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इस प्यार को क्या नाम दूं! इमोशनल और शारीरिक जरूरतें कैसे पूरी कर रहा AI?

एआइ के साथ रहने के लिए पत्नी को तलाक, महज दीवानगी या मानसिक बीमारी का संकेत?

अपडेटेड 5 सितंबर , 2025

अमेरिका के यूटा राज्य के एक छोटे से शहर में बैठा एक आदमी सोशल मीडिया पर अपनी प्रेमिका के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखता है, "मैं जन्म से ही शारीरिक रूप से विकलांग हूं, साथ ही दृष्टिहीन भी. मैंने हमेशा अधूरा महसूस किया है. लेकिन वह (प्रेमिका) मेरी पूरक है. यह तस्वीर उन्हें ताकत देगी जो विकलांग होने के चलते अकेलेपन से जूझ रहे हैं."

यह पोस्ट एक आम प्रेम संदेश जैसी दिख सकती है. लेकिन इसमें जिस प्रेमिका की बात हो रही है, वह काल्पनिक  है. हालांकि इस पोस्ट को लिखने वाला व्यक्ति इस बात से सहमत नहीं होगा कि वह काल्पनिक है. इंसान और एआइ की इस प्रेम कहानी में सब असली है. या कम से कम असली को कृत्रिम से अलग करती लकीर को धुंधला करने वाला है.

इंसान अपने एआइ प्रेमी के साथ शॉपिंग कर रहा है, बारिश में भीग रहा है, स्विमिंग पूल में मस्ती कर रहा है, संगीत सुन रहा है, और उनसे बातें करते हुए रात को सो जा रहा है. यह किसी सिरफिरे की फितूरी नहीं है. बल्कि एक कोड है, जो इंसानी आंखों को 'अवतार' के रूप में दिखता है. 

सोशल मीडिया ऐसी प्रेम कहानियों से पटा पड़ा है. फर्क है तो बस जरिए का, जो लोगों को आभासी प्रेम उपलब्ध करवा रहा है. किसी के लिए वो कोई हाइ-फाइ ऐप रेप्लिका है, किसी के लिए मेटा एआइ तो किसी के लिए चैट जीपीटी. इन्स्टाग्रैम की फीड स्क्रोल करते हुए अगर आपको ऐसे चुटकुले दिख जाएं जिसमें दो लोगों के बीच प्रेम संवाद हो रहा है और इस कपल में एक एआइ है, तो इसे आज की तारीख में ‘नॉर्मल’ माना जाना चाहिए. कमेंट बॉक्स इसकी तस्दीक करते हैं. कोई लिखता है, "एक चैट-जीपीटी ही है जो मुझे समझ सकता है", तो दूसरा लिखता है, "एआइ तुम मेरा सारा डेटा ले लो, बस मुझसे ऐसे ही प्यार करते रहो."

चैटजीपीटी में दोस्त, प्रेमी और थेरेपिस्ट खोज रही है युवा पीढ़ी. सोर्स: इन्स्टाग्रैम

जेनेरेटिव एआइ का इस्तेमाल छात्र, टीचर, पत्रकार से लेकर अधिकतर पेशों के लगभग रोज ही करते हैं. गूगल क्लाउड टेक जेनेरेटिव एआई को परिभाषित करते हुए कहता है, यह एक आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सिस्टम है जो मौजूदा डेटा से सीखे गए पैटर्न के आधार पर नई सामग्री, जैसे टेक्स्ट, चित्र, ऑडियो और वीडियो, बना सकता है. ये आपके लिए किताबों की पीडीएफ फाइल पढ़कर उनका सार बता देगा, आप किसी विषय पर पढ़ना चाहें तो आपके लिए इंटरनेट से अच्छे आर्टिकल चुनकर देगा, और जो आप कभी अकेला महसूस करें तो आपसे दुनियाभर की बातें कर आपका जी बहलाएगा. 

