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महाकुंभ के बाद पहला माघ मेला किन नई परंपराओं को शुरू करने वाला है?

प्रयागराज में पौष पूर्णिमा (13 जनवरी, 2026) से माघ मेले की शुरुआत होगी और महाशिवरात्रि (15 फरवरी 2026) के दिन मेले की समाप्ति होगी

मौनी अमावस्या पर होगा महाकुंभ का तीसरा शाही स्नान
इस बार के माघ मेले में शंकराचार्य परंपरा से जुड़े कैंप भी लगाए जाएंगे (फाइल फोटो)
अपडेटेड 26 नवंबर , 2025

प्रयागराज का माघ मेला हमेशा से आस्था, अनुशासन और आध्यात्मिक ऊर्जा का सबसे बड़ा वार्षिक संगम माना जाता है. लेकिन अगले वर्ष शुरू होने वाला माघ मेला 2026 कई मायनों में बिल्कुल अलग होगा. मेले का दायरा पहले से बड़ा है, तैयारियां और संसाधन कहीं अधिक मजबूत हैं और संत परंपरा को नए रूप में पेश करने का फैसला इसे ऐतिहासिक मोड़ पर ले जा रहा है. 

पहली बार मेला अमृत स्नान की तर्ज पर पर्व स्नान का आयोजन करेगा और यह दृश्य महाकुंभ के शाही स्नान जैसी भव्यता दिखाएगा. श्रद्धालुओं से लेकर अखाड़ों तक, पुलिस से लेकर प्रशासन तक, हर कोई इसे एक अलग स्तर का आयोजन बनाने में जुटा है.

पर्व स्नान : माघ मेले का नया अध्याय

परंपरागत रूप से माघ मेला साधुओं के कल्याण, कल्पवासियों के अनुशासन और संगम स्नान की शांति का उत्सव रहा है. लेकिन इस बार मेले में पारंपरिक पवित्र डुबकी के साथ एक नई परंपरा का आरंभ हो रहा है. पहली बार जगदगुरु, रामानंदाचार्य, महामंडलेश्वर, द्वाराचार्य, संत, महंत और श्रीमहंत शाही स्नान की तर्ज पर शोभायात्रा के साथ पर्व स्नान करेंगे. यह पहल उन श्रद्धालुओं के लिए भी खास होगी, जो महाकुंभ 2025 के अमृत स्नान में शामिल नहीं हो सके थे. 

मेला प्रशासन इसे महाकुंभ जैसे अनुभव के तौर पर पेश कर रहा है. पौष पूर्णिमा से मेले की शुरुआत होगी और मौनी अमावस्या व वसंत पंचमी पर ये पर्व स्नान आयोजन केंद्र में रहेंगे. संतों की पारंपरिक वेशभूषा, नगाड़ों की धुन, अखाड़ों की ध्वज-प्रणालियां और हजारों श्रद्धालुओं की उपस्थिति इस दृश्य को असाधारण बनाएगी. काशी के प्रमुख मठ, मंदिर और आश्रम भी इस बार बड़े स्तर पर मौजूद रहेंगे. शंकराचार्य परंपरा से जुड़े कैंप भी लगाए जाएंगे. खाक चौक के प्रधानमंत्री जगद्गुरु संतोषाचार्य सतुआ बाबा का दावा है कि महाकुंभ के बाद इतना बड़ा और भव्य आयोजन माघ मेले में पहले कभी नहीं हुआ होगा. उनके अनुसार भूमि आवंटन की प्रक्रिया 4 और 5 दिसंबर से शुरू होगी और वे 300 बीघा भूमि की मांग कर चुके हैं.

12 से 15 करोड़ श्रद्धालु, 800 हेक्टेयर का मेला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक के दौरान भी कहा कि इस बार माघ मेले का आकार 2024 के मुकाबले काफी बढ़ाया गया है. अनुमान है कि 12 से 15 करोड़ लोग संगम तट पर स्नान करने आएंगे. 

मेला कुल 800 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होगा और इसे सात सेक्टरों में विभाजित किया गया है. अलग-अलग मार्गों से आने वाले लोगों के लिए 42 पार्किंग ज़ोन बनाए जाएंगे. इतने बड़े पैमाने की भीड़ सिर्फ स्नान तक सीमित नहीं रहती, बल्कि मेले के हर मिनट, हर मार्ग और हर तंबू में इसकी उपस्थिति होती है. इसलिए प्रशासन ने इस बार तैयारियों को कई गुना मजबूत किया है. 

हर विभाग को स्पष्ट जिम्मेदारियां दी गई हैं. सिंचाई विभाग लगातार जल उपलब्धता बनाए रखेगा. लोक निर्माण विभाग सात अस्थायी पुल बनाएगा, जिन पर से हजारों लोग रोज़ाना गुजरेंगे. जल निगम 242 किलोमीटर पाइपलाइन और 85 किलोमीटर सीवर लाइन बिछा रहा है ताकि गंगा या यमुना में एक बूंद भी दूषित जल न जाए. बिजली विभाग 25 अस्थाई उपकेंद्र स्थापित कर रहा है और मेला क्षेत्र को 24 घंटे बिजली देने का लक्ष्य रखा गया है. नगर विकास विभाग हजारों शौचालय और पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें लगा रहा है ताकि भीड़ वाले इलाकों में सुरक्षा और सुविधा बनी रहे. 

