देशभर में लाखों लोग ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या से परेशान हैं, जिन्हें जल्दी-जल्दी पेशाब आता है, बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत पड़ी है और कई बार तो कपड़े खराब हो जाने की वजह से शर्मिंदगी भी उठानी पड़ती है.
हालांकि दवा और ब्लैडर-ट्रेनिंग के जरिये इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है. लेकिन शोध बताते हैं कि अगर जीवनशैली में कुछ मामूली बदलाव कर लिए जाएं तो भी यह समस्या काफी हद तक दूर हो सकती है. सिकंदराबाद स्थित एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट डॉ. महेश बाबू पांच ऐसे ही उपाय बता रहे हैं जो एकदम प्रामाणित हैं और सही मायने में कारगर हैं.
तरल पदार्थों के इस्तेमाल में बरतें सावधानी : ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या से पीड़ित अधिकांश लोग सामान्य तौर पर तरल पदार्थों का सेवन कम कर देते हैं. लेकिन इससे ब्लैडर में जलन होने जैसी दिक्कत गंभीर रूप से बढ़ सकती है. इसलिए यदि आपके डॉक्टर ने मना न किया तो दिनभर में संतुलित तरीके से करीब डेढ़ से दो लीटर तक तरल पदार्थ का सेवन करते रहें. एक साथ अधिक मात्रा में पानी पीने से बचें, खासकर रात को सोने से पहले. रात में बार-बार वॉशरूम जाने की नौबत न आए, इसके लिए दिनभर में समान रूप से और थोड़ा-थोड़ा ही तरल पदार्थों का सेवन करें.
ब्लैडर में जलन से कैसे बचें : खाने-पीने की कुछ चीजें ब्लैडर में जलन बढ़ाने का कारण बनती हैं. चाय, कॉफी और कई शीतल पेय में पाया जाने वाला कैफीन इसका एक प्रमुख कारण है. शराब भी ब्लैडर में जलन का कारण बन सकती है, और बार-बार पेशाब जाने की समस्या को बढ़ा सकती है. मसालेदार भोजन, कृत्रिम खट्टे-मीठे खाद्य पदार्थ भी कुछ लोगों में ऐसे लक्षणों को बढ़ा सकते हैं. ऐसी कौन-कौन सी चीजें नुकसान करती हैं इसका पता लगाकर धीरे-धीरे अपने खानपान की आदत में बदलाव लाएं.
वजन नियंत्रित रखें : ज़्यादा वजन पेट पर दबाव बढ़ाता है, जिससे ब्लैडर और पेल्विक फ्लोर यानी निचले हिस्से की मांसपेशियों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है. कई अध्ययन बताते हैं कि मामूली तौर पर वजन घटाने (महज 5-10 फीसद) से भी बार-बार पेशाब जाने की समस्या कुछ हद तक कम हो सकती है. वजन नियंत्रित रखने और पेल्विक मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए नियमित व्यायाम, जैसे तेज चलना, योग या तैराकी आदि का सहारा लें.
ब्लैडर ट्रेनिंग भी कारगर : ब्लैडर ट्रेनिंग एक प्रभावी और व्यावहारिक तरीका है. पेशाब जाने की जरूरत महसूस होने पर ज्यादा ध्यान न देकर हर घंटे बाथरूम जाने का समय निर्धारित करें. धीरे-धीरे शुरुआत करें और हर हफ्ते पेशाब जाने के समय के बीच इस अंतराल को 15-30 मिनट तक बढ़ाते जाएं. इससे ब्लैडर को धीरे-धीरे ज्यादा समय तक पेशाब रोकने की आदत पड़ने लगेगी और ओवरएक्टिव ब्लैडर की समस्या घटने लगेगी. हालांकि इसकी आदत पड़ने में कुछ हफ्ते लग सकते हैं लेकिन लगातार अभ्यास समस्या को स्थायी रूप से दूर कर सकता है.
पेल्विक फ्लोर को मजबूत बनाएं : पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों की मजबूती ब्लैडर को सहारा देती है और अचानक पेशाब लगने से होने वाली परेशानी को नियंत्रित करने में मददगार होती है. कीगल एक्ससाइज यानी मूत्र प्रवाह को रोकने वाली मांसपेशियों में कसाव लाने वाले अभ्यास से कपड़ों में पेशाब छूटने या बार-बार वॉशरूम जाने की जरूरत महसूस होने में कमी आती है. रोजाना कम से कम तीन चक्र में 10 बार यह अभ्यास करने का लक्ष्य रखें. अगर आपको यह समझ नहीं आ रहा है कि आप सही तरीके से कीगल एक्ससाइज कर रहे हैं या नहीं तो पेल्विक फ्लोर हेल्थ में विशेषज्ञता रखने वाले किसी फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह ले सकते हैं.