मुलायम सिंह यादव परिवार से नहीं होगा सैफई का ब्लॉक प्रमुख
उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए सीटों का आरक्षण जारी. इटावा की सैफई ब्लॉक प्रमुख सीट अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित हो जाने से यहां 25 वर्षों से सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव परिवार का एकाधिकार इस बार टूटने जा रहा है.

उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के लिए जारी आरक्षण ने कई बड़े नेताओं का गणित बिगाड़ दिया है. 25 साल में पहली बार सैफई ब्लक प्रमुख की सीट अनुसूचित जाति (एससी) की महिला के लिए आरक्षित होने से मुलायम सिंह यादव के परिवार को बड़ा झटका लगा है. सैफई ब्लॉक बनने के बाद से अब तक इस सीट पर मुलायम परिवार का ही कब्जा रहा है. अब नई आरक्षण व्यवस्था के मुलायम परिवार का ब्लॉक प्रमुख नहीं बन पाएगा. अगर सैफई ब्लॉक प्रमुख का पद मुलायम सिंह यादव के परिवार के हाथ से निकल गया है तो मुलायम के बचपन के साथी रहे दर्शन सिंह के परिवार से कोई भी व्यक्ति इस बार सैफई ग्राम पंचायत का प्रधान नहीं बन पाएगा. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बचपन के साथी दर्शन सिंह यादव सैफई ग्राम पंचायत के 48 साल तक प्रधान रहे. पहली बार वह 1972 में सैफई के ग्राम प्रधान बने थे, तब से लेकर पिछले चुनाव तक लगातार उनको ही प्रधान चुना जाता रहा. अक्तूबर 2020 में उनके निधन के बाद जिलाधिकारी ने उनके परिवार की बहू को प्रधान पद की जिम्मेदारी सौंप दी. लेकिन इस सैफई प्रधान का पद एससी के लिए आरक्षित किया गया है. इसके बाद दर्शन सिंह यादव के परिवार के हाथों से प्रधानी की कमान निकल जाएगी.
सैफई ब्लॉक बनने के बाद से अब तक ब्लॉक प्रमुख की कुर्सी मुलायम सिंह के भतीजों, नाती एवं पूर्व सांसद व बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव के दामाद तेज प्रताप और उनके माता-पिता, चाचा के ही पास रही है. वर्तमान में लालू की समधन और तेज प्रताप की मां मृदुला यादव ब्लॉक प्रमुख हैं. जिले की सबसे महत्वपूर्ण मानी जाने वाली सैफई ब्लाक प्रमुख सीट इस बार एससी महिला के आरक्षित की गई है.
1995 में पहली बार सैफई को ब्लॉक बनाया गया था. तब से लेकर कभी यह सीट सामान्य वर्ग के लिए तो पिछड़ी जाति के लिए आरक्षित रही है. इससे प्रदेश के बड़े राजनीतिक परिवार का कब्जा इस सीट पर हमेशा बना रहा. पहली बार 1995 में मुलायम सिंह यादव के भतीजे रणवीