भारत में गूगल के कई एम्प्लॉई, नोबेल पुरस्कार विजेता बायोलॉजिस्ट फ्रांसिस क्रिक और कॉमेडियन जॉन बेलूशी में क्या समानता है? ये सभी टाइप-टी यानी जोश से भरपूर शख्सियत हैं: यानी रोमांच प्रेमी, जोखिम उठाने वाले और कुछ कर दिखाने वाले. गूगल इंडिया में एकाउंट प्लानर 24 वर्षीया शेफाली अरोड़ा कहती हैं, ‘‘हां, ‘टी’ मेरे लिए बड़ा फैक्टर है. मैं लगातार अपने टी-स्किल्स को अपग्रेड करने की कोशिश में लगी रहती हूं.’’
गूगल इंडिया अपने स्टाफ को रोमांच के ढेरों मौके मुहैया कराती है. अरोड़ा का गूगल का सफर 2011 में शुरू हुआ. मौका उनके बिजनेस स्कूल की ओर से कान एडवर्टाइजिंग फेस्टिवल था. वहीं उनकी मुलाकात कुछ लोगों से हुई. वे बताती हैं, ‘‘मैं एडवर्टाइजिंग की दुनिया से ज्यादा, उन लोगों से प्रभावित हुई. उन लोगों के पास बात करने के रोचक विषय थे और वे ज्यादा मिलनसार थे.’’
ग्रेजुएशन पूरी होने वाली थी और जब उनके क्लासमेट एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग में जॉब खोज रहे थे, उस वक्त शेफाली ने गूगल की करियर साइट पर अपना बायोडाटा अपलोड कर दिया. कुछ ही दिन में वे अपने सपनों की कंपनी में काम कर रही थीं. वे यहां डेढ़ साल से हैं और उन्होंने हर मिनट का मजा लिया है क्योंकि हर पल उन्हें दूसरों की जिंदगी से जुडऩे का मौका जो मिलता है. वे कहती हैं, ‘‘मुझे उस समय बेहद खुशी हुई जब बाढग़्रस्त उत्तराखंड की मदद करने के मेरे सुझावों को गंभीरता से लिया गया. एम्प्लॉइज ने कदम बढ़ाए और गूगल इंडिया ने गूंज नाम के एनजीओ से टाइअप कर लिया.’’
बिजनेस टुडे के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, एम्प्लॉइज की बात का ध्यान रखने वाला यह वर्क कल्चर ही गूगल इंडिया को काम करने के लिहाज से बेस्ट कंपनी बनाता है. गुडग़ांव स्थित यह इन्फोटेक कंपनी अपने करीब 2,000 एम्प्लॉइज को काम के दौरान उनकी हॉबी को पूरा करने के लिए 20 परसेंट जॉब्स नाम के कॉन्सेप्ट से प्रोत्साहित करती है. यानी एम्प्लॉई अपना 80 फीसदी समय काम से जुड़ी अपनी मुख्य जिम्मेदारियों पर खर्च करें और बाकी का 20 फीसदी अपनी हॉबी को पूरा करने में लगाएं.
जैसे एडवर्ड्स एसोसिएट राजनील कामत ने जब कंपनी के विशेष हैंगआउट इवेंट्स की मेजबानी शुरू की, तब उन्हें अपनी खास दिलचस्पी को पूरा करने का मौका मिला. उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हैंगआउट से शुरुआत की और उसके बाद कई बड़ी शख्सियतों जैसे सलमान खान और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के हैंगआउट हैंडल किए.
मोदी का हैंगआउट मार्च में बिग टेंट एक्टिवेट समिट का हिस्सा था जिसमें भारत पर इंटरनेट के प्रभाव पर चर्चा करने के एक मंच पर कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय जानकार जुटे. कामत कहते हैं, ‘‘मेरी मार्केटिंग में दिलचस्पी है और जब मैंने नरेंद्र मोदी के साथ गूगल प्लस हैंगआउट को हैंडल करने के लिए वॉलंटियर किया और मुझे इसकी मंजूरी मिल गई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जब मैं कंपनी से बाहर के अपने दोस्तों से बात करता हूं तो खुद को उनसे कहीं ज्यादा खुशकिस्मत पाता हूं.’’
