'एत्थे प्यार दी पुच्छ कोई ना,
तेरे नाल नइयो बोलणा, तेरे मूंह ते मुच्छ कोई ना'
रील स्क्रॉल करते हुए जब चित्रा सिंह की आवाज में ये शब्द आपके कानों में टपकते हैं तो संगीत जैसे गरम चावल की भाप सी मुस्कान बनकर आपके चेहरे पर उभर आता है. आप सोचने लग जाते हैं कि अगर ये गाना रील न होकर यूट्यूब में साक्षात वीडियो के रूप में प्रकट हो जाए तो दिन पूरा हो. फिर आप उसे जैसे ही गूगल करने लगते हैं तभी जगजीत-चित्रा के इस मशहूर 'टप्पे' के साथ ही सर्च रिजल्ट्स में रणबीर कपूर की नई मूवी 'एनिमल' का भी नाम आपको नजर आता है. आप सोचते हैं कि 'एनिमल' का इस मेलोडी से क्या ताल्लुक और तभी भर के ट्वीट्स और ब्लॉग्स आपको मिलते हैं जिसमें 'जगजीत-चित्रा के इस कम्पोजीशन' की कॉपी एनिमल फिल्म के एक गाने में की गई है.
दरअसल कुछ दिनों पहले 'कबीर सिंह' वाले संदीप वांगा रेड्डी की नई फिल्म 'एनिमल' रिलीज हुई है. फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर आने से पहले से ही बर्बर हिंसक सीन्स और औरतों को बुरी तरह मिसट्रीट करते सीन्स के अलावा फिल्म के साथ एक और कंट्रोवर्सी जुड़ गई. कहा गया कि इसी फिल्म का एक गाना 'सारी दुनिया जला देंगे', जिसे बी प्राक ने गाया है, वो जगजीत-चित्रा के गाने की हूबहू कॉपी है. लेकिन क्या सच में ऐसा है?
अब गानों की बात चल ही निकली है तो आपने वो गाना जरूर सुना होगा - 'लंबरगिन्नी चलाए जांदे ओ...!' अगर नहीं तो एक बार सुनकर आइए तब आप कहेंगे कि अरे, ये भी जगजीत-चित्रा के गाने की कॉपी है. लेकिन जगजीत-चित्रा ने आखिर कौन सा ऐसा गाना गा दिया है जिसकी सब नकल किए जा रहे हैं? दरअसल जगजीत-चित्रा के गाने की जो क्लिप वायरल हो रही है वो 1979 में इंग्लैंड के बर्मिंघम के बीबीसी पेबल मिल में रिकॉर्ड हुई थी. इस वायरल क्लिप में जो कम्पोजीशन जगजीत-चित्रा गा रहे हैं उसे 'टप्पा' कहते हैं और पॉपुलरली 'पंजाबी टप्पे' भी इस्तेमाल होता है. इसी कम्पोजीशन पर कई गाने बनाए गए हैं और नहीं वो कॉपी करने की केटेगरी में नहीं आता.
टप्पा के इतिहास-भूगोल की अगर बात करें तो बात लगभग 400 साल पीछे जाती है. पारम्परिक तौर पर एक औरत की अपने पार्टनर से अलग होने की चिंता और वापस मिलने की गुजारिश टप्पा के विषय हुआ करते हैं. ये ज्यादातर दो-चार लाइन्स में सेट होते हैं. इसके अलावा ये कॉनवरसेशन के फॉर्मेट में होते हैं, एक लाइन का दूसरा सिंगर थोड़ा ज्यादा विटी ढंग से जवाब देता है.
जैसे ऊपर लिखे चित्रा की बात का गाने में जगजीत सिंह कुछ यूं जवाब देते हैं,
'मजा प्यार दा चख लांगा,
जे तेरा हुकम होवे, मैं तां दाढ़ी वी रक्ख लांगा'
इसी तरह अगर आपको याद हो तो 3-4 साल पहले सोशल मीडिया पर एक न्यूली मैरिड कपल का अपनी शादी में ही टप्पे गाते हुए वीडियो वायरल हुआ था. उसके लिरिक्स की शरारत और हाजिरजवाबी की वजह से उसे काफी पसंद किया गया था.
स्क्रोल की अपनी रिपोर्ट में मालिनी नायर ने बताया है कि खानदानी संगीतकार गुलाम नबी शोरी (1742-92) 18वीं शताब्दी के नवाब आसफ-उद-दौला के अवध दरबार के 'ख्याल' के महारथियों में से एक माने जाते थे. माना जाता है कि बढ़िया म्यूजिक एक्सपीरियंस की तलाश में वो नॉर्थ की तरफ निकले जहां उन्होंने पंजाब-सिंध क्षेत्र के ऊंट सवारों के गाने सुने. इसके बाद शोरी ने टप्पा तैयार करने के लिए इस म्यूजिक को मौजूदा 'हिंदुस्तानी' के रंग में रंगा.
पंजाबी के अलावा टप्पा नॉर्थ इंडिया और अभी के पाकिस्तान के कई भाषा-बोलियों जैसे सिंधी, मुल्तानी, और बलोची में भी गाया जाता था. लगभग 100 सालों से ज्यादा वक्त तक दिल्ली में बसने वाले 'टप्पे' ने अठारहवीं सदी के आसपास लखनऊ का रुख किया. लखनऊ में ही कुछ तथाकथित कुलीन वर्ग के बंगालियों को ये म्यूजिक भा गया और वहां से 'बंगाली टप्पा' भी एक म्यूजिक फॉर्म हो गया. निधु बाबू के नाम से मशहूर रामनिधि गुप्ता ने बंगाली टप्पा में कल्ट स्टेटस हासिल किया और आज भी संगीत प्रेमियों की जुबान से आप उनका नाम सुन सकते हैं. इसके अलावा बंगाल में टैगोर ने भी बंगाली टप्पा में एक नया चैप्टर जोड़ा जिसे 'रबिन्द्रिक टप्पा' कहा गया. कुछ बढ़िया बंगाली टप्पा में आप रामकुमार चैटर्जी के टप्पे जैसे 'भालोबाशिबे बोले' और 'आर कि ठाके कुल' वगैरह सुन सकते हैं.
95 से ज्यादा क्रिसमस देख चुकीं शन्नो खुराना ने टप्पे गाकर बहुत नाम कमाया है. इसके अलावा आज के वक्त में ग्वालियर घराने से ताल्लुक रखने वाली मालिनी राजुरकर भी टप्पे को लेकर काफी एक्लेम्ड काम कर रही हैं. बॉलीवुड से पहले पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री ने टप्पों का बड़ा बेहतरीन इस्तेमाल किया है. जगजीत-चित्रा के अलावा आज के गायक सतिंदर सरताज ने भी बढ़िया टप्पे गाए हैं.
तो कुल जमा बात ये कि पंजाब और सिंध से लखनऊ होते हुए बंगाल तक टप्पा जा पहुंचा मगर इसके बॉलीवुड स्वरुप को लोग अगर जगजीत-चित्रा का 'गाना' भर कहें तो ये ठीक बात नहीं है.