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बेहद मुश्किल जिम्मेदारी

आत्मनिर्भर भारत योजना के प्रोत्साहन पैकेजों के बावजूद अर्थव्यवस्था में नई जान फूकने की चुनौती बेहद कठिन है

कठिन समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान
कठिन समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान
अपडेटेड 1 फ़रवरी , 2021

इस साल कोविड से तहस-नहस अर्थव्यवस्था को फिर से जिलाने की मुश्किल चुनौती वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के कंधों पर आई. यह चुनौती इस बात से और पेचीदा हो गई कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 की दस्तक से पहले ही लडख़ड़ा रही थी—जीडीपी की वृद्धि दर अन्न्तूबर-दिसंबर 2019 की तिमाही में 4.1 फीसद पर आ गई जो बीते एक दशक की सबसे धीमी वृद्धि दर थी.

अब जब जीडीपी ग्रोथ इस वित्तीय साल की पहली दो तिमाहियों में -23.9 फीसद और -7.5 फीसद के रसातल में चली गई यानी तकनीकी तौर पर अर्थव्यवस्था मंदी के दौर में है. तीसरी तिमाही में वृद्धि के सकारात्मक होने की उम्मीद की जा रही है, पर 5-6 फीसद वृद्धि के इसके रुझान के स्तर पर लौटने में महीनों लग सकते हैं.

इस साल केंद्र ने अर्थव्यवस्था के लिए हाल  के सबसे बड़े प्रोत्साहन उपायों में से एक का ऐलान किया. आपूर्ति पक्ष के इन 20 लाख करोड़ रु. के प्रोत्साहन (आरबीआइ के मौद्रिक उपायों समेत) के दो मुख्य उद्देश्य थे—लॉकडाउन से प्रभावित लोगों की मदद करना और कोविड के बाद की वैश्विक अर्थव्यवस्था में पैदा हुए मैन्युफैक्चरिंग के नए मौकों का लाभ उठाने में भारतीय फर्मों और खासकर सूक्ष्म, छोटे और मध्यम उद्यमों की मदद करना.

वित्त मंत्री की तरफ से घोषित उपायों में शामिल हैं किसान क्रेडिट कार्ड, सरकार की गारंटी के साथ 3 लाख करोड़ रुपए की एक कर्ज योजना, एनबीएफसी और एचएफसी (गैर-बैंकिग वित्तीय कंपनियों और आवास वित्त कंपनियों) के लिए तरलता योजना, नौकरियों के सृजन के लिए एक प्रोत्साहन योजना, उत्पादन से जुड़ी एक मौजूदा प्रोत्साहन योजना का दायरा बढ़ाना, इत्यादि.

देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री सीतारमण के लिए कई चुनौतियां अब भी हैं. इनमें एक यह तो है ही कि मांग और निवेश दोनों में गिरावट जारी है. निजी खपत में वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 11.32 फीसद, और सरकारी खपत में 22.2 फीसद की गिरावट आई. निवेश में वृद्धि भी पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 7.5 फीसद कम थी.

इससे सवाल उठना लाजिमी है कि क्या दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ में आया सुधार छोटे वक्त में कायम रहेगा. एक चुनौती यह भी है कि महामारी ने सरकार के राजस्व निचोड़ लिए हैं और सीधे खर्च के जरिए मांग को बढ़ावा देने की उसकी क्षमता सीमित हो गई है. कुछ लोगों का कहना है कि एकमात्र अच्छी बात कोविड-19 के टीके की खुशखबरी है. पर टीकों को देश भर में पहुंचाने का लॉजिस्टिक इंतजाम बड़ा काम है.

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