मेला प्रशासन के अनुसार टेंट सिटी भी बनाई जा रही है, जहां हजारों श्रद्धालुओं को रुकने की सुविधा मिलेगी. 44 दिन तक चलने वाले इस आयोजन में प्रतिदिन 12 से 15 लाख लोगों के संगम स्नान की संभावना है. इतनी भारी भीड़ में स्वास्थ्य सेवाएं किसी भी बड़े आयोजन की रीढ़ होती हैं. इसलिए इस बार स्वास्थ्य ढांचे को काफी बढ़ाया गया है. दो अस्थायी अस्पताल (20-20 बिस्तरों वाले), 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, पांच आयुर्वेदिक और पांच होम्योपैथिक डिस्पेंसरी और 50 एंबुलेंस की तैनाती होगी. साथ ही एक वेक्टर नियंत्रण इकाई भी तैनात की जाएगी. 

निगरानी सिस्टम में AI का होगा इस्तेमाल

महाकुंभ 2025 में पुलिस का भीड़ प्रबंधन और ट्रैफिक नियंत्रण पूरी दुनिया के लिए मिसाल बना. 40,000 पुलिसकर्मियों की फोर्स ने लाखों लोगों को बिना किसी बड़े व्यवधान के मार्ग दिया. इसी अनुभव को इस बार माघ मेले में लागू किया जा रहा है. 10,000 प्रशिक्षित और अनुभवी पुलिसकर्मी मेले में तैनात रहेंगे. इनमें बड़ी संख्या उन पुलिसकर्मियों की होगी जिन्होंने महाकुंभ के दौरान ड्यूटी की थी. मेला पुलिस के एसपी नीरज पांडे के अनुसार, “इतनी बड़ी भीड़ को संभालना चुनौती है, लेकिन हमारे पास तैयार प्लान है. एंट्री और एग्जिट के अलग मार्ग होंगे और कंट्रोल रूम चौबीसों घंटे हालात पर नजर रखेगा.” 

अप्रत्याशित भीड़ बढ़ने की स्थिति में होल्डिंग एरिया का उपयोग किया जाएगा. ट्रैफिक जाम रोकने के लिए शहर के बाहर समर्पित पार्किंग जोन बनाए जाएंगे. इसके अलावा 3800 बसें श्रद्धालुओं के आने-जाने के लिए चलाई जाएंगी. मेला क्षेत्र में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में AI-सक्षम कैमरे तैनात होंगे. कुल 400 कैमरों की मदद से भीड़ का घनत्व, प्रवाह और असामान्य गतिविधियों पर निगरानी रखी जाएगी. ड्रोन भी ऊपरी संरचना को लगातार मॉनिटर करेंगे. एक जल पुलिस थाना, नियंत्रण कक्ष और चार उप नियंत्रण कक्ष होंगे. सुरक्षा के लिए 17 थाने, 42 पुलिस चौकियां, सात फायर स्टेशन और 20 फायर मॉनिटरिंग टावर लगाए जाएंगे. इस तरह तकनीक इस बार मेले की जरूरत नहीं बल्कि उसका मुख्य आधार बन रही है. 

संत समुदाय की 'रिकवरी' और विस्तार

महाकुंभ के बाद संत समाज के लिए माघ मेला हमेशा विश्राम, साधना और भक्तों से संवाद का मंच रहा है. लेकिन इस बार यह मंच और भव्य होगा. काशी के मठ-मंदिर, अखाड़ों और परंपरागत संत समाज का संगम तट पर एक साथ उपस्थित होना अपने आप में दुर्लभ दृश्य होगा. सतुआ बाबा का अनुमान है कि इस साल संतों की उपस्थिति रिकॉर्ड स्तर पर होगी, क्योंकि कई अखाड़े महाकुंभ जैसी तैयारियों के साथ आ रहे हैं. शोभायात्रा और पर्व स्नान इस आयोजन को महाकुंभ की एक झलक दे देंगे. 

माघ का महीना तप, दान और साधना का महीना माना गया है. कल्पवासी संगम किनारे 44 दिनों तक कठोर अनुशासन के साथ जीवन बिताते हैं. इस बार कल्पवासियों की संख्या भी बढ़ने की उम्मीद है, क्योंकि मेले का दायरा बढ़ा है और सुविधाएं पहले से अधिक बेहतर की गई हैं. पौष पूर्णिमा से मेले की शुरुआत होगी. मौनी अमावस्या (18 जनवरी) इसका सबसे बड़ा स्नान पर्व है. वसंत पंचमी (1 फरवरी) दूसरा बड़ा स्नान पर्व होगा. महाशिवरात्रि (15 फरवरी) के दिन मेले की समाप्ति होगी.

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