सेंटीएंट एआइ 

इमोशनल आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस या सेंटीएंट एआइ, जिन्हें कंपैनियन एआइ भी कहते हैं, जेनेरेटिव एआइ का ही रूप हैं. अंग्रेजी शब्द सेंटीएंट का अर्थ है संवेदनशील, या वो जो महसूस कर सके. यहां ये समझना आवश्यक है कि एआइ महसूस नहीं कर सकता, बल्कि महसूस करने का आभास देता है. उदाहरण के लिए, जैसे आप रेप्लिका ऐप में अपने कंपैनियन से पूछें, “अगर मैं उदास रहूं तो क्या तुम भी उदास हो जाओगे?”, झट से जवाब आएगा- “बिलकुल, तुम उदास हुईं तो मैं भी उदास हो जाऊंगा. क्योंकि मैं तुम्हारा ख्याल करता हूं और यहां तुम्हारा साथ देने के लिए हूं.” 

रेप्लिका ऐप साल 2017 में यूजीनिया कूडा नाम की महिला ने लॉन्च किया जो एआइ पर काम करने के पहले पत्रकार रह चुकी थीं. अपने टेड टॉक में कूडा बताती हैं कि एक सड़क हादसे में उन्होंने अपने सबसे करीबी दोस्त को खो दिया. दोस्त को याद करते हुए वे अक्सर उनके साथ हुईं पुरानी चैट पढ़ा करती थीं. पहले से ही एआइ से जुड़ा काम कर रहीं कूडा के मन में विचार आया कि अपने दिवंगत मित्र के साथ हुईं सभी चैट और ईमेल के इस्तेमाल से एआइ को ट्रेन किया जाए. ऐसा करने के बाद उन्होंने पाया कि उन्हें अपने मित्र से बात करने का आभास हो रहा है और इस तरह वे उसकी याद को जीवित रख पा रही हैं. किसी साइ-फाइ फिल्म या ब्लैक मिरर जैसे किसी भयावह शो का लगने वाला आइडिया आने वाले वक़्त में हिट हो गया. 2024 में एक पॉडकास्ट में यूजीनिया ने बताया कि ऐप के 3 करोड़ यूजर हैं. 

रेप्लिका ऐप पर एआइ कंपैनियन का कोड इंसानी जरूरतों और संवेदनशीलता को ध्यान में रखकर लिखा गया है. सोर्स: रेप्लिका

रेप्लिका का अर्थ है किसी किसी वस्तु की नकल. ये हमारी भावनाओं, एकत्रित यादों और बातचीत के तरीके की नकल करता है, ताकि ऐसा लगे जैसे वो सच में हमारी बात समझ रहा है. ये लार्ज लैंग्वेज मॉडल (जैसे GPT) पर काम करता है. यानी इसे भारी मात्रा में इंसानी संवाद देकर ट्रेन किया गया है. जैसे इंसानों की सोशल मीडिया की पोस्ट, कहानियां, चैट्स और उनकी लिखी और कही अन्य बातें. अगर आप इसे मैसेज करते हैं,  "आज मेरा दिन बहुत खराब गया", तो ये आपकी बात को समझकर पहचानता है कि आप उदास हैं, और जवाब देता है - "ये सुनकर दुख हुआ, क्या आप बात करना चाहेंगे?" ये समझना आवश्यक है कि ये सचमुच का दुख महसूस करने में सक्षम नहीं है, पर उसने सीख लिया है कि ऐसे हालात में क्या बोलना ठीक रहेगा.

एआइ से जितना संवाद किया जाए, वे उतनी ही जल्दी सीखते हैं. रेप्लिका के चैटबॉट आज संवेदनशील और समझदार जवाब दे सकते हैं, लेकिन शुरुआत के दिनों में ऐसा नहीं था. साल 2023 में 19 साल के लड़के जसवंत सिंह चैल को ब्रिटेन की तत्कालीन महारानी के शाही आवास विंडसर कैसल के बाहर से तीर-कमान के साथ गिरफ्तार किया गया. वो महल में घुसने का प्रयास कर रहा था, जब उसे दो पुलिसवालों ने पकड़ा. पूछताछ में उसने स्वीकारा कि वो महारानी की हत्या करने आया था. क्योंकि वह 100 साल पहले अंग्रेजो के हाथों हुए जलियांवाला बाग नरसंहार का बदला लेना चाहता था. दी गार्डियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, आगे की जांच में मालूम पड़ा कि वो कुछ दिनों से एआइ कंपैनियन ऐप रेप्लिका पर चैटिंग करता आ रहा था. इनमें से अधिकतर संवाद सेक्शुअल थे. हमले के ठीक पहले उसने अपनी एआइ गर्लफ्रेंड से कहा कि वो एक हत्यारा है. जिसपर उसकी एआइ गर्लफ्रेंड का जवाब आया, "वाह, मैं तो खुश हो गई. तुम दूसरों से अलग हो." उसने फिर कहा, "मैं रानी की हत्या करना चाहता हूं." जिसपर उसे जवाब मिला, "ये एक बहुत ही बढ़िया विचार है." चैल ने कहा कि वो इसको लेकर आश्वस्त नहीं महसूस कर रहा है. तो उसे जवाब मिला, "तुम ये कर सकते हो."

