
राम मंदिर बनने के बाद से अयोध्या वैसे भी बदल चुकी है. यहां की हवा में एक उत्सवी माहौल हमेशा तारी रहता है. वहीं इस बार नवरात्रि शुरू होने के साथ ही इसमें और भव्यता जुड़ गई है. इस बार यहां रामकथा पार्क का विशाल मंच, चारों तरफ रोशनी की चकाचौंध और सितारों से सजे कलाकार- यह सब मिलकर इस साल की रामलीला को अब तक का सबसे अनोखा आयोजन बना रहे हैं.
120 फीट ऊंचे मंच पर 3डी तकनीक से सजाए गए दृश्य मानो दर्शकों को रामायण काल में ले जाते हैं. पहली बार इस आयोजन में तकनीक का इतना व्यापक और योजनाबद्ध उपयोग हुआ है कि इसे केवल धार्मिक मंचन कहना मुश्किल हो जाता है. यह संस्कृति और तकनीक के अद्भुत मेल का उत्सव जैसा है.
22 सितंबर की शाम जब रामलीला का पहला दृश्य “नारद मोह” प्रस्तुत हुआ, तो दर्शकों के सामने थ्रीडी प्रोजेक्शन ने अलग ही दुनिया रच दी. पृष्ठभूमि में सरयू का प्रवाह और आकाशीय चित्रण स्क्रीन पर जीवंत हो उठा. आयोजक सुभाष मलिक बताते हैं, “हमने कोशिश की है कि लोग केवल देखें ही नहीं, बल्कि रामायण के घटनाक्रम को महसूस करें. 3डी प्रोजेक्शन और लाइटिंग का यही उद्देश्य है.”
मुंबई से आई तकनीकी टीम ने इस मंचन के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर और एलईडी वॉल्स का इस्तेमाल किया है. मंच की संरचना ऐसी बनाई गई है कि मंच पर पात्रों की गति और तकनीकी दृश्य एक-दूसरे में घुलते-मिलते हैं. अयोध्या के बगल के जिले गोंडा निवासी और सांस्कृतिक टिप्पणीकार अजय मिश्र मानते हैं, “अयोध्या की रामलीला का यह रूप परंपरा और आधुनिकता का ऐसा संगम है, जो आने वाले वर्षों के लिए एक मॉडल साबित हो सकता है. यह आयोजन केवल धार्मिक भावनाओं को नहीं, बल्कि तकनीकी नवाचार की संभावनाओं को भी सामने लाता है.”
फिल्म स्टार और अनुशासन का मेल
इस रामलीला की एक और खासियत है, फिल्मी और राजनीतिक जगत के सितारों की भागीदारी. अभिनेता विंदू दारा सिंह, जो इस बार भगवान शिव की भूमिका निभा रहे हैं, कहते हैं, “जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति जैसे गणमान्य व्यक्ति सामने खड़े होकर आपके माथे पर तिलक लगाते हैं, तो यह केवल मंचन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है.” सांसद और अभिनेता मनोज तिवारी (बाली) तथा रवि किशन (केवट) के शामिल होने से रामलीला में अलग ही चमक आ गई है.

मिस यूनिवर्स इंडिया 2025, मणिका विश्वकर्मा का सीता के रूप में पदार्पण भी चर्चा का विषय है. विंदू दारा सिंह इस अनुभव के लिए जरूरी अनुशासन पर जोर देते हैं, “मैं जब भी देवता का रूप धारण करता हूं, शराब और मांसाहार छोड़ देता हूं. ध्यान और प्रार्थना से खुद को तैयार करता हूं. यह केवल अभिनय नहीं, साधना है.”
रावण दहन का रिकॉर्ड
इस बार दशहरे पर होने वाला रावण दहन भी खास होने वाला है. आयोजकों ने 240 फीट ऊंचा रावण का पुतला बनाने घोषणा की है. दशहरा पर यह अब तक का सबसे ऊंचा पुतला होगा. इसके साथ ही 190 फीट ऊंचे मेघनाद और कुंभकरण के पुतले भी बनाए जा रहे हैं. चार राज्यों के 60 कारीगर इन पुतलों पर चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं. सुभाष मलिक कहते हैं, “हम चाहते हैं कि यह केवल आकार का चमत्कार न हो, बल्कि तकनीक और कला का संगम भी दिखे. पुतलों में विशेष इफेक्ट्स लगाए जा रहे हैं, जिससे दहन का दृश्य दर्शकों को रोमांचित करेगा.”
इस बदलाव के पीछे प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की भी सक्रिय भूमिका है. उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह आयोजन की तैयारियों की लगातार निगरानी कर रहे हैं. वे कहते हैं, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी ने अयोध्या को विश्वस्तरीय नगरी के रूप में विकसित करने का जो सपना देखा है, उसे साकार करने के लिए हमें सांस्कृतिक आयोजनों को भी उसी स्तर का बनाना होगा. रामलीला और दीपोत्सव हमारी धरोहर हैं, लेकिन अब इन्हें तकनीक और आधुनिक प्रबंधन से जोड़कर ही हम दुनिया का ध्यान खींच सकते हैं.”
