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सिनेमैटिक यूनिवर्स में LCU की 'लियो' कितनी दमदार?

लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स में कैथी (2019), विक्रम (2022) के बाद अब लियो आई है

डायरेक्टर लोकेश की फिल्मों को फैन्स ने लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स का नाम दिया है
डायरेक्टर लोकेश की फिल्मों को फैन्स ने लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स का नाम दिया है
अपडेटेड 23 अक्टूबर , 2023

जब अलग-अलग फिल्में एक ही कहानी के सूत्र में पिरोकर अलग-अलग किरदारों के जरिए पेश की जाती हैं तो उसे सिनेमैटिक यूनिवर्स कहने का चलन है. सिनेमाई दुनिया में पहला सिनेमैटिक यूनिवर्स कौन था? इस सवाल का जवाब तो नहीं मालूम. लेकिन सबसे मशहूर नाम हॉलीवुड का मार्वल सिनेमैटिक यूनिवर्स (MCU) है. सुपरहीरो वाली कहानियों की एक सीरीज. जो 2008 में आई आयरन मैन के साथ शुरू हुई थी. इस यूनिवर्स की आखिरी दो फिल्में हैं एवेंजर: एंडगेम और स्पाइडर मैन: होम कमिंग.

हॉलीवुड की तरह अब भारत में भी सिनेमैटिक यूनिवर्स का चलन शुरू हो गया है. कोविड के बाद बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह पिट रहे बॉलीवुड को उबारने वाले शाहरुख की 'पठान' ऐसे ही एक सिनेमैटिक यूनिवर्स का हिस्सा है. जिसका नाम है YRF Spy Universe. इस यूनिवर्स की पहली फिल्म सलमान खान की 'एक था टाइगर (2012)' है. जिसे बाद में टाइगर जिंदा है (2017), वॉर (2019), पठान (2023) ने फॉलो किया. इसी की अगली कड़ी लेकर टाइगर-3 आने वाली है. हालांकि इस स्पाई यूनिवर्स की रचना पहली फिल्म के साथ ही हुई थी, ये नहीं कहा जा सकता है. सिनेमैटिक यूनिवर्स की वजह से बनने वाले सस्पेंस और इसे लेकर दर्शकों की दिलचस्पी ने यशराज फिल्म्स को स्पाई यूनिवर्स गढ़ने के लिए मोटिवेट किया. यही वजह रही कि 'टाइगर जिंदा है' के बाद आने वाली फिल्मों को या तो कहानी के स्तर पर या फिर किरदारों के जरिए एक-दूसरे से जोड़ा गया.

ऋतिक रोशन और टाइगर श्रॉफ की वॉर अपने प्लॉट के जरिए इस स्पाई यूनिवर्स से जुड़ती है. जहां एक स्पाई एजेंट देश को बचाने की लड़ाई लड़ रहा है. शाहरुख खान की फिल्म पठान में टाइगर (सलमान खान) के किरदार की एंट्री होती है. टाइगर पठान की मदद के लिए आता है. फिर दोनों साथ मिलकर देश के गद्दार जिम (जॉन अब्राहम) के लोगों से लड़ते हैं.

एक सिनेमैटिक यूनिवर्स और है. लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स (LCU).जो इन दिनों सुर्खियों में है. क्योंकि एलसीयू की एक किस्त 'लियो' (Leo) रिलीज कर दी गई है. YRF के स्पाई यूनिवर्स की तरह एलसीयू को 2-3 फिल्मों के बाद नहीं गढ़ा गया. बल्कि ये अपनी पहली कहानी (कैथी - 2019) में ही इसी कॉन्सेप्ट के साथ आया था. इस सिनेमैटिक यूनिवर्स का ढांचा तैयार करने वाले डायरेक्टर लोकेश कनगराज कई बार कह चुके हैं कि वे फिल्मों की एक सीरीज बनाना चाहते थे जो कैथी के साथ शुरू हुआ. लोकेश इसके लिए कोई नाम भी सोच रहे थे. लेकिन दर्शकों और उनके फैन्स ने खुद ही एक नाम दे दिया- लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स.

LCU की तीसरी फिल्म है लियो
LCU की तीसरी फिल्म है लियो

 

LCU का बेसिक प्लॉट

एलसीयू की पूरी जमीन लोकेश कनगराज ने तैयार की है. ड्रग्स के खिलाफ और देश से ड्रग्स सप्लायर का नामो-निशान मिटा देने की लड़ाई. ये एक वाक्य है जिस पर लोकेश का सिनेमैटिक यूनिवर्स खड़ा है. कैथी, विक्रम (2022) और लियो (2023) इसी सूत्र वाक्य के तीन रास्ते हैं. जो अंत में जाकर एक ही मोड़ पर मिलेंगे. लेकिन इस मुलाकात से पहले बकौल लोकेश कैथी-2 आएगी जो कैथी के मुख्य किरदार दिली (कार्ति) पर केंद्रित होगी. इसके बाद आने वाली फिल्म विक्रम-2 इस यूनिवर्स के सभी किरदारों के मिलने की जगह बन सकती है.

