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"मेरा सबसे बड़ा डर है कि कोई मेरे बाजू काटकर अलग कर देगा"

शाहरुख खान पर यह आलेख इंडिया टुडे मैगजीन के 16 अप्रैल 2016 के अंक में प्रकाशित हुआ था

Shahrukh Khan 60th Birthday
शाहरुख खान ने 2 नवंबर को अपना 60वां जन्मदिन मनाया है (Photo: Instagram @iamsrk)
अपडेटेड 3 नवंबर , 2025

अपने घर “मन्नत” की दूसरी मंजिल पर बनी स्टडी की मद्धिम रोशनी में शाहरुख खान थोड़े दुबले और थके नजर आते हैं. यहां की तरतीब में एयर प्यूरिफायर भी उतनी ही सजावट की चीज मालूम देता है जितनी लकड़ी की अलमारियों में रखी किताबें, डीवीडी और इनाम में मिली ट्रॉफियां. उनके दिन की शुरुआत अच्छी रही थी.

सुबह उन्होंने अपने तीन बच्चों- 18 साल के आर्यन, 15 साल की सुहाना और 2 साल के अबराम- के साथ कुछ समय गुजारा था. फिर फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ मुलाकातों और 2016 में रिलीज हो रही उनकी पहली फिल्म फैन के प्रमोशन की व्यस्तता बढ़ती गई. इसे यशराज फिल्म्स ने बनाया है.

(शाहरुख खान पर यह आलेख इंडिया टुडे मैगजीन के 16 अप्रैल 2016 के अंक में प्रकाशित हुआ था)

यह फिल्म खान की हाल ही की फिल्मों से मेल नहीं खाती. इसमें सिर्फ एक गाना है जिसमें शाहरुख का बेहद दुबला-पतला हमशक्ल नाचता हुआ दिखता है. खान के ही शब्दों में, “आप पूछ सकती हैं कि वह ऐसा क्यों कर रहा है? और मैं इससे पूरा इत्तेफाक रखता हूं. मुझे लगा कि यह करना चाहिए. एक कला पर अपनी जिंदगी के 25 साल न्यौछावर करने के बाद मैं सोचता हूं कि मुझे वह करने का हक है जो मैं करना चाहता हूं.”

"यह कारोबारी दुनिया बड़ी अजीब है"

उनकी पिछली रिलीज हुई तीन फिल्मों - दिलवाले (2015), हैप्पी न्यू ईयर (2014) और चेन्नै एक्सप्रेस (2013)- को खुद उन्होंने प्रोड्यूस किया था. ये फॉर्मूला के आगे नतमस्तक फिल्में थीं. खान पक्के तौर पर मानते हैं कि इन फिल्मों ने उनके अदाकारी के हुनर को ललकारा था. वे कहते हैं, “कारोबारी दुनिया बड़ी ही अजीब, नकली है. दिलवाले जैसी फिल्मों में ऐक्टर के तौर पर सृजनात्मक प्रयोग की बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं रहती और भरोसा दिलाने वाले अंदाज में यह कहना भी कि “हम शरीफ क्या हुए, दुनिया बदमाश हो गई.” यह (चेन्नै एक्सप्रेस) मेरी तरह का हंसी-मजाक नहीं था पर यह अलग ढंग से मजेदार था. आपके सबसे कल्पनाशील हिस्से को सबसे ज्यादा व्यावसायिक फिल्में करते हुए ही आजमाना होता है. दूसरी फिल्में मसलन चक दे! इंडिया में दुनिया आपको भरोसा दिलाती है कि आप ही वह किरदार हो.”

50 की उम्र के पार कदम रखने के बाद अब खान बंधी-बंधाई लीक से हटकर चलने के लिए तैयार हैं. इस साल वे मनीष शर्मा के निर्देशन में बनी फैन में दिखाई देंगे. फिर राहुल ढोलकिया की रईस में गैंगस्टर का रोल करेंगे. इसमें उनकी टक्कर नवाजुद्दीन सिद्दीकी से होगी. इसके बाद वे गौरी शिंदे के निर्देशन में बन रही और आलिया भट्ट की अदाकारी वाली अनाम फिल्म में छोटे मगर अहम रोल में दिखाई देंगे. इस फिल्म के वे को-प्रोड्यूसर भी हैं. वे इम्तियाज अली की “प्यारी, हल्की-फुल्की” फिल्म को शुरू करने के लिए बेताब हैं. आनंद एल. राय के साथ भी वे एक फिल्म करने के बारे में सोच रहे हैं.

“मेरे काम का पैमाना मेरे बच्चे हैं”

खान के मुरीदों के लिए यह स्वदेश (2004), पहेली (2005) और चक दे! इंडिया (2007) की तरफ लौटने का इशारा है. ये ऐसी फिल्में थीं जिनमें किरदार की अहमियत स्टार से ज्यादा थी. फैन में एसआरके स्टार और ऐक्टर दोनों होंगे. इसमें वे एक सुपरस्टार आर्यन खन्ना बने हैं और विजुअल इफेक्ट की बदौलत उनके सबसे बड़े फैन 24 बरस के गौरव भी वे ही बने हैं. फिल्म अपने आइडल के प्रति फैन की इबादत से शुरू होती है और जल्दी ही दोनों के बीच दुश्मनी में तब्दील हो जाती है. यह खान की ढर्रे की फिल्म की तरह नहीं मालूम देती- ऐसी फिल्म जिससे तीन दिनों में 100 करोड़ रु. बटोरने की उम्मीद की जाती है. कई लोग उन्हें बेचने में भी अव्वल दर्जे का माहिर मानते हैं. मगर खान इस तमगे से इनकार करते हैं. वे कहते हैं, “मैं फिल्म का अंजाम या उसके आंकड़े नहीं जानता, लोग मान लेते हैं कि मैं जानता हूं.”