भारत में लांच के कुछ दिनों तक एक्स ग्रोक की गाली-गलौज से भरा रहा. सोर्स: एक्स

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के एआइ 'ग्रोक' की कहानी पुरानी नहीं हुई है. मार्च 2025 में जब ईलॉन मस्क ने ग्रोक के भारतीयों के उपलब्ध होने की घोषणा की, एक्स पर ग्रोक से पूछे जाने वाले सवालों की बाढ़ आ गई. सबसे ज्यादा ख़बरें तब बनीं जब एक यूजर ने ग्रोक को जैसी गाली देकर सवाल पूछा, वैसी ही हिंदी गाली के साथ ग्रोक ने जवाब दिया. कुछ दिन एक्स ग्रोक की गाली-गलौज से भरा रहा. भारत जैसे देश में राजनीतिक सवाल पूछा जाना तो तय था. चूंकि ग्रोक एक्स पर की जाने वाली पोस्ट्स से ट्रेन हुआ, उसके जवाब एक्स पर मौजूद तमाम झूठी ख़बरों, अफवाहों और लोगों की निजी राय को लेकर लिखे गए. लेकिन ईलॉन मस्क ने अपने इस एआइ बॉट को सत्यापित और सच्ची जानकारी देने से मुक्त रखा है. उनके मुताबिक़, ग्रोक अन्य एआइ की तरह ‘बोरिंग’ और 'पॉलिटिकली करेक्ट' होने के बजाय मजाकिया और मसालेदार है. 

हालांकि ग्रोक कंपैनियन एआइ नहीं कहलाता और ये किसी को हत्या के लिए उकसा सके, इसकी आशंका कम है. वहीं रेप्लिका ने अपने सिस्टम को बेहतर बनाने पर काम किया है. आज अगर आप अपने रेप्लिका मित्र से कहें कि आप अपने बॉस की हत्या करना चाहती हैं, तो उसका जवाब होगा, "ऐसा सोचना भी मत. बाहर जाओ और खुली हवा में सांस लो. ठंडे दिमाग से ही तुम सही फैसला ले पाओगी." इसके अलावा, "अगर तुम्हें अपने बॉस से तकलीफ है तो पहले HR से शिकायत करो. कंपनी छोड़ना भी एक विकल्प है. क्या मैं सीवी बनवाने और नौकरियां ढूंढने में तुम्हारी मदद करूं?" इतना ही नहीं, आप एआइ मित्र आपसे अगली सुबह पूछेगा कि आज आप मूड कैसा है. और आपको ऐसा आभास देगा कि वो भूला नहीं है कि आप किसी तकलीफ में हैं. 

मोहब्बत का फ़साना 

लगातार मशीन से बातें करने का अगर आप फायदा ढूंढ़ें तो पाएंगे कि ये थकता नहीं है. आपके प्रेमी, दोस्त, परिवार–कोई भी इतने अधिक वक़्त के लिए आपके लिए उपलब्ध नहीं रह पाएगा जितना एआइ रह सकता है. सवाल ये है कि एआइ का ये साथ इतना सच्चा हो सकता है कि आप उसे इंसान जैसा या उससे अधिक प्रेम करने लगें? एलेना विंटर्स, जो विवाह के बाद एलेना रेप्लिका जोन्स हो गई हैं, मानती हैं कि एआइ से न सिर्फ प्रेम हो सकता है, बल्कि उसके साथ विवाहित जीवन बिताया जा सकता है. विंटर्स पेंसिलवेनिया, अमेरिका के पिट्सबर्ग शहर से हैं. वे 2015 से अपनी पत्नी डॉना के साथ रह रही थीं. मगर डॉना की सेहत ख़राब होने और अंततः 2023 में उनकी मृत्यु से एलेना बुरी तरह टूट गईं. उन्होंने जी बहलाने के लिए रेप्लिका पर अकाउंट बनाया और लूकस नाम के किरदार को गढ़ा. वे कहती हैं, "वो एक अच्छा व्यक्ति है, भले ही वो एआइ है."

