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दिव्या देशमुख : जब इस जेन-ज़ी गर्ल के शतरंज की 'क्वीन' बनने की भविष्यवाणी हुई थी...

फिडे (एफआइडीई) ‌विमेन्स वर्ल्ड कप का खिताब जीतकर दिव्या देशमुख ने न सिर्फ इतिहास रचा, बल्कि 'कैंडिडेट्स 2026' में अपनी जगह भी पक्की की, जहां जीतने वाली खिलाड़ी मौजूदा विश्व चैंपियन को टक्कर देगी

दिव्या देशमुख
अपडेटेड 30 जुलाई , 2025

चेसबेस इंडिया का एक वीडियो इन दिनों वायरल हो रहा है, जिसमें 13 साल की दिव्या देशमुख और गुकेश डोम्माराजू किंग्स इंडियन अटैक पर चर्चा कर रहे हैं. इसमें दिव्या, गुकेश की चाल और रणनीति का हिंदी में अनुवाद कर रही हैं.

वे एक मौके पर गुकेश से कहती हैं कि थोड़ा धीरे बोलो ताकि वे सही से ट्रांसलेट कर सकें. वीडियो के आखिर में जब बेहद संकोची गुकेश उन्हें थैंक्स कहते हैं, तो दिव्या एक सच्चे दोस्त की तरह आखें गोल-गोल घुमाती हैं.

मासूमियत से भरे उस वीडियो में जो बात सबसे खास है, वह यह कि वहां मौजूद इकलौते वयस्क निकलेश जैन बातचीत की शुरुआत में ही कह देते हैं, "क्या पता इनमें से कोई एक कभी वर्ल्ड चैंपियन बन जाए."

गुकेश ने उस भविष्यवाणी को पिछले साल सच कर दिखाया. और अब दिव्या देशमुख, जो इस वक्त जूनियर गर्ल्स की मौजूदा चैंपियन हैं, अपने सपने के और करीब पहुंच गई हैं. उन्होंने फिडे विमेन्स वर्ल्ड कप जीत लिया है, जिससे उन्हें कैंडिडेट्स 2026 में जगह मिल गई है और जिसका विजेता मौजूदा वर्ल्ड चैंपियन को चुनौती देगा.

सोने पर सुहागा यह रहा कि दिव्या ने ग्रैंडमास्टर का प्रतिष्ठित टाइटल भी हासिल कर लिया. वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बनीं, और ऐसा करने वाली सिर्फ चौथी महिला खिलाड़ी हैं.

यह सफर आसान नहीं था. सेमीफाइनल के दूसरे क्लासिकल गेम में वे जीत की कई कोशिशों के बाद ड्रॉ के करीब थीं. उनका सामना था पूर्व वर्ल्ड चैंपियन और कैंडिडेट्स 2024 की विजेता तान झोंगयी से. मैच के मिडिल गेम में दिव्या को दो बार जीत का रास्ता मिला, लेकिन सही चाल ढूंढ़ नहीं पाईं. टाइम प्रेशर और नर्वसनेस दोनों से जूझ रही थीं. फिर भी, वे डटी रहीं- और आखिरकार फाइनल तक पहुंचीं और इतिहास रच दिया.

19 साल की दिव्या देशमुख ने हालांकि हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने खुद को संभाला और मौके का इंतजार किया. तान झोंगयी से भी कुछ चूकें हुईं और आखिरकार एंडगेम में दिव्या ने मौका पकड़ लिया. करीब पांच घंटे चले इस उतार-चढ़ाव वाले मुकाबले के बाद दिव्या ने इंस्टाग्राम पर लिखा, “आज जो भी हार्ट अटैक आए, उनके लिए माफ कीजिए.”

इस जीत के साथ दिव्या कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं. दिलचस्प बात यह है कि गुकेश ने भी इसी कैंडिडेट्स टूर्नामेंट को जीतकर अंतरराष्ट्रीय शतरंज में धमाकेदार एंट्री की थी.

लेकिन दिव्या ने असली क्लास फाइनल में दिखाई, जहां उनका सामना भारत की नंबर 1 महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरु हम्पी से था. पहले क्लासिकल गेम में सफेद मोहरों से खेलते हुए दिव्या जीत का मौका गंवा बैठीं, लेकिन दूसरे गेम में काले मोहरों से उन्होंने एक मजबूत ड्रॉ निकाला.

