कॉमेडी और मिमिक्री क्षेत्र में महिलाएं कम हैं. इसलिए उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की सलोनी गौड़ के लिए यह क्षेत्र आसान न था. लेकिन उन्होंने अपनी जगह बनाने के लिए मिड्ल क्लास को चुना. उनकी सोच रही है कि देश में मिड्ल क्लास के लोग सबसे ज्यादा हैं और उनकी बात की जाए तो लोग जुड़ सकते हैं. इसमें उन्हें सफलता मिली और उन्होंने अपने वीडियो में मिड्ल क्लास कैरेक्टर रखे.
सलोनी के साथ ओटीटी प्लेटफार्म सोनी लिव ने अनकॉमन सेंस विथ सलोनी शुरू किया है जो उनके लिए एचिवमेंट है. दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान की ग्रेजुएट सलोनी को उनके दोस्त फनी मानते थे. लॉकडाउन ने सलोनी को कॉमेडी के क्षेत्र में अलग जगह दे दी. उन्होंने पूरे लॉकडाउन में रोज वीडियो पोस्ट किया. फुरसत में घर बैठे लोगों ने उसका खूब आनंद लिया और सलोनी की पहुंच बढ़ गई. कम उम्र में सोनी लिव पर शो चलाते हुए उन्हें मजा आ रहा है. यह 20 एपिसोड का है और इसके नौ एपिसोड प्रसारित हो चुके हैं.
सलोनी के लिए समसामयिक मुद्दे पसंदीदा विषय है. वीडियो तो वे 2017 से ही बना रही थीं लेकिन उन्हें कोई देखता नहीं था. 2019 में उनका नजमा आपी काफी हिट रहा. नजमा मौजूं मुद्दों पर बात करती थी. दिल्ली का प्रदूषण हो या सीएए-एनसीआर का मामला, लोगों ने पसंद किया. सलोनी ने एक मां के नजरिए से भी मुद्दों को पेश किया है. कुसुम बहन जी और आशा बहन जी जैसे उनके किरदारों ने भी लोगों का मनोरंजन किया. कंगना रनोट और सोनम कपूर वाले वीडियो भी हिट हुए. लॉकडाउन में रोज वीडियो पोस्ट करने के पीछे उनकी मंशा खुद को इंटरटेन करने की थी. इस दौरान उन्होंने 100 से ज्यादा वीडियो बनाकर लोगों को भी हंसाया. अब जिस तरह से लोग उनके वीडियो और बातों का इंतजार करते हैं उससे सलोनी की जिम्मेदारियां बढ़ गई हैं और वे बिना किसी विवाद के लोगों को हंसाने का प्रयास कर रही हैं.
खाने-पीने के शौकीन
दुनिया भर के भारतीय नामी शेफ विकास खन्ना की शख्सियत से वाकिफ थे. उन्हें सात बार मिशलिन स्टार का खिताब जो मिला है, जिसे खानपान की दुनिया के ऑस्कर की तरह माना जाता है. बराक ओबामा के राष्ट्रपति रहते हुए उन्होंने ह्वाइट हाउस में उनके लिए भारतीय व्यंजन भी पकाया है. व्यंजनों की उनकी किताब उत्सव की विशेष प्रति 30 लाख रु. में बिकी थी. लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने फीड इंडिया अभियान के रूप में एक ऐसी अनूठी पहल की, जिसने उनका नाम हर भारतीय की जबान पर ला दिया.
बीसेक साल पहले न्यूयॉर्क पहुंचे विकास ने वहीं संघर्ष करते हुए धीरे-धीरे अपना रेस्तरां खोला और तेजी से सीखने की प्रवृत्ति के चलते बड़ा नाम और पैसा कमा लिया. उनकी न्यूयॉर्क में ही एक और भव्य रेस्तरां खोलने की तैयारी थी. लेकिन लॉकडाउन के दौरान उन्होंने मैनहटन के अपने फ्लैट में टीवी पर भारत में भूखे-प्यासे लाखों प्रवासी मजदूरों को पैदल सफर करते देखा तो दिल दहल गया. पर दिमाग में करिअर की बड़ी योजनाओं ने उधर से ध्यान खींच लिया. लेकिन चौबीसों घंटे लंगर परोसने वाले स्वर्णमंदिर के शहर अमृतसर में बैठी मां ने यह कहकर उनके जमीर को झकझोर दिया कि उनकी सारी कामयाबी पर इस देश ने जश्न मनाया है और अब जब यहीं के लोग मुश्किल में हैं तो मदद को आना उनका फर्ज है.