गूगल अपने एम्प्लॉइज को इसी तरह फोकस रखती है. कंपनी के आला अधिकारी कहते हैं कि कंपनी का उद्देश्य एम्प्लॉइज की रुचि का फायदा कंपनी के लिए उठाने और उनका अपनी जिम्मेदारियों पर फोकस बनाए रखना है. गूगल इंडिया में हेड ऑफ पीपल ऑपरेशंस (सेल्स) शरद गोयल कहते हैं, ‘‘हम समृद्ध संस्कृति और विविधता के साथ-साथ ऐसे लोग चाहते हैं जो अलग-अलग हुनर से लैस हों और इन सबसे ऊपर वे अपनी दिलचस्पी की तहेदिल से परवाह करते हों और उसे आगे बढ़ाना चाहते हों.’’ वे कहते हैं, ‘‘दूसरी कंपनियों के उलट हम लोगों को अपने यहां काम पर रखकर उन्हें निठल्ला नहीं बैठने देते. हमारे दिमाग में हरेक के लिए खास जिम्मेदारी और भूमिका होती है.’’
इस सोच के पीछे कंपनी की मजबूत कारोबारी सोच है. गूगल इंडिया लगातार नए तरह के प्रोजेक्ट के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है. मसलन, इसका वाउ (डब्ल्यूओडब्ल्यू) नाम का प्रोजेक्ट है जो महिला उद्यमियों को अपनी ऑनलाइन मौजूदगी बढ़ाने में मदद करता है और एक जी प्लस प्रोजेक्ट है जिसके तहत लोग खेल, राजनीति, शिक्षा और मनोरंजन पर डायलॉग कर सकते हैं.
इस वजह से कंपनी का कारोबार अच्छा रहा है. जैसे एडवर्ड्स एसोसिएट मोहिता माथुर अब तक बिग टेंट एक्टिवेट समिट को लेकर उत्साहित हैं जिसे आयोजित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस 22 वर्षीया एम्प्लॉइ ने गूगल इंडिया के वॉलंटियर्स की मदद से बच्चों को पढ़ाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है.
जॉब में हॉबी का मजा लेने वाली माथुर अकेली नहीं हैं. एडवर्ड्स एसोसिएट संजोली चौहान ने 2011 में एड टीम में काम शुरू किया था लेकिन वे सिर्फ एडवर्टाइजिंग का काम ही नहीं देख रही हैं. वे अपने 20 पर्सेंट वाली दिलचस्पी से जुड़े काम को लेकर भी उतनी ही उत्साहित हैं जिसमें वे गूगल के साथ बड़ी-बड़ी हस्तियों के सेशंस का आयोजन और मेजबानी करती हैं. हमेशा से उनकी दिलचस्पी ड्रमैटिक्स में रही है और इस तरह वे अपने शौक को पूरा कर पा रही हैं.
गूगल इंडिया अपने एम्प्लॉइज के प्रोफेशनल स्किल्स को भी निखार देती है. चौहान ने अपने मैनेजीरियल स्किल को निखारने के उद्देश्य से अपने मैनेजर से बात की और उन्हें आइआइएम-कलकत्ता के एक्जीक्यूटिव एमबीए प्रोग्राम में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया. इसमें कोई हैरत नहीं कि युवा ग्रेजुएट तेजी से गूगल इंडिया की ओर खिंचे चले आ रहे हैं.
माथुर कहती हैं, ‘‘कॉलेज में मुझे कुछ अंदाजा नहीं था. मेरे दोस्तों ने मुझे अप्लाइ करने को कहा.’’ शुरुआत में उनकी दिलचस्पी नहीं थी. फिर उन्हें गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज के बारे में ‘कूल’ लेख पढऩे को मिला जिसने उन पर छाप छोड़ी. वे बताती हैं, ‘‘लैरी पेज बड़े आयोजन में सिर्फ टी शर्ट और शॉर्ट्स में टहलते हुए पहुंच गए थे. जब मैंने गूगल कैंपस के बारे में जाना तब समझ आया कि मुझे जाना कहां है.’’
