कायस्थ वोट से तय होगा पटना साहिब से भाजपा और कांग्रेस का भविष्य
पटना साहिब सीट कायस्थ वोटों का गढ़ माना जाता है. यहां भाजपा के रविशंकर प्रसाद और और हाल ही में कांग्रेस में शामिल हुए पूर्व भाजपाई शत्रुघ्न सिन्हा में सीधी टक्कर है. भाजपा में बगावत के सुर हैं तो शत्रुघ्न नए घर में आकर थोड़े गफलत में हैं.

पटना साहिब सीट कायस्थ वोटों का गढ़ माना जाता है. इस बार यहां लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है, क्योंकि इस सीट से भाजपा के तरफ से दो बार सांसद रह चुके शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस के तरफ से उम्मीदवार बनाये गए हैं तो वहीं भाजपा ने इस सीट से अपने कद्दावर नेता रविशंकर प्रसाद को खड़ा किया है. लेकिन भाजपा के नेता और राज्यसभा से सांसद आर के सिन्हा के समर्थक रविशंकर प्रसाद को इस सीट से टिकट दिए जाने से नाराज हैं.
दरअसल, आर के सिन्हा इस सीट से अपने बेटे को टिकट देने की मांग कर रहे थे, लेकिन भाजपा किसी भी सूरत में इस सीट को गंवाना नहीं चाहती है और किसी बड़े नेता को इस सीट से प्रत्याशी बनाना चाहती थी. इसी कारण इस सीट से रविशंकर प्रसाद को टिकट दिया गया है. ऐसा माना जा रहा है कि आर के सिन्हा के समर्थकों की नाराजगी के कारण रविशंकर प्रसाद को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है.
भले ही जातीय समीकरणों के अनुसार पटना साहिब सीट से कांग्रेस को फायदा मिलने की उम्मीद जताई जा रही हो लेकिन शत्रुघ्न सिन्हा अकसर अपने बयानों से वह भाजपा में विवादों की वजह बनते थे, लेकिन अब इसकी शुरुआत उन्होंने कांग्रेस में भी कर दी है. उनका ये विवादित बयान कांग्रेस के गले की फांस बन सकता है.
हाल ही में 26 अप्रैल को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक रैली में मोहम्मद अली जिन्ना का जिक्र करते हुए सिन्हा ने कहा था कि ''कांग्रेस परिवार महात्मा गांधी से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल तक, मोहम्मद अली जिन्ना से लेकर जवाहर लाल नेहरू तक, इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और राहुल गांधी तक की पार्टी है. भारत की आजादी और विकास में इन सभी का योगदान है. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी में आया हूं''.
हालंकि बाद में इस विवादित बयान पर तूल पकड़ता देख, सिन्हा को इस पर सफाई देनी पड़ी. सिन्हा ने कहा कि ''मैंने एक धारा में जिन्ना का नाम ले लिया. मेरी जुबान फिसल गई. दरअसल मैं मौलाना अबुल कलाम का नाम लेना चाहता था''. अब भले ही शत्रुघ्न ने अपनी सफाई दे दी हो, लेकिन इस वाकये ने उन्हें फिर विवादों में ला दिया है.
पटना साहिब लोकसभा सीट की दिलचस्प बात यह है कि इस सीट पर भाजपा का दबदबा रहा है और भाजपा का कायस्थ वोटों पर भी कब्जा रहा है. लेकिन इस बार मसला कुछ और है. जातीय समीकरण के अनुसार देखा जाए तो शत्रुघ्न सिन्हा को कायस्थ वोट के साथ-साथ मुस्लिम और दलित वोट से भी फायदा मिलने की उम्मीद है. क्योंकि शत्रुघ्न सिन्हा अब कांग्रेस का चेहरा है और कांग्रेस शुरू से ही मुस्लिम और दलित वोटों पर सेंध मारने में कामयाब रही है.
वहीं भाजपा उम्मीदवार रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में कायस्थ मतों के साधने के साथ-साथ भाजपा के परंपरागत वोटों को भी साधने की बड़ी चुनौती है. लेकिन कहीं न कहीं उनको एक फायदा भी मिलने की भी उम्मीद है, क्योंकि रविशंकर प्रसाद की गिनती भाजपा के कद्दावर नेता में होती है और वह केन्द्रीय मंत्री भी है. पटना साहिब क्षेत्र के लोगों से उनका जुड़ाव भी है और इस क्षेत्र में उनको जमीनी स्तर का नेता भी माना जाता है. जिसका फायदा उनको मिलने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कुल 45.33 फीसदी वोटिंग हुई थी, जिसमें शत्रुघ्न सिन्हा को 24.97 फीसदी जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार रहे कुणाल सिंह को 11.31 फीसदी वोट मिले थे. साल 2009 में परिसीमन के बाद पटना जिला की दो सीटें बनी. इसमें एक पाटिलपुत्र और दूसरी पटना साहिब सीट.
पटना साहिब सीट से शत्रुघ्न सिन्हा लगातार दो बार चुनावी जंग फतह कर चुके हैं. पहली बार 2009 में पटना साहिब से फिल्म अभिनेता और कांग्रेस उम्मीदवार शेखर सुमन को हरा शत्रुघ्न सिन्हा लोकसभा पहुंचे थे. लेकिन अभी स्थिति कुछ और है. दो बार भाजपा से सांसद रहे शत्रुघ्न सिन्हा अपनी ही पार्टी की नीतियों पर लगातार हमलावर रहे. इसी बगावती तेवर के चलते भाजपा ने उनका टिकट काटकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को अपना प्रत्याशी बना दिया.
पटना साहिब की प्रमुख मुद्दे
पटना साहिब का सबसे व्यस्त इलाका पटना सिटी, पूरे शहर का सबसे भीड़-भाड़ का इलाका है. यह पटना का सबसे बड़ा बाजार भी है, वहां रोज-रोज ट्रैफिक जाम होना, बारिश के दिनों में जलभराव, अतिक्रमण और बेरोजगारी जैसे कई अहम मुद्दे हैं. इन की वजह से यहां के लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ये सारे मुद्दों को आधार बनाकर दोनो पार्टियां चुनाव लड़ रही हैं. इसके अलावा सरकारी अस्पताल और स्कूल की स्थिती अच्छी ना होना भी यहां की एक प्रमुख मुद्दा है.
पटना साहिब और पाटलीपुत्र में19 मई को आखिरी चरण में चुनाव होना है. चुनाव के नतीजे 23 मई को आएंगे.
(अमित प्रकाश आइटीएमआइ के छात्र हैं और इंडिया टु़डे में प्रशिक्षु हैं. यहां व्यक्त विचार उनके अपने हैं और उनकी राय से इंडिया टुडे का सहमत होना आवश्यक नहीं है)
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