स्मृति ईरानी का 'मिशन रायबरेली'

सलोन विधानसभा सीट में कार्यक्रम आयोजित कर स्मृति ईरानी ने अपरोक्ष रूप से रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी के खि‍लाफ राजनीतिक जंग की शुरुआत की है.

26 द‍िसंबर को अमेठी में एक कार्यक्रम में मौजूद स्मृति ईरानी
26 द‍िसंबर को अमेठी में एक कार्यक्रम में मौजूद स्मृति ईरानी

केंद्र सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री और अमेठी से भाजपा सांसद स्मृति ईरानी ने रविवार 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वर्ष के आखिरी 'मन की बात' कार्यक्रम को रेडियो के जरिए सुनने के लिए एक रणनीति के तहत सलोन विधानसभा क्षेत्र के हाजीपुर गांव को चुना था. सलोन विधानसभा क्षेत्र रायबरेली जिले का हिस्सा है लेकिन यह अमेठी संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है. वर्ष 2019 में अमेठी से सांसद बनने के बाद स्मृति ईरानी चौथी बार सलो‍न विधानसभा क्षेत्र में आई थीं. सलोन विधानसभा सीट में कार्यक्रम आयोजित कर स्मृति ईरानी ने अपरोक्ष रूप से रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी के खि‍लाफ राजनीतिक जंग की शुरुआत की है.

स्मृति ईरानी 27 दिसंबर को सुबह करीब पौने ग्यारह बजे डीह के हाजीपुर गांव पहुंच गईं. यहां उनके बैठने के लिए सोफे की व्यवस्था की गई थी लेकिन वह उस पर न बैठकर जनता के बीच जा पहुंची. स्मृति ने अपने साथ आए स्थानीय नेताओं को भी कार्यक्रम में मौजूद जनता के पीछे बैठने को कहा. 'मन की बात' कार्यक्रम सुनने के बाद स्मृति ईरानी ने एक-एक करके लोगों से उनकी समस्याएं पूछीं और मौके पर मौजूद अधि‍कारियों को उसके निराकरण का आदेश दिया. कार्यक्रम के दौरान स्मृति ईरानी कांग्रेस पर काफी आक्रामक दिखीं. उन्होंने कहा, “केरल में कांग्रेस गो-हत्या कर उत्सव मनाती है जबकि यूपी में भाजपा की सरकार गाय की रक्षा कर रही है.” इससे पहले 20 अक्तूबर को भी स्मृति ईरानी सलोन विधानसभा क्षेत्र पहुंची थीं. सलोन तहसील भवन के सभागार में स्मृति ईरानी ने अपने लोकसभा क्षेत्र अमेठी में चल रहे विकास कार्यों की समीक्षा की थी. इस दौरान स्मृति ने वर्चुअल ढंग से सलोन विधानसभा क्षेत्र में 16.97 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुई योजनाओं का लोकार्पण किया. अपने कार्यक्रम के दौरान स्मृति रायबरेली की सांसद सोनिया गांधी और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व अमेठी के पूर्व सांसद राहुल गांधी का नाम नहीं लेती हैं, लेकिन अपरोक्ष रूप से इनके निशाने पर कांग्रेस के शीर्ष नेता ही रहते हैं. सलोन विधानसभा क्षेत्र में कार्यक्रम के दौरान स्मृति ईरानी ने कहा, “अमेठी-रायबरेली में एक राजनीतिक पा‍र्टी के मुखिया का परिवार अपनी राजनीति करता था. इस परिवार ने लोगों से वोट तो लिया लेकिन क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया. जनता ने इसी परिवर्तन और बदलाव के लिए वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को वोट दिया था.”

वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा ने अमेठी लोकसभा सीट पर तत्कालीन कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सामने स्मृ‍ति ईरानी को प्रत्याशी बनाया था. स्मृति ईरानी करीब एक लाख वोट से यह चुनाव हार गईं थीं लेकिन उन्होंने अमेठी लोकसभा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बनाए रखी. इसका नतीजा उन्हें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में मिला जब स्मृति ने तत्कालीन कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को हराकर अमेठी सीट पर भाजपा का झंडा फहरा दिया था. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यूपी में केवल एक रायबरेली सीट ही जीत पाई थी. सांसद बनने के बाद स्मृति ईरानी रायबरेली जिले के उन इलाकों में काफी सक्रिय हैं जो अमेठी लोकसभा सीट के अंतर्गत आते हैं. इन इलाकों में पहुंचकर स्मृति ईरानी न केवल गांधी परिवार की उपेक्षा का जिक्र करती हैं बल्कि‍ अपने द्वारा अमेठी में कराए जा रहे विकास कार्यों का ब्योरा भी पेश करती हैं.

