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बदल गई भूमिका

यह लांछन बहुत मायूस करने वाला है. मुझे फर्ज निभाते हुए यह संक्रमण हुआ था और लोग इस तरह मुझे बाहर निकाल रहे थे मानो मुझे अभिशाप मिला हो

धैर्य के क्षण केसरिया घर में अपना क्वारंटीन का समय पूरा करते हुए
धैर्य के क्षण केसरिया घर में अपना क्वारंटीन का समय पूरा करते हुए
अपडेटेड 19 जून , 2020

मार्च की 20 तारीख की बात है. वे कोविड के शुरुआती दिन थे, लेकिन मुंबई के वोकहार्ट अस्पताल के डॉ. सुमेध केसरिया पहले से ही तमाम एहतियात बरतते आ रहे थे. उन्होंने खुद को अपने उस मकान के एक कमरे में बंद कर लिया था, जहां वे अपने संयुक्त परिवार के साथ रहते थे. उन्हें विदेश से लौटे या बुखार से ग्रस्त लोगों के स्वाब के नमूने लेने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 27 मार्च को उन्होंने स्वाब के सात नमूने लिए. इस पूरे दौरान वे एन-95 मास्क, रंगीन चश्मा और दोहरी परत के दस्ताने पहने हुए थे. वे याद करते हैं कि एक मरीज में गंभीर लक्षण दिखाई दिए थे. दो दिन बाद केसरिया को जोड़ों में दर्द और बुखार था. 31 मार्च आते-आते तस्दीक हो गई कि वे कोविड पॉजिटिव थे. केसरिया को बाद में पता चला कि उस मरीज की मृत्यु हो गई.

अगले कुछ दिन केसरिया के लिए बुरा सपना साबित हुए. सेवन हिल्स अस्पताल पहुंचने के लिए एंबुलेंस हासिल करने में उन्हें घंटों लगे. वे कहते हैं, ''यह दयनीय था. कोई भी मुझे अस्पताल ले जाने को तैयार नहीं था.'' पुलिस के दखल के बाद दोपहर 11 बजे उन्हें एंबुलेंस मिली. उधर, वे अपने परिवार के लिए मायूस और फिक्रमंद थे, जिनमें कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले एक अंकल भी थे, तो इधर केसरिया का व्हाट्सऐप पर उत्पीड़न होने लगा.

उनका नाम और पता एक से दूसरे समूहों में भेजा जाने लगा और परिवार के सदस्यों को लगातार फोन किए जाने लगे. एक पड़ोसी ने तो सैनिटाइज किए जा रहे उनके घर का वीडियो तक रिकॉर्ड कर लिया. केसरिया कहते हैं, ''यह लांछन बहुत मायूस करने वाला है. मुझे फर्ज निभाते हुए यह संक्रमण हुआ था और लोग इस तरह मुझे बाहर निकाल रहे थे मानो मुझे अभिशाप मिला हो.''

केसरिया को सबसे ज्यादा जद्दोजहद मानसिक तनाव से करनी पड़ी. बस एक ही बार वे अपने मन को शांत कर सके जब उन्हें पता चला कि उनके परिवार में तमाम सदस्यों के वायरस टेस्ट नेगेटिव आए हैं. दो बार नेगेटिव आने के बाद केसरिया को एक हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी मिल गई. हैरानी यह कि वे पड़ोसियों की तालियों के बीच घर लौटे. वे कहते हैं, ''यह जख्म भरने की तरह था.''

केसरिया अभी काम पर नहीं लौटे हैं, लेकिन उन्हें पता है कि लौटने पर उन्हें कोविड वार्ड में ही तैनात किया जाएगा. फिलहाल वे इस बीमारी को समझने की कोशिश कर रहे हैं. वे कहते हैं, ''कोविड जोखिम भरी बीमारी है क्योंकि इसके कई लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम से मिलते हैं.'' पल्मोनरी यानी फेफड़ों के विशेषज्ञ होने के नाते वे कोविड पर लोगों की चिंताएं दूर कर रहे हैं.

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