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"मैं एक छोटे से गांव से निकला हूं और इस वजह से सेक्युलर सोच के साथ हमेशा नाता रहा"

बॉलीवुड में अन्ना के नाम से मशहूर अभिनेता सुनील शेट्टी ने अपनी अपकमिंग फिल्म 'केसरी वीर' को लेकर इंडिया टुडे हिंदी के साथ खास बातचीत में क्या बताया

Sunil Shetty
सुनील शेट्टी (फोटोग्राफ: बंदीप सिंह)
अपडेटेड 22 मई , 2025

63 साल की उम्र में भी पूरी तरह चुस्त-तंदुरुस्त दिखने वाले अभिनेता सुनील शेट्टी की फिल्म केसरी वीर 23 मई को सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है. इसमें उन्होंने वेगड़ा भील का ऐतिहासिक और बुलंद किरदार निभाया है. इंडिया टुडे (डिजिटल) के सब-एडिटर सिकन्दर के साथ खास बातचीत में उन्होंने फिल्म से जुड़े अपने किरदार और सेक्युलरिज्म पर अपनी सोच के बारे में बताया. संपादित अंश:

● आपने अपने तीन दशक लंबे करियर में बहुत से किरदार निभाए, वेगड़ा भील का किरदार किन मायनों में खास है?

यह किरदार इतिहास से जुड़ा है. वेगड़ा भीलों के राजा थे, जिन्होंने सोमनाथ मंदिर को बचाने में अपनी जिंदगी गंवा दी. आज के समय में इसे एक सैनिक की हैसियत से जोड़ कर देखा जा सकता है. जब मैंने बॉर्डर फिल्म की, तो मुझे दर्शकों का बहुत प्यार मिला. असल में जब एक रियल लाइफ कैरेक्टर को रील लाइफ में उतारते हैं तो एक बहुत बड़ी रिस्पांसबिलिटी होती है. वेगड़ा भील का किरदार भी कुछ इसी तरह है.

● इस किरदार में गले में रुद्राक्ष, ड्रेडलॉक और हाथ में भारी-भरकम हथियार है; इसके बारे में बताएं?

हम चाहते थे कि हथियार कुछ अलग हो. वेगड़ा भीलों के राजा थे, जंगल में रहते थे. एक हादसे की वजह से वे गांव छोड़कर जंगल चले जाते हैं और शिवजी के भक्त बन जाते हैं. भक्त बनने के बाद वे गले में रुद्राक्ष और ड्रेडलॉक (गूंथे हुए लट) वाला रूप धारण करते हैं. जब उनकी बेटी की शादी हो जाती है तब वे अपने बेटी के पति के लिए तुगलकों से जंग लड़ने वापस आते हैं.

वो भारी-भरकम हथियार 15 किलो का था. कभी-कभार उसको चलाने में बहुत मुश्किल हो जाती थी, खासकर चार लोगों के बीच में. इसीलिए उसे डबल हैंडेड (दोनों हाथों से) इस्तेमाल करना पड़ा. अब उसे जो नाम दे लीजिए, हैमर कहिए कुल्हाड़ी कहिए या इन दोनों का मिलाजुला रूप. 

● पीरियड ड्रामा में ऐतिहासिक सटीकता और सिनेमाई छूट के बीच बैलेंस कितना जरूरी मानते हैं आप?

मुझे लगता है 70:30 का अनुपात होना चाहिए. जब हम हीरोइज्म की बात करते हैं, जिंगोइज्म (अंधराष्ट्रवाद) की नहीं, तो वहां फिक्शन जरूरी होता है क्योंकि किरदार को 'लार्जर दैन लाइफ' दिखाना होता है. हम चाहते हैं हमारे बच्चे ऐसी हिस्ट्री के बारे में जानें, सुनें, तो कहीं न कहीं उनके भीतर एक लीडरशिप क्वालिटी आए. 

● केसरी वीर की कहानी से इतर सीधा सा सवाल है कि आप सेक्युलरिज्म से कितना इत्तेफाक रखते हैं? 

बहुत ही ज्यादा. मैं मंगलौर के एक छोटे से गांव से आता हूं. सेक्युलर सोच के साथ जुड़ाव हमेशा से रहा. वहां सौ फीसदी साक्षरता है, खासकर औरतों के साथ. जब आप लिट्रेट होते हैं, पढ़े लिखे होते हैं तो यह सोच और हर चीज बिल्ड अप करती है. मैं कहूंगा कि सेक्युलरिज्म मेरे स्वभाव में है. मैं सहानुभूति से ज्यादा समानुभूति में विश्वास करता हूं. 

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