब उन्हें भीड़ घेर लेती है. दिव्येंदु के दक्षिण भारत में ऐसे मुरीद थे कि मिर्जापुर के उनके किरदार मुन्ना के कटआउट पर दूध चढ़ाते थे.
आश्रम और शी से मशहूर अदिति पोहनकर को मुंबई के उपनगर के डीमार्ट पर मास्क लगाने के बाद भी पहचान लिया गया. लायन्सगेट प्ले लेकर भारत आए लायन्सगेट, साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर रोहित जैन कहते हैं, ''इससे पंकज त्रिपाठी सुपरस्टार बन गए. आप शो इसलिए देखेंगे क्योंकि वे इसमें हैं.’’
लेखे-जोखे का लम्हा
फिक्की-ईवाइ की रिपोर्ट का अनुमान है कि 2023 तक ओटीटी पर कंटेंट दोगुना बढ़कर हर साल 3,000 घंटे से ज्यादा हो जाएगा. फिर आश्चर्य क्या कि तीन या चार फिल्मों के बराबर कहानियां डिजिटल माध्यमों पर सुनाने के इच्छुक फिल्मकारों की तादाद बढ़ रही है. इनमें संजय लीला भंसाली भी हैं जो नेटफ्लिक्स के लिए लंबी सीरीज हीरामंडी बनाएंगे.
लेखकों की भी बहार आ गई है, जो ज्यादा लंबे और ज्यादा परतदार अफसाने बयान करने को उत्साहित हैं और ऐसी एक दुनिया रचने को लेकर भी जिसमें वे बार-बार लौटकर आते रहें. पुरोहित कहती हैं, ''पहले ऐसा होता था कि हमें स्टार और डायरेक्टर मिल गए हैं, चलो अब प्रोजेक्ट खोजें.’’ रवैया यह था कि ''कुछ न कुछ तो लिख लेंगे.’’ ओटीटी पर सच्चा और सरल विजन बिकता है और जरूरी नहीं कि उसे परदे पर साकार करने वाला अदाकार बॉक्स ऑफिस स्टार हो.
बॉलीवुड जानता है कि दर्शकों को सिनेमाघरों में महामारी के पहले वाले स्तर तक वापस लाना टेढ़ी खीर है. सोनीलिव में ओरिजिनल कंटेंट के प्रमुख सौगत मुखर्जी कहते हैं, ''लोग सिनेमाघर जाने में एहतियात बरतेंगे. अब ओटीटी की आदत हो गई है.’’ दुनिया के सबसे सस्ते मोबाइल डेटा वाले देशों में होने के चलते सफलताओं की फेहरिस्त में भारतीय सबसे ऊपर हैं. वे हर हफ्ते औसतन 10 घंटे और 54 मिनट इस पर खर्च करते हैं.
फिल्म स्टूडियो का नजरिया यह लगता है कि अगर तुम उन्हें हरा नहीं सकते तो उनके साथ हो लो. मुंबई के करीब हर बड़े स्टूडियो ने, धर्मा की धर्मान्टिक से लेकर वायकॉम18 की टिपिंग पॉइंट प्रोडक्शंस तक, स्ट्रीमिंग के लिए शो या फिल्में बनाने की खातिर अलग शाखा खोल ली है. एक्सेल एंटरटेनमेंट और आरएसवीपी सरीखे कुछ एक ही बैनर के तले दोनों में डुबकी लगा रहे हैं. ओटीटी प्लेटफॉर्म की हिलोर ने सबको काम में डुबो दिया है.
जी5 इंडिया की हिंदी ओरिजिनल की हेड निमिषा पांडे कहती हैं, ''अच्छी कहानियां जुटाना बड़ी चुनौती है. मांग इस तेजी से बढ़ रही है कि इसे पूरा करने की कोशिश में बावले हो जाते हैं. एक बड़ा और अच्छा शो करना काफी नहीं है.’’ जब स्ट्रीम करने वाले माध्यम अपने मौजूदा ग्राहकों को बनाए रखते हुए ग्राहक आधार का विस्तार करने की जद्दोजहद में हों, तो नियमित तौर पर नए प्रोग्रामों की पेशकश ही काफी नहीं.
गुणवत्ता अहम भूमिका निभाती है. कंटेंट अगर रास नहीं आया तो 'कैंसिल सब्स्क्रिप्शन’ पर एक क्लिक का मतलब है खेल खत्म. पांडे कहती हैं, ''आपको दर्शकों को पैसा वसूल कंटेंट देना होगा. और केवल बहुत भारी-भरकम शो देने का ही मत सोचो बल्कि खासी तादाद में और लगातार देने के बारे में सोचो.’’
बढ़ती आकांक्षाएं
ओटीटी दर्शकों की लालसाएं बहुत बड़ी हैं. पुरोहित कहती हैं, यह एक ''सूक्ष्मदर्शी, समझदार दर्शक’’ है जिसकी रुचि तेजी से विकसित हो रही है और अब वह अंतरराष्ट्रीय शो का स्वाद भी ले चुका है. भारतीय नेटफ्लिक्स ग्राहक जापानी एनिमे (एनिमिटेड मूवी का एक प्रकार) चुन सकते हैं, जबकि डिज्नी+हॉटस्टार पर एचबीओ के मेर ऑफ ईस्टटाउन और व्हाइट लोटस के साथ लोकी जैसी हैरतअंगेज सीरीज भी देखने को उपलब्ध हैं.