2019 में रिलीज हुई कैथी एलसीयू की पहली फिल्म थी. कैथी तमिल भाषा का एक शब्द है, जिसका हिंदी समानार्थी शब्द कैदी है. एक्टर कार्ति इस फिल्म में मुख्य किरदार (दिली) में हैं. दिली एक बदमाश है जो 10 साल से जेल में बंद है. जेल में अच्छे आचरण की वजह से उसे रिहा कर दिया जाता है. जेल से निकलर वो अपनी बेटी से मिलना चाहता है जिसे उसने 10 साल से देखा तक नहीं है. इसी बीच इंस्पेक्टर बिजॉय कोकीन की एक खेप पकड़ लेता है. कहानी आगे बढ़ती है और जैसे-तैसे पुलिस और ड्रग माफिया की लड़ाई में उलझ जाता है दिली. उसके बाद दिली की लड़ाई और बेटी से मुलाकात का लंबा होता वक्त, इसी के बीच पूरी कहानी घूमती है.

3 साल बाद लोकेश विक्रम के साथ हाजिर हुए जो उनके फिल्मी यूनिवर्स की दूसरी कड़ी थी. विक्रम में कमल हासन, विजय सेतुपति और फहाद फाजिल मुख्य भूमिका में थे. कमल हासन का किरदार विक्रम देश से ड्रग्स को पूरी तरह खत्म कर देना चाहता है. इसलिए उसने एक नकाबपोश टीम बनाई है. जिसके सदस्य ऊपर से नीचे तक काले रंग के कपड़े पहनकर काला मास्क लगा लेते हैं. इससे सिर्फ उनकी आंखों की पुतलियां ही दिखती हैं. ये नकाबपोश टीम ड्रग्स के धंधे में जुड़े माफियाओं को मारना शुरू कर देती है. फहाद फाजिल (एजेंट अमर) जो कि पुलिस अधिकारी बने हैं वो भी विक्रम से प्रभावित होकर उसी की टीम में शामिल हो जाते हैं. इस फिल्म में विक्रम का टारगेट विजय सेतुपति का किरदार संधानम है. जो ड्रग्स का सबसे बड़ा सप्लायर रहता है. विक्रम, अमर और संधानम की भिड़ंत पर ये पूरी फिल्म खत्म होती है.

कैथी में ड्रग्स के खिलाफ छापेमारी होती है. दिली उसमें उलझ जाता है. विक्रम की पूरी लड़ाई ड्रग्स के खिलाफ है. दोनों ही फिल्मों में ड्रग्स के धंधे पर चोट कॉमन है. लेकिन विक्रम के क्लाइमेक्स में जाकर डायरेक्टर लोकेश दोनों फिल्मों को जोड़ते हैं. यहां रोलेक्स की एंट्री होती है. जिसे उसके आदमी बताते हैं कि कोकीन पर जो छापेमारी हुई थी उसमें पुलिस की मदद दिली ने ही की थी. इस तरह विक्रम में दिली के किरदार का जिक्र होता है.

तीसरी कड़ी कमजोर या मजबूत?

लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स की सबसे ताजा प्रोडक्ट है लियो. विजय थलापति मुख्य भूमिका में हैं. कहानी ये है कि हिमाचल प्रदेश में एक कैफे का मालिक है पार्थीबन. हम दो, हमारे दो वाली फैमिली है. बेटा जैवलिन थ्रो सीख रहा है. बेटी छोटी है, स्कूल जाती है. कैफे बढ़िया चलता है. पार्थीबन जानवरों के रेस्क्यू में एक्सपर्ट भी है. जैसा कि वो फिल्म के शुरूआत में ही एक हाइना- जो पूरे शहर में लोगों को खाए जा रहा है- का रेस्क्यू करता है. हाइना का रेस्क्यू शहर के लिए राहत की बात है. लेकिन पार्थीबन के जीवन में तबाही लेकर आता है. दूसरे शहरों से ड्रग्स कारोबार की दुनिया के दो सबसे कारोबारी और बदमाश, एंटनी दास और हेराल्ड दास शिमला पहुंचते हैं और पार्थीबन को लियो दास कहने लगते हैं.

लियो के एक सीन में पार्थीबन (विजय थलापति का किरदार)
लियो के एक सीन में पार्थीबन (विजय थलापति का किरदार)

गुंडे पार्थीबन को लियो साबित करने पर तुले हुए हैं. पार्थीबन अपने आप को लियो मान ले इस बात के लिए मार-काट मची हुई है. क्या पार्थीबन ही लियो है? या कोई हमशक्ल है? इस सवाल का जवाब फिल्म देखकर जानें तो ज्यादा बेहतर होगा. बहरहाल फिल्म को लेकर दर्शकों में मिली-जुली राय है. एक धड़ा इसे कैथी और विक्रम की तुलना में कमजोर बता रहा है. तो दूसरा धड़ा इसे हॉलीवुड लेवल के एक्सपीरियंस वाला सिनेमा बता रहा है.

