महंत शोभन सरकार के अनन्य भक्तों का पक्के तौर पर मानना है कि वे त्रेता युग के वानर देवता 'हनुमान’ के अवतार हैं. इन भक्तों का कहना है कि ''वे पर्वत को भी उठा सकते हैं.” गंगा के किनारे बसे उन्नाव और कानपुर जिले के गांवों में यही कोई दो दशक पहले चर्चा में आए 65 वर्षीय साधु के लिए तो यह सचमुच सोना हाथ लगने जैसा ही है.
नौ साल पहले उन्होंने 1,000 टन सोना जमीन के नीचे गड़ा होने का सपना देखा था. अब उन्हीं के कहने पर भारत सरकार ने उस जगह पर खुदाई करवानी शुरू कर दी है.
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआइ) के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय के प्रमुख सत्य प्रकाश भारती को 29 सितंबर को एक डिस्पैच मिला, जिस पर लिखा था ''अति गोपनीय.” असल में केंद्रीय खान मंत्री दिनशा पटेल चाह रहे थे कि उत्तर प्रदेश की राजधानी से 110 किलोमीटर दूर गंगा के बाएं किनारे पर स्थित डौंडिया खेड़ा नाम के एक गुमनाम-से गांव में उस गड़े हुए सोने की खुदाई 'तुरंत’ शुरू करवाई जाए.
पटेल के इस दिशा-निर्देश के पीछे की प्रेरणा दरअसल केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरणदास महंत की थी. शोभन सरकार ने जब अपने उस चमत्कारी सपने के बारे में महंत को बताया तो उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के अलावा खान मंत्री को चिट्ठी लिख मारी.
खुदाई की तैयारियों का जायजा लेने 7 अक्तूबर को डौंडिया खेड़ा पहुंचे महंत इस तथ्य को लेकर खासे मुग्ध दिख रहे थे कि दिल्ली तक यह 'शुभ सूचना’ पहुंचाने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ. वहीं पर पत्रकारों के सामने उनके उद्गार थे: ''उन्होंने (सरकार ने) मुझसे कहा था कि (सोने की) मात्रा इतनी है कि रुपए की कमजोरी से उपजे अर्थव्यवस्था के संकट से निबटने में इससे मदद मिल सकती है.” इसके बाद उन्होंने जोड़ा कि ''इसकी सूचना मैं सोनिया जी और राहुल जी को भी दे चुका हूं.”
संत सरकार के इस चमत्कारी सपने की बुनियाद राजा रामबख्श सिंह से जुड़ा एक सदी पुराना एक किस्सा बताया जाता है. रामबख्श सिंह अवध की उन्नाव रियासत के तालुकेदार थे. इलाके में प्रचलित किस्से-कहानियों के मुताबिक, 1857 के विद्रोह में हिस्सा लेने के 'गुनाह’ में अंग्रेजों के हाथों फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले राजा ने अपना खजाना डौंडिया खेड़ा के बाहर अपने किले के नीचे गाड़ दिया था.
शोभन सरकार उन किस्सों पर एक सुनहरी परत चढ़ाते हैं. अपने भोले-भाले भक्तों को वे बताते आए हैं कि ''बहादुर राजा ने मुझे एक बार सपने में बताया था कि सोना कहां गड़ा हुआ है.” लेकिन दिल्ली में बैठी कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार ने अपने बेहद खराब कार्यकाल को शायद एक सुखद अंत देने के वास्ते देश के शीर्ष वैज्ञानिकों को विचित्र काम में जुटा दिया, वह भी एक संत की खामख्याली के आधार पर.
6 अक्तूबर को जीएसआइ के महानिदेशक ए. सुंदरमूर्ति ने दिनशा पटेल को सूचित किया कि भूवैज्ञानिकों की एक टीम की प्रारंभिक खोज में ''सोना, चांदी या मिश्रधातु के मौजूद होने के संकेत” मिले थे, लेकिन सोने की खोज से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि सरकार ने कैसे सभी वैज्ञानिक मानदंडों को खारिज करते हुए जीएसआइ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), दोनों को इस काम में लगा दिया है.
सर्वेक्षण से जुड़े एक अधिकारी ने जोर देकर कहा कि मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में सोने की संभावित मौजूदगी के बारे में कोई बात नहीं कही गई है. ''साफ है कि किसी बड़ी शख्सियत को खुश करने के लिए कोलकाता के हमारे मुख्यालय में इस बात को पहुंचाया गया है, जो इस काम को होते हुए देखने के लिए बेचैन है.”
गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के 2014 के आम चुनावों के सिलसिले में उत्तर प्रदेश में अपनी उद्घाटन रैली को संबोधित करने के लिए 19 अक्तूबर को कानपुर पहुंचने के एक दिन पहले एडिशनल सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट इंदु प्रकाश के नेतृत्व में एक दर्जन एएसआइ अधिकारियों ने 'प्राचीन खजाने’ की खुदाई का काम शुरू किया.
जीएसआइ के आठ वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम भी वहां मौजूद थी. मोदी सुर्खियों में अपने नाम के साथ किसी और खबर की मौजूदगी से नाखुश थे. 18 अक्तूबर को चेन्नै में उन्होंने सार्वजनिक रूप से यूपीए सरकार और बाबा का मखौल उड़ाया था.
उसके बाद के हफ्ते में मानो उस जगह पर 2010 की फिल्म पीपली लाइव सजीव हो उठी.
बीसियों टेलीविजन कैमरे और ओबी वैन वहां चल रही गतिविधियों की एक झलक दिखलाने के लिए जद्दोजहद करने लगे और और 140 प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) और राज्य पुलिसकर्मी बांस और रस्सियों की बाड़ के पीछे चल रही खुदाई की पहरेदारी में गंभीरता से तैनात हो गए. रामबख्श सिंह के बनाए पुराने शिव मंदिर की ओर जाती कच्ची सड़क के किनारे हाट भी सज गई.
खुदाई की जगह से 3 किलोमीटर दूर अपने आश्रम में भगवा कपड़ों में लिपटे बाबा फोटो खिंचवाने से मना करते हैं. उनके चेहरे पर खुदाई के काम को शुरू करवाने की खुशी छाई है. वे अपने आसपास भीड़ लगाने वाले संवाददाताओं को हटने के लिए कहते हैं, ''अरे बाबू जाओ, अब तो आराम करने दो.” फिर शेखी भरे अंदाज में बोल भी जाते हैं, ''यहां इतना सोना है कि भारत सरकार को इसे ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर मंगवाना पड़ेगा.”

उनके बड़बोले शिष्य स्वामी ओम कहते हैं कि खुदाई बहुत धीमी चल रही है. ''हमें आठ घंटे के लिए एक जेसीबी (खुदाई करने वाली भारी मशीन) दीजिए और हम आपको सोना दे देंगे.” अपनी बात को ज्यादा असरदार बनाने के लिए वे बीच-बीच में गालियों का भी भरपूर प्रयोग कर रहे थे.
टीवी पर चल रहे तमाशे और सपने की बात पर वैज्ञानिक अन्वेषण कराने के फैसले पर हो रही आलोचना से बेपरवाह यूपीए सरकार ने जोर देकर कहा कि ''भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मिलने के बाद ही खुदाई शुरू की गई है.” सरकार की दलील है कि जीएसआइ ने ''सोना, चांदी या अन्य अचुंबकीय मिश्र धातु (नॉनमैग्नेटिक एलॉय)” की मौजूदगी की संभावना जताई है.
कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चैधरी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने एक बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भूवैज्ञानिकों ने एक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग राडार सर्वेक्षण (जीपीआरएस) भी कराया है.
उधर लखनऊ में जीएसआइ के अधिकारी हैरत में हैं कि सरकार शोभन सरकार को सही साबित करने में क्यों जुटी है. एक अधिकारी ने 23 अक्तूबर को इंडिया टुडे को बताया, ''लखनऊ में ऐसा कोई जीपीआर उपकरण नहीं है जो जमीन के अंदर एक मीटर से ज्यादा नीचे की चीजों के बारे में पता कर पाए.” उनके मुताबिक डौंडिया खेड़ा में किए गए सर्वेक्षण में सिर्फ बुनियादी इंड्यूस्ड पोलराइजेशन पोटेंशियोमीटर का इस्तेमाल हुआ है जो खुदाई शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
सरकार के दावों को झुठला रहा दूसरा खेल यह है कि 29 सितंबर को जीएसआइ के लखनऊ ऑफिस में भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शोभन सरकार और केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत के बीच 29 सितंबर को हुई बातचीत के आधार पर खुदाई का आदेश दिया गया. एक अधिकारी के मुताबिक, इसमें यह भी उल्लेख है कि मंत्रीजी की पत्नी और उनके निजी सचिव विवेक कुमार दीवांगन उस मुलाकात के दौरान मौजूद थे.
