सोमवार, 5 अगस्त को दोपहर ढाई बजे लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री निवास की ओर जाने वाले कालिदास मार्ग को विपक्षी पार्टियों के नेताओं, कार्यकर्ताओं ने घेर रखा था. हाथों में झंडे लिए ये प्रदर्शनकारी निलंबित आइएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के पक्ष में नारे और सरकार से निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे थे. ऐसी सभी गतिविधियों पर नजर जमाए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अपने सरकारी आवास 5, कालिदास मार्ग पर अधिकारियों के साथ सूबे में शुरू होने वाली कई नई योजनाओं को अंतिम रूप देने में व्यस्त थे. इसी दौरान अखिलेश यादव ने इंडिया टुडे की सीनियर एडिटर भावना विज अरोड़ा और प्रमुख संवाददाता आशीष मिश्र से प्रदेश के ताजातरीन राजनैतिक हालात पर विस्तार से चर्चा की. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः
आपके मुख्यमंत्री बनने पर जनता ने बहुत उम्मीदें लगाई थीं. लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार बनने के 17 महीने बाद लोग मायूस हैं. उन्हें लगता है कि प्रदेश में गुंडा राज लौट आया है?
यह सरासर गलत धारणा है. सपा सरकार बनने के बाद से सड़क, आइटी, कृषि, स्वास्थ्य और डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हुआ है. इन विकास कार्यों की कोई चर्चा नहीं कर रहा. मैंने चुनाव में छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वादा किया था जो बखूबी पूरा किया जा रहा है. यूपी एक बड़ा राज्य है इस कारण यहां कई समस्याएं भी हैं जिन्हें दूर करने में थोड़ा वक्त लगेगा. विकास ही अब यूपी की पहचान बनेगा.
अब कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद से 100 के करीब सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के समय तो एक भी नहीं हुआ था?
मैं मानता हूं कि कुछ जगहों पर तनाव हुआ है लेकिन उनकी वजह खराब कानून व्यवस्था नहीं थी. छोटी-सी बात को बड़ा बनाने में विपक्षी पार्टियों की बड़ी भूमिका है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) घटना करती है और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) उसका साथ देती है. यही पार्टियां यूपी में गुंडाराज होने का कुप्रचार कर रही हैं.
आपकी सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप भी लग रहे हैं. यह कहा जा रहा है कि सपा 2014 के लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है?
मुसलमानों ने सपा के लिए बहुत किया है. मेरी सरकार या सपा मुसलमानों का तुष्टीकरण नहीं कर रही. यह वह तबका है जो समाज में दूसरों के मुकाबले काफी पिछड़ा है. हम सिर्फ इन्हें बराबरी पर खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
दुर्गा के निलंबन की असली वजह खनन माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई को माना जा रहा है जबकि आपकी सरकार ने उन पर मस्जिद की दीवार गिराने का आरोप लगाकर मुसलमानों की सहानुभूति पाने की कोशिश की है?
सच्चाई यही है कि दुर्गा के निलंबन की इकलौती वजह रजमान के महीने में मस्जिद की दीवार गिराने की कार्रवाई ही थी. यह कार्रवाई करने में इस आइएएस अधिकारी ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया. अगर वहां कोई अवैध निर्माण हो रहा था तो पहले नोटिस देना चाहिए था. उसके बाद आगे की कार्रवाई करनी चाहिए थी. यह एक संवेदनशील विषय था, जिससे बेहद गैर-जिम्मेदाराना ढंग से निबटा गया. इससे इलाके में शांति भंग होने की आशंका थी. जहां तक खनन का विषय है, इसके खिलाफ कार्रवाई करने से दुर्गा को कभी भी रोका नहीं गया.
सरकारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बेहद शांतिपूर्ण ढंग से मस्जिद की दीवार ढहाई गई और इससे कानून-व्यवस्था बिगडऩे की कोई आशंका नहीं थी?
मुझे पक्की जानकारी है कि दुर्गा गांव में बुलडोजर, फायर ब्रिगेड लेकर गई थीं. उन्होंने गांव में घोषणा की थी कि जब तक मस्जिद की दीवार गिर नहीं जाती वह गांव में ही रहेंगी, चाहे इसके लिए दो-तीन दिन तक क्यों न रहना पड़े. गांववालों ने इसके खिलाफ अगले दिन पंचायत का ऐलान किया था. अगर पंचायत में वे कोई सख्त फैसला ले लेते तो कौन जवाब देता.
क्या आपको पता था कि दुर्गा के निलंबन का मामला इतना तूल पकड़ेगा?
