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आवरण कथाः घटती चमक

निर्यात गिर गया है और अब राहत के लिए सेक्टर की नजरें शादियों के सीजन पर हैं

मुश्किलों का सामना तरंग अरोड़ा अपनी फैक्ट्री में
मुश्किलों का सामना तरंग अरोड़ा अपनी फैक्ट्री में
अपडेटेड 3 अक्टूबर , 2020

देश के कुल निर्यात में 15 फीसद की हिस्सेदारी रखने वाला और करीब 48 लाख लोगों को रोजगार देने वाला रत्न और आभूषण क्षेत्र गहरे दबाव में है. जेम्स ऐंड जूलरी एक्सपोटर्स प्रोमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) का कहना है कि अप्रैल-अगस्त, 2020 में 0.45 लाख करोड़ रु. का कुल निर्यात हुआ जो 2019 की इसी अवधि के 0.80 लाख करोड़ रुपए मुकाबले बेहद कम है.


जीजेईपीसी के चेयरमैन कोलिन शाह कहते हैं, ''2019-20 में रत्नों और आभूषणों का निर्यात 2.1 लाख करोड़ रु. का था. इस वित्त वर्ष में निर्यात में करीब 20-25 फीसद की कमी होने का अंदेशा है.'' कोविड-पूर्व काल के मुकाबले खुदरा बिक्री में करीब 20 फीसद की कमी दर्ज की गई है. फैशन जूलरी और 1 लाख रु. से कम कीमत वाली चीजों ने किसी तरह घरेलू व्यापार की सांसें चलाए रखीं. जूलर्स एसोसिएशन-जयपुर के अध्यक्ष संजय काला कहते हैं कि अक्तूबर के मध्य में आने वाले शादी के सीजन से उम्मीद है कि इसमें थोड़ी तेजी आएगी.


इस सेक्टर को पुनर्जीवित करने और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, कारोबारी चाहते हैं कि केंद्र के मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट इंसेंटिव स्कीम (एमईआइएस) के तहत प्रोत्साहन को 31 दिसंबर, 2020 से और आगे बढ़ाया जाए. वे कहते हैं कि सरकार ने ईएसआइसी (एम्प्लॉईज स्टेट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन) के जरिए बेरोजगार कामगारों को तीन महीने के वेतन का 50 फीसद देने की शर्त लगा रखी है, उसमें ढील दी जानी चाहिए. इसमें 15,000 रुपए अधिकतम वेतन की शर्त हटाकर ज्यादा बेरोजगार मजदूरों को लेने का पहलू शामिल है. ठ्ठ

केस स्टडी

तरंग अरोड़ा, 36 वर्ष
क्रिएटिव डायरेक्टर और साझीदार, आम्रपाली ज्वेर्ल्स ग्रुप, जयपुर


भारत में जब लॉकडाउन लगा तो तरंग अरोड़ा के जूलरी डिजाइन स्टुडियो के 1,500 कुशल कामगारों में से एक-तिहाई लोग अपने गांव लौट गए. फिर भी अरोड़ा ने उत्पादन लक्ष्य का 70 फीसद हिस्सा अत्याधुनिक सुविधाओं वाली मशीनरी से पूरा किया. उनके उत्पादों में से थोड़ा ही हिस्सा घरेलू खुदरा खपत के लिए होता है, इसलिए उन्होंने ऐसे क्लाएंट्स की तरफ ध्यान दिया जिन्होंने बड़े पैमाने पर ऑर्डर दिए थे. मसलन, ऑस्ट्रेलियाई जूलरी डिजाइनर सामंथा लो लॉकडाउन के समय जयपुर में ही रहीं और अपने ब्रांड वॉलेरे के लिए जूलरी ली जिसे अरोड़ा ने तैयार किया था.


अरोड़ा ऑटोमेशन अपना रहे हैं. वे कहते हैं, ''मैं ऑनलाइन मार्केटिंग और सेल्स की भी मदद ले रहा हूं, कर्मचारियों की कमी के बावजूद हम क्लाएंट्स से किए वादे पूरे करने की कोशिश कर रहे हैं.'' तरंग बताते हैं कि सरकार आभूषण निर्माताओं को उच्च कोटि के उपकरण उपलब्ध कराकर उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकती है क्योंकि इस क्षेत्र में चीन का एकाधिकार है.

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