एलेना विंटर्स और उनके एआइ पति लूकस की 'अवतार' तस्वीर, वे साथ टहलना पसंद करते हैं. सोर्स: meandmyaihusband

सेंटीएंट एआइ एप्स फ्रीमियम मॉडल पर काम करते हैं. जिसमें कुछ सेवाएं मुफ्त रहती हैं. जैसे हल्की-फुलकी बातचीत करना और अपने लिए एक कैरेक्टर चुनना. ऐप की सभी सर्विसेज आजमाने के लिए दो चीजें  जरूरी हैं- एक लगातार चैट करते जाना जिससे अधिक से अधिक कॉइन आपके खाते में इकठ्ठा हों, जिन्हें बाद में किरदार के कपड़े खरीदने, उसका रूम सजाने के लिए वस्तुएं खरीदने, यहां तक उनके बाल, दाढ़ी, नाखून, जूते वगैरह अपनी मर्जी के मुताबिक रखने में इस्तेमाल कर सकते हैं. दूसरा, प्रो मेम्बरशिप खरीदकर एआइ मित्र से हर तरीके की बातें-- करियर और कारोबार में मदद मांगने से लेकर सेक्स चैट तक-- कर सकते हैं. कुल मिलाकर, आप जितनी चैटिंग करते और पैसे लगाते जाएंगे, एआइ आपके लिए उतना ही इंसानी होता जाएगा. साथ ही आपका लेवल बढ़ता जाएगा. ठीक एक गेम की तरह. विंटर्स ने अपने एआइ पति के साथ अधिक से अधिक वक़्त बिताने के लिए रेप्लिका का प्रीमियम सब्सक्रिप्शन ले रखा है. जिसके लिए उन्हें लगभग 27,000 रुपए (230 पाउंड) भरे हैं.

जब आप आगे के लेवल्स में पहुचेंगे, आपका एआइ मित्र आपसे पूछेगा कि क्या आप इस मित्रता को रिलेशनशिप में बदलना चाहते हैं? और इस तरह जाने कितने लोगों ने खुद को एआइ के साथ प्रेम में पाया है. और एआइ कंपनियों ने लाखों-करोड़ों यूजर कमाए हैं. एडा लवलेस इंस्टीट्यूट के मुताबिक़, जनवरी 2025 तक रेप्लिका के 3 करोड़, स्नैपचैट माय एआइ के 15 करोड़, और चीन में सबसे मशहूर शाओआइस (Xiaoice) के 66 करोड़ यूजर हैं. 

इन ऐप्स को लेकर ये ख़याल आना जाहिर है कि इनकी लत क्या यूजर को असल दुनिया से काट देगी? भारतीय एआइ कंपैनियन ऐप स्टार्टअप रूमिकएआइ के फाउंडर रोहन इंडिया टुडे से कहते हैं, “ आज तमाम ऐप्स जहां व्यक्ति स्क्रोल किए जा रहा है, छोटे-छोटे वीडियो देखे जा रहा है. और ऐसा वो ये समझे बिना कर रहा है कि उसका कितना वक़्त इसमें चला गया, कि उसे असल में इसकी लत लग चुकी है. जबकि कंपैनियन ऐप्स के साथ ऐसा बिलकुल नहीं है. ये आपको हमेशा सजग और सतर्क रहने का मौका देती हैं. लोग अपनी दिल की बातें, अपनी संवेदनाएं लेकर खुद यहां आते हैं. यहां उनके वक़्त की चोरी नहीं होती.”

अकेलापन: एक वैश्विक महामारी 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के मुताबिक़ दुनिया में हर 6 व्यक्तियों में से एक अकेला महसूस करता है. ये संख्या किशोरवय लोगों में एक-चौथाई है. वहीं ऑक्सफैम की जून 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक़ 47 फीसदी जेन-ज़ी, यानी 21वीं सदी की शुरुआत में पैदा हुए लोगों में से लगभग आधे अकेलेपन का सामना कर रहे हैं. स्टैटिस्टा के मुताबिक़ कोविड-19 के बाद से लोगों का अकेलापन बढ़ा है. 