यह कहानी सिर्फ डौंडिया खेड़ा तक सीमित नहीं रहने वाली. शोभन बाबा बहुत बड़े स्वप्नद्रष्टा करार दिए गए हैं. उनका कहना है कि कई और जगहों पर भी सोना मौजूद है. 17 अक्तूबर को दिल्ली में जीएसआइ के विभाग प्रमुखों की एक बैठक में एक और पत्र टपका जिसमें यह जिक्र किया गया था कि बाबा ने तीन और जगहों में सोना गड़े होने का सपना देखा है.
दिनशा पटेल चाहते हैं कि अब वैज्ञानिक कानपुर के परेड क्षेत्र, चौबेपुर गांव और पड़ोसी जिले फतेहपुर की एक जगह पर सोने की मौजूदगी की खोज करें. शोभन सरकार ने जाहिरा तौर पर दिल्ली में बैठे अपने शिष्य महंत के जरिए सरकार को ''4,000 टन ठोस सोने” के एक और भंडार की जानकारी दी है.
बाबा के नए दावों ने अफवाहों को और हवा दे दी है. सोने के खजाने को पाने के लिए लालायित पगलाई जनता ने गंगा के किनारे के करीब दो दर्जन से अधिक पुराने, वीरान पड़े मंदिरों और किलों को खोद डाला है. फतेहपुर के नजदीक नदी के मुख्य घाट पर हथियारबंद लोगों ने स्थानीय मंदिर के पुजारी को कई घंटे के लिए कथित तौर पर बंधक बनाकर जमीन के नीचे 15 फुट तक खुदाई कर डाली.
लेकिन डौंडिया खेड़ा और कानपुर तथा उन्नाव के कई गांवों में हर गुजरते दिन के साथ शोभन सरकार से जुड़ी कहानियां और भी दिलचस्प होती जा रही हैं. एक भक्त का कहना है, ''वे छह किलोमीटर की दूरी पर खड़े आदमी को पहचान सकते हैं.” दूसरा जुगलबंदी करता हुआ कहता है, ''उन्होंने एक बार एक पीपल के पेड़ को हिलाया और हर तरफ करेंसी नोट झड़ने लगे.”
ऐसे अद्भुत चमत्कार या चमत्कारी इलाजों के इर्द-गिर्द घूमते कई किस्से खासे लोकप्रिय हो रहे हैं. डौंडिया खेड़ा के एक किसान 45 वर्षीय राम बहादुर सिंह बचपन से बाबा के शिष्य हैं. वे ठोस प्रमाण दिखाने वाले अंदाज में कहते हैं, ''शोभन सरकार कभी दिल्ली नहीं गए हैं, लेकिन वे वहां होने वाली सारी बातों से वाकिफ हैं.”
गंगा के तट पर सोने के खजाने की खोज को हवा देने के पीछे केंद्र सरकार का मकसद संदिग्ध और श्रद्धा के नाम पर खेला जा रहा अजीब खेल लग रहा है जिसके जरिए शायद 2014 के आम चुनावों के लक्ष्य को साधने की कोशिश की जा रही है. लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही बाबा को खुश करने की मशक्कत नहीं कर रही.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सलाहकार सुनील यादव भी नियमित रूप से आश्रम के चक्कर लगा रहे हैं ताकि बाबा से ''उत्तर प्रदेश के लिए खजाने के एक बड़े हिस्से” का आशीर्वाद पा सकें. स्वामी ओम ने पत्रकारों को बताया कि समाजवादी पार्टी की सरकार उस इलाके को ''एक नए जिले” के रूप में विकसित करने के लिए तैयार हो गई है.
लेकिन शोभन सरकार की दमकती आभा का सबसे बड़ा नजारा 21 अक्तूबर को बक्सर आश्रम में दिखा जब कानपुर से बीजेपी विधायक सतीश महाना ने मोदी के बाबा के सपने का मजाक उड़ाने पर अपने कान पकड़कर माफी मांगी और कहा, ''नरेंद्र मोदी जी के मन में आपके लिए सिर्फ आदर है.”