गूगल इंडिया अपने स्टाफ को रोमांच के ढेरों मौके मुहैया कराती है. अरोड़ा का गूगल का सफर 2011 में शुरू हुआ. मौका उनके बिजनेस स्कूल की ओर से कान एडवर्टाइजिंग फेस्टिवल था. वहीं उनकी मुलाकात कुछ लोगों से हुई. वे बताती हैं, ‘‘मैं एडवर्टाइजिंग की दुनिया से ज्यादा, उन लोगों से प्रभावित हुई. उन लोगों के पास बात करने के रोचक विषय थे और वे ज्यादा मिलनसार थे.’’
ग्रेजुएशन पूरी होने वाली थी और जब उनके क्लासमेट एडवर्टाइजिंग और मार्केटिंग में जॉब खोज रहे थे, उस वक्त शेफाली ने गूगल की करियर साइट पर अपना बायोडाटा अपलोड कर दिया. कुछ ही दिन में वे अपने सपनों की कंपनी में काम कर रही थीं. वे यहां डेढ़ साल से हैं और उन्होंने हर मिनट का मजा लिया है क्योंकि हर पल उन्हें दूसरों की जिंदगी से जुडऩे का मौका जो मिलता है. वे कहती हैं, ‘‘मुझे उस समय बेहद खुशी हुई जब बाढग़्रस्त उत्तराखंड की मदद करने के मेरे सुझावों को गंभीरता से लिया गया. एम्प्लॉइज ने कदम बढ़ाए और गूगल इंडिया ने गूंज नाम के एनजीओ से टाइअप कर लिया.’’
बिजनेस टुडे के ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, एम्प्लॉइज की बात का ध्यान रखने वाला यह वर्क कल्चर ही गूगल इंडिया को काम करने के लिहाज से बेस्ट कंपनी बनाता है. गुडग़ांव स्थित यह इन्फोटेक कंपनी अपने करीब 2,000 एम्प्लॉइज को काम के दौरान उनकी हॉबी को पूरा करने के लिए 20 परसेंट जॉब्स नाम के कॉन्सेप्ट से प्रोत्साहित करती है. यानी एम्प्लॉई अपना 80 फीसदी समय काम से जुड़ी अपनी मुख्य जिम्मेदारियों पर खर्च करें और बाकी का 20 फीसदी अपनी हॉबी को पूरा करने में लगाएं.
जैसे एडवर्ड्स एसोसिएट राजनील कामत ने जब कंपनी के विशेष हैंगआउट इवेंट्स की मेजबानी शुरू की, तब उन्हें अपनी खास दिलचस्पी को पूरा करने का मौका मिला. उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के हैंगआउट से शुरुआत की और उसके बाद कई बड़ी शख्सियतों जैसे सलमान खान और वित्त मंत्री पी. चिदंबरम के हैंगआउट हैंडल किए.
मोदी का हैंगआउट मार्च में बिग टेंट एक्टिवेट समिट का हिस्सा था जिसमें भारत पर इंटरनेट के प्रभाव पर चर्चा करने के एक मंच पर कई भारतीय और अंतरराष्ट्रीय जानकार जुटे. कामत कहते हैं, ‘‘मेरी मार्केटिंग में दिलचस्पी है और जब मैंने नरेंद्र मोदी के साथ गूगल प्लस हैंगआउट को हैंडल करने के लिए वॉलंटियर किया और मुझे इसकी मंजूरी मिल गई तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. जब मैं कंपनी से बाहर के अपने दोस्तों से बात करता हूं तो खुद को उनसे कहीं ज्यादा खुशकिस्मत पाता हूं.’’
