लाहौर की कुदसिया मस्जिद में जुटी भारी भीड़ की गहमागहमी जुमे के इस पहर में अचानक थम-सी गई है. मौलाना हाफिज सईद&मुंबई में 26 नवंबर, 2008 के आतंकी हमले का कथित सूत्रधार&बाहर आ चुका है और हर तरफ खामोशी पसरी हुई है. टखनों से थोड़ा ऊपर उठे अपने परिचित सफेद सलवार-कुर्ते में लिपटी उसकी भारी काया चार फुट लंबी एक छड़ी के सहारे खड़ी होती है. उसे कुछ दिनों से रीढ़ में दर्द है. यह दिक्कत हालांकि केवल भ्रम है. अपनी नफीस उर्दू में सईद माइक पर गरजता है, “कश्मीरी भाइयों और बहनों को तुम्हारी जरूरत है. उठो, हमारे साथ आओ और सीधे चुनौती का सामना करो.” जमात-उद-दावा (जेयूडी) के अमीर की बुलंद आवाज हरे रंग के मुख्य हॉल में गूंज रही है, “आप मेरी आवाज सुन रहे हैं? क्या आपको कश्मीरी बहनों और मांओं की चीख-पुकार सुनाई नहीं दे रही है? यह कुछ कर गुजरने का वक्त है. हिंदुस्तान के खिलाफ जेहाद में आप हमारे साथ आएं.”
देशभर से आए करीब 2,000 नौजवान चुपचाप अपने हाथ उठाकर समर्थन देते हैं. सफेद सलवार-कुर्तों का समुद्र हिलोरें मार रहा है.
आज का दिन खास है. आज पाकिस्तान की आजादी की 68वीं सालगिरह है, लेकिन सईद के गुस्से का निशाना यहां से 24 किलोमीटर दूर अंतरराष्ट्रीय सरहद के पार है. वह सरहद, जिसके बारे में सईद का दावा है कि जल्द ही मिट जाएगी. सईद गरजता है, “गजवा-ए-हिंद होकर रहेगा.” यानी भारत के खिलाफ सैन्य अभियान चलेगा जिसमें भारत खत्म हो जाएगा. अपने हाथों से वह छड़ी को लकड़ी के मंच की ओर हिलाते हुए कहता है, “कश्मीर को हथियारबंद जंग से ही आजाद कराया जा सकता है... 1971 का बदला हम तभी ले पाएंगे जब आप हिंदुस्तान, अमेरिका और इज्राएल के खिलाफ हमारे जेहाद में साथ आएंगे.”
बाहर आसमान से बरस रही गर्मी और उमस को कम करने के लिए रेफ्रिजरेटर के आकार के छह टावर एयरकंडिशनर लगाए गए हैं. पाकिस्तान में सईद के सिर पर सबसे बड़ा इनाम है&अमेरिका के विदेश विभाग ने उनके बारे में सूचना देने वाले के लिए 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था, जिसके बाद 2012 में उसकी गिरफ्तारी हुई. उसके दिमाग में अक्सर यह बात घूमती रहती है कि उसे आखिर गिरफ्तार कौन करेगा. वह जहां कहीं जाता है, सूबे की पुलिस उनकी सुरक्षा में होती है. वह बुलेट-और बम-प्रूफ सफेद लैंड क्रूजरों के काफिले में चलता है जो भारत में जेड-प्लस सुरक्षा के लिए दी जाती हैं. एक वाहन में जैमर भी है&ऐसा एंटिना जो रेडियो सिग्नल को नाकाम कर देता है ताकि दूर से कोई विस्फोट न किया जा सके. उसकी सुरक्षा में चौबीसों घंटे 24 खतरनाक से दिखने वाले सुरक्षाकर्मी रहते हैं जो भूरे रंग के सलवार-कुर्ते पहनते हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या उसे एबटाबाद जैसी किसी छापामार कार्रवाई (देखें बातचीत) से डर लगता है, वह कहता है, “भारत तो मेरा पैर भी नहीं छू सकता.” इधर, किसी भारतीय से उसे सबसे ज्यादा चिढ़ हुई है तो वे बॉलीवुड के निर्देशक कबीर खान हैं. पिछले 10 अगस्त को सईद ने लाहौर हाइकोर्ट में याचिका देकर खान निर्देशित प्रतिशोध पर केंद्रित फिल्म फैंटम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, जिसमें उसका किरदार निभा रहे एक अभिनेता की हत्या की गई है. अपने वकील के हवाले से सईद ने बताया कि फिल्म ने जमात-उद-दावा और पाकिस्तान को बदनाम किया है.