लियो में डायरेक्टर लोकेश कंट्रास्ट के इस्तेमाल से एक नए अनुभव को जन्म देने की कोशिश करते हैं. हर सीन और उसका बैकग्राउंड अपने साथ एक विरोधाभास लिए हुए है. पार्थीबन गुंडों को पीट रहा होता है, ठीक उसी वक्त चिल्ला-चिल्लाकर रोने लगता है. गुंडे उसे लियो कहते हैं, वो विलाप की स्थिति में आकर खुद को पार्थीबन साबित करने पर तुला हुआ है. 

फिल्म की शुरुआत हाइना से भिड़ंत वाले सीक्वेंस से होती है. जिसमें हाइना खतरनाक रूप में है, मुंह में खून लगा हुआ है. सामने पार्थीबन एक सफेद शर्ट पहने हुए बेहद शांत अंदाज में खड़ा हो जाता है. एक और सीन देखिए, जहां वो अपनी बेटी को गोद में लेकर सो रहा है और उसके पीछे आग धधक रही है. इससे पहले एंटनी अपने गुंडों के साथ पार्थीबन को मारने आ रहा होता है. तभी पार्थीबन अपने परिवार की सुरक्षा के लिए तैयारी कर रहा होता है. पार्थीबन एक लोहे को आग में गर्म करता है, उसे पीटकर तलवार बनाता है और फिर चॉकलेट से भरे ड्रम में डूबो देता है.

मसाला मूवी में एक अलग दर्जे की सिनेमाई एक्सपीरियंस के स्तर पर लियो अपने यूनिवर्स के दूसरे ग्रहों से आगे की कक्षा में है. कैथी और विक्रम का क्रेज दमदार एक्टिंग, बैकग्राउंड म्यूजिक और बेहद रॉ किस्म के एक्शन की वजह से बना था. लियो के पैकेज में इन खूबियों के साथ एक्सपेरिमेंट का तड़का भी है. जो लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स की जमीन और मजबूत ही करती है.

लियो में अपनी बेटी के साथ पार्थीबन
लियो में अपनी बेटी के साथ पार्थीबन

हालांकि लियो अपने पहले हिस्से में जितनी तेज दिखती है, दूसरे हिस्से में उसकी धार वैसी ही बरकरार नहीं रहती. दूसरे हिस्से में एक्शन और सस्पेंस ज्यादा होने के बावजूद फिल्म धीमी लगती है. जिसकी सबसे बड़ी वजह वही कंट्रास्ट है जिसने इस फिल्म को अलग बनाया है. ऐसा लगता है कि फिल्म एक ही प्वाइंट पर अटक गई है. जहां पूरी दुनिया पार्थीबन को लियो दास साबित कर देना चाहती है. बार-बार यही डायलॉग सुनाई पड़ते हैं- 'तू बस कह दे कि लियो दास तू ही है', 'अरे भई, मैं कितनी बार बताऊं की मैं कोई लियो नहीं पार्थीबन हूं. सिर्फ पार्थीबन.'

लियो के क्लाइमेक्स में एंट्री होती है विक्रम की. उसी सिग्नेचर काले नकाबपोश में 4-5 लोगों की टीम बैठी है. विक्रम खड़ा है. पार्थीबन को कॉल करता है और वही ध्येय वाक्य बोलता है जो लोकेश सिनेमैटिक यूनिवर्स का सूत्र है- 'पूरे देश से ड्रग का नामो-निशाना मिटाना होगा.' लियो में कैथी का भी एक कैरेक्टर है. कैथी में दिली जब मशीन गन से बदमाशों को भून रहा होता है तब उसे एक सिपाही मैनुअल से देखकर बताता है कि उसे चलाना कैसे है. उसी सिपाही को लियो में पार्थीबन के घर की सुरक्षा में डिप्लॉय किया जाता है. तब पार्थीबन सिपाही से पूछता है कि थाने में 50-60 लोगों को गोली किसने मारी थी. जिसके जवाब में सिपाही कहता है कि "सारा किया-धरा दिली का था, मैं तो बस मैनुअल से पढ़कर उसे बता रहा था."

लोकेश कनगराज ने हाल ही में कहा है कि वो बस एलसीयू को पूरा करने के बारे में सोच रहे हैं. जिसमें कैथी-2, रोलेक्स, लियो-2 और विक्रम-2 जैसी फिल्में आएंगी. कैथी-2 में दिली के किरदार को एक्सप्लोर किया जाएगा. विक्रम में रोलेक्स का कैमियो था. रोलेक्स के किरदार पर भी एक फिल्म बनेगी. लियो-2, लियो की कहानी आगे बढ़ाएगी. इसमें पार्थीबन को विक्रम के साथ मिलकर काम करता हुआ दिखाया जाएगा. फिर इस सिनेमैटिक यूनिवर्स की आखिरी किस्त आएगी विक्रम-2 के रूप में. जहां इस यूनिवर्स के सारे प्रमुख किरदार एक साथ दिखाए जा सकते हैं.

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