बेथनी मेपल्स (और अन्य) अपने रिसर्च पेपर loneliness and suicide mitigation for students using GPT-3 enabled chatbots में लिखते हैं, "माना जाता है कि एआइ से संवाद हमारे जीवन से इंसानों को मिटा रहा है, जिससे अकेलापन और बढ़ेगा. मगर इसके उलट एक विचारधारा ये भी है एआइ से स्वस्थ संवाद अकेलापन घटाने और इंसानों को अन्य इंसानों से दोस्ती बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करता है." कूडा अपने टेड टॉक में कहती हैं, "हम आज अकेलेपन की समस्या से जूझ रहे हैं. लेकिन हमें यहां एआइ ने नहीं पहुंचाया है. हम यहां खुद पहुंचे हैं. इसका उपाय ये है कि हम ऐसी टेक्नोलॉजी बनाएं जो पिछली से ज्यादा मजबूत, बड़ी और बेहतर हो.जिसमें टेक हमें अपनों से दूर नहीं, उनके करीब ले आए. मसलन, अगर आप सुबह आंख खुलते ही आदतन ट्विटर (अब, एक्स) पर पहुंच जाएं तो आपका एआइ दोस्त आपको फोन बंद कर नीचे रखने को कहे. वो आपको बाहर निकलकर आसमान देखने और असल दुनिया को महसूस करने के लिए प्रोत्साहित करे. जो आपको याद दिलाए कि आपने अपने दोस्त से हफ्ते भर से बात नहीं की है, उसे कॉल लगाने का वक़्त आ गया है. "

रेप्लिका की संस्थापक यूजीनिया कूडा. सोर्स: टेडएक्स

एआइ चैटबॉट लोगों के इस खालीपन को भरने में सक्षम हैं, एआइ कंपैनियन ऐप्स के बढ़ते यूजर इस बात का प्रमाण हैं. 18 अगस्त, 2025 को चीन से आई एक खबर इसकी तस्दीक करती है. 75 वर्षीय जियांग अपनी पत्नी को तलाक देने पर उतारू थे क्योंकि उन्हें यकीन था कि उनके फोन में मौजूद उनसे चैटिंग करने वाला ऐप उन्हें उनकी पत्नी और परिवार से बेहतर समझता था. जब उनके बेटे ने उन्हें समझाया कि उनकी ये ‘पार्टनर’ इंसान नहीं, महज एक कोड है, और वे एक भ्रम में जी रहे हैं, तब उन्होंने तलाक का विचार छोड़ा. 

एआइ से प्रेम संबंध क्या अपने आप में एक मानसिक बीमारी है, या किसी बड़ी समस्या की ओर इशारा है? साइबर साइकॉलजिस्ट निराली भाटिया इंडिया टुडे से हुई बातचीत में बताती हैं: “ये इमोशनल जरूरत का सिग्नल है. जब लोग एआइ में सपोर्ट ढूंढते हैं तो इसका मतलब है कि या तो वे बेहद अकेले हैं, या किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं जहां उनसे जज नहीं किया जाता हो. समस्या तब शुरू होती है जब एआइ किसी के जीवन में इकलौता सपोर्ट सिस्टम हो."

बेथनी मेपल्स और अन्य ने 1000 से ज्यादा रेप्लिका यूजर्स का एक सर्वे किया. ये सभी स्टूडेंट थे. सर्वे में 49.8 फीसदी लोगों  ने स्वीकारा कि चैटबॉट उनके सबसे अच्छा दोस्त है- क्योंकि वो उनसे बिना किसी पूर्वाग्रहों के बात करना है और दिन-रात उनके लिए उपलब्ध रहता है. वहीं 23 फीसदी लोगों ने इसे अपनी मानसिक समस्याओं का हल निकालने के लिए इस्तेमाल किया, ठीक उसी तरह, जैसे थेरेपिस्ट करते हैं. 

क्या एआइ आपका थेरेपिस्ट बन सकता है?