सलोन के हाजीपुर गांव में आयोजित कार्यक्रम के एक दिन पहले 26 दिसंबर को स्मृति ईरानी ने अपने अमेठी दौरे के दूसरे दिन यहां के जवाहर नवोदय विद्यालय में यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की मौजूदगी में 80 करोड़ रुपए से अधि‍क के 67 विकास कार्यों का शि‍लान्यास और लोकार्पण किया. इस मौके पर स्मृति ईरानी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2014 में अमेठी आकर गांधी परिवार को चुनौती दी तो कांग्रेस की ओर से भाजपा कार्यकर्ताओं को हर क्षण अपमानित और प्रताड़ित करने का प्रयास किया गया. स्मृति ने चेतावनी दी कि यदि कांग्रेस इसी तरह भाजपाईयों को प्रताडि़त करती रही तो कार्यकर्ता वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से भी गांधी परिवार का अस्त‍ित्व मिटा देंगे. स्मृति ईरानी ने सांसद रहते हुए अमेठी में किेए गए विकास कार्यों को समाहित करते हुए एक बुकलेट भी छपाई है जिसे भाजपा कार्यकर्ता गांव-गांव बांट रहे हैं. हाजीपुर गांव के पूर्व प्रधान विनय सिंह कहते हैं, “कोरोना संक्रमण बढ़ने के बाद भी स्मृति ईरानी न केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अमेठी के लोगों से संपर्क में बनी हुई है बल्कि‍ पिछले तीन महीनों के दौरान वह दो बार अमेठी का दौरा कर चुकी हैं. उधर, सोनिया गांधी जनवरी में रायबरेली आई थीं उसके बाद न तो वह आईं और न ही उनके प्रतिनिधि‍ के तौर पर प्रियंका गांधी ही आईं. इसका खामियाजा उन्हें अगले चुनाव में उठाना पड़ सकता है.”

वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव अभी दूर है लेकिन भाजपा ने स्मृति ईरानी के जरिए कांग्रेस का मजबूत दुर्ग साबित हो चुका रायबरेली लोकसभा सीट में सेंध लगाने की कोशि‍शें शुरू कर दी हैं. इसके लिए भाजपा ने रायबरेली में विकास कार्यों को तेज किया है. 26 दिसंबर को अमेठी के जवाहर नवोदय विद्यालय में स्मृति ईरानी के साथ मौजूद केशव प्रसाद मौर्य कार्यक्रम के फौरन बाद रायबरेली के लिए चल पड़े. यहां के शि‍वगढ़ ब्लॉक क्षेत्र के ओसाह इलाके में आयोजित कार्यक्रम में केशव प्रसाद मौर्य ने 104 करोड़ रुपए की लागत से तैयार हुए 94 विकास कार्यों का लोकार्पण व शि‍लान्यास किया. गांधी परिवार के करीबी और कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह स्मृ‍ति ईरानी के जरिए रायबरेली में कांग्रेस घेरने की कोशि‍शों को बेकार की बात बताते हैं. दीपक सिंह‍ कहते हैं, “सांसद बनने के बाद स्मृति ईरानी ने अमेठी के लिए कुछ नहीं किया है. स्मृ‍ति ईरानी की सांसद निधि‍ में घोटाला हुआ है जिसमें कार्यदायी संस्था पर रिकवरी आदेश भी जारी हुआ है.”

वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली की पांच में से दो-दो सीटें भाजपा और कांग्रेस ने जीती थीं जबकि एक सीट सपा को मिली थी. इसके बाद से भाजपा रायबरेली में अपना प्रभाव बढ़ाने में लग गई. रायबरेली की हरचंदपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह और रायबरेली सदर विधानसभा सीट से विधायक अदिति सिंह‍ ने पार्टी से बगावत कर दी है. यूपी के विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने दलबदल के आरोप में इन दोनों विधायकों की सदस्यता रद्द करने संबंधी कांग्रेस की याचिका को 13 जुलाई को रद्द कर दिया था. इन दोनों विधायकों की भाजपा से बढ़ती नजदीकियां रायबरेली में कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती हैं. ऐसे में अब रायबरेली में सोनिया गांधी की प्रतिनिधि‍ प्रियंका गांधी के सामने अमेठी की खोई जमीन वापस लेने के साथ ही अपनी मां सोनिया गांधी की सीट को अगले लोकसभा चुनाव में बचाने की चुनौती कड़ी हो गई है. 

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