नौ साल पहले उन्होंने 1,000 टन सोना जमीन के नीचे गड़ा होने का सपना देखा था. अब उन्हीं के कहने पर भारत सरकार ने उस जगह पर खुदाई करवानी शुरू कर दी है.
भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (जीएसआइ) के लखनऊ स्थित क्षेत्रीय मुख्यालय के प्रमुख सत्य प्रकाश भारती को 29 सितंबर को एक डिस्पैच मिला, जिस पर लिखा था ''अति गोपनीय.” असल में केंद्रीय खान मंत्री दिनशा पटेल चाह रहे थे कि उत्तर प्रदेश की राजधानी से 110 किलोमीटर दूर गंगा के बाएं किनारे पर स्थित डौंडिया खेड़ा नाम के एक गुमनाम-से गांव में उस गड़े हुए सोने की खुदाई 'तुरंत’ शुरू करवाई जाए.
पटेल के इस दिशा-निर्देश के पीछे की प्रेरणा दरअसल केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री चरणदास महंत की थी. शोभन सरकार ने जब अपने उस चमत्कारी सपने के बारे में महंत को बताया तो उन्होंने तुरंत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के अलावा खान मंत्री को चिट्ठी लिख मारी.
खुदाई की तैयारियों का जायजा लेने 7 अक्तूबर को डौंडिया खेड़ा पहुंचे महंत इस तथ्य को लेकर खासे मुग्ध दिख रहे थे कि दिल्ली तक यह 'शुभ सूचना’ पहुंचाने का सौभाग्य उन्हें प्राप्त हुआ. वहीं पर पत्रकारों के सामने उनके उद्गार थे: ''उन्होंने (सरकार ने) मुझसे कहा था कि (सोने की) मात्रा इतनी है कि रुपए की कमजोरी से उपजे अर्थव्यवस्था के संकट से निबटने में इससे मदद मिल सकती है.” इसके बाद उन्होंने जोड़ा कि ''इसकी सूचना मैं सोनिया जी और राहुल जी को भी दे चुका हूं.”
संत सरकार के इस चमत्कारी सपने की बुनियाद राजा रामबख्श सिंह से जुड़ा एक सदी पुराना एक किस्सा बताया जाता है. रामबख्श सिंह अवध की उन्नाव रियासत के तालुकेदार थे. इलाके में प्रचलित किस्से-कहानियों के मुताबिक, 1857 के विद्रोह में हिस्सा लेने के 'गुनाह’ में अंग्रेजों के हाथों फांसी पर चढ़ाए जाने से पहले राजा ने अपना खजाना डौंडिया खेड़ा के बाहर अपने किले के नीचे गाड़ दिया था.
शोभन सरकार उन किस्सों पर एक सुनहरी परत चढ़ाते हैं. अपने भोले-भाले भक्तों को वे बताते आए हैं कि ''बहादुर राजा ने मुझे एक बार सपने में बताया था कि सोना कहां गड़ा हुआ है.” लेकिन दिल्ली में बैठी कांग्रेस की अगुआई वाली सरकार ने अपने बेहद खराब कार्यकाल को शायद एक सुखद अंत देने के वास्ते देश के शीर्ष वैज्ञानिकों को विचित्र काम में जुटा दिया, वह भी एक संत की खामख्याली के आधार पर.
6 अक्तूबर को जीएसआइ के महानिदेशक ए. सुंदरमूर्ति ने दिनशा पटेल को सूचित किया कि भूवैज्ञानिकों की एक टीम की प्रारंभिक खोज में ''सोना, चांदी या मिश्रधातु के मौजूद होने के संकेत” मिले थे, लेकिन सोने की खोज से जुड़े वरिष्ठ वैज्ञानिक इस बात से हैरान हैं कि सरकार ने कैसे सभी वैज्ञानिक मानदंडों को खारिज करते हुए जीएसआइ और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ), दोनों को इस काम में लगा दिया है.
सर्वेक्षण से जुड़े एक अधिकारी ने जोर देकर कहा कि मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में सोने की संभावित मौजूदगी के बारे में कोई बात नहीं कही गई है. ''साफ है कि किसी बड़ी शख्सियत को खुश करने के लिए कोलकाता के हमारे मुख्यालय में इस बात को पहुंचाया गया है, जो इस काम को होते हुए देखने के लिए बेचैन है.”
गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के 2014 के आम चुनावों के सिलसिले में उत्तर प्रदेश में अपनी उद्घाटन रैली को संबोधित करने के लिए 19 अक्तूबर को कानपुर पहुंचने के एक दिन पहले एडिशनल सुपरिंटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट इंदु प्रकाश के नेतृत्व में एक दर्जन एएसआइ अधिकारियों ने 'प्राचीन खजाने’ की खुदाई का काम शुरू किया.
जीएसआइ के आठ वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम भी वहां मौजूद थी. मोदी सुर्खियों में अपने नाम के साथ किसी और खबर की मौजूदगी से नाखुश थे. 18 अक्तूबर को चेन्नै में उन्होंने सार्वजनिक रूप से यूपीए सरकार और बाबा का मखौल उड़ाया था.
उसके बाद के हफ्ते में मानो उस जगह पर 2010 की फिल्म पीपली लाइव सजीव हो उठी.
बीसियों टेलीविजन कैमरे और ओबी वैन वहां चल रही गतिविधियों की एक झलक दिखलाने के लिए जद्दोजहद करने लगे और और 140 प्रोविंशियल आर्म्ड कांस्टेबुलरी (पीएसी) और राज्य पुलिसकर्मी बांस और रस्सियों की बाड़ के पीछे चल रही खुदाई की पहरेदारी में गंभीरता से तैनात हो गए. रामबख्श सिंह के बनाए पुराने शिव मंदिर की ओर जाती कच्ची सड़क के किनारे हाट भी सज गई.
खुदाई की जगह से 3 किलोमीटर दूर अपने आश्रम में भगवा कपड़ों में लिपटे बाबा फोटो खिंचवाने से मना करते हैं. उनके चेहरे पर खुदाई के काम को शुरू करवाने की खुशी छाई है. वे अपने आसपास भीड़ लगाने वाले संवाददाताओं को हटने के लिए कहते हैं, ''अरे बाबू जाओ, अब तो आराम करने दो.” फिर शेखी भरे अंदाज में बोल भी जाते हैं, ''यहां इतना सोना है कि भारत सरकार को इसे ले जाने के लिए हेलिकॉप्टर मंगवाना पड़ेगा.”

उनके बड़बोले शिष्य स्वामी ओम कहते हैं कि खुदाई बहुत धीमी चल रही है. ''हमें आठ घंटे के लिए एक जेसीबी (खुदाई करने वाली भारी मशीन) दीजिए और हम आपको सोना दे देंगे.” अपनी बात को ज्यादा असरदार बनाने के लिए वे बीच-बीच में गालियों का भी भरपूर प्रयोग कर रहे थे.
टीवी पर चल रहे तमाशे और सपने की बात पर वैज्ञानिक अन्वेषण कराने के फैसले पर हो रही आलोचना से बेपरवाह यूपीए सरकार ने जोर देकर कहा कि ''भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट मिलने के बाद ही खुदाई शुरू की गई है.” सरकार की दलील है कि जीएसआइ ने ''सोना, चांदी या अन्य अचुंबकीय मिश्र धातु (नॉनमैग्नेटिक एलॉय)” की मौजूदगी की संभावना जताई है.
कांग्रेस प्रवक्ता रेणुका चैधरी और केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने एक बयान का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि भूवैज्ञानिकों ने एक ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग राडार सर्वेक्षण (जीपीआरएस) भी कराया है.
उधर लखनऊ में जीएसआइ के अधिकारी हैरत में हैं कि सरकार शोभन सरकार को सही साबित करने में क्यों जुटी है. एक अधिकारी ने 23 अक्तूबर को इंडिया टुडे को बताया, ''लखनऊ में ऐसा कोई जीपीआर उपकरण नहीं है जो जमीन के अंदर एक मीटर से ज्यादा नीचे की चीजों के बारे में पता कर पाए.” उनके मुताबिक डौंडिया खेड़ा में किए गए सर्वेक्षण में सिर्फ बुनियादी इंड्यूस्ड पोलराइजेशन पोटेंशियोमीटर का इस्तेमाल हुआ है जो खुदाई शुरू करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
सरकार के दावों को झुठला रहा दूसरा खेल यह है कि 29 सितंबर को जीएसआइ के लखनऊ ऑफिस में भेजे गए पत्र में कहा गया है कि शोभन सरकार और केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत के बीच 29 सितंबर को हुई बातचीत के आधार पर खुदाई का आदेश दिया गया. एक अधिकारी के मुताबिक, इसमें यह भी उल्लेख है कि मंत्रीजी की पत्नी और उनके निजी सचिव विवेक कुमार दीवांगन उस मुलाकात के दौरान मौजूद थे.
