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मिशन गगनयान के लिए चुने गए वायुसेना के ये चार पायलट कौन हैं?

इस मिशन के लिए इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों का चयन 2019 में ही हो गया था लेकिन 5 सालों तक इनकी पहचान गुप्त रखी गई. इन सभी अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में 13 महीने तक कठिन ट्रेनिंग की है

(बाएं से) ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के साथ पीएम मोदी
(बाएं से) ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर, अजीत कृष्णन, अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला के साथ पीएम मोदी
अपडेटेड 28 फ़रवरी , 2024

फरवरी की 27 तारीख को भारत ने उन चार अंतरिक्ष यात्रियों को देश से मिलवाया, जो गगनयान मिशन के तहत स्पेस में भारत की पहली उड़ान के लिए चुने गए हैं. जब गगनयान अंतरिक्ष के लिए उड़ान भर रहा होगा तो ये अंतरिक्ष यात्री पहले भारतीय होंगे जो स्वदेशी स्पेसक्राफ्ट में अपनी धरती से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भर रहे होंगे. इससे पहले 1984 में राकेश शर्मा ने अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी लेकिन वो सबकुछ सोवियत रूस से संचालित हो रहा था.

बहरहाल, जिन चार अंतरिक्ष यात्रियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश से रू-ब-रू कराया, वे सभी भारतीय वायुसेना के अधिकारी हैं. इनके नाम हैं ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालाकृष्णन नायर, ग्रुप कैप्टन अजित कृष्णन, ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप और विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला. ये सभी वायु सेना के टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास 2 से 3 हजार घंटों का व्यक्तिगत उड़ान का अनुभव है.  टेस्ट पायलट उन्हें कहा जाता है जो नए अथवा मोडिफाइड विमानों को उड़ाकर उनके प्रदर्शन का जायजा लेते हैं.  

इसरो के तिरुवनंतपुरम स्थित केंद्र पर आयोजित हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने इन नामों का खुलासा करते हुए कहा था, "ये चार नाम या चार इंसान नहीं हैं. 140 करोड़ आकांक्षाओं को अंतरिक्ष में ले जाने वाली शक्तियां हैं. 40 साल के बाद कोई भारतीय अंतरिक्ष में जाने वाला है. इस बार टाइम भी हमारा है, काउंटडाउन भी हमारा है और रॉकेट भी हमारा है." 

अब यहां आगे बढ़ने से पहले थोड़ा गगनयान मिशन के बारे में जान लेते हैं. गगनयान भारत का एक तीन दिवसीय महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष मिशन है जिसके तहत पहली बार अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में 400 किलोमीटर की कक्षा में भेजा जाएगा. फिर एस्ट्रोनॉट्स को वापस लौटना होगा. इसरो के मुताबिक 2024 में एक टेस्ट फ्लाइट रोबोट को अंतरिक्ष में ले जाएगी. इसके बाद 2025 में अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाया जाएगा.

अगर यह मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो जाता है तो भारत उन देशों की विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएगा जिन्होंने स्वदेशी रॉकेट का उपयोग करके अपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस में भेजने में सफलता प्राप्त की है. इससे पहले अमेरिका, रूस और चीन ये उपलब्धि हासिल कर चुके हैं. मिशन पूरा होने पर भारत ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा.

इस मिशन के लिए इन चारों अंतरिक्ष यात्रियों का चयन 2019 में ही हो गया था लेकिन 5 सालों तक इनकी पहचान गुप्त रखी गई. इसरो ने इन यात्रियों के क्लासरूम, फिजिकल फिटनेस, सिम्युलेटर और फ्लाइट सूट प्रशिक्षण के लिए बेंगलुरु में एक अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण सुविधा केंद्र स्थापित किया था. इसरो के मुताबिक, यहां एकैडमिक कोर्सेज, गगनयान उड़ान प्रणाली, सर्वाइवल ट्रेनिंग के अलावा एयरोमेडिकल प्रशिक्षण, समय-समय पर उड़ान का अभ्यास और योग भी उनके प्रशिक्षण का हिस्सा था.

