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दहशत और नाउम्मीदीः उत्तर प्रदेश

सभी राज्यों में स्वास्थ्य सेवाएं चरमराईं, अस्पतालों में बिस्तर पाने के लिए हाथ-पैर मार रहे मरीज, कोविड टेस्ट रिपोर्ट आने में कई-कई दिन लग रहे और ऑक्सीजन तथा जरूरी दवाइयों की भारी किल्लत.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज  में बिलखते परिजन
लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज  में बिलखते परिजन
अपडेटेड 12 मई , 2021

उत्तर प्रदेश
लखनऊ के 65 वर्षीय वी.के. श्रीवास्तव 6 अप्रैल को कोविड पॉजिटिव निकले जो उनके लिए सदमा था लेकिन इससे भयावह समय उन्होंने तब देखा जब उन्होंने अपना इलाज कराना चाहा. अस्पताल में भर्ती होने के लिए उन्होंने लखनऊ के कोविड कंट्रोल रूम में बेहिसाब फोन किए पर वे दाखिले की पर्ची नहीं पा सके.

17 अप्रैल को उनका निधन हो गया. जाने-माने इतिहासकार 82 वर्षीय योगेश प्रवीण भी 12 अप्रैल को इसी नियति को प्राप्त हुए. कई घंटे एंबुलेंस का इंतजार करने के बाद उनके घरवाले उन्हें किसी निजी गाड़ी से लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में ले गए, तो डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

लखनऊ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) संजय भटनागर कहते हैं, ''हम दिन-रात मरीज भर्ती करने का प्रयास करते हैं पर बिस्तर तो उपलब्ध होना चाहिए.’’ लखनऊ में 19 अप्रैल को शहर में कोविड से 22 मौतें और संक्रमण के 5,897 नए मामले दर्ज हुए. इस तरह लगातार सातवें दिन संक्रमण के रोजाना 5,000 से अधिक नए मामले दर्ज हुए. उस दिन उत्तर प्रदेश में 28,287 नए मामले और 167 मौत दर्ज हुई थी.

तेजी से हो रही मौतों के कारण अंतिम संस्कार में भी घंटों का इंतजार करना पड़ रहा है. पिछले पखवाड़े से लखनऊ के भैंसा कुंड श्मशान घाट और ऐशबाग कब्रिस्तान में हर रोज 150-180 शव आ रहे हैं. 20 अप्रैल को अपने पिता की अंत्येष्टि करने वाले आदेश अग्रवाल कहते हैं, ''करीब 3-4 घंटे का इंतजार करना पड़ता है. अंत्येष्टि टोकन नंबर के हिसाब से होती है.’’

लखनऊ में 96 अस्पतालों को अब अधिकृत कोविड इलाज केंद्र बना दिया गया है. लेकिन लखनऊ के पूर्व डिप्टी सीएमओ रमेश कुमार वर्मा का कहना है कि मरीज को पहले इंटीग्रेटेड कमांड ऐंड कंट्रोल रूम में संपर्क करके किसी कोविड अस्पताल में दाखिले की पर्ची हासिल करनी पड़ती है. वे कहते हैं, ''इसके बजाय मरीजों का पहले अस्पताल में दाखिला होना चाहिए और उसके बाद कमंड सेंटर को सूचना भेज दी जानी चाहिए.’’

ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर जैसी दवाओं की मांग होने के कारण इनी कालाबाजारी हो रही है. लखनऊ के अमीनाबाद के एक निवासी का कहना है कि 6,000 रु. कीमत के एक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए उनसे सप्लायर ने 40,000 रुपये की मांग की. लखनऊ केमिस्ट एसोसिएशन के सी.एम. दुबे के मुताबिक, ''कोविड की दवाइयां खत्म हो गई हैं या उनकी सीमिति सप्लाई ही है. विटामिन-सी, जिंक और पैरासिटामोल के टैबलेट भी मुश्किल से मिल रहे हैं.’’ 
पॉजिटिव दर (20 अप्रैल)
14.79 %
सक्रिय मामले
305,797
कोविड से मौत
1,432

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