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"अश्लील गाने बंद होंगे तो बिहार में महिलाओं के खिलाफ अपराध में भी कमी आएगी"

हाल ही में बिहार पुलिस ने अश्लील गानों के सार्वजनिक प्रसारण को रोकने के लिए एक मुहिम की शुरुआत की. बॉलीवुड अभिनेत्री नीतू चंद्रा इस मुहिम में बिहार पुलिस की मदद कर रही हैं. इसी सिलसिले में बिहार की महिला पुलिसकर्मियों के एक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए वे पटना आई थीं. उनसे इस मसले पर लंबी बातचीत हुई. पेश है संपादित अंश

नीतू चंद्रा, बॉलीवुड अभिनेत्री
नीतू चंद्रा, बॉलीवुड अभिनेत्री
अपडेटेड 18 मार्च , 2025

● अश्लील गानों के खिलाफ आपके अभियान का मकसद क्या है?

इस अभियान का एक बड़ा मकसद वूमन सिक्योरिटी है. क्योंकि महिलाओं के खिलाफ होने वाले ज्यादातर अपराधों की जड़ ये अश्लील गाने और ऐसी फिल्में हैं. ऐसे गाने बंद होंगे तो बिहार में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध में भी कमी आएगी. इन गानों को देखकर लोगों को लगता है कि लेदर जैकेट पहनकर कूल तरीके से इनके सिंगर जो कुछ कर रहे हैं, हम भी कर सकते हैं. बिहार की भाषाओं में कितने खराब और डबल मीनिंग गाने गाए जा रहे हैं, इससे कोई इनकार नहीं कर सकता.

● आप कहती हैं कि आप 14 साल से अश्लीलता के खिलाफ अभियान चला रही हैं और बिहारी भाषाओं में अच्छी फिल्में बना रही हैं. लेकिन अभी जो रैपर हनी सिंह का नया अलबम 'मैनियेक' आया, क्या वह आपके लिए ट्रिगर प्वाइंट था?

हां, क्योंकि जब अपने लोग ऐसे गाने बना रहे थे, तब तो हम परेशान थे ही. मगर तब हम अच्छी फिल्में बनाकर मैसेज दे रहे थे कि हमारी भाषा में अच्छी फिल्में भी बनती हैं. मेरी पहली फिल्म 'देसवा' इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवलों में गई. दूसरी फिल्म 'मिथिला मखान' मैथिली में बनी, वह बिहार की पहली नेशनल अवार्डेड फिल्म है. तीसरी और चौथी फिल्म 'जैक्शन हॉल्ट' और 'करियट्ठी' को प्रसार भारती ने खरीदा है. अब तो मेरा हक बनता है यह बोलना कि अश्लीलता बंद करो.

जब हनी सिंह का गाना आया, तो मुझे लगा कि उनकी इतनी पॉपुलैरिटी है, उनको दुनिया सुनती है तो वे अचानक पंजाबी गाते-गाते भोजपुरी में गाना क्यों शुरू कर दिये? आपको क्या लेना-देना हमारी भाषा से? 

● लोग क्यों करते हैं ये सब?

क्योंकि बिहार में बैठकर हम अपनी मातृभाषा को रिस्पैक्ट नहीं करते. मुझे माफ करिएगा, लेकिन यही सच है. जब तक बिहार का एजुकेटेड क्लास (शिक्षित वर्ग) इस बात का विरोध नहीं करेगा कि 'न बजाएंगे, न बजने देंगे', 'न देखेंगे, न दिखाएंगे', 'न सुनेंगे, न सुनाएंगे', तभी रेवॉल्यूशन (बदलाव) आयेगा. इन गानों का बॉयकॉट होना चाहिए. कोई इन्हें थियेटर में जाकर नहीं देखेगा, तभी बदलाव होगा.

