कोविड-19 लॉकडाउन के चलते शिक्षा क्षेत्र में अपूर्व संकट आया. गैर-लाभकारी संस्था सेंटर स्क्वायर फाउंडेशन (सीएसएफ) की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत भर में 87 प्रतिशत निजी स्कूलों को लॉकडाउन के दौरान फीस का संग्रह न होने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. कुछ तो बंद ही हो गए.
राज्य सरकारों ने फैसला किया था कि लॉकडाउन लागू रहने तक स्कूल फीस नहीं वसूल सकते. सीएसएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 12 करोड़ छात्र निजी स्कूलों में जाते हैं और यह क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में 1.75 लाख करोड़ रुपये का योगदान देता है.
उच्च शिक्षा क्षेत्र में अधिकांश निजी संस्थान डिजिटल मोड पर चले गए और उन्हें बड़ा वित्तीय तनाव झेलना पड़ा है. कई ऑफलाइन कोचिंग केंद्रों के सामने बंद होने का खतरा मंडरा रहा है और उनके राजस्व में भारी गिरावट आई है. उनमें से बहुतों ने डिजिटल क्लासरूम शुरू किए पर ज्यादा सफल नहीं रहे.
इसी बीच, संकट ने आभासी दुनिया में अवसरों को खोल दिया है. चूंकि नियमित कक्षाएं बंद हो गईं, शिक्षण संस्थानों ने अपनी डिजिटल क्षमताओं को बढ़ाया है. महामारी ने शैक्षिक प्रौद्योगिकी स्टार्ट-अप के लिए एक बड़ा अवसर भी तैयार किया है, जिनकी मांग में भारी वृद्धि देखी गई. भारत के प्रमुख एडु-टेक ऐप्स में से एक बायजूज़ अब डाउनलोड की संख्या के लिहाज से दुनिया के टॉप 10 ऐप्स में से एक है.
5-24 आयु वर्ग (लगभग 50 करोड़) में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश भारत ई-लर्निंग के लिए पहले से ही अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (आइबीइएफ) के अनुसार, ई-लर्निंग क्षेत्र 2021 तक लगभग 95 लाख उपयोगकर्ताओं के साथ 14,479 करोड़ रु. का राजस्व आंकड़ा छू लेगा. एडु-टेक स्पेस में वेंचर कैपिटल 2020 के पहले छह महीनों में बढ़कर 5,873 करोड़ रुपये हो गया, जो साल भर पहले इसी अवधि में 798 करोड़ रु. था.
केस स्टडी
दिव्या गोकुलनाथ, 32 वर्ष
सह-संस्थापक, बायजूज़
सन् 2011 में स्थापित बायजूज़ आज ऑनलाइन सीखने के इच्छुक भारत के छात्रों का सबसे पसंदीदा ऐप है. इसकी एक मजबूत टीम है जो के-10, जेईई, नीट और यूपीएससी की तैयारियां कराने वाले प्रोग्राम्स तैयार करती है. महामारी के दौरान, उन्होंने छात्रों की मदद के लिए कई पहल शुरू की और ऐप पर मौजूद सामग्री सबको मुफ्त उपलब्ध कराई.
बायजूज़ क्लासेस को स्कूल के बाद पढ़ाई की जरूरतों के समाधान प्रदाता के रूप में लॉन्च किया गया था. उसकी सह-संस्थापक दिव्या गोकुलनाथ कहती हैं, ''विश्वसनीय शैक्षिक एप्लीकेशन की युनेस्को की सूची के साथ-साथ छात्रों के लिए सीबीएसई के ऑनलाइन माध्यमों, दोनों की सूची में हम शामिल थे.’’
लॉकडाउन के बाद से 2 करोड़ से अधिक नए छात्र इस प्लेटफॉर्म से जुड़े. गोकुलनाथ बताती हैं, ''यहां बिताया गया औसत समय 71 मिनट रोज से बढ़कर 100 मिनट हो गया है. पहले, छात्र हफ्ते में 2-3 दिन आते थे, अब वे रोज हमारे प्लेटफॉर्म का उपयोग कर रहे हैं.’’ कंपनी की अगले 12 महीनों में इसके सभी व्यवसायों, सामग्री और उत्पाद विकास में कुल मिलाकर 8,000 लोगों को नियुक्त करने की योजना है. वे छात्रों को 'पढ़ाई से हो जाए प्यार’ के अपने दृष्टिकोण के लिए प्रतिबद्ध हैं.
''अधिक विषयों की शुरुआत, अधिक ग्रेड जोडऩा और अधिक भारतीय भाषाओं में आना—ये हमारी तरक्की के तीन प्रमुख वाहक होंगे’’
—साथ में शेली आनंद

