शख्सियत: जनता के पीड़ाहारी बने शिवहरी
लॉकडाउन के बाद सुल्तानपुर के एसपी शिवहरी मीणा ने जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘पुलिस आपके द्वार’ योजना के तर्ज पर चौबीस घंटे उपलब्धता वाला सिस्टम भी तैयार किया है.

सुल्तानपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शिवहरी मीणा 18 अप्रैल की दोपहर जिले के कूड़ेबार थानाक्षेत्र फैजाबाद सीमा पर चेकिंग कर रहे थे. इसी दौरान कुछ किसान एक ट्रैक्टर पर गन्ना लादे चीनी मिल जा रहे थे. अचानक पुलिस को सामने देखकर ये घबरा गए और हड़बड़ी में इनका ट्रैक्टर बंद हो गया. शिवहरी मीणा ने ट्रैक्टर पर बैठे किसानों को ‘सोशल डिस्टेंसिंग’, गमछे से मुंह को ढके रखने और कोरोना वायरस से बचाव के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी दी. इसके बाद शिवहरी ने इन किसानों को ट्रैक्टर समेत जाने को कहा. ट्रैक्टर चलाने वाला किसान बोला “ट्रैक्टर में कुछ खराबी है, यह धक्का दिए बगैर स्टार्ट नहीं होगा.” शिवहरी ने कहा “तो मारो धक्का.” किसान बोला “हम दो ही हैं कैसे मारें धक्का.” शिवहरी बोले, “हम 20 भी तो हैं, मारो धक्का.” इसके बाद शिवहरी ने अपने साथी पुलिस कर्मियों के साथ ट्रैक्टर को धक्का लगाकर स्टार्ट कराया. ट्रैक्टर स्टार्ट होते ही किसान ‘जय जवान-जय किसान’ का नारा लगाते हुए चले गए. यह आइपीएस अफसर शिवहरी मीणा के कामकाज का अंदाज ही है जिसके जरिए सुल्तानपुर में पुलिस की एक अलग छवि बनी है.
यूपी में सुल्तानपुर ही एक ऐसा जिला है जहां पर लॉकडाउन से पहले जनता की शिकायतें बंद कमरे में नहीं बल्कि पुलिस अधीक्षक कार्यालय के सामने मैदान में बकायदा टेंट लगा कर सुनी जाती हैं. असल में सुल्तानपुर के एसपी बन कर आए शिवहरी मीणा को यह जानकारी मिली थी कि जिले के दबंग पीड़ित व्यक्ति को पुलिस तक शिकायत करने को पहुंचने ही नहीं देते हैं. इसके बाद शिवहरी ने जनता की शिकायतों की सुनवाई बंद कमरे में न करके एक खुले मैदान में करनी शुरू की जहां कोई भी आदमी बड़ी आसानी ने पुलिस अधीक्षक तक पहुंच सकता है. अपराधियों की धड़पकड़ के लिए शिवहरी ने सुल्तानपुर में 'ऑपरेशन अंकुश' की शुरुआत की है. लॉकडाउन के पहले इस ऑपरेशन के तहत सुल्तानपुर जिले में 32 जगहों पर बैरियर लगाकर चौबीस घंटे सघन चेकिंग अभियान चलाया जा रहा था. अपराधियों पर नजर रखने के लिए 51 पुलिस वैन तैनात की गई थी. लॉकडाउन लागू होने के बाद शिवहरी ने जनता की जरूरतों को पूरा करने के लिए ‘पुलिस आपके द्वार’ योजना के तर्ज पर चौबीस घंटे उपलब्धता वाला सिस्टम भी तैयार किया है.
राजस्थान के दौसा जिले के रहने वाले शिवहरी की पढ़ाई कोटा जिले में हुई. इनके पिता कोटा जिले के टेलीकम्युनिकेशन विभाग में सुपरिटेंडेंट थे. गवर्मेंट कालेज, कोटा से पॉलिटिकल साइंस से एमए करने के साथ शिवहरी ने सिविल सेवा की तैयारी भी शुरू कर दी थी. राजस्थान पुलिस में सर्किल ऑफिसर (सीओ) पद पर तैनात बड़े भाई अनिल कुमार मीणा की निगरानी में शिवहरी ने सिविल सेवा की तैयारी की. वर्ष 2009 में सिविल सेवा परीक्षा में इंटरव्यू तक पहुंचकर चयनित न हो पाने पर शिवहरी काफी निराश हो गए थे. इस वक्त इनके बड़े भाई अनिल ने ही इन्हें समझाया और हौसला दिया. अगले वर्ष 2010 में शिवहरी भारतीय पुलिस सेवा में सेलेक्ट हुए और इन्हें यूपी कैडर मिला. इनकी पहली पोस्टिंग बतौर प्रशिक्षु अपर पुलिस अधीक्षक (एएसपी) जौनपुर में हुई. इसके बाद आजमगढ़ और अलीगढ़ में ये रेगुलर एएसपी के पद पर रहे. वर्ष 2013 में आजमगढ़ में एक बेहद सनसनीखेज हत्याकांड हुआ था जिसमें बहुजन समाज पार्टी के पूर्व विधायक सिंपु सिंह की हत्या कर दी गई थी. इस हाइप्रोफाइल हत्याकांड का खुलासा कर शिवहरी ने पुलिस महकमे में अपनी पहचान बना ली थी. इसके बाद गाजियाबाद में एक वर्ष एसपी सिटी के पद पर रहे. शिवहरी को पुलिस कप्तान के रूप में पहली पोस्टिंग महाराजगंज में मिली. यहां के बाद हापुड़, बस्ती, मऊ के पुलिस प्रमुख रहने के बाद चुनाव आयोग ने वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में इन्हें इटावा के एसपी पद पर तैनात कर दिया. इसके बाद दो महीने के करीब जीआरपी, आगरा में तैनात रहे. यहां से यह रायबरेली के एसपी बने. इनके कार्यकाल में रायबरेली में एक सनीखेज हत्याकांड हुआ जिसमें पांच ब्राह्मणों की हत्या कर दी गई थी. जिसका खुलासा कर इन्होंने सरकार से प्रशंसा बटोरी थी. इसके बाद शिवहरी कासगंज के पुलिस कप्तान रहे. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान यह रामपुर के एसपी थे जहां से सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान चुनाव लड़ रहे थे. चुनाव में आजम खान ने भाजपा की जयाप्रदा को हराया. इसके बाद शिवहरी को रामपुर से हटाकर पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज, उन्नाव में भेज दिया गया. इसके बाद से यह सुल्तानपुर में तैनात हैं. लॉकडाउन में जनता को घरों के भीतर रोके रखने में ही इनकी असल प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा भी है.