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आंध्र प्रदेश-बदलती तकदीर

टीडीपी को जहां कम्मा जाति के दबदबे वाली पार्टी के तौर पर देखा जाता है, वहीं वाइएसआरसी को रेड्डी जाति की जनाधार वाली पार्टी माना जाता है. लेकिन दोनों पार्टियों में दूसरी जाति की भी पर्याप्त हिस्सेदारी है.

एन.चंद्रबाबू नायडू
एन.चंद्रबाबू नायडू

पहली बार यहां चुनावी जंग दो क्षेत्रीय पार्टियों—मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली 37 साल पुरानी तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) और वाइ.एस. जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली आठ साल पुरानी युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस (वाइएसआरसी) के बीच होने जा रही है. राष्ट्रीय पार्टियां—कांग्रेस और भाजपा अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं. टीडीपी और वाइएसआरसी का खेल अगर कोई बना या बिगाड़ सकती है तो वह है पहली बार राजनीति में किस्मत आजमा रहे अभिनेता पवन कल्याण की जन सेना.

2014 में उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के घटक के रूप में भाजपा और टीडीपी से हाथ मिला लिया था. लेकिन 2018 में पैंतरा बदलते हुए पवन अब खुद को युवाओं की उम्मीद के प्रतीक के तौर पर पेश कर रहे हैं. टीडीपी को जहां कम्मा जाति के दबदबे वाली पार्टी के तौर पर देखा जाता है, वहीं वाइएसआरसी को रेड्डी जाति की जनाधार वाली पार्टी माना जाता है. लेकिन दोनों पार्टियों में दूसरी जाति की भी पर्याप्त हिस्सेदारी है. पवन कापू जाति के हैं और उनकी अपील अपनी जाति तक सीमित है, हालांकि वे खुद को पूरे आंध्र का नेता बता रहे हैं.

बोली आधारित पहचान के चलते आंध्र प्रदेश में कुछ जातियों का दबदबा है. इनमें प्रमुख रूप से ब्राह्मण (3 फीसद), तटीय क्षेत्रों के कापू और रेड्डी 15.3 फीसद, कम्मा (4.8 फीसद), कोमाटी (2.7 फीसद), क्षत्रिय (1.2 फीसद) और वेलमा (3 फीसद) शामिल हैं. राज्य की कुल आबादी में ऊंची जातियां 21.9 फीसद हैं. पिछड़ी जातियां 46.1 फीसद, अनुसूचित जाति 17 फीसद, आदिवासी 6.6 फीसद, मुस्लिम 9.2 और अन्य अल्पसंख्यक 1.7 फीसद रखते हैं.

2014 के चुनाव में वोटों की हिस्सेदारी में मामूली अंतर होने और उसी समय से नायडू और जगन के अथक चुनाव प्रचार को देखते हुए साफ लग रहा है कि दोनों के बीच कांटे की टक्कर होने जा रही है. सत्ताधारी टीडीपी ने सभी वर्गों का दिल जीतने के लिए लुभावने कार्यक्रम शुरू कर रखे हैं. उसने अमरावती को ग्रीनफील्ड कैपिटल बनाने का प्रयास करके अपना काम दिखाया है. नायडू पोलावरम सिंचाई परियोजना पूरी करने के लिए जनता से दोबारा जनादेश मांग रहे हैं.

दूसरी तरफ जगन सत्ता के खिलाफ नाराजगी का फायदा उठाने की उम्मीद लगाए हुए हैं. साथ ही उन्हें इस बात की भी उम्मीद है कि पिछले साल उन्होंने 3,648 किमी की अपनी प्रजा संकल्प यात्रा के दौरान लोगों से जो संपर्क स्थापित किया था, उसका फायदा उन्हें मिल सकता है. यात्रा में उन्होंने 341 दिनों में प्रदेश के 13 जिलों में 134 विधानसभा क्षेत्रों का दौरा किया था. विधानसभा की 175 सीटों का चुनाव भी साथ होने से जगन और नायडू एक-दूसरे पर कुशासन और भष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. टीडीपी हालांकि सरकार के कल्याण कार्यक्रमों पर भरोसा कर रही है.

लेकिन वह पैसों की किल्लत का सामना कर रहे राज्य को दोबारा खड़ा करने के अवसर का फायदा नहीं उठा पाई है. नायडू प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिम्मेदार ठहराते ठहराकर कह रहे हैं कि ''दिल्ली ने उनके राज्य को विशेष राज्य का दर्जा न देकर अन्याय किया है.'' जगन ने भी  ''निन्नू नक्कमम बाबू' (हमें तुम पर भरोसा नहीं है, बाबू) नारे के साथ चुनावी बिगुल बजा दिया है. 2014 में चुने गए उनके केवल दो सांसदों को ही दोबारा टिकट दिया गया है. बाकी उम्मीदवार नए हैं और उनमें केवल वे ही उम्मीदवार शामिल हैं जिनकी जेबें मोटी हैं. वे वाइएसआरसी के लिए वोट मांगते हुए जनता से अपील कर रहे हैं, ''हमें टीडीपी को दफन करके लोगों को सुशासन देना है.''

सियासी सूरमा

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