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देश में इस त्योहारी सीजन में चांदी की कमी क्यों हो रही है?

भारत में दीवाली से पहले चांदी की कीमतें वैश्विक चांदी की कीमतों से 10 फीसद अधिक हो गई हैं

चांदी की कीमत में भारी वृद्धि
चांदी की कीमत में भारी वृद्धि
अपडेटेड 14 अक्टूबर , 2025

इस साल दीवाली से पहले भारत में चांदी की भारी कमी देखने को मिल रही है. इसके कारण देश में चांदी की कीमतें वैश्विक दामों से 10 फीसदी तक ज्यादा हो गई हैं.

वैश्विक कीमतों की तुलना में भारत में चांदी काफी अधिक प्रीमियम पर कारोबार कर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि दुनिया में इस कीमती धातु का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश इसकी भारी कमी का सामना कर रहा है.

रॉयटर्स के मुताबिक, भारत में तेजी से बढ़ रही चांदी की कीमतों को देखते हुए चांदी के निवेश फंड (ETF) ने नई खरीदारी पर रोक लगा दी है. धनतेरस और दीवाली पर कई लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. ऐसे में चांदी कमी के कारण ज्वेलर्स को भी मांग पूरी करने में पसीने छूट रहे हैं.

देश में क्यों हुई चांदी की कमी?

पिछले चार वर्षों में वैश्विक चांदी की मांग आपूर्ति से ज्यादा है. पहले के पांच सालों में जो अतिरिक्त चांदी बची थी, वह खत्म हो चुकी है. 2025 में भी आपूर्ति मांग को पूरा नहीं कर पा रही.

चांदी का 70 फीसदी हिस्सा दूसरी धातुओं की खदानों से निकलता है, इसलिए कीमत बढ़ने पर भी उत्पादन जल्दी नहीं बढ़ सकता. चांदी की आपूर्ति में कमी के बीच इसकी मांग तीन वजहों से बढ़ी है-

1. चांदी की मांग औद्योगिक क्षेत्रों विशेष रूप से सौर ऊर्जा और हाई टेक क्षेत्रों से बढ़ती जा रही है. भारत ने पिछले दिनों सेमीकंडक्टर चिप बनाने का ऐलान किया है. इस सेक्टर में भी चांदी की जरूरत है.

2. देश में भारी संख्या में लोग चांदी के ETF में पैसा लगा रहे हैं. परिणाम ये है कि फिजिकल चांदी की कीमत से भी करीब 10 फीसद ज्यादा प्रीमियम रेट पर ETF बिक रहा है.

3. दीवाली जैसे त्योहारी सीजन में लोग सोना-चांदी खरीदते हैं. भारत में वैसे भी लोग इन्वेस्टमेंट के लिहाज से चांदी के सिक्के खरीदकर रखते हैं. अचानक से लोगों में चांदी में इन्वेस्टमेंट करने का क्रेज बढ़ा है.

इन्हीं वजहों से चांदी की कमी हो गई है और कीमत रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई है. सितंबर में अमेरिका ने चांदी को अपनी जरूरी खनिजों की लिस्ट में डाला, जिसके बाद वहां चांदी के बड़े शिपमेंट भेजे गए हैं. दुनिया में चांदी के आपूर्ति और मांग के बीच के अंतर ने इस ओर निवेश को आकर्षित किया है.

भारत चांदी की कमी से इतना ज्यादा प्रभावित क्यों हो रहा है?

दुनिया में चांदी का सबसे बड़ा उपभोक्ता भारत है. यहां चांदी के बर्तनों, आभूषणों, सिक्कों और सौर ऊर्जा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक में इस धातु का इस्तेमाल होता है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसद से ज्यादा चांदी दूसरे देशों से आयात करता है.

2025 के पहले आठ महीनों में चांदी का आयात 42 फीसद घटकर 3,302 टन रह गया, जबकि निवेश की मांग, खासकर ETF से रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई. इस उछाल ने 2024 में आयातित अतिरिक्त चांदी खत्म हो चुका है. अब इस कमी को अतिरिक्त विदेशी शिपमेंट के जरिए पूरा करना होगा.

लंदन में चांदी की लीज़ दरें या भौतिक चांदी उधार लेने की लागत 30 फीसद से ज्यादा बढ़ गई है. ऐसे में भारत को अब बढ़ी कीमतों में चांदी आयात करना होगा.

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