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शानदार शुरुआत के बाद फिर कैसे उतार-चढ़ाव से भरा रहा रोहित शर्मा का टेस्ट करियर?

व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में अपनी बल्लेबाजी से क्रिकेट जगत् में धमाल मचाने वाले रोहित शर्मा का टेस्ट करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. 7 मई को उन्होंने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

एक टेस्ट मैच के दौरान रोहित शर्मा (फाइल फोटो)
7 मई को रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की
अपडेटेड 8 मई , 2025

इस साल जून के आखिर में शुरू होने वाले भारत बनाम इंग्लैंड टेस्ट सीरीज से पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि रोहित शर्मा भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी नहीं करेंगे. रोहित के खराब प्रदर्शन को देखते हुए चयनकर्ताओं का विश्वास उन पर लगातार कम हुआ था.

7 मई को रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया. उन्होंने इसकी जानकारी इंस्टाग्राम पर दी. साल भर पहले बारबाडोस में टी-20 विश्व कप जीतने के बाद रोहित ने टी-20 क्रिकेट से संन्यास ले लिया था. हालांकि अभी वे वनडे क्रिकेट खेलना जारी रखेंगे.

रोहित शर्मा ने इंस्टाग्राम पर टेस्ट से अपने रिटायरमेंट की जानकारी दी
रोहित शर्मा ने इंस्टाग्राम पर टेस्ट से अपने रिटायरमेंट की जानकारी दी

पिछली 11 टेस्ट पारियों में रोहित का प्रदर्शन खासा निराशाजनक रहा है. इस दौरान उनका औसत 6.63 रहा, और वे केवल 73 रन ही बना पाए हैं. रोहित की सबसे लंबी पारी मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) में 340 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए दूसरी पारी थी, जिसमें उन्होंने 40 गेंदों का सामना करते हुए 9 रन बनाए थे.

हालांकि, ऑस्ट्रेलिया में रोहित ने कहा था कि उनका संन्यास लेने का कोई इरादा नहीं है. उन्होंने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि वह अपनी फॉर्म में सुधार कर सकते हैं. सिडनी में स्टार स्पोर्ट्स से बात करते हुए रोहित ने कहा था, "मैं इतनी दूर से आया हूं. मैं यहां बाहर बैठने या मैच न खेलने के लिए नहीं आया हूं. मुझे खेलना है और टीम को जिताना है. 2007 में जब मैं पहली बार ड्रेसिंग रूम में आया था, तब से लेकर अब तक मैं यही सोचता रहा हूं कि मुझे टीम को जिताना है."

ऑस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान माइकल क्लार्क ने भी जब रोहित से अपने पॉडकास्ट में इंग्लैंड दौरे को लेकर बात की तो ऐसा लग रहा था कि रोहित खेलना चाहते थे. क्लार्क ने रोहित से कहा था कि आपको इंग्लैंड दौरे के लिए शुभकामनाएं. इस पर रोहित ने कहा था कि मैं वहां अपनी पूरी कोशिश करूंगा. ऐसे में इस बातचीत से तो यही अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोहित का अभी रिटायरमेंट को लेकर कोई खासा प्लान नहीं था.

इधर, रोहित के पिछले कुछ टेस्ट में संघर्ष को देखते हुए भारतीय क्रिकेट के दिग्गज सुनील गावस्कर ने भविष्यवाणी की थी कि अगर हालात इसी तरह रहें, तो रोहित अपने टेस्ट करियर को अलविदा कह सकते हैं.

गावस्कर ने इस साल की शुरुआत में एबीसी स्पोर्ट पर कहा था, "मुझे लगता है कि रोहित को अगले कुछ मैचों में खेलने का मौका मिलेगा, यह पक्का है. लेकिन शायद अंत में अगर उसने रन नहीं बनाए, तो मुझे लगता है कि वह खुद ही फैसला लेगा. वह बहुत ही कर्तव्यनिष्ठ क्रिकेटर है, वह टीम पर बोझ नहीं बनना चाहेगा. वह एक ऐसा क्रिकेटर है जो भारतीय क्रिकेट की बहुत परवाह करता है."