आपको याद होगा, महाराष्ट्र में दादा कोड़के की फिल्में आती थीं, डबल मीनिंग वाली. लोग इतने परेशान हो गए थे कि उनके पोस्टर फाड़ने लगे. आज उसी महाराष्ट्र की फिल्में ऑस्कर में जा रही हैं. कोंकणी फिल्में, जिन्हें बोलने वाले बहुत कम लोग हैं, वे ऑस्कर में जा रही हैं. साउथ की फिल्में तो भूल ही जाइए, वैसा होने में बीस साल लगेगा. बगल में बंगाल है, वहां के हर डायरेक्टर के पास सात से दस नेशनल अवार्ड हैं. कब तक झुकेंगे हम, कब तक नहीं बोलेंगे. अगर नहीं बोलेंगे तो बिहार की पहचान ऐसे ही गाने हो जाएंगे, आपके सुनहरे इतिहास को लोग भूल जायेंगे.

● आजकल जितने बड़े शोज होते हैं, वहां भोजपुरी कलाकार जाते हैं तो बैकग्राउंड में 'जब लगावेलू तू लिपिस्टक' गाना बजता है, जैसे वह बिहार का 'स्टेट एंथम' हो गया है?

मुझे नहीं लगता है. 80 से अधिक गाने मैंने बनाए हैं. हरिहरन को मैंने मैथिली में गवाया है. सोनू निगम, श्रेया घोषाल, स्वानंद किरकिरे, मीका सिंह, भरत व्यास, शारदा सिन्हा सबने मेरी पहली फिल्म 'देसवा' में गाया था, जिसे छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक एक साथ देख सकते हैं. इन गानों को बढ़ाइए और बताइए कि ये हमारे धरोहर हैं, वो नहीं.

आज आप किसी भी शो में चले जाइए, सबमें जाने की फीस तय होती है. लेकिन वहां जाकर आप अपनी ही मां और मातृभाषा को उछाल रहे हैं, जो एकदम स्वीकार्य नहीं है. यह पहली बार नहीं है, जब मैं यह बात कर रही हूं.

चेतन भगत ने अपने उपन्यास 'हाफ ब्वॉयफ्रैंड' में बिहार के लड़कों के बारे में लिखा था कि उन्हें न कपड़े पहनना आता हैं, न चलना आता है, न बोलना आता है. वे तो 'हाफ गर्लफ्रैंड' ही डिजर्व करते हैं. मेरी चेतन भगत से लड़ाई हो गई. उसके चलते दो-तीन फिल्में भी चली गईं, खैर.

उसके बाद मैंने सिद्धार्थ मल्होत्रा से भी लड़ाई की थी. आज से छह-सात साल पहले बिग बॉस के मंच पर वे अपनी फिल्म को प्रोमोट करने के लिए गए. सलमान (खान) सर ने कहा - 'सिद्धार्थ, मैं एक डायलॉग बोलूंगा तुम उसे भोजपुरी में रिपीट करो.' तो सिद्धार्थ ने कहा कि, 'भोजपुरी बोलने से मुझे ऐसा फील होता है कि मैं बाथरूम में बैठा हूं.' 

कौन से अच्छे घर के लोग ऐसा बोल सकते हैं? आपके संस्कार क्या यही हैं? एक सिलेब्रिटी होने के कारण आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप हर लैंग्वेज को प्रोमोट कीजिये.

● आपने हनी सिंह के 'मैनियेक' गाने के खिलाफ जो पीआईएल दायर किया, उसका क्या नतीजा आया?

उस पीआईएल (जनहित याचिका) में पटना हाई कोर्ट ने हनी सिंह से 28 मार्च को जवाब मांगा है. मेरी वकील निवेदिता निर्विकार इस मामले को आगे ले जा रही हैं. यह पीआईएल मैंने पब्लिसिटी हासिल करने के लिए नहीं किया, यह अपनी मातृभाषा के लिए किया है. इसलिए मैंने कभी इसे लेकर कोई इंटरव्यू नहीं किया. मेरे लिए यह मुद्दा महत्वपूर्ण है.

अश्लीलता के खिलाफ कैंपेन में बिहार पुलिस के साथ अभिनेत्री नीतू चंद्रा
अश्लीलता के खिलाफ कैंपेन में बिहार पुलिस के साथ अभिनेत्री नीतू चंद्रा

● आप बिहार पुलिस के वीकर सेक्शन डिपार्टमेंट के साथ मिलकर इस अभियान को चला रही हैं. बिहार पुलिस के इस अभियान में आपकी क्या भूमिका है?

