पहले 'मीनाक्षी सुंदरेश्वर' और 'अब आप जैसा कोई', विवेक सोनी का इरादा भले ही ऐसा न रहा हो लेकिन नेटफ्लिक्स ओरिजिनल में एक के बाद एक दो दमदार फिल्मों की बदौलत वे प्रेम कहानियों के सफल निर्माता बन गए हैं. हालांकि बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं होती, उन्होंने अनन्या पांडे और लक्ष्य (किल फेम) के साथ एक और रोमांटिक फिल्म 'चांद मेरा दिल भी' पूरी कर ली है.
विवेक बताते हैं, “मुझे प्रेम कहानियां हमेशा से पसंद रही हैं, बल्कि मैं तो खूबसूरत कहानी के इंतजार में रहता हूं. मैं अभी एकदम नया हूं, इसलिए कोई टैग लगवाना नहीं चाहता. ऐसी फिल्में बनाना मेरे लिए बहुत सहज हैं. यह शैली मुझे स्वाभाविक रूप से आती है. आखिरकार, प्रेम कहानियां किसे पसंद नहीं आतीं?”
नेटफ्लिक्स के दर्शकों को आर. माधवन और फातिमा सना शेख के किरदारों वाली और दिल को छू लेने वाली उनकी नई फिल्म जरूर पसंद आ रही होगी. 11 जुलाई को रिलीज होने के बाद से ही 'आप जैसा कोई' नेटफ्लिक्स इंडिया टॉप-10 में नंबर-1 पर ट्रेंड कर रही है.
सोनी के लिए किसी रोमांटिक फिल्म की सफलता का राज यही है कि वह इसको पर्सनल टच देने और ईमानदारी से बयां करने में भरोसा रखते हैं. वे कहते हैं, “मैं इसे एक नजरिया देना चाहता हूं.” 'आप जैसा कोई' ऐसे समय पर आई है जब अनुराग बसु की 'मेट्रो इन दिनों' और मोहित सूरी की 'सैयारा' के साउंडट्रैक ने हर तरफ धूम मचा रखी है. बॉक्स-ऑफिस पर कुछ समय सूखे के बाद बसु की फिल्म के अच्छे प्रदर्शन और 'सैयारा' की 15-20 करोड़ रुपये की शानदार ओपनिंग ने रोमांटिक फिल्मों के दौर को एक बार फिर बढ़ावा दिया है.
'आप जैसा कोई' में सोनी ने माधवन के साथ काम किया है और उनका शानदार अभिनय ही इस फिल्म की सबसे बड़ी खूबी भी है. सोनी कहते हैं, “वे एक बेहतरीन अभिनेता हैं. उनके साथ काम करना बहुत सहज होता है. कोई भी सीन वे सिर्फ यह सोचकर नहीं करते कि उन्हें खुद क्या करना है. बल्कि एकदम समर्पित भाव से पूरी प्रक्रिया में शामिल रहते हैं.”
फिल्म में माधवन ने खासकर बतौर निर्देशक (रॉकेटरी: द नांबी इफेक्ट) अपने अनुभव के आधार पर काफी योगदान दिया. सोनी बताते हैं, “वे (माधवन) इस पर खुलकर अपनी राय देते थे कि हम पटकथा को कैसे बेहतर बना सकते हैं; माधवन बेहद सहजता से कुछ करिश्माई करने की क्षमता रखते हैं.”
सोनी की कथा शैली में पृष्ठभूमि सबसे ज्यादा मायने रखती है. इसबारे में उनकी राय है, “जब मैं कोई कहानी चुनता हूं तो सबसे पहले यह तय करता हूं कि आखिर हम इसमें कहना क्या चाहते हैं. मुझे ऐसी फिल्में पसंद हैं जो मुझे एक गहराई का अहसास कराएं. मुझे उस मुकाम और उस अनुभव तक पहुंचाएं जो मैं चाहता हूं. मैं दर्शकों को भी वही परोसने की कोशिश करता हूं.” 'आप जैसा कोई' में कोलकाता और जमशेदपुर वो पृष्ठभूमि है जहां दो दिल जुड़ते हैं.
दिलचस्प बात यह है कि निर्देशन में उतरने से पहले सोनी का फिल्म निर्माण का अनुभव इस शैली से एकदम अलग रहा है. उन्होंने 'उड़ता पंजाब' और 'सोनचिरैया' में अभिषेक चौबे को असिस्ट किया और फिर 'रात अकेली है' में हनी त्रेहान के साथ काम किया.
विवेक के लिए इन फिल्मों के सेट पर मौजूद होना और कुछ नहीं फिल्म स्कूल में होने जैसा ही फायदेमंद रहा. वे बताते हैं, “आप जमीनी स्तर पर रहकर सीखते हैं. आपको एहसास होता है कि फिल्म निर्माण का मतलब अपनी अकड़ में रहने के बजाय कलाकारों और क्रू को अपने काम के लिए प्रेरित करना और उनसे सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करवाना है. आप अलग-अलग सोच, संस्कृति और फिल्म निर्माण को लेकर अलग-अलग नजरिया रखने वालों को अपने खांचे में कैसे ढालते हैं और अपनी बात उन्हें कितनी अच्छी तरह समझा सकते हैं?” विवेक के मुताबिक उस दौर में उन्होंने क्या करना है, से ज्यादा यह सीखा कि क्या नहीं करना है.
क्वेंटिन टेरेंटिनो, मार्टिन स्कॉर्सेसी और गोविंद निहलानी के साथ कुछ और उनके पसंदीदा फिल्म निर्माता हैं. साथ ही, सभी शैलियों के प्रति रुझान रखने वाले सोनी कहते हैं कि यह महज संयोग ही है कि उनकी पहली तीन फिल्में हल्के-फुल्के अंदाज वाली हैं, “शायद पांच साल बाद मैं कोई गंभीर, डार्क फिल्म बनाऊं. सबसे जरूरी है कि आप अपने दिल की आवाज सुनें. जो भी हो, वह भीतर से आना चाहिए.”
फिलहाल वे धर्मा बैनर के साथ काम करके खुश हैं जो उनकी सभी फिल्मों का निर्माता है. सोनी कहते हैं, “आपको यहां जिस तरह की रचनात्मक आजादी मिलती है, वह दुर्लभ है. आप खुद सशक्त महसूस करते हैं; खुद पर भरोसा होता है. आप अपनी कहानी पर अपनी मर्जी चला सकते हैं. एक रचनात्मक व्यक्ति को इससे ज्यादा क्या चाहिए होता है.”