परवाह या फिर दबाव, लेकिन हकीकत यही है कि रोहित शर्मा ने खामोशी से टेस्ट क्रिकेट से विदा ले लिया है. उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 67 टेस्ट मैचों की 116 पारियों में 40.57 की औसत से 4,301 रन बनाए, जिसमें 12 शतक और 18 अर्धशतक शामिल हैं.

एक टेस्ट मैच में शतक लगाने के बाद दर्शकों का अभिवादन स्वीकार करते रोहित शर्मा
एक टेस्ट मैच में शतक लगाने के बाद दर्शकों का अभिवादन स्वीकार करते रोहित शर्मा

भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक रोहित का टेस्ट करियर काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. वे 2010 में ही टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण करने वाले थे, लेकिन टखने की चोट की वजह से उन्हें आखिरी क्षणों में मायूस होना पड़ा. 2010 में नागपुर में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट से कुछ मिनट पहले ही वे बाहर हो गए थे. चोट की वजह से वे अपने घरेलू मैदान पर टेस्ट डेब्यू करने का मौका चूक गए, जिससे ऋद्धिमान साहा को पहली बार सफेद जर्सी पहनने का मौका मिला.

दो साल बाद, रोहित से एक बार फिर पर्थ में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी 2011-12 के तीसरे मैच में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण की उम्मीद थी. वे विराट कोहली की जगह लेते, जिनका बल्ला सीरीज के पहले दो मैचों में खामोश रहा था. रोहित तीसरे टेस्ट के लिए विराट की जगह लेने के लिए सबसे आगे थे.

हालांकि, कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने चयनकर्ताओं के दबाव के बावजूद कोहली को प्लेइंग इलेवन में रखने का फैसला किया, जो उनके करियर में एक अहम क्षण साबित हुआ. लेकिन रोहित का इंतजार अभी भी खत्म नहीं हुआ था, वे एक जानदार-शानदार मौके की तलाश में थे.

तीन साल से अधिक समय तक इंतजार करने के बाद, रोहित ने आखिरकार 2013 में कोलकाता के प्रतिष्ठित ईडन गार्डन में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया. उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले दो मैचों में लगातार शतक लगाकर क्रिकेट जगत् में मजबूत संदेश भेजा कि 'रोहित शर्मा' का लाल गेंदों के इस महासमर में आगमन हो चुका है. पहले मैच में शतक लगाने के बाद रोहित उन विशिष्ट बल्लेबाजों की फेहरिस्त में भी शामिल हुए, जिन्होंने डेब्यू मैच में ही सेंचुरी बनाई.

बेशक, अपने पहले टेस्ट में प्लेयर ऑफ द मैच अवार्ड और सीरीज समापन के बाद प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड पाने वाले रोहित ने अपने टेस्ट करियर की बेहतरीन शुरुआत की. हालांकि, उनका अभी SENA (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) देशों की मुश्किल पिचों पर टेस्ट होना बाकी था.

SENA की उछाल भरी और स्विंग वाली परिस्थितियों का सामना करना रोहित के लिए खासा मुश्किल साबित हुआ, क्योंकि अगली 16 पारियों में वे सिर्फ दो बार पचास से ज्यादा का स्कोर बना पाए. बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच, रोहित टेस्ट टीम से अंदर-बाहर होते रहे और आखिरकार 2018 में इंग्लैंड दौरे के लिए उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया.

जाहिर है रोहित इस बात से आहत थे, लेकिन उन्होंने इस झटके को खुद पर हावी नहीं होने दिया. वे वापसी के लिए बेचैन थे और दृढ़ संकल्पित भी. इंग्लैंड दौरे से हटाए जाने के बाद उन्होंने ट्विटर (अब X) पर लिखा - "कल फिर से सूरज निकलेगा."

