
क्रिस्टोफर नोलन की एपिक ओपनहाइमर को आइमैक्स वाले हॉल में हिरोशिमा-सा एटमी धमाका देखते हुए आपका पोर-पोर हिला. चंद्रयान-3 को चांद की सरफेस टच करते देख एक थ्रिल आपकी नसों में सनसनाया. उम्मीद थी कि ऐसी ही जल्लीकट्टू जांबाजी क्रिकेट एशिया कप में भारत-पाकिस्तान के बीच देखने को मिलेगी. पर ये क्या हुआ? चार हिंदुस्तानी बल्लेबाजों ने ही स्कोर 350 से ऊपर तान दिया और सामने वाले चारों खाने चित. स्कोर न ही पूछिए तो ठीक रहेगा.लेकिन यूएस ओपन की बात तो होगी. थैंक्स टु दिस टेनिस सनसनी. कार्लोस अलकराज.
दरअसल, कोर्ट में वह किसी को हराता नहीं. जैसे खोपड़ी पकड़कर नाक जमीन में रगड़ता है. चाहे अब ऑल टाइम ग्रेट बन चुके नोवाक जोकोविच हों या उनसे काफी दूर बनी दूसरी कतार में खड़े डेनिल मेदवेदेव और दूसरे तीसमार खां. एक-एक प्वाइंट जीतने पर वह जैसे दर्शकों को उकसाता है कि कमऑन! और इस बार तो न्यूयॉर्क के फ्लशिंग मीडोज में स्पेनिश दर्शकों की तादाद शायद इतनी ज्यादा थी कि अपने पसंदीदा खिलाड़ी के एक-एक प्वाइंट पर वे तो आसमान ही सर पर उठाए ले रहे थे.
हाल यह हो गया है कि पौराणिक कथाओं की तरह अलकराज के सामने पड़ते ही खिलाड़ी जैसे डर के मारे अपनी आधी ताकत उसे ही दे बैठते हैं. ड्रॉप शॉप पर तो उसने इंट्रावेनस इंजेक्शन जैसी दक्षता हासिल की हुई है. और क्रॉसकोर्ट एंगुलर शॉट! क्रिकेट की शब्दावली में इसे कुछ इस तरह से समझें कि लेग स्टंप से भी छह स्टंप बाहर जाती किसी गेंद को पीछे हटकर उसे ऑफ साइड में कवर और एक्स्ट्रा कवर के बीच से बाउंड्री मारना. हद है. और डिफेंस एक्सेप्शनल.
जोकोविच दो महीने पहले विंबलडन के फाइनल में इस अंदाज में जलवाअफरोज हुए थे कि अब बस कुछ ही घंटे बाद दुनिया उन्हें रिकॉर्ड 24वां ग्रैंड स्लैम जीतते देखेगी. जीतकर वे कोर्ट की घास तोड़ेंगे, मुंह में रखेंगे. विंबलडन की उस खूबसूरत बालकनी में एक बार फिर वे खड़े होकर दर्शकों को हाथ हिलाएंगे और संभ्रांत जनों से हैंडशेक करेंगे. तब सामने खड़े इसी रंगबाज अलकराज ने पौने पांच घंटे तक उन्हें दौड़ाकर पांच सेटों में हराया. रो ही दिए थे जोकोविच. उनके सीने का जख्म कितना गहरा था, यह महीने भर बाद पता चला. सिनसिनाटी ओपन के फाइनल में वे अलकराज को हरा पाए. उनके भीतर से जैसे एक लावा फट पड़ा. कोर्ट पर ही उन्होंने अपनी टीशर्ट सीने पर दोनों तरफ से पकड़कर चर्र से फाड़ डाली. जैसे कह रहे हों: ये कल का छोरा मुझे हराने चला था.

मीडिया और टेनिस जगत का दुस्साहस देखिए. यूएस ओपन में अलकराज अभी सेमीफाइनल भी नहीं जीते थे, जहां उन्हें मेदवेदेव से भिड़ना था. लेकिन बात इसकी हो रही थी कि फाइनल में इस दफा क्या फिर से अलकराज जोकोविच को हरा पाएंगे? छह फुट छह इंच के मेदवेदेव ने इस बार उन्हें ऐसा पलटकर मारा कि सबके तोते उड़ गए. उसके बाद तो जोकोविच बनाम मेदवेदेव के फाइनल में जैसे किसी की दिलचस्पी ही नहीं रह गई.
खैर, अलकराज को लगातार नाथना अब आसान न होगा. हैरत ही है कि उनसे पहले से ग्रैंड स्लैम मुकाबलों में उभरते आ रहे स्टेफनोज सितसिपाज, आंद्रे रूबलेव, कैस्पर रूड वगैरह अब भी कोई बड़ी जमीन नहीं तोड़ पाए हैं और यह जांबाज टेनिस के आसमान पर धूमकेतु की तरह छा गया है. उसे जैसे अपने ही मुल्क के अस्त होते सूर्य राफेल नडाल ने मशाल सौंप दी है: ले संभाल.