मुझे इस बात की कतई आशंका नहीं थी कि यह मामला इस स्तर तक पहुंच जाएगा. असल में दुर्गा के निलंबन से दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने यूपी में मनरेगा के पैसे के कम खर्च होने की बात कही थी. तभी मैंने प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास से उन 10 जिलों की सूची लाने को कहा जिनका प्रदर्शन मनरेगा में सबसे खराब है. मैंने इन 10 जिलों में से दो के डीएम और सीडीओ को तुरंत निलंबित करने का आदेश भी दिया.
यही नहीं एक आदेश आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के निलंबन का भी दिया जो जिले में ‘‘इनर सर्किल रोड’’ के निर्माण में लापरवाही कर रहे थे. उपाध्यक्ष के निलंबन पर तो मुख्य सचिव के हस्ताक्षर भी हो गए थे. इसके अलावा एक अन्य आइएएस अधिकारी के बारे में अपने कार्यालय में सबके सामने सिगरेट पीने की शिकायतें मिल रही थीं. इन सभी को दुर्गा के साथ ही निलंबित किया जाना था लेकिन दुर्गा का निलंबन का आदेश जारी कर अगले ही दिन में बंगलुरू चला गया और जब लौट कर आया तो इस मामले ने काफी तूल पकड़ रखा था. अगर ये सारे अफसर क्रम से निलंबित होते तो इतना बवाल नहीं होता. अब दुर्गा की वजह से इनका निलंबन रुक गया क्योंकि अब ऐसा करूंगा तो लोग कहेंगे कि मैं आइएएस के पीछे पड़ गया हूं. दुर्गा के एक महिला अधिकारी होने और दिल्ली के नजदीक तैनाती होने की वजह से मीडिया ने इस प्रकरण को जमकर उछाला.
लेकिन आपके फैसले से सूबे के आइएएस अधिकारी भी इत्तेफाक नहीं रखते. आइएएस एसोसिएशन ने भी दुर्गा के समर्थन में कई स्तर पर प्रयास किए?
पिछली मायावती सरकार में एक प्रमुख सचिव की उनके घर पर संदिग्ध मौत हो गई थी तो यही आइएएस अधिकारी अपने सहयोगी के पक्ष में बोलने की हिम्मत तक न जुटा पाए थे. पिछले दिनों मैं उन्नाव गया था. मैंने वहां के डीएम से कहा कि मुझे वहां उस गेहूं खरीद केंद्र पर ले चलो जहां सबसे अच्छा काम हो रहा हो. डीएम ने मुझे बताया कि उसने एक भी केंद्र का निरीक्षण नहीं किया है. मेरे पास वाजिब वजह थी उसे मौके पर निलंबित करने की लेकिन डीएम ने तुरंत गलती मान ली और मैंने उसे माफ कर दिया. शायद यह मेरी गलती है. मुझे अधिकारियों को पहले से ही ठीक करके रखना चाहिए था.
आपके मुख्यमंत्री बनने पर जनता ने बहुत उम्मीदें लगाई थीं. लेकिन प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार बनने के 17 महीने बाद लोग मायूस हैं. उन्हें लगता है कि प्रदेश में गुंडा राज लौट आया है?
यह सरासर गलत धारणा है. सपा सरकार बनने के बाद से सड़क, आइटी, कृषि, स्वास्थ्य और डेयरी फार्मिंग के क्षेत्र में बहुत अच्छा काम हुआ है. इन विकास कार्यों की कोई चर्चा नहीं कर रहा. मैंने चुनाव में छात्रों को मुफ्त लैपटॉप देने का वादा किया था जो बखूबी पूरा किया जा रहा है. यूपी एक बड़ा राज्य है इस कारण यहां कई समस्याएं भी हैं जिन्हें दूर करने में थोड़ा वक्त लगेगा. विकास ही अब यूपी की पहचान बनेगा.
अब कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. प्रदेश में सपा सरकार बनने के बाद से 100 के करीब सांप्रदायिक दंगे हो चुके हैं जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के समय तो एक भी नहीं हुआ था?
मैं मानता हूं कि कुछ जगहों पर तनाव हुआ है लेकिन उनकी वजह खराब कानून व्यवस्था नहीं थी. छोटी-सी बात को बड़ा बनाने में विपक्षी पार्टियों की बड़ी भूमिका है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) घटना करती है और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) उसका साथ देती है. यही पार्टियां यूपी में गुंडाराज होने का कुप्रचार कर रही हैं.
आपकी सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के आरोप भी लग रहे हैं. यह कहा जा रहा है कि सपा 2014 के लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का वोट पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है?
मुसलमानों ने सपा के लिए बहुत किया है. मेरी सरकार या सपा मुसलमानों का तुष्टीकरण नहीं कर रही. यह वह तबका है जो समाज में दूसरों के मुकाबले काफी पिछड़ा है. हम सिर्फ इन्हें बराबरी पर खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. इस पर किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
दुर्गा के निलंबन की असली वजह खनन माफिया के खिलाफ की गई कार्रवाई को माना जा रहा है जबकि आपकी सरकार ने उन पर मस्जिद की दीवार गिराने का आरोप लगाकर मुसलमानों की सहानुभूति पाने की कोशिश की है?