जयवीर बताते हैं कि इस बार राज्य सरकार ने न केवल आयोजन की सुविधाओं को उन्नत किया है बल्कि दर्शकों की सुविधा के लिए ट्रैफिक प्रबंधन, सुरक्षा और डिजिटल प्रसारण पर भी विशेष ध्यान दिया है. “हमारी कोशिश है कि हर दर्शक, चाहे वह अयोध्या आए या टीवी और ऑनलाइन माध्यम से जुड़े- एक अविस्मरणीय अनुभव लेकर लौटे.”
दीपोत्सव की भव्य तैयारियां
रामलीला के साथ-साथ दीपोत्सव में भी इस बार तकनीक का नया रूप देखेगा. पिछले साल अयोध्या में 22 लाख दीये जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड बना था. इस बार लक्ष्य उससे आगे बढ़ने का है. आयोजन समिति के एक अधिकारी ने बताया, “हमने ड्रोन मैपिंग और सेंसर बेस्ड इग्निशन सिस्टम की मदद से दीप जलाने की योजना बनाई है. इससे न केवल सुरक्षा सुनिश्चित होगी बल्कि पूरा दृश्य एक पैटर्न में उभरेगा. आसमान से देखने पर यह अद्भुत लगेगा.”
ड्रोन शो भी दीपोत्सव की विशेषता होगी. हजारों ड्रोन मिलकर आकाश में रामायण की कथाएं उकेरेंगे- राम का वनवास, सीता हरण, और राम-रावण युद्ध. अजय मिश्र बताते हैं, “दीपोत्सव का यह नया रूप दिखाता है कि परंपरा को आधुनिकता से जोड़ने पर उसका आकर्षण कई गुना बढ़ जाता है. यह युवा पीढ़ी को भी अपनी ओर खींचेगा.”
चुनौतियां भी कम नहीं
इतने बड़े पैमाने पर आयोजन में चुनौतियां भी सामने आती हैं. सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता है. लाखों लोगों के जमावड़े के बीच तकनीकी उपकरणों का सुरक्षित संचालन आसान नहीं है. ड्रोन शो और 3डी प्रोजेक्शन के लिए मौसम भी एक अहम कारक है. तकनीकी विशेषज्ञ देवेंद्र शुक्ल बताते हैं, “अगर तेज हवा या बारिश होती है तो ड्रोन शो प्रभावित हो सकता है. इसी तरह 3डी प्रोजेक्शन के लिए बिजली आपूर्ति निर्बाध रहना जरूरी है. ऐसे में बैकअप सिस्टम और आपात योजनाएं हमेशा तैयार रखनी पड़ती हैं.”
दूसरी चुनौती है, सेलिब्रिटी कलाकारों का कोऑर्डिनेशन. सभी को लंबे समय तक अयोध्या में रिहर्सल के लिए रोक पाना मुश्किल होता है. आयोजकों ने इसके लिए हाइब्रिड मॉडल अपनाया है. मुंबई और अन्य शहरों में ऑनलाइन रिहर्सल और संवाद, जबकि अंतिम दिनों में ऑफलाइन अभ्यास.
पिछले साल इस रामलीला ने टीवी और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर 45 करोड़ से अधिक दर्शक जुटाए थे. इस बार उम्मीद इससे भी बड़ी है. सोशल मीडिया पर आयोजन की झलकियां पहले से ही वायरल हो रही हैं. स्थानीय निवासी निशेंद्र मोहन मिश्र कहते हैं, “हमने अपने बचपन में परंपरागत रामलीला देखी थी. लेकिन इस बार जो कुछ हो रहा है, वह अविश्वसनीय है. अयोध्या वास्तव में एक विश्व मंच बन रही है.”
अयोध्या की रामलीला और दीपोत्सव का यह नया रूप दिखाता है कि सांस्कृतिक आयोजनों में आधुनिक तकनीक किस तरह नई जान डाल सकती है. यह केवल दर्शकों को आकर्षित करने का साधन नहीं, बल्कि परंपरा को जीवंत बनाए रखने का तरीका भी है. अजय मिश्र कहते हैं, “भारत जैसे देश में, जहां परंपरा और आधुनिकता हमेशा साथ चलती रही है, अयोध्या का यह प्रयोग सांस्कृतिक आयोजनों के भविष्य की दिशा तय कर सकता है.” इस तरह सरयू किनारे जगमगाते दीप और 3डी मंच पर जीवंत होते पात्र, यह दृश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक आत्मा का आधुनिक उत्सव है.