मैं बिहार की एक आम लड़की हूं. रोल बस ये है कि इस सोशल कॉज (मुद्दे) को जितना ज्यादा आगे बढ़ा सकती हूं, आगे बढ़ाऊं. बिहार पुलिस का भी अपना एक दायरा है, मगर उन्हें जब-जब मेरी जरूरत होगी, मैं उपलब्ध रहूंगी. महिलाओं पर होने वाले अपराध को खत्म करने के लिए मुझसे जो भी हो सकता है, मैं करने के लिए तैयार हूं. एक ही जिंदगी है, मैं यह नहीं सोचना चाहती कि मैं जो कर सकती थी, मैंने नहीं किया. इसलिए मैं हमेशा उपलब्ध रहूंगी.

● आपने कहा कि इस अभियान में महिला पुलिसकर्मी महत्वपूर्ण रोल निभा सकती हैं, किस तरह से और कैसे?

जितनी महिला पुलिसकर्मी हैं, वे एक-एक अपने आप में इतनी शक्तिशाली हैं कि वे घर भी चला रही हैं और बाहर भी संभाल रही हैं. जब वे स्टोरी बनाएंगी, सोशल मीडिया पर इंडिविजुअली बताएंगी कि बिहार की उपलब्धियां क्या हैं. बिहार पुलिस के एचीवमेंट क्या हैं. यहां महिला पुलिस की भागीदारी कितनी है, महिलाओं के खिलाफ अपराध कम क्यों हैं. अगर ये लोग पूरी दुनिया को बताएंगी, तो जो लोग बिहार को खराब बोलते रहते हैं, वे दब जायेंगे. हम पुराने जमाने की बात क्यों करें, आज की बात करें न. हमें बुरे गानों का बॉयकॉट करना होगा और इसकी शुरुआत महिला पुलिस करेंगी.

● मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाईं. नौकरियों में तो आरक्षण दिये ही, शराबबंदी को भी महिलाओं के हक की योजना मानी गई. तो क्या अश्लील गानों के खिलाफ कैंपेन भी नीतीश कुमार की उसी नीति का हिस्सा है?

नीतीश जी ने जो शराबबंदी की थी, वह महिलाओं के हित और सुरक्षा के लिए किया था. अब आप (नीतीश) इन गंदे गानों और फिल्मों को भी बंद कराइये, सीरियसली बंद कराइए. क्योंकि ये महिलाओं के हित में है. बहुत परेशान हैं हमलोग. सारी महिलाएं आपसे दरख्वास्त करती हैं कि ऐसे गाने और ऐसी फिल्मों से बच्चों और सोसाइटी पर बहुत खराब असर पड़ता है. उनकी सुरक्षा के लिए इसे बंद कराइये.

● क्या भोजपुरी फिल्मों और गानों के लिए सेंशरशिप भी होना चाहिए?

बहुत जरूरी है कि सेंशरशिप हो. एक बड़ी टीम बनाइए, फिल्मों और गानों को उनके थ्रू ही लोगों के बीच जाना चाहिए और यह नीतीश जी ही कर सकते है.

● आखिरी सवाल, ऐसे गानों का मास अपील काफी ज्यादा है और इसकी वजह से दस साल पहले अश्लील गाना गा रहा सिंगर अगले दस साल में एमपी बन जाता है, मंत्री बन जाता है.

हम बस इतना कहना चाहेंगे कि आप अगर बचपन से किसी को गोबर खिलाएंगे यह कह कर कि ये लड्डू है तो दस साल में लोगों को वह लड्डू भी लगने लगेगा. उसे समझ नहीं आयेगा कि असली लड्डू क्या है. हम किसी पर कमेंट नहीं कर सकते मगर हमलोगों को खुद ही अपने अंदर झांकना होगा. इनका बॉयकॉट करेंगे तो ये सारे लोग उस पोजिशन पर नहीं जा सकते.

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