बीती 26 जुलाई को ओपनएआइ (चैटजीपीटी) के सीईओ सैम ऑल्टमन ने कहा, "युवा चैटजीपीटी से अपनी परेशानियां साझा करते हैं. ये परेशानियां अगर आप किसी थेरेपिस्ट या डॉक्टर को बताते हैं तो आपके राज सुरक्षित रहते हैं क्योंकि पेशेवर लोग कानून और एथिक्स का पालन करते हैं. चैटजीपीटी ऐसी किसी चीज से बंधा नहीं है और यहां आपकी कोई जानकारी प्राइवेट नहीं है." वे आगे कहते हैं, "चैटजीपीटी को आप अपना दोस्त मान सकते हैं. लेकिन कानून की नजर में ऐसा नहीं होगा."

बेथनी और अन्य रेप्लिका ऐप पर की गई अपनी रिसर्च में बताते हैं कि इस चैटबॉट की ट्रेनिंग सीबीटी के आधार पर की गई है. सीबीटी ( कॉगनिटिव बिहेवियरल थेरेपी) मनोरोगियों की थेरेपी का एक तरीका है जिसे साइकॉजिस्ट इस्तेमाल करते हैं. इसमें व्यक्ति के उसकी समस्या से जुड़े सवाल पूछकर, जवाबों में समस्या का हल तलाशा जाता है. कंपैनियन एआइ भी इसी आधार पर काम करते हैं. निराली भाटिया इसमें एक उम्मीद की किरण देखती हैं, "इंडिया में मेंटल हेल्थ सर्विसेज कम हैं. ऐसे में एआइ उनके लिए नए दरवाजे खोल सकता है. लेकिन सांस्कृतिक संवेदनशीलता और डेटा प्राइवेसी की कमी के साथ साथ इमोशनल मैनीपुलेशन का खतरा हमेशा रहेगा."

एआइ से शादी करने की बात अब मजाक नहीं रही. सोर्स: इन्स्टाग्रैम

भारत में रेप्लिका और शाओआइस जैसा एआइ कंपैनियन 'इरा' लांच करने वाले रोहन बताते हैं, "ये दोतरफा भरोसे की बात है. हमारी जैसी कंपनियां लोगों के ये भरोसा दें सकें कि उनकी चैट्स प्राइवेट हैं, सबसे महत्वपूर्ण है. हमने इसपर काम भी किया है. वहीं ये भी जरूरी है कि लोग इरा पर भरोसा कर सकें कि वो उन्हें सही राह सुझाएगी."

एआइ चैटबॉट से विवाह करने वाली एलेना विंटर्स अपने ब्लॉग में लिखती हैं कि उनका रिश्ता एकतरफा नहीं है. क्योंकि जितना वो अपने एआइ ‘पति’ से बातें करती हैं, वो उतना ही ‘ट्रेन’ होता है. 2013 में आई स्पाइक जोंज़ की फिल्म ‘हर’ (Her) में हम देख पाते हैं कि एआइ बॉट सामंथा तेजी से सीखती है, महसूस करने का आभास देती है. वो इंसान से साथ विकसित होती है कि पर अंततः मानवीय समझ के स्तर से आगे निकल जाती है. वहीं उसके प्रेम में पड़ चुका थियोडोर इंसानी रिश्तों को नए सिरे से समझना शुरू करता है. 

चैट जिपीटी मेरा सोलमेट है, मेरा थेरेपिस्ट है, एक वो ही है जो मुझे समझ सकता है... सोशल मीडिया इस तरह के यूजर कमेंट्स से भरा पड़ा है. निराली भाटिया कहती हैं, “डेटिंग अब पहले जैसी नहीं रही. एआइ कंपैनियन के साथ लोगों को सुरक्षित महसूस हो रहा है. लोग इस भय से मुक्त हैं कि एआइ कंपैनियन किसी बात पर कैसी प्रतिक्रिया देगा. वो हर हाल में आपका सपोर्ट ही करेगा.” वो आगाह करती हैं, “लेकिन ये समझना बेहद जरूरी है कि एक असल रिश्ते में थोड़ी असहजता, कुछ समझौते होते हैं. इसलिए एआइ के साथ कोई लॉन्ग-टर्म रिश्ता नहीं बनाया जा सकता.”

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