विकास के लिए वे जज्बाती पल थे. तुरंत सक्रिय होते हुए उन्होंने उपाय खोजने शुरू किए. ट्विटर पर उनके 23 लाख फॉलोअर्स में से भी कुछ ने सुझाव रखे. अंतत: अपनी फुर्ती और समर्पण के लिए जाने गए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की बटालियनों ने फीड इंडिया अभियान का मोर्चा संभाला. बाद में भारत पेट्रोलियम को भी साथ लिया गया. अपने फ्लैट की दीवारों पर वे विशेष सहायता वाली जगहें नक्शे पर चिन्हित करते, फिर समन्वय शुरू करते. उनके अभियान ने अब तक 5.5 करोड़ खुराक सूखा/पका भोजन, 20 लाख सैनिटरी पैड, 5 लाख चप्पलें और दीवाली पर मिठाई के 10 लाख डिब्बे बांटे.
इस पहल के लिए हाल ही उन्हें मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड, एक्सीलेंस अवार्ड फॉर सर्विस टु ह्युमनिटी और वी द वीमन संस्था का कोविड करेज अवाड दिया गया है. मिशलिन स्टार शेफ विकास के लिए सेवा के ये अवार्ड कहीं ज्यादा वजन रखते हैं.
व्यवस्था विरोधी सुर
छोटी उम्र में ही नेहा सिंह राठौर लोक गायिका के साथ जन गायिका बन गई हैं. वे अपनी गायिकी में जनता के हक की बात करती हैं और व्यवस्था विरोधी गीत गाती हैं. सत्ता के लोग उनके गीत से घबराते हैं. उनकी आवाज को दबाने की कोशिश की जाती है. लेकिन वे एक लोक कलाकार का धर्म निभाते हुए समाज की विसंगतियों को अपनी गायिकी के माध्यम से पेश करने में डटी हुई हैं. यही कोई डेढ़ साल से वे गा रही हैं लेकिन सुर्खियों में आईं वे लॉकडाउन और बिहार चुनाव के दौरान.
उन्होंने अपने गीतों में कोरोना लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की बदहाली और बिहार की व्यवस्था के खिलाफ बिहार में का बा.. पेश किया. लोगों ने पसंद किया और वे जन-जन की आवाज बन गईं. युनिवर्सिटी के मठाधीशों के खिलाफ गरदा कमाल... से हंगामा बरपा और मठाधीशों ने इसे इलाहाबाद युनिवर्सिटी के खिलाफ रंग देने की कोशिश की. मगर नेहा ने स्पष्ट किया कि इसमें सभी युनिवर्सिटी के मठाधीशों के चरित्र हैं. इस समय ग्राम प्रधान पर गाए उनके गीत वायरल हो रहे हैं. एक दिन में इसके दस लाख से ज्यादा व्यूज आए थे. अभी उसके 20 लाख व्यूज और 30,000-35,000 शेयर हुए हैं. बिहार के कैमूर जिले के भभुआ प्रखंड के जंदाहा गांव की रहने वाली नेहा बीएससी ग्रेजुएट हैं. वे नौकरी करने की बजाय लोक गायिका बनकर भोजपुरी लोकगायिकी को नया आयाम देने के लिए काम कर रही हैं. जन जागरूकता फैलाते हुए वे जनसरोकार से जुड़ी रहना चाहती हैं.
उनके गीतों में व्यवस्था के खिलाफ गहरा कटाक्ष होता है. 2020 में वे अपने जन गीतों की वजह से सुर्खियों में आईं. इस एचिवमेंट्स से उनका खुश होना लाजिमी है और वे मानती हैं कि उनकी बातों को जनता समझ रही है और उन्हें पसंद करती है. नेहा ने 2020 के दौरान छह महीने में लगभग 60 गाने लिखे और गाए. उनके हिट गानों में कारखाना बंद हो गईल हमार पिया घरे न अइले हो, कोरोना महामार हो गई और मजदूर पर गीत शामिल हैं. बिहार चुनाव आया तो बिहार में का बा हिट हुआ. अभी उनका का हो प्रधान जी का हाल बा.. काफी चल रहा है. उनके पांच-सात गाने हिट हुए हैं. प्रधानमंत्री के जन्मदिन पर बेरोजगारी दिवस मनाया गया था. वो गाना भी हिट हुआ था बिहार से बेरोजगार बो ल तानी. इसे मनोज वाजपेयी, अनुभव सिन्हा और अनुराग कश्यप ने शेयर किया था.