दिलचस्प है कि टेस्ट में भले रोहित का सिक्का नहीं चल रहा था लेकिन उन्होंने अन्य दो प्रारूपों (वनडे और टी-20) में धमाल मचाना जारी रखा था.

इंग्लैंड दौरे से हटाए जाने के बाद रोहित शर्मा का 'एक्स' पोस्ट
इंग्लैंड दौरे से हटाए जाने के बाद रोहित शर्मा का 'एक्स' पोस्ट

2019 का विश्व कप उनके लिए रिकॉर्ड तोड़ साबित हुआ, जहां उन्होंने पांच शतक लगाए. हालांकि विराट कोहली की अगुआई वाली भारतीय टीम का कारवां सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया, जहां उसे न्यूजीलैंड से मात मिली. 

बहरहाल, व्हाइट-बॉल फॉर्मेट में रोहित के धमाल मचाने का इनाम उन्हें दोबारा टेस्ट टीम में वापसी के रूप में मिला. इस बार अलग यह था कि वे बतौर ओपनर टेस्ट टीम में शामिल हुए थे. ध्यान दीजिए कि यह वही पोजिशन है जिसने करीब पांच साल पहले (2013 में) वनडे में उनकी किस्मत बदल दी थी.

दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में ओपनिंग करने का मौका मिलना रोहित के करियर के लिए पुनर्जन्म साबित हुआ. उन्होंने धमाकेदार शुरुआत करते हुए इसका पूरा फायदा उठाया. वे टेस्ट इतिहास में पहले बल्लेबाज बने, जिन्होंने बतौर ओपनर अपने पहले ही मैच में दो शतक बनाए.

उसी सीरीज के तीसरे टेस्ट में रोहित ने भारत को 39/3 की खराब स्थिति से उबारा और अपना पहला दोहरा शतक (212) बनाया. यह आज तक उनका सर्वोच्च टेस्ट स्कोर है. दो मैन ऑफ द मैच और प्लेयर ऑफ द सीरीज अवॉर्ड के साथ रोहित शर्मा का टेस्ट में पुनर्जन्म आखिरकार हो चुका था, और वे उस प्रारूप पर राज करने के लिए वापस आ चुके थे, जिसमें वे पहले मास्टर करने में असफल रहे थे. 

रोहित शर्मा 2.0 ने विदेशी परिस्थितियों में भी अपनी प्रतिभा की झलक दिखाई. उन्होंने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी 2020-21 में नई गेंद का सामना करते हुए अत्यंत अनुशासित प्रदर्शन किया और सिडनी टेस्ट में शुभमन गिल के साथ अहम साझेदारियां कीं.

हालांकि, रोहित अभी भी धैर्य नहीं दिखा रहे थे. उन्होंने ऐतिहासिक गाबा टेस्ट की पहली पारी में शानदार 44 रन बनाए, लेकिन इस शुरुआत को यूं ही जाने दिया और ऑस्ट्रेलिया को कंट्रोल हासिल करने दिया. भारत लौटने के बाद, रोहित ने इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई में एक जरूरी टेस्ट में टर्निंग ट्रैक पर शानदार 161 (231) रन बनाए. इस पारी ने भारत की सीरीज में वापसी का रास्ता खोला, जिसके चलते 3-1 की जीत हुई और 2021 में पहले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए क्वालीफिकेशन पक्का हुआ.

'टेस्ट में विदेशी पिचों पर रोहित असरदार नहीं' इस तरह की बातें रोहित के आलोचक लगातार कहते आए थे. लेकिन रोहित ने इसे भी 'मिथ' साबित किया. विदेशी पिचों पर उनका जबरदस्त प्रदर्शन इंग्लैंड के खिलाफ 2021 में हुए सीरीज के दूसरे टेस्ट में सामने आया, जहां उन्होंने 83 (145) रनों की पारी खेली. उनकी इस इनिंग में शानदार डिफेंस और आकर्षक स्ट्रोकप्ले शामिल देखने को मिला. 