ओटीटी कंटेंट बनाने वाले प्रमुख स्टूडियो में से एक, ऐप्लॉज एंटरटेनमेंट के सीईओ समीर नायर कहते हैं, ''आपके पास देखने और तुलना करने के लिए दुनियाभर के कंटेंट उपलब्ध हैं. यह तथ्य भारतीय स्ट्रीमर और क्रिएटर्स को अधिक महत्वाकांक्षी बना रहा है.’’ लेकिन ऐसा करने के लिए कल्पना, समय और धन की जरूरत होती है. ऐप्लॉज में, प्रति एपिसोड बजट 1-2 करोड़ रुपए से लेकर 5-6 करोड़ रुपए तक होता है.
सुचेता दलाल और देबाशीष बसु की किताब के अधिकार खरीदने से लेकर पोस्ट-प्रोडक्शन तक- 2020 की सबसे सफल वेब सीरीज में से एक स्कैम 1992: द हर्षद मेहता स्टोरी बनाने में तीन साल लगे. नायर कहते हैं, ''8-10 भाग की सीरीज की कहानी सुनाना, समय खपाऊ और कष्टदायी अनुभव होता है.’’
हिंदी मनोरंजन चैनल स्टार इंडिया के अध्यक्ष, गौरव बनर्जी इससे सहमत हैं. बनर्जी कहते हैं, ''शो का प्रेजेंटेशन टाइम बढ़ गया है. स्वाभाविक है कि उसके कंटेट की गुणवत्ता को एकदम सही रखने पर खर्च भी’’ बढ़ेगा. बनर्जी के लिए, अब आइपीएल ही एसवीओडी की सबसे मूल्यवान संपत्ति नहीं है.
भारत की सबसे बड़ी ओटीटी कंपनी डिज्नी+हॉटस्टार ने हाल ही में 'हर वॉच, टॉप नॉच’ टैगलाइन के तहत 14 नए स्पेशल की घोषणा की. इसकी नवीनतम रिलीज, द एक्वपायर, मुगल सम्राट बाबर पर आधारित पीरियड ड्रामा (ऐतिहासिक कथा) है जो सबूत है कि यह ओटीटी प्लेटफॉर्म किसी कहानी को एक फिल्म जैसे भव्य पैमाने पर प्रस्तुत करने के लिए खर्चने से डरता नहीं है.
ओटीटी प्लेटफॉर्मों का निवेश मनोरंजन उद्योग को बड़े पैमाने पर बदल रहा है. शो के लेखकों के पास प्रोजेक्ट का स्तर तय करने की आजादी है. एक सीरीज बनाने के लिए 'शोरनर (फिल्मों में निर्माता के समकक्ष)’ की अवधारणा लोकप्रिय हो रही है.
भाषा कोई बंधन नहीं है
स्कैम 1992 से सफलता का स्वाद चखने के तुरंत बाद, इसके प्रमुख अभिनेता प्रतीक गांधी ने विट्ठल तीडी में अभिनय किया, जो हाल ही में लॉन्च किए गए गुजराती ओटीटी प्लेटफॉर्म ओहो का पहला शो था. यह पिछले 18 महीनों में लॉन्च हुए कई भाषा-विशिष्ट प्लेटफॉर्मों में से एक था, जिसमें अहा (तेलुगु), नीस्ट्रीम (मलयालम), हीरोज (पंजाबी), कट्टे (कन्नड़) जैसे कुछ नाम शामिल हैं.
डिज्नी+ हॉटस्टर के गौरव बनर्जी का मानना है कि गैर-हिंदी बाजारों से दर्शकों का एक नया विशाल समूह आएगा. वे कहते हैं, ''मुंबई में बैठकर, हमें लगता है कि हिंदी भारत की सबसे बड़ी भाषा है लेकिन यह देश के आधे हिस्से से ही बात करती है. हम शेष आधे से कैसे बात करते हैं?’’ प्लेटफॉर्म पहले ही तमिल और तेलुगु में शो जारी कर चुका है और कई नए शो बना रहा है. फिक्की-ईवाइ की रिपोर्ट कहती है कि 2025 तक ओटीटी प्लेटफॉर्मों पर क्षेत्रीय भाषा की सामग्री की खपत चरम पर होगी, जो कुल खर्च समय के 50 प्रतिशत को पार कर जाएगी.
उज्ज्वल भविष्य
मनोरंजन की दुनिया के अधिकांश क्षेत्रों में राजस्व में गिरावट देखी गई, जबकि 2020 में डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन गेमिंग की कमाई बढ़ी. आरबीएसए सलाहकारों की जुलाई 2021 की एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि भारत में स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं की संख्या 2021 में 76 करोड़ से अधिक हो जाएगी जो चीन के दूसरी सबसे बड़ी संख्या होगी.
