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दुर्लभ सांपों का बसेरा बना यूपी का दुधवा नेशनल पार्क!

उत्तर प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व में 14 मई को जिंदा मिला लंबी थूथन वाला वाइन स्नेक अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस ब्राउन मॉर्फ को भारत पहले कहीं नहीं देखा गया. इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 'कोंडानारस सैंड स्नेक' की पहली तस्दीक भी दुधवा के जंगलों में हुई है

दुधवा नेशनल में पार्क में मिले दुर्लभ प्रजाति के सांप
दुधवा नेशनल में पार्क में मिले दुर्लभ प्रजाति के सांप
अपडेटेड 14 मई , 2025

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के फील्ड बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी  के साथ अपूर्व गुप्ता और रोहित रवि (वरिष्ठ जीवविज्ञानी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया), पशु चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. तल्हा की टीम रोज की भांति 12 मई की सुबह भी बाघ ट्रैकिंग गश्त के लिए निकली थी. 

इसी दौरान वन्यजीव बायोलॉजिस्ट विपिन कपूर सैनी ने घास के मैदान के किनारे से जंगल की सड़क की ओर धीरे-धीरे चलते हुए पतले, लम्बे सांप को देखा. टीम ने सांप की फोटोग्राफी की और उसे पकड़कर गहन परीक्षण भी किया. 

कई स्तर की बारीक जांच और शारीरिक लक्षणों की सांप की अन्य प्रजाति से मिलान के बाद से यह तय हो गया कि यह सांप आम नहीं बल्क‍ि कोई दुर्लभ प्रजाति से ताल्लुक रखता है. बाद में इसकी पहचान अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस (सांप का वैज्ञानिक नाम) या लंबी थूथन वाला बेल सांप या वाइन स्नेक के रूप में की गई. 

अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस - ( ब्राउन मॉर्फ) - लंबी थूथन वाला बेल सांप
अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस - ( ब्राउन मॉर्फ) - लंबी थूथन वाला बेल सांप

बाद में वन रेंज अधिकारी मोहम्मद अयूब की देखरेख में सांप को उसी स्थान पर सुरक्षित रूप से छोड़ दिया गया. इस तरह एक ऐतिहासिक सरीसृप विज्ञान संबंधी सफलता में, दुधवा टाइगर रिजर्व ने भारत में अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस (लंबी थूथन वाला बेल सांप) के भूरे रंग के रूप ( ब्राउन मार्फ) का पहला लाइव रिकॉर्ड दर्ज किया है.. यह खोज उत्तर प्रदेश से इस प्रजाति का दूसरा लाइव रिकॉर्ड है, इससे पहले 25 मार्च को दक्षिण सोनारीपुर रेंज, दुधवा टाइगर रिजर्व डिवीजन, पलिया-खीरी में गैंडों के स्थानांतरण के दौरान हरे रंग वाला “अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस” सांप भी पहली बार देखा गया था.

अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस - हरे रंग वाला
अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस - हरे रंग वाला

दुधवा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर डॉ एच. राजा मोहन जीवविज्ञानियों की टीम की सराहना करते हुए बताते हैं, "दुधवा केवल बाघों, हाथियों या गैंडों के बारे में नहीं है, यह कम ज्ञात और पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों का एक विकसित भंडार है." सांपों की नई प्रजाति मिलने पर उनका कहना था, "अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस की खोज, विशेष रूप से ब्राउन मॉर्फ, जिसे भारत में पहले कभी नहीं देखा गया था, दुधवा की जैव विविधता की गहराई का उदाहरण है." 

विशेषज्ञों के मुताबिक दुधवा में तराई के मैदानों में “अहेतुल्ला लॉन्गिरोस्ट्रिस” का फिर से दिखना, और वह भी दो अलग-अलग रंग रूपों, हरे और भूरे रंग में, एक व्यापक पारिस्थितिक आयाम की ओर इशारा करता है. दुधवा के उपनिदेशक डा. रेंगाराजू टी के मुताबिक लंबी थूथन वाला बेल सांप हल्का विषैला होता है जो अपने पार्श्व रूप से संकुचित शरीर, तीखे नुकीले थूथन और क्षैतिज पुतलियों से पहचाना जाता है. हाल ही तक, इस प्रजाति को पश्चिमी घाट तक ही सीमित माना जाता था, जिसके छिटपुट फ़ोटोग्राफ़िक रिकॉर्ड थे. 

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिण सोनारीपुर रेंज के बांकी ताल में फरवरी 2024 में विपिन कपूर सैनी ने पतले शरीर वाला सांप, जो किसी बेल या टहनी जैसा दिखता था और लगभग सूखे पत्तों में घुल-मिल जाता था, देखा था. गहन परीक्षण के बाद यह  ब्राउन वाइन स्नेक निकला, जिसका वैज्ञानिक नाम 'अहेतुल्ला प्रसीना' है. यह एक ऐसी प्रजाति थी, जिसका दुधवा या यहां तक ​​कि यूपी राज्य के वन्यजीव इतिहास में कभी उल्लेख नहीं किया गया था. 

अहेतुल्ला प्रसीना
अहेतुल्ला प्रसीना

इससे पहले, 19 फरवरी, 2019 को, एक दुर्लभ सांप ‘लाल मूंगा खुखरी’ को फिर से खोजा गया था, जिसका प्राणीशास्त्रीय नाम ‘ओलिगोडिन खेरिएंसिस’ है. यह 1936 में दुधवा के जंगलों में पहली बार खोजा गया था. वर्ष 2024 में 'अहेतुल्ला’ प्रजाति के सांप का दुधवा में पहला लाइव रिकॉर्ड एक महत्वपूर्ण मोड़ था, और 2025 में इसका फि‍र दिखना, विशेष रूप से भूरे और हरे रंग के मॉर्फ का, भारत के सरीसृप डेटाबेस को महत्वपूर्ण रूप से समृद्ध कर रहा है. किशनपुर में इसका देखा जाना भारत-गंगा क्षेत्र में बहुरूपता, सूक्ष्म आवास और प्रजातियों के वितरण का अध्ययन करने के लिए नए रास्ते खोलता है.  

लंबी थूथन वाले बेल सांप की खोज रिजर्व में एक और बड़ी खोज के तुरंत बाद आई है. उत्तर प्रदेश में “कोंडानारस सैंड स्नेक” (सैममोफिस कोंडानारस) की पहली पुष्टि की गई है. विपिन कपूर को मार्च के अंतिम हफ्ते में “कोंडानारस सैंड स्नेक” मृत हालत में मिला था. विपिन बताते हैं कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि दुर्लभ प्रजाति का “कोंडानारस सैंड स्नेक” भी दुधवा के जंगलों में मौजूद है. 

दुधवा में सांपों की दुर्लभ प्रजाति मिलने के बाद वन विभाग, अपने वैज्ञानिक साझेदारों के साथ मिलकर अब जैवविविधता निगरानी ढांचे को मजबूत करने, सरीसृप सर्वेक्षणों को प्रोत्साहित करने, तथा गुप्त प्रजातियों की पहचान और संरक्षण के लिए स्थानीय क्षमता का निर्माण करने की योजना बना रहा है. ऐसा इसलिए ताकि दुधवा का पूरा पारिस्थितिकी स्पेक्ट्रम सामने आता रहे.

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