गूगल अपने एम्प्लॉइज को इसी तरह फोकस रखती है. कंपनी के आला अधिकारी कहते हैं कि कंपनी का उद्देश्य एम्प्लॉइज की रुचि का फायदा कंपनी के लिए उठाने और उनका अपनी जिम्मेदारियों पर फोकस बनाए रखना है. गूगल इंडिया में हेड ऑफ पीपल ऑपरेशंस (सेल्स) शरद गोयल कहते हैं, ‘‘हम समृद्ध संस्कृति और विविधता के साथ-साथ ऐसे लोग चाहते हैं जो अलग-अलग हुनर से लैस हों और इन सबसे ऊपर वे अपनी दिलचस्पी की तहेदिल से परवाह करते हों और उसे आगे बढ़ाना चाहते हों.’’ वे कहते हैं, ‘‘दूसरी कंपनियों के उलट हम लोगों को अपने यहां काम पर रखकर उन्हें निठल्ला नहीं बैठने देते. हमारे दिमाग में हरेक के लिए खास जिम्मेदारी और भूमिका होती है.’’
इस सोच के पीछे कंपनी की मजबूत कारोबारी सोच है. गूगल इंडिया लगातार नए तरह के प्रोजेक्ट के साथ तेजी से आगे बढ़ रही है. मसलन, इसका वाउ (डब्ल्यूओडब्ल्यू) नाम का प्रोजेक्ट है जो महिला उद्यमियों को अपनी ऑनलाइन मौजूदगी बढ़ाने में मदद करता है और एक जी प्लस प्रोजेक्ट है जिसके तहत लोग खेल, राजनीति, शिक्षा और मनोरंजन पर डायलॉग कर सकते हैं.
इस वजह से कंपनी का कारोबार अच्छा रहा है. जैसे एडवर्ड्स एसोसिएट मोहिता माथुर अब तक बिग टेंट एक्टिवेट समिट को लेकर उत्साहित हैं जिसे आयोजित करने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी. इस 22 वर्षीया एम्प्लॉइ ने गूगल इंडिया के वॉलंटियर्स की मदद से बच्चों को पढ़ाने का प्रोजेक्ट भी शुरू किया है.
जॉब में हॉबी का मजा लेने वाली माथुर अकेली नहीं हैं. एडवर्ड्स एसोसिएट संजोली चौहान ने 2011 में एड टीम में काम शुरू किया था लेकिन वे सिर्फ एडवर्टाइजिंग का काम ही नहीं देख रही हैं. वे अपने 20 पर्सेंट वाली दिलचस्पी से जुड़े काम को लेकर भी उतनी ही उत्साहित हैं जिसमें वे गूगल के साथ बड़ी-बड़ी हस्तियों के सेशंस का आयोजन और मेजबानी करती हैं. हमेशा से उनकी दिलचस्पी ड्रमैटिक्स में रही है और इस तरह वे अपने शौक को पूरा कर पा रही हैं.
गूगल इंडिया अपने एम्प्लॉइज के प्रोफेशनल स्किल्स को भी निखार देती है. चौहान ने अपने मैनेजीरियल स्किल को निखारने के उद्देश्य से अपने मैनेजर से बात की और उन्हें आइआइएम-कलकत्ता के एक्जीक्यूटिव एमबीए प्रोग्राम में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित किया गया. इसमें कोई हैरत नहीं कि युवा ग्रेजुएट तेजी से गूगल इंडिया की ओर खिंचे चले आ रहे हैं.
माथुर कहती हैं, ‘‘कॉलेज में मुझे कुछ अंदाजा नहीं था. मेरे दोस्तों ने मुझे अप्लाइ करने को कहा.’’ शुरुआत में उनकी दिलचस्पी नहीं थी. फिर उन्हें गूगल के को-फाउंडर लैरी पेज के बारे में ‘कूल’ लेख पढऩे को मिला जिसने उन पर छाप छोड़ी. वे बताती हैं, ‘‘लैरी पेज बड़े आयोजन में सिर्फ टी शर्ट और शॉर्ट्स में टहलते हुए पहुंच गए थे. जब मैंने गूगल कैंपस के बारे में जाना तब समझ आया कि मुझे जाना कहां है.’’