जहां भारत के लगभग 70 प्रतिशत लोग मोबाइल पर वीडियो सामग्री देखते हैं, वहीं टीवी सेट की कीमतों में गिरावट हो रही है. स्मार्ट टीवी का बाजार धीरे-धीरे विकसित हो रहा है. 32 इंच के स्मार्ट टीवी की कीमत 2019 में 8,499 रुपए थी जो 2020 में 7,200 रुपये हो गई. सोनीलिव के मुखर्जी का मानना है कि इससे ''गुणवत्ता और कथाओं में एक बड़ा बदलाव’’ आएगा.
एसवीओडी और इंटरनेशनल बिजनेस, वायकॉम18 डिजिटल वेंचर्स के प्रमुख फरजाद पालिया का कहना है कि नवाचार समय की मांग है. पालिया ने कहा, ''हर मंच खुद को औरों से अलग करना चाहता है. अगर आप कुछ भी अलग नहीं करते हैं, तो उपभोक्ता दूर हो जाएंगे.’’
अगस्त में वायकॉम18 ने वूट सेलेक्ट पर अपने लोकप्रिय रियलिटी शो बिग बॉस का एक ओटीटी संस्करण लॉन्च किया जो एवीओडी (विज्ञापन-आधारित वीडियो ऑन डिमांड) प्लेटफॉर्म वूट पर बिग बॉस के घर में हो रही गतिविधियों का 24 घंटे का लाइव फीड चला रहा है. वे कहते हैं, ''हमने [ओटीटी] उद्योग को एक मॉडल दिया है कि कैसे शो से पैसे बनाए जा सकते हैं.’’
हालांकि, ओटीटी की अपनी चुनौतियां भी हैं. सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली फिल्मों और टीवी शो की सफलता को क्रमश: बॉक्स ऑफिस की कमाई और टीआरपी के माध्यम से मापा जा सकता है, लेकिन दर्शकों की संख्या के आंकड़ों को लेकर स्ट्रीमर पारदर्शी नहीं हैं. यह कैसे तय होगा कि कोई शो सफल है या नहीं?
सोनीलिव के मुखर्जी कहते हैं, ''अगर आपको दूसरे सीजन के अनुरोध मिल रहे हैं, तो यह अच्छा संकेतक है.’’ डिज्नी+हॉटस्टार के बनर्जी ओटीटी को एक टी-20 मैच नहीं, बल्कि ''एक लंबा खेल’’ मानते हैं. वे कहते हैं, ‘‘यह एक बच्चा है जो अपनी ताकत पहचानना सीख रहा है और इसने थोड़ा सा दौडऩा भी शुरू कर दिया है.’’
चुनौतियां भी सामने हैं. केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने फरवरी में जो गाइडलाइंस जारी की हैं. उनके अनुसार, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स को दर्शकों की आपत्तियों का निराकरण करने के लिए शिकायत निवारण बोर्ड गठित करना होगा. प्रोग्रामिंग में खुले हाथ से काम करने वाली मलिकाओं को अब नए कार्यक्रमों को लेकर और सचेत होना पड़ेगा.
आल्ट के शो वर्जिन भास्कर की वजह से कपूर पर सौ से ज्यादा केस दर्ज हो चुके हैं. हाल ही में अमेजन प्राइम वीडियो के पॉलिटिकल ड्रामा तांडव को, इसके एक किरदार के भगवान शिव के जैसे परिधान में होने के कारण, विरोध का सामना करना पड़ा. बाद में इस हिस्से को काटा गया. सेंसरशिप के बजाए स्ट्रीमर आत्म अनुशासन पसंद करते हैं. शेरगिल गाइडलाइंस को बाधक नहीं मानतीं. वे कहती हैं, ''हमें विविधतापूर्ण कहानियां सुनाने से कोई भी नहीं रोक रहा है, जो हम कर रहे हैं. ’’
अभी अधिकांश ओटीटी ग्राहक आधार वर्तमान में चार महानगरों और बड़े शहरों में केंद्रित है. इन्हें विकास की अगली लहर टियर-2 और टियर-3 शहरों और ग्रामीण क्षेत्रों में पैदा करनी होगी. उन्हें लुभाकर स्ट्रीमिंग की दुनिया में ले आने की जिम्मेदारी कपूर, पुरोहित और शेरगिल जैसों को निभानी होगी. ये काम पर लग भी चुकी हैं.
एकता कपूर
जॉइंट एमडी, आल्टबालाजी
हर साल औसतन 20 वेब सीरीज तैयार कर रहा. अगले साल 40 के लिए तैयारी
मोनिका शेरगिल
वी-पी, कंटेंट, नेटफ्लिक्स
2019-20 में कंटेंट तैयार करने का बजट 3,000 करोड़ रु. था. 40 टाइटल रिलीज को तैयार.
अपर्णा पुरोहित
हेड, इंडिया ओरिजनल्स, अमेजन प्राइम वीडियो
भारत अमेजन ओरिजनल्स का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. 70 प्रोजेक्ट्से पर काम चल रहा है.