यह कहानी सिर्फ डौंडिया खेड़ा तक सीमित नहीं रहने वाली. शोभन बाबा बहुत बड़े स्वप्नद्रष्टा करार दिए गए हैं. उनका कहना है कि कई और जगहों पर भी सोना मौजूद है. 17 अक्तूबर को दिल्ली में जीएसआइ के विभाग प्रमुखों की एक बैठक में एक और पत्र टपका जिसमें यह जिक्र किया गया था कि बाबा ने तीन और जगहों में सोना गड़े होने का सपना देखा है.
दिनशा पटेल चाहते हैं कि अब वैज्ञानिक कानपुर के परेड क्षेत्र, चौबेपुर गांव और पड़ोसी जिले फतेहपुर की एक जगह पर सोने की मौजूदगी की खोज करें. शोभन सरकार ने जाहिरा तौर पर दिल्ली में बैठे अपने शिष्य महंत के जरिए सरकार को ''4,000 टन ठोस सोने” के एक और भंडार की जानकारी दी है.
बाबा के नए दावों ने अफवाहों को और हवा दे दी है. सोने के खजाने को पाने के लिए लालायित पगलाई जनता ने गंगा के किनारे के करीब दो दर्जन से अधिक पुराने, वीरान पड़े मंदिरों और किलों को खोद डाला है. फतेहपुर के नजदीक नदी के मुख्य घाट पर हथियारबंद लोगों ने स्थानीय मंदिर के पुजारी को कई घंटे के लिए कथित तौर पर बंधक बनाकर जमीन के नीचे 15 फुट तक खुदाई कर डाली.
लेकिन डौंडिया खेड़ा और कानपुर तथा उन्नाव के कई गांवों में हर गुजरते दिन के साथ शोभन सरकार से जुड़ी कहानियां और भी दिलचस्प होती जा रही हैं. एक भक्त का कहना है, ''वे छह किलोमीटर की दूरी पर खड़े आदमी को पहचान सकते हैं.” दूसरा जुगलबंदी करता हुआ कहता है, ''उन्होंने एक बार एक पीपल के पेड़ को हिलाया और हर तरफ करेंसी नोट झड़ने लगे.”
ऐसे अद्भुत चमत्कार या चमत्कारी इलाजों के इर्द-गिर्द घूमते कई किस्से खासे लोकप्रिय हो रहे हैं. डौंडिया खेड़ा के एक किसान 45 वर्षीय राम बहादुर सिंह बचपन से बाबा के शिष्य हैं. वे ठोस प्रमाण दिखाने वाले अंदाज में कहते हैं, ''शोभन सरकार कभी दिल्ली नहीं गए हैं, लेकिन वे वहां होने वाली सारी बातों से वाकिफ हैं.”
गंगा के तट पर सोने के खजाने की खोज को हवा देने के पीछे केंद्र सरकार का मकसद संदिग्ध और श्रद्धा के नाम पर खेला जा रहा अजीब खेल लग रहा है जिसके जरिए शायद 2014 के आम चुनावों के लक्ष्य को साधने की कोशिश की जा रही है. लेकिन सिर्फ कांग्रेस ही बाबा को खुश करने की मशक्कत नहीं कर रही.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सलाहकार सुनील यादव भी नियमित रूप से आश्रम के चक्कर लगा रहे हैं ताकि बाबा से ''उत्तर प्रदेश के लिए खजाने के एक बड़े हिस्से” का आशीर्वाद पा सकें. स्वामी ओम ने पत्रकारों को बताया कि समाजवादी पार्टी की सरकार उस इलाके को ''एक नए जिले” के रूप में विकसित करने के लिए तैयार हो गई है.
लेकिन शोभन सरकार की दमकती आभा का सबसे बड़ा नजारा 21 अक्तूबर को बक्सर आश्रम में दिखा जब कानपुर से बीजेपी विधायक सतीश महाना ने मोदी के बाबा के सपने का मजाक उड़ाने पर अपने कान पकड़कर माफी मांगी और कहा, ''नरेंद्र मोदी जी के मन में आपके लिए सिर्फ आदर है.”