उसी सीरीज में लीड्स में तीसरे टेस्ट में एक और अर्धशतक आया, लेकिन लंदन के ओवल में स्टार ओपनर ने अपने क्रिकेट करियर के एकमात्र दाग को मिटा दिया - विदेश में टेस्ट शतक. 

रोहित ने 256 गेंदों में 127 रनों की एक अच्छी तरह बुनी हुई पारी खेली. उनकी इस जुझारू इनिंग ने पहली पारी में 99 रन से पिछड़ने के बावजूद भारत की मैच में वापसी को सुगम बनाया. भारत ने मैच में न सिर्फ शानदार वापसी की बल्कि 157 रनों की ऐतिहासिक जीत भी हासिल की. रोहित को इस मैच के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया. 

सीरीज के पांचवें और आखिरी टेस्ट में भाग नहीं लेने के बावजूद रोहित ने आठ पारियों में 368 रनों के साथ सीरीज में भारत के लिए सबसे ज्यादा रन बनाए. विदेश में खराब रिकॉर्ड के लिए आलोचना से लेकर इंग्लैंड में टीम के अग्रणी रन स्कोरर के रूप में समापन तक, रोहित के जीवन का एक फुल सर्कल पूरा हो चुका था. 

रोहित को इसके बाद इंडियन क्रिकेट टीम की कप्तानी भी सौंपी गई. उनके बल्ले से निकले दो और शतकों ने इंग्लैंड को पहली बार सीरीज हार के लिए बाध्य किया. रोहित के टेस्ट में ओपन करने से लेकर 2024 में इंग्लैंड सीरीज के अंत तक उन्होंने 32 टेस्ट खेले. इन मैचों की 54 पारियों में उन्होंने 50.03 की औसत से 2552 रन बनाए, जिसमें नौ शतक और सात अर्धशतक शामिल थे.

रोहित शर्मा के टेस्ट करियर के लिए यह स्वर्णिम काल था. लेकिन अगले टेस्ट सीजन में वे अपनी सफलता को दोहराने में असफल रहे. अपने सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में न होने के बावजूद उन्होंने अपने खिलाड़ियों को बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट में एक अविश्वसनीय जीत हासिल करने के लिए प्रेरित किया, जहां भारत ने बारिश से प्रभावित मैच में केवल 173.2 ओवरों में नतीजा निकाला.

यह कप्तान रोहित की आखिरी सफलता भी थी, क्योंकि इसके बाद उन्होंने अगले छह में से पांच मैच हारे, जिनमें न्यूजीलैंड के खिलाफ घरेलू मैदान पर भारत की अब तक की सबसे खराब हार 0-3 से व्हाइटवॉश शामिल था. 

बहरहाल, अब जबकि रोहित टेस्ट से संन्यास ले चुके हैं, उनके करियर को हमेशा एक ऐसी कहानी के रूप में याद किया जाएगा जो और शानदार हो सकती थी. एक देर से शुरूआत, जो बहुत सारी उम्मीदों के साथ शुरू हुई लेकिन पहले हाफ में अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी. हालांकि, रोहित 2.0 को उनके पसंदीदा बल्लेबाजी स्थान ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मौका दिया.

उनके करियर का मुख्य आकर्षण टर्निंग ट्रैक पर मैच जिताने वाले शतक रहेंगे, जिनके सभी 12 शतकों ने भारत की जीत में योगदान दिया. रोहित शर्मा 2.0 ने दिखाया कि अगर उन्हें शुरू से ही अपनी आदर्श बल्लेबाजी स्थिति मिली होती, तो वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ओपनरों में गिने जा सकते थे.

बेशक, टेस्ट में 'हिटमैन' को शायद इस प्रारूप के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में नहीं गिना जाएगा. हालांकि, टेस्ट ओपनर के रूप में उनका पुनर्जन्म यह भी सुनिश्चित करता है कि उन्हें इतनी आसानी से भुलाया नहीं जाएगा.

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