इसके अलावा इन चार अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में भी 13 महीने तक कठिन ट्रेनिंग की है और अब भारत में भी उसी ट्रेनिंग को जारी रख रहे हैं. तिरुवनंतपुरम में कार्यक्रम के दौरान एक वीडियो जारी हुआ जिसमें ये सभी जिम में पसीना बहाने से लेकर स्विमिंग जैसे व्यायाम और योग करते दिख रहे हैं. कहा जा रहा है कि इनमें से तीन लोग अंतरिक्ष यात्रा पर जाएंगे जबकि एक यात्री बैकअप के रूप में रहेगा. इन चारों के नाम सामने आने के बाद आम लोगों के मन में इनके बारे में सहज जिज्ञासा है और इसलिए यहां हम इनके बारे में कुछ बुनियादी जानकारियां साझा कर रहे हैं.

ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर

26 अगस्त 1976 को केरल के तिरुवजियाद में जन्मे ग्रुप कैप्टन नायर नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) के पूर्व छात्र हैं और वायु सेना एकेडमी में स्वोर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किए जा चुके हैं. उन्हें 19 दिसंबर 1998 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में नियुक्त किया गया था. वे एक उड़ान प्रशिक्षक और टेस्ट पायलट हैं जिनके पास करीब 3,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है. वे फ्रंटलाइन Su-30 MKI, मिग-21, मिग-29, हॉक, डोर्नियर और AN-32 सहित कई विमान उड़ा चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने एक लड़ाकू Su-30 स्क्वाड्रन की कमान भी संभाली है.

ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन

ग्रुप कैप्टन कृष्णन भी एनडीए के पूर्व छात्र रहे हैं. इनका जन्म 19 अप्रैल 1982 को चेन्नई में हुआ था. इन्हें भी वायु सेना एकेडमी में प्रेसीडेंट गोल्ड मेडल और स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से सम्मानित किया जा चुका है. कृष्णन को 21 जून 2003 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में कमीशन किया गया था. ग्रुप कैप्टन नायर की तरह वे भी एक उड़ान प्रशिक्षक और टेस्ट पायलट हैं जिनके पास 2900 घंटे की उड़ान का अनुभव है. उन्होंने सुखोई-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-21, मिग-29, जगुआर, डोर्नियर और एएन-32 सहित कई प्रकार के विमान उड़ाए हैं.

ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप

ग्रुप कैप्टन अंगद उत्तर प्रदेश से संबंध रखते हैं. इनका जन्म 17 जुलाई, 1982 को प्रयागराज में हुआ था. ये भी एनडीए से पढ़े हुए हैं. 18 दिसंबर, 2004 को इनकी नियुक्ति भारतीय वायुसेना की लड़ाकू स्ट्रीम में हुई थी. एक उड़ान प्रशिक्षक और टेस्ट पायलट के रूप में अंगद के पास करीब 2,000 घंटे की उड़ान का अनुभव है. इन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN-32 जैसे विमान उड़ाए हैं.

विंग कमांडर शुभांशु शुक्ला

10 अक्टूबर 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे विंग कमांडर शुक्ला एनडीए से पास आउट हुए और 17 जून 2006 को भारतीय वायुसेना की फाइटर स्ट्रीम में इनकी नियुक्ति हुई. ये करीब 2,000 घंटे की उड़ान के अनुभव के साथ एक फाइटर कॉम्बेट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं. इन्होंने Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और AN-32 जैसे लड़ाकू विमान उड़ाए हैं.

देखा जाए तो पिछले दो दशकों में अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भारत ने अच्छी प्रगति की है. पिछले साल देश ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नयी कामयाबी हासिल की. साल 2023 के अगस्त महीने में भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना रोवर उतारने वाला पहला देश बना. इसके कुछ हफ्तों बाद इसरो ने सूर्य की ओर भारत का पहला ऑब्जर्वेशन मिशन आदित्य-एल1 भेजा. ये इस समय कक्षा में मौजूद रहते हुए सूर्य पर नजर रखा रहा है. भारत ने इन तमाम अभियानों के साथ ही अगले कुछ दशकों के लिए भी बहु-प्रतीक्षित एलान किए हैं. भारत ने कहा है कि वह 2035 तक पहला स्पेस स्टेशन लॉन्च करेगा और 2040 तक चंद्रमा पर अपना अंतरिक्ष यात्री भेजेगा.

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