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IMD के 150 साल: मौसम का पूर्वानुमान बताने वाले संस्थान की क्या है अपनी कहानी?

देश में चाहे आम चुनावों का आयोजन हो, परीक्षाएं हों, कोई स्पोर्टिंग इवेंट्स या फिर स्पेस लांच जैसी घटना, इन सबके आयोजन से पहले आईएमडी से इनपुट जरूर लिया जाता है

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग /फोटो- IMD
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग /फोटो- IMD
अपडेटेड 15 जनवरी , 2024

अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर के उद्घाटन और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा से पहले भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने मौसम को लेकर पूर्वानुमान जारी किया है. इसके मुताबिक, 17 से 20 जनवरी तक मौसम शुष्क रहेगा. सुबह कोहरा छाने और बाद में आसमान साफ ​​रहने का अनुमान है. 21-22 जनवरी को आसमान साफ रह सकता है.

रोजाना मौसम का पूर्वानुमान जारी करने वाला आईएमडी आज अपनी स्थापना (15 जनवरी, 1875 को) के बाद 150वें वर्ष में प्रवेश कर गया है. आईएमडी के महत्व को इस बात से समझा जा सकता है कि देश में चाहे आम चुनावों का आयोजन हो, परीक्षाएं हों, कोई स्पोर्टिंग इवेंट्स हो या फिर स्पेस लांच जैसा बड़ा कार्यक्रम. इन सबके आयोजन से पहले आईएमडी से इनपुट जरूर लिया जाता है. 

इसके अलावा आईएमडी कृषि क्षेत्रों, रेलवे, एयरवेज, शिप, पॉवर प्लांट, मछुआरा समुदाय और जल प्रबंधन जैसी एजेंसियों के लिए भी एडवाइजरी जारी करता है. लोगों के रोजमर्रा के कामों में मौसम एक बड़े फैक्टर के रूप में सामने आता है. यात्रा करनी हो, शादी-ब्याह का कार्यक्रम हो या फिर इससे मिलाजुला कार्यक्रम, लोग मौसम के बारे में जरूर जानना चाहते हैं. ऐसे में भी आईएमडी की भूमिका सामने आती है.

लेकिन एक समय था, जब चीजें इतनी आसान नहीं हुआ करती थीं. यह 1864 की बात है. दो खतरनाक चक्रवात भारत के पूर्वी तट से टकराए. एक कोलकाता से, दूसरा आंध्र तट से. करीब एक लाख लोगों को जान गंवानी पड़ी. कोलकाता वाला चक्रवात ज्यादा भयंकर था, यहां 80 हजार से अधिक लोग मरे. दो सालों बाद भारत को भयानक सूखे, अकाल जैसी विपदाओं का सामना करना पड़ा.

इन सबका नतीजा ये हुआ कि लोगों में कुपोषण तेजी से फैला और काफी लोग भूख से मरने लगे. हालांकि उस दौर में इस तरह की चीजें आम बात थी, लेकिन इन प्राकृतिक आपदाओं ने तत्कालीन शासन-प्रशासन को एक ऐसी व्यवस्था के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया, जिससे मौसम की जानकारी प्राप्त की जा सके और उसमें होने वाले बदलाव के बारे में पूर्वानुमान लगाया जा सके. 

वैसे मौसम पूर्वानुमान के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश 1850 के दशक से ही शुरू थी. लेकिन इसे अधिकतर नौसिखिए लोग ही करते थे, या फिर ब्रिटिश मिलिट्री या सर्वे ऑफिस के द्वारा किया जाता था. एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल अपने जर्नल में इन आकलनों को जगह देता था. ये सब भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की स्थापना के पूर्व शुरुआती कोशिशें थीं. 

इन कोशिशों का नतीजा यह हुआ कि 15 जनवरी, 1875 से भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने आधिकारिक रूप से कार्य करना शुरू कर दिया. शुरुआत में केवल एक व्यक्ति के ऊपर सारी जिम्मेदारी थी. इनका नाम था- एचएफ ब्लैंफोर्ड. इनका काम था- भारतीय जलवायु और मौसम विज्ञान को व्यवस्थित ढंग से समझना, और अपने ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए मौसम पूर्वानुमान की जानकारी देना और चक्रवात के लिए चेतावनी जारी करना.

आज देखें तो आईएमडी एक बहुत बड़े संस्थान में बदल चुका है. इसके अंदर में सैकड़ों स्थायी ऑब्जर्वेटरी, हजारों ऑटोमेटिक मौसम स्टेशन और हजारों कर्मचारी काम कर रहे हैं. हालांकि इसका मुख्य काम मौसम पूर्वानुमान की जानकारी देना ही है, साथ ही, इससे जुड़ी ये कई सारी विशेष सेवाएं भी उपलब्ध कराता है, जिसे कई सारी एजेंसियां संचालित करती हैं.

आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा के मुताबिक, "मौसम हमारे अधिकांश क्रियाकलापों को प्रभावित करता है, और इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आज विभिन्न क्षेत्रों में आईएमडी की सहायता ली जा रही है. हम लगातार अपने कौशल और क्षमताओं में सुधार कर रहे हैं, ताकि हमारी सूचनाएं उपयोगी बनी रहें." 

आईएमडी ने साल 1886 में पहली बार व्यापक तौर पर मानसून की भविष्यवाणी की थी, जो काफी सटीक साबित हुई थी. हालांकि, इसकी सबसे बड़ी सफलता चक्रवात के क्षेत्र में देखने को मिली है, जो इसकी स्थापना में एक बड़ा कारक रहा था. पहले चक्रवात के चलते जहां हजारों लोगों की मौत हो जाती थी, अब मौत का आंकड़ा काफी कम हो चुका है, और इसका श्रेय आईएमडी और बचाव के समय स्थानीय प्रशासन को जाता है.

इंडियन एक्सप्रेस के हवाले से आईएमडी के रिटायर्ड महानिदेशक राजन केलकर (80) एक वाकया बताते हैं, जब उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति के आर नारायणन ने बुलावा भेजा. यह 1999 की बात है. केलकर तब आईएमडी के महानिदेशक हुआ करते थे. नारायणन ने उनसे मौसम पूर्वानुमान के बारे में तफ्सील से जानकारी ली. वे यह समझना चाहते थे कि आम चुनाव के लिए सही टाइमिंग क्या हो सकती है. 

30 मिनट के बाद नारायणन ने उन्हें एक फोन कॉल का इंतजार करने के लिए कहा. यह कॉल इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया (ECI) के ऑफिस से आने वाली थी. इसी संदर्भ में कुछ दिनों बाद केलकर ECI के अधिकारियों से मिले और एक प्रस्तुति भी दी. तभी से चाहे आम चुनावों का आयोजन हो या विधानसभा का, आईएमडी से इनपुट लेने के बाद ही इनका आयोजन किया जाना शुरू हुआ.

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