अलबत्ता फैन के बारे में वे जो जानते हैं, वह उनके मन का एहसास है. आर्यन और सुहाना ने फिल्म देखी और श्हमें आपके ऊपर नाज है वाली गलबहियों के साथ इसे मंजूर कर दिया. उनकी सभी फिल्मों को लेकर बच्चे इतने जज्बाती नहीं होते. अबराम भी दर्शकों में था मगर थोड़ी देर बाद वह बेचैन हो गया. शाहरुख कहते हैं, “मैं अपने सारे काम को अब अपने बच्चों के जरिए आंकता हूं. उनके अलावा मेरी जिंदगी की कोई वजह नहीं. मैं उन पर जोर डालना, उनके भीतर से कुछ अच्छा निकालना चाहता हूं.” शाहरुख के लिए उनकी प्रतिक्रिया अहम है. वे कहते हैं, “वे सबसे शानदार दर्शक भले न हों, लेकिन अच्छे दर्शक हैं. या हो सकता है उन्होंने मुझे 50 की नाजुक हालत में देख लिया हो.”

“शैतान आपके अंदर है और रूह बेचैन है”

हाल के दिनों में उनकी कमजोरी, उनकी संवेदनशीलता और बॉलीवुड में उनकी बादशाहत को चुनौती मिलने को लेकर फुसफुसाहटें होती रही हैं. सलमान और आमिर तो लगातार उनके साथ-साथ हैं ही, उम्र में भी और होड़ में भी. वे उनसे आगे भी निकल चुके हैं. सलमान की बजरंगी भाईजान और आमिर की पीके ने 300 करोड़ रु. का आंकड़ा पार कर लिया. यहां तक कि भारत में बाजीराव मस्तानी की कमाई ने भी दिलवाले को पछाड़ दिया. “क्या वे करेंगे, क्या वे नहीं करेंगे, क्या वे नहीं कर सकते”- शाहरुख ऐसे सवालों को खारिज कर देते हैं.

वे संतुष्ट नहीं होते. वे कहते हैं, “मैं ऐसा हो ही नहीं सकता कि दो साल में एक फिल्म बनाऊं. यह उबाऊ है.” वे एक पल के लिए ठहरते हैं और यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबरा में अपनी तकरीर का कुछ हिस्सा याद करने की कोशिश करते हैं. फिर कहते हैं, “सामान्य सिर्फ उबाऊ ही नहीं है. यह एक तरह से मर जाना है. यह अजीब दिमागी एहसास है. मैं बड़ा स्टार हूं. मैं बाहर से बहुत शांत दिखता हूं. लेकिन अंदर से अशांत हूं. शैतान आपके अंदर रहता है. यह कभी संतुष्ट नहीं होता.”

“समय से पहले किया है चीजों को”

खान बॉलीवुड के साथ इतने एकमेक हो गए हैं कि यह भूल जाना आसान है कि आमिर और सलमान की तरह इससे उनका कोई खानदानी रिश्ता नहीं था. उन्होंने दीवाना (1992) से शुरुआत की थी. 2017 में शो बिजनेस में उनकी निजी सिल्वर जुबली होगी. वे कहते हैं, “कुछ साल पहले तक मैं इससे परेशान हो जाता था जब लोग दावा करते कि “वही (रोल) करता है”. नहीं यार, मैं वह बंदा हूं जिसने कई अलग-अलग चीजें की हैं और वह भी जब उन्हें करना फैशनबल भी नहीं था. मैं कभी कुछ नया करते रहने की अधूरी इच्छा लेकर नहीं मरूंगा.”

खान कह यह रहे हैं कि उन्होंने विलेन (डर, अंजाम), आखिर में लड़की को हार जाने वाले हीरो (कभी हां कभी ना), ऐंटी-हीरो (बाजीगर), कला फिल्मों के कलाकार (माया मेमसाब), पर्दे पर अपने प्रतिद्वंद्वियों के साथ आना (करण अर्जुन, त्रिमूर्ति) और फिर सब पर छा जाने वाले रोमांटिक हीरो (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे) तक सब कुछ किया है और वह भी अपने करियर के पहले पांच साल में. उनके लिए अजीज मिर्जा की फिल्म का हीरो होना भी उतना ही सहज रहा है जितना करण जौहर का. उनकी सात फिल्मों ने सर्वश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार जीता. खान अभी तक एक भी न जीत सके. यह बात उन्हें परेशान करती है? “मैं उसके लिए तरसता नहीं हूं पर उसे यहां इस अलमारी में रखने के लिए मेरे पास बहुत जगह है, इसलिए उसे पाना चाहूंगा.”

“कोई मेरे बाजू काटकर अलग कर देगा”

बतौर ऐक्टर वे निडर हैं. इनसान होने के नाते उन्हें डर लगता है. उनका सबसे बड़ा डर यह है, “कोई मेरे बाजू काटकर अलग कर देगा.” यह डर उस शख्स को लगता है जिसने स्लो मोशन में अपने बाजुओं के फैलाने को नृत्य की एक मोहक मुद्रा बना दिया है. अदाकारी की भूख कायम है. हां, खान अभी जल्दी कहीं जाने वाले नहीं हैं. वे कहते हैं, “पहले मुझे मगरूर होने दीजिए. मैं अभी इतना महान नहीं हुआ कि विनम्र हो सकूं.” उन्होंने जो किताब लिखी है और अगले साल जिसके विमोचन की उम्मीद है, उसका हवाला देते हुए कहते हैं, “आप लता मंगेशकर, सचिन तेंडुलकर और बच्चन साहब को नहीं कहते कि उनका दौर बीत गया. मुझे किसी भी दूसरे से पहले यह पता चल जाएगा.”

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