इस दौरान 27 जुलाई को गुरदासपुर और 5 अगस्त को ऊधमपुर में हुए आतंकी हमलों से जो ठोस साक्ष्य मिले हैं, वे उस डोजियर का हिस्सा थे जिसे भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को पाकिस्तान के सुरक्षा सलाहकार सरताज अजीज को सौंपना था. नई दिल्ली में 24 अगस्त को दोनों देशों के एनएसए के बीच होने वाली यह वार्ता दो दिन पहले ही रद्द कर दी गई जब पाकिस्तान ने भारत पर “शर्तें थोपने” का आरोप लगाते हुए अपने कदम पीछे खींच लिए.
डोजियर में कराची में दाऊद इब्राहिम के ठिकाने के अलावा ऊधमपुर में बीएसएफ की टुकड़ी पर हमला करने वाले पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद नवेद याकूब से की गई पूछताछ की रिपोर्ट भी शामिल थी. नवेद ने बताया था कि उसे हाफिज सईद के बेटे तल्हा ने पाकिस्तान के हलान से “लॉन्च” किया था ताकि वह जम्मू और कश्मीर में एक बड़ा फिदायीन हमला कर सके.
आतंक के कारखाने
भारत जब भी पाकिस्तान के साथ वार्ता के अपने एजेंडे में आतंकवाद को प्राथमिक समस्या बताता है, तो आम तौर पर उसका मतलब लश्करे तैयबा (एलईटी) की गतिविधियां ही होती हैं. पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक वार्ताओं में भारत एक और पद का इस्तेमाल करता है “इन्फ्रास्ट्रक्चर ऑफ टेरर” यानी आतंक का बुनियादी ढांचा. इसका मतलब पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और वहां के पंजाब सूबे में चलाए जा रहे लश्कर के आतंकी शिविर होते हैं.
उफा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नवाज शरीफ ने 10 जुलाई को संयुक्त रूप से घोषणा की थी कि “आतंकवाद के सभी रूपों पर बात की जाएगी.” इसकी वजह सिर्फ यही थी कि लश्कर जैसी राज्येतर ताकतें बातचीत में बाधा डाल सकती हैं.
गौर तलब है कि भारत की संसद पर 2001 में हुए आतंकी हमले को छोड़ दें जिसे जैश-ए-मोहम्मद ने अंजाम दिया था, तो भारत की धरती पर अधिकतर आतंकी हमले लश्कर ने ही किए हैं.
गृह मंत्रालय के एक आला अधिकारी कहते हैं, “लश्कर सबसे ताकतवर आतंकी खतरा है जिसका हमें सामना करना है और भविष्य में यह किसी भी हमले का स्रोत हो सकता है.”
नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज ऐंड एनालिसिस (आइडीएसए) के सुरिंदर कुमार शर्मा और अंशुमान बेहरा का 2013 का लिखा एक पर्चा कहता है कि लश्कर खतरनाक है क्योंकि उसकी पहुंच और क्षमता अंतरराष्ट्रीय है और उसे लगातार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ, पाकिस्तानी फौज और सऊदी अरब का संरक्षण प्राप्त है.
भारत के लिए परेशानी यह रही है कि लश्कर अब तक हर तूफान को झेलते हुए बचा रहा है. अमेरिका ने 2001 में उसे आतंकी संगठन ठहराया, जिसके बाद उसने अपना नाम जेयूडी रख लिया. फिर उसे मिलने वाली रकम के स्रोत रोके गए. लेकिन वह अब तक कायम है. पेशावर में तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के आतंकियों ने 16 दिसंबर, 2014 को 132 बच्चों की हत्या कर दी तो देश भर में आतंकी समूहों पर हुए ताबड़तोड़ हमले से भी लश्कर बेअसर रहा. पाकिस्तान के अखबारों में 24 अगस्त को वहां के आंतरिक मंत्रालय के नेशनल क्राइसिस मैनेजमेंट सेल की एक अधिसूचना में 61 आतंकी संगठनों की सूची जारी की गई थी. इनमें साठ को प्रतिबंधित कर दिया गया है जिनमें जैश, तहरीक और लश्कर शामिल हैं. सिर्फ एक समूह जेयूडी को “निगरानी के तहत” दिखाया गया था.
भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) के अफसरों का कहना है कि ये हालात बदलने वाले नहीं हैं. लश्कर पाकिस्तान की आइएसआइ का एक अभिन्न अंग है. लश्कर से जुड़े डेविड कोलमैन हेडली ने 2010 में एनआइए के अधिकारियों को अमेरिका में बताया था कि लश्कर का हर नेता, हाफिज सईद भी, आइएसआइ के किसी अफसर की सरपरस्ती में काम करता है ताकि इस गुट पर पाकिस्तानी फौज का नियंत्रण कायम रह सके.
इसकी पुष्टि इस बात से भी होती है कि लश्कर ने कभी भी पलट कर पाकिस्तानी सरकार पर कोई हमला नहीं किया है, जैसा कि लश्करे झांगवी (एलईजे) ने किया था. गौर तलब है कि 16 अगस्त को एलईजे ने अपने मुखिया मलिक इसहाक की “मुठभेड़” में हत्या के खिलाफ पंजाब के पाकिस्तान के गृह मंत्री शुजा खानजादा की हत्या कर दी थी.
एक भारतीय खुफिया जानकार का मानना है कि आज की तारीख में लश्कर किसी भी राज्येतर ताकत से कहीं ज्यादा बड़ा गुट है, जिसका संरक्षण वहां की खुफिया एजेंसी खुद करती है. लेबनान के ईरान समर्थित ताकतवर शिया उग्रवादी समूह से उसकी तुलना करते हुए वे कहते हैं, “लश्कर तीन मुंह वाला एक सियासी-मजहबी संगठन है जिसकी अपनी हथियरबंद इकाई है, इसे आप “सुन्नी हिज्बुल्ला” भी कह सकते हैं.”
जेयूडी की सोशल मीडिया वेबसाइटों पर कुदरती हादसों के दौरान उसके कार्यकर्ताओं द्वारा स्वैच्छिक मदद से संबंधित दुष्प्रचार भरी सामग्री रहती है. जेयूडी का एक प्रवक्ता बताता है कि उसकी मेडिकल विंग के पास 188 एंबुलेंस का बेड़ा है और पाकिस्तान भर में दर्जनों ब्लड बैंक हैं. यह गुट 40,000 से ज्यादा यतीमों और विधवाओं को मासिक नकद राशि और मदद देता है. विधवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाते हैं, यतीमों को मुफ्त में पढ़ाई करवाई जाती है. भारतीय अफसरों के मुताबिक, इस धर्मार्थ काम की आड़ में एक ऐसा तथ्य छिपा है जिससे लोग मोटे तौर पर परिचित हैं. लश्कर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर और पंजाब में 14 आतंकी प्रशिक्षण शिविर चलाता है. युवाओं को पाकिस्तान के गरीब इलाकों से यहां लाया जाता है और उन्हें तीन महीने का फौजी प्रशिक्षण देने के बाद भारत में हमलों के लिए घुसाया जाता है. ऐसा ही एक युवक जिसे हाल में गिरफ्तार किया गया है, वह 21 साल का मोहम्मद नवेद याकूब है जो फैसलाबाद का रहने वाला है और जिसे 5 अगस्त को जम्मू के ऊधमपुर में बीएसएफ के जवानों को ले जा रही बस पर हमले के बाद गिरफ्तार किया गया था. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने उसके पाकिस्तानी होने से इनकार कर दिया है.
जम्मू-कश्मीर में जो विदेशी मूल के 70 आतंकी अब भी सक्रिय हैं, उनमें अधिकतर पाकिस्तानी हैं और लश्कर के हैं. कुल मिलाकर यहां 200 आतंकी सक्रिय हैं जिनमें अधिकतर कश्मीरी मूल के हैं. अकेले लश्कर के पास यह क्षमता है कि वह अपने लड़ाकों को भारत में कहीं भी हमला करने के लिए भेज दे. मुंबई में 26 नवंबर, 2008 को हमला करने वाले 10 आतंकवादियों को कश्मीर में जंग के लिए प्रशिक्षित किया गया था.