सच्चाई यही है कि दुर्गा के निलंबन की इकलौती वजह रजमान के महीने में मस्जिद की दीवार गिराने की कार्रवाई ही थी. यह कार्रवाई करने में इस आइएएस अधिकारी ने परिपक्वता का परिचय नहीं दिया. अगर वहां कोई अवैध निर्माण हो रहा था तो पहले नोटिस देना चाहिए था. उसके बाद आगे की कार्रवाई करनी चाहिए थी. यह एक संवेदनशील विषय था, जिससे बेहद गैर-जिम्मेदाराना ढंग से निबटा गया. इससे इलाके में शांति भंग होने की आशंका थी. जहां तक खनन का विषय है, इसके खिलाफ कार्रवाई करने से दुर्गा को कभी भी रोका नहीं गया.
सरकारी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि बेहद शांतिपूर्ण ढंग से मस्जिद की दीवार ढहाई गई और इससे कानून-व्यवस्था बिगडऩे की कोई आशंका नहीं थी?
मुझे पक्की जानकारी है कि दुर्गा गांव में बुलडोजर, फायर ब्रिगेड लेकर गई थीं. उन्होंने गांव में घोषणा की थी कि जब तक मस्जिद की दीवार गिर नहीं जाती वह गांव में ही रहेंगी, चाहे इसके लिए दो-तीन दिन तक क्यों न रहना पड़े. गांववालों ने इसके खिलाफ अगले दिन पंचायत का ऐलान किया था. अगर पंचायत में वे कोई सख्त फैसला ले लेते तो कौन जवाब देता.
क्या आपको पता था कि दुर्गा के निलंबन का मामला इतना तूल पकड़ेगा?
मुझे इस बात की कतई आशंका नहीं थी कि यह मामला इस स्तर तक पहुंच जाएगा. असल में दुर्गा के निलंबन से दो दिन पहले केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश का एक बयान आया था जिसमें उन्होंने यूपी में मनरेगा के पैसे के कम खर्च होने की बात कही थी. तभी मैंने प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास से उन 10 जिलों की सूची लाने को कहा जिनका प्रदर्शन मनरेगा में सबसे खराब है. मैंने इन 10 जिलों में से दो के डीएम और सीडीओ को तुरंत निलंबित करने का आदेश भी दिया.
यही नहीं एक आदेश आगरा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के निलंबन का भी दिया जो जिले में ‘‘इनर सर्किल रोड’’ के निर्माण में लापरवाही कर रहे थे. उपाध्यक्ष के निलंबन पर तो मुख्य सचिव के हस्ताक्षर भी हो गए थे. इसके अलावा एक अन्य आइएएस अधिकारी के बारे में अपने कार्यालय में सबके सामने सिगरेट पीने की शिकायतें मिल रही थीं. इन सभी को दुर्गा के साथ ही निलंबित किया जाना था लेकिन दुर्गा का निलंबन का आदेश जारी कर अगले ही दिन में बंगलुरू चला गया और जब लौट कर आया तो इस मामले ने काफी तूल पकड़ रखा था. अगर ये सारे अफसर क्रम से निलंबित होते तो इतना बवाल नहीं होता. अब दुर्गा की वजह से इनका निलंबन रुक गया क्योंकि अब ऐसा करूंगा तो लोग कहेंगे कि मैं आइएएस के पीछे पड़ गया हूं. दुर्गा के एक महिला अधिकारी होने और दिल्ली के नजदीक तैनाती होने की वजह से मीडिया ने इस प्रकरण को जमकर उछाला.
लेकिन आपके फैसले से सूबे के आइएएस अधिकारी भी इत्तेफाक नहीं रखते. आइएएस एसोसिएशन ने भी दुर्गा के समर्थन में कई स्तर पर प्रयास किए?
पिछली मायावती सरकार में एक प्रमुख सचिव की उनके घर पर संदिग्ध मौत हो गई थी तो यही आइएएस अधिकारी अपने सहयोगी के पक्ष में बोलने की हिम्मत तक न जुटा पाए थे. पिछले दिनों मैं उन्नाव गया था. मैंने वहां के डीएम से कहा कि मुझे वहां उस गेहूं खरीद केंद्र पर ले चलो जहां सबसे अच्छा काम हो रहा हो. डीएम ने मुझे बताया कि उसने एक भी केंद्र का निरीक्षण नहीं किया है. मेरे पास वाजिब वजह थी उसे मौके पर निलंबित करने की लेकिन डीएम ने तुरंत गलती मान ली और मैंने उसे माफ कर दिया. शायद यह मेरी गलती है. मुझे अधिकारियों को पहले से ही ठीक करके रखना चाहिए था.