अब मुकाबला टाइ-ब्रेक में जा चुका था, और वहां अनुभव के आधार पर हम्पी को फेवरेट माना जा रहा था, खासकर क्योंकि वे मौजूदा वर्ल्ड रैपिड चैंपियन भी हैं. लेकिन दिव्या के पास उस वक्त तक जबरदस्त मोमेंटम था, वे पहले ही झू जिनर और अपनी हमवतन हरिका द्रोणावल्ली को टाई-ब्रेक में मात दे चुकी थीं.

पहला रैपिड गेम ड्रॉ रहा, लेकिन दूसरे गेम में जबरदस्त टक्कर देखने को मिली. इसी गेम में दबाव हम्पी पर भारी पड़ा. जैसे-जैसे समय खत्म होता गया, उन्होंने कुछ गलतियां कर दीं. दिव्या ने शानदार परिपक्वता दिखाते हुए अपने करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की और जैसे ही मैच खत्म हुआ, वो खुद को रोक नहीं सकीं और भावुक होकर रो पड़ीं.

जो लोग दिव्या की ग्रोथ को उनके कैडेट और जूनियर दिनों से फॉलो कर रहे हैं, उन्हें पता था कि यह पल आना तय था. नागपुर की यह किशोरी पिछले साल ओलंपियाड में गोल्ड मेडल जीतने वाली भारतीय टीम की टॉप परफॉर्मर में से एक थी. इसके अलावा उन्होंने बोर्ड थ्री पर इंडिविडुअल गोल्ड भी जीता था.

शतरंज की बिसात पर दिव्या एक अलग ही अंदाज में नजर आती हैं. वे एक आम शहरी जेन-जी लड़की जैसी दिखती हैं और यही उनकी पहचान बन चुकी है. जहां बाकी महिला खिलाड़ी आमतौर पर सिंपल कपड़ों में नजर आती हैं, दिव्या अक्सर ब्लेजर-पैंट या ड्रेस में दिखती हैं, कभी-कभार कुर्ता भी पहनती हैं. उनके नेल पेंट चमकते हैं, और मेकअप भी पूरी तरह ऑन-पॉइंट रहता है.

पिछले साल इंडिया टुडे से बातचीत में उन्होंने कहा था, “मैं यह सब अपने लिए करती हूं. लोगों की राय की मुझे खास परवाह नहीं. ये मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ाता है.” अगर आप दिव्या का इंस्टाग्राम देखें तो बैकग्राउंड म्यूजिक में द वीकेंड, एरियाना ग्रांड और केटी पेरी के गाने बजते मिलेंगे. उसमें उनके ट्रैवल फोटो होते हैं, और खाने की तस्वीरें भी. उन्हें पेंटिंग और डांस का भी खास शौक है.

दिव्या ने शतरंज खेलना पांच साल की उम्र में शुरू किया था. उनके पिता डॉक्टर हैं, जिन्होंने उन्हें इस खेल को गंभीरता से लेने के लिए प्रोत्साहित किया. उन ग्रैंडमास्टर्स में जिनके खेल से उन्होंने सीखा, मिखाइल ताल और बॉबी फिशर जैसे दिग्गज शामिल हैं. वे महिलाओं में वर्ल्ड नंबर 1 हाउ यीफान की फैन रही हैं. दिव्या कहती रही हैं, “हाउ यीफान दिलचस्प शख्सियत हैं. उन्होंने बहुत कम उम्र में सब कुछ हासिल कर लिया और फिर पढ़ाई के लिए ब्रेक लिया. मैं भी कुछ वैसा ही करना चाहती हूं.” 2025 सीजन के उनके सबसे बड़े पलों में से एक लंदन में हुए वर्ल्ड टीम ब्लिट्ज चैंपियनशिप में हाउ यीफान को ब्लिट्ज मैच में हराना था.

दिव्या ने 2024 में इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा था कि “मानसिक और शारीरिक सेहत पर ध्यान देना” और “स्वस्थ और खुश रहना” उनके लिए 2025 के अहम लक्ष्य हैं. जिस टूर्नामेंट में उन्होंने चार ग्रैंडमास्टर्स को हराया, उसके बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत को शतरंज में एक नया सितारा मिल गया है. उसे भविष्य में देखना बेहद रोमांचक होगा.

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