पकड़े गए आतंकियों ने यह खुलासा किया है कि नब्बे के दशक के मुकाबले आज की तारीख में आतंकी प्रशिक्षण शिविर कम हो रहे हैं. पहले इनमें सैकड़ों आतंकियों को प्रशिक्षण दिया जाता था. अब ये शिविर छोटे हो गए हैं जहां 50 से कम रंगरूटों को एक बैच में भर्ती किया जाता है. इसके बावजूद यहां से निकलने वाले आतंकियों के खतरनाक होने में कोई शक नहीं है.
लश्कर के तीन संदिग्ध आतंकियों ने 27 जुलाई को पहले एक बस पर हमला किया, फिर रेल पटरी पर विस्फोटक रखे और उसके बाद पंजाब के गुरदासपुर के एक थाने में हमला बोल दिया. उन्हें बाद में मार गिराया गया.
26/11 के मुकदमे में विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम इस हमले का मास्टरमाइंड सईद को ही बताते हैं. इस मामले में तीन दोषी&अजमल कसाब (अकेला आतंकी जिसे 26/11 के हमले में जिंदा पकड़ा गया था), अबू जिंदाल और हेडली ने सईद को लश्कर का सुप्रीमो बताया था. निकम कहते हैं, “कसाब ने हमें बताया था कि सईद इन शिविरों में आता था जहां उसे दूसरे लड़ाकों के साथ प्रशिक्षण दिया जाता और वह उन्हें उपदेश देता था.” पाकिस्तान की प्रतिक्रिया अब तक यही रही है कि सईद का इस हमले से सीधा रिश्ता स्थापित करने वाला कोई सबूत मौजूद नहीं है. उसने इसकी बजाए सैन्य कमांडर जकीउर रहमान लखवी और छह अन्य को 2008 में गिरफ्तार किया था. सात साल बाद आज भी पाकिस्तान में 26/11 की सुनवाई शुरू होनी बाकी है. भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में खटास की यह एक वजह है. लखवी को लाहौर की अदियाला जेल से सात साल बाद पिछले 10 अप्रैल को जमानत पर छोड़ दिया गया.
रंगरूटों की भर्ती ऐसे
हाफिज सईद की हर जुमे पर होने वाली सभा जुम्मा बाजार की ही तरह लाहौर के लिए एक नियमित घटना बन चुकी है, जिसमें मुट्ठियां लहराई जाती हैं और भारत के खिलाफ नफरत भरी बातें कही जाती हैं. इस सभा के बाद हालांकि जो होता है, वह कहीं ज्यादा दिलचस्प है.
सईद के युवा श्रोता सभागार से निकलने के बाद एक लाइब्रेरी के पास जाते हैं जहां जेहादी साहित्य, सईद के व्याख्यानों वाली सस्ती सीडी, इस्लामिक किताबों और टी-शर्टों की बिक्री होती है. टी-शर्ट पर लिखा होता है, “इंडिया का जो यार है, गद्दार है, गद्दार है” और “जेहाद इज माइ लाइफ” (जेहाद मेरी जिंदगी है). छोटी-छोटी मेजों के पीछे बैठे जेयूडी के तीन कार्यकर्ताओं के पास वे जाते हैं. ये युवा अपना नाम, पता, फोन नंबर और शैक्षणिक योग्यता मोटे-मोटे रजिस्टरों में कतार लगाकर दर्ज करते हैं. यह जगह जेयूडी का रोजगार केंद्र कही जा सकती है. इसी कतार में दाढ़ी वाला एक युवक है 21 साल का इस्माइल खान, जो मजबूत देह वाला छह फुट लंबा शख्स है. उसने भी अपनी पैंट टखनों से ऊपर पहन रखी है. खैरपुर के सरकारी कॉलेज से भौतिकी और गणित में स्नातक इस युवा पर सईद के भाषण का असर पड़ा है. वह कहता है कि वह जेयूडी में जाना चाहता है ताकि “अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों को भारत से आजाद करवाने में” अपना किरदार निभा सके. उसे यह नहीं पता कि ये कैसे होगा. एक निम्न मध्यवर्गीय सिंधी परिवार से आने वाला यह युवक कहता है, “मैंने लाहौर आने के लिए 1,300 किलोमीटर लंबा रास्ता तय किया है ताकि मैं जेयूडी को अपनी सेवाएं दे सकूं. मेरे लिए दुआ करें.”
