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बिहार की महिलाओं पर बनी फिल्म जो बदलेगी ब्रिटिश सरकार की नीति

बिहार की औरतों के साथ कोरोना काल में हुई 'आर्थिक' हिंसा पर बनी फिल्म SPENT को पुनीता चौबे ने बनाया है

Short film on economic abuse with women, made by Puneeta Pandey
अपडेटेड 19 दिसंबर , 2023

औरतों के साथ होने वाली अलग-अलग तरह की हिंसा पर खूब बात होती रही है, मगर उनके साथ होने वाली 'आर्थिक' हिंसा पर शायद ही कहीं चर्चा सुनाई देती हो. मूलरूप से बिहार की रहने वालीं और ब्रिटेन की शेफील्ड हेलम यूनिवर्सिटी  में रिसर्च कर रहीं पुनीता चौबे ने इस विषय पर एक महत्वपूर्ण शॉर्ट फिल्म SPENT बनाई है.

15 दिसंबर को इस फिल्म का बिहार की राजधानी पटना में प्रदर्शन हुआ.इससे पहले यह फिल्म ब्रिटेन सरकार के फंड फॉर कॉमनवेल्थ डेवलपमेंट ऑफिस को भी दिखाई जा चुकी है और यह फिल्म उनकी फॉरेन और कॉमनवेल्थ फंडिंग पॉलिसी का एक हिस्सा बनने जा रही है. पुनीता की यह फिल्म उनकी यूनिवर्सिटी के एक शोध का हिस्सा है.

SPENT में बिहार की अलग अलग पृष्ठभूमि की पांच महिलाओं की कहानी कही गई है. ये तमाम महिलाएं अपने जीवन में आर्थिक वजहों से कई तरह की हिंसा और प्रताड़ना का सामना करती हैं. कोई दहेज की वजह से प्रताड़ित होती हैं, तो कोई अपनी नौकरी की वजह से. किसी की पूरी आय को उसके पति या उसका परिवार अपने नियंत्रण में रखना चाहता है. किसी महिला के धन को उसका पति गलत तरीके से हड़प लेता है. यह फिल्म कोरोना के दौर में बनी है और फिल्म में यह भी दिखाया गया है कि कोरोना की वजह से उनके साथ स्थितियां और अधिक क्रूर होती चली गई थीं.

पुनीता कहती हैं, “स्त्रियों के साथ आर्थिक हिंसा पर बहुत बाद में बात होनी शुरू हुई है. पिछले एक दशक में लोगों ने इस विषय पर काम करना शुरू किया है. 2017 में जब मैंने अपना शोध शुरू किया तो उससे पहले मेरे विश्वविद्यालय में इस विषय पर कोई शोध नहीं हुआ था. महिलाओं के खिलाफ होने वाली आर्थिक हिंसा के तीन रूप होते हैं, पहला सैबोटाज करना या रोकना- इसमें औऱतों को काम करने से रोका जाता है. वे चाहते हैं कि औरतें बाहर जाकर काम न करें. दूसरा, आर्थिक प्रतिबंध- महिलाओं को पैसे खर्च करने से रोका जाता है, आपको एक-एक पैसे का हिसाब देना होता है. तीसरा, इकॉनॉमिक एक्सप्लॉयटेशन- खर्चे की तमाम जिम्मेदारी औरतों पर डाल दी जाती है. उनके स्त्री धन को भी उनसे छीन लिया जाता है.” 

पुनीता के मुताबिक तमाम तरह की आर्थिक हिंसा की एक ही वजह है. पुरुष नहीं चाहता कि औरतें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो. आर्थिक हिंसा एक तरह की घरेलू हिंसा होती है. यह इतने दबे-छिपे तरीके से होती है और इतनी आम है कि हमें समझ नहीं आती. 

पुनीता चौबे मूलतः बक्सर की रहने वाली हैं और उन्होंने अपनी पढ़ाई पटना विवि से की. उसके फिर कुछ दिनों तक काम करने के बाद वे ब्रिटेन चली गईं. वहां पहले लंदन स्कूल ऑफ इकॉनामिक्स से पढ़ाई की और फिर उन्होंने वहां यह शोध कार्य शुरू किया है. पुनीता ने महिलाओं के साथ होने वाली आर्थिक हिंसा पर पीएचडी भी की है. 

यह फिल्म उनके नये शोध का हिस्सा है. वे बताती हैं, "इस फिल्म के जरिए मैं अपने शोध को आम लोगों और नीति निर्धारकों तक पहुंचाना चाहती हूं." अपनी फिल्म ब्रिटेन सरकार के फॉरेन, कामनवेल्थ एंड डेवलपमेंट ऑफिस को दिखाने के बारे में वे बताती हैं, “उनकी पॉलिसी में आर्थिक हिंसा का जिक्र नहीं था इसलिए यह फिल्म हमने उन्हें एक सबूत के रूप में दिखाई है. उनकी सिलेक्ट कमिटी ने यह फिल्म देखी और इसे स्वीकार किया. अब वे अपनी ग्लोबल फंडिंग में इस मसले को भी शामिल करने जा रहे हैं. हमने बिहार में महिलाओं के आर्थिक उन्नयन के लिए काम करने वाली संस्था जीविका के साथ भी इस फिल्म को लेकर संपर्क किया है, उन्होंने भी हमसे लिखित प्रस्ताव मांगे हैं. अभी हम इस फिल्म को एक दो फेस्टिवल में भेजना चाहते हैं.”  

फिल्म बनाने वाली टीम के सदस्य बायें से सीटू तिवारी, पुनीता चौबे और निवेदिता झा

फिल्म की एक किरदार जो प्रदर्शन के मौके पर मौजूद थीं. वे कहती हैं, “यह फिल्म महिलाओं पर होने वाली आर्थिक हिंसा को ठीक से सामने लाती हैं और मैं इस फिल्म से संतुष्ट हूं. सबसे बड़ी बात है कि कई महिलाएं आज इस तरह की हिंसा की शिकार हो रही हैं, मगर वे इसका विरोध नहीं कर पा रहीं. समझ भी नहीं पा रहीं. उन्हें इस फिल्म से काफी मदद मिलेगी. दो साल से यह फिल्म बन रही है, सारे किरदार हमारे सामने हैं, उनमें तब्दीलियां आयी हैं. हमें प्रोत्साहन मिलती है. इस फिल्म को सरकार और पुलिस को भी दिखाना चाहिए, ताकि इस मसले पर उनकी समझ भी बेहतर हो.” 

इस फिल्म के निर्माण में बिहार की दो पत्रकार निवेदिता झा और सीटू तिवारी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. फिल्म के लिए कई महिलाओं के इंटरव्यू इन दोनों ने किये हैं. दोनों ने कोरोना के दौरान बिहार की ऐसी 21 महिलाओं के इंटरव्यू किए, जो उस दौर में अलग अलग तरह की हिंसा का सामना कर रही थीं.

पुनीता का कहना है कि इस फिल्म के निर्माण के जरिए जो वीडियो फुटेज उन्हें मिले हैं, उससे वे आगे दो और फिल्में बनाने की तैयारी में हैं. उनमें से एक का नाम Earned होगा. यह फिल्म उन महिलाओं पर केंद्रित होगी जो आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने की वजह से घरेलू हिंसा और शोषण से उबर पा रही हैं. दूसरी फिल्म का नाम अभी तय नहीं हुआ है.

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