सिंध के खैरपुर जिले में इस्माइल समेत 70 अन्य युवाओं को जेयूडी के एक स्थानीय नेता बस में भरकर यहां ले आए हैं.
खान का यह सफर इस बात का सबूत है कि हाफिज सईद का पाकिस्तान के मध्यम वर्ग और निम्न वर्ग पर कितना असर है, जो इस देश की आबादी का एक-तिहाई है. लश्कर के लिए रंगरूट भर्ती करने का स्थायी तबका भी यही है, जो दो दशक से ज्यादा वक्त तक जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को भेजता रहा है और हाल ही में जिसने मुंबई और गुरदासपुर में हमले किए. इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि जेयूडी हर रंगरूट का मूल्यांकन करता है और फिर तय करता है कि उनकी भूमिका सबसे ज्यादा कहां बनेगी&पाकिस्तान के धर्मादा कामों में या फिर मुजफ्फराबाद के शिविरों में जहां उन्हें भारत के खिलाफ “लॉन्च” किया जाएगा.
पाकिस्तान सरकार के एक वरिष्ठ अफसर मानते हैं कि ये लड़के हमेशा के लिए संगठन के साथ नहीं रहते. वे कहते हैं, “अधिकतर युवा हाफिज सईद के प्रभाव में वहां जाते हैं. वे आतंकवाद में किसी करियर के लिए वहां नहीं जाते. वे धार्मिक विश्वासों, रोमांच और एक उद्देश्यबोध से थोड़ा-थोड़ा प्रेरणा लेकर वहां जाते हैं. अधिकतर रंगरूट सरहद पार लडऩे के दो साल बाद वापस घर लौट आते हैं.”
संगठन के हथियारबंद दस्ते के बारे में पूछे जाने पर सईद नावाकफियत जाहिर करता है. उसके हिसाब से लश्कर कश्मीर की आजादी के लिए लडऩे वाला एक संगठन है. दिलचस्प बात यह है कि सामाजिक काम करने वाले इस धर्मार्थ संगठन जेयूडी के झंडे पर छह स्तंभों पर टिकी एक काली तलवार का चिह्न है. इस्लाम में सिर्फ पांच स्तंभ होते हैं. छठवां स्तंभ वही है जो बार-बार सईद के भाषणों में आता हैः जेहाद.
पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद द्वारा 2011 में पारित एक प्रस्ताव के बाद जेयूडी की परिसंपत्तियों और खातों पर रोक लगा दी थी. न तो इसने और न ही अमेरिका की कार्रवाई ने संगठन के कामकाज पर कोई असर डाला. इसके उलट जेयूडी और उससे जुड़े धर्मार्थ संगठन पाकिस्तान में फैलते ही गए. लाहौर के एक सुरक्षा विशेषज्ञ असद राणा कहते हैं, “यह समूह चैरिटी के माध्यम से पैसे जुटाता है. इसका बड़ा हिस्सा विदेश में रहने वाले पाकिस्तानियों के योगदान से आता है.”
जेयूडी पाकिस्तान में 140 स्कूल चलाता है जहां निःशुल्क शिक्षा, आवास, खाना और मामूली मासिक जेबखर्च दिया जाता है. इसने मुरिदके, बालाकोट, मनशेरा, मुजफ्फराबाद, लाहौर, गुजरांवालां, कराची और हैदराबाद में अत्याधुनिक अस्पताल स्थापित किए हैं जहां आधुनिक चिकित्सकीय उपकरण मौजूद हैं. इन अस्पतालों में निःशुल्क लीवर ट्रांसप्लांट और आंख की लेजर से सर्जरी भी की जाती है. समूह की एक कैंसर अस्पताल खोलने की योजना भी है.
लश्कर से निबटना
जैसा कि बॉलीवुड की फिल्म फैंटम में दिखाया गया है, तकरीबन उसी तर्ज पर लश्कर से निबटने के लिए एक गुप्त ऑपरेशन चलाने की बात पर विचार किया गया था लेकिन 26/11 के हमले के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इस विचार को त्याग दिया. उसके बाद से भारत लगातार जेयूडी-लश्कर के गठजोड़ पर कूटनीतिक और कानूनी कार्रवाई पर जोर देता रहा है.
भारत ने 2008 के बाद से ही तीन सूत्री रणनीति अपनाई है&अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाना और पाकिस्तान के आतंकी समूहों की ओर सबका ध्यान खींचना, मुंबई हमले के षड्यंत्रकारियों को सजा देने के लिए पाकिस्तान को बाध्य करना और चुनी हुई सरकार को बाध्य करना कि वह आतंक का रणनीतिक इस्तेमाल करना छोड़ दे.
इसकी मिलीजुली कामयाबी हासिल हुई है. अमेरिका कई साल से लश्कर पर दबाव बना रहा है और उसने उसके फंड के स्रोतों को रोकने के अलावा उससे संबद्ध संगठनों को आतंकी घोषित किया हुआ है. पिछले साल अमेरिका ने लश्कर के लिए पैसे जुटाने वाले दो अहम लोगों नजीर अहमद चौधरी और मुहम्मद हुसैन गिल को स्पेशली डेजिग्नेटेड ग्लोबल टेररिस्ट करार दिया.
अमेरिका के आतंकवाद और वित्तीय खुफिया विभाग में ट्रेजरी के अंडर सेक्रेटरी डेविड एस. कोहेन ने जून 2014 में वॉशिंगटन में कहा था, “हम एलईटी की वित्तीय बुनियाद को निशाना बनाते रहेंगे ताकि उसकी हिंसक कार्रवाइयों को रोक सकें.”
इस साल जून में भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी से गुहार लगाई कि वह लखवी की रिहाई पर पाकिस्तान से सवाल करे. यह कमेटी सभी देशों के लिए प्रावधान करती है कि वे अल कायदा से जुड़े व्यक्तियों या इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई करें. मामला कमेटी के सामने आया तो चीन ने इसे “तकनीकी” कारणों से रुकवा दिया.
पाकिस्तान में भारत के पूर्व उच्चायुक्त जी. पार्थसारथी ऐसे कदम उठाने के लिए कहते हैं जिनसे सईद का खुलकर घूमना-फिरना और नफरत फैलाना मुश्किल हो जाए. वे कहते हैं, “उसे भी छुपने के लिए मजबूर कर दिया जाना चाहिए, जैसा कि दाऊद इब्राहिम के साथ किया गया है. इसका उसके ऊपर और उसके मानने वालों पर मनोवैज्ञानिक असर होगा.”
प्रधानमंत्री मोदी की हाल में हुई यूएई की यात्रा में भारत को एक छोटी सी कूटनीतिक जीत बेशक हासिल हुई है. भारत और यूएई ने 16 अगस्त को जो साझा बयान जारी किया, उसने पाकिस्तान के भीतर घबराहट पैदा कर दी. इस साझा बयान में पाकिस्तान का नाम छोड़कर बाकी सब कुछ था, जिसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बनी कि “हर किस्म के आतंकवाद की निंदा और त्याग, चाहे जहां कहीं और किसी के भी द्वारा किया गया हो, सभी राष्ट्रों से आह्वान कि दूसरे देशों के खिलाफ आतंक के इस्तेमाल को छोड़ दें, जहां कहीं आतंक का ढांचा हो उसे नष्ट करें और आतंक पैदा करने वालों को सजा दी जाए.” इस बयान ने कम से कम आतंकवाद के मसले पर ताकतवर गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल के एक सदस्य से पाकिस्तान को अलग-थलग कर दिया है. बीजेपी के नेता शेषाद्रि चारी कहते हैं, “आतंकवाद के मसले पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग-थलग कर देने की दिशा में एनडीए सरकार का यह सबसे बड़ा कदम है.”
इतना तो तय है कि हाफिज सईद और उसके गुर्गों से निबटने में अकेले कूटनीति काम नहीं आने वाली.
पाकिस्तानी आतंक: जेहाद की जोरदार तैयारी
पाकिस्तान से द्विपक्षीय वार्ता शुरू होने की नौबत नहीं आ रही, जबकि जमात-उद-दावा का मुखिया हाफिज सईद हुक्मरानों की पोशीदा शह से आतंकियों का तंत्र मजबूत करने में जुटा, जो दोनों देशों के बीच अगली जंग की वजह बन सकता है.

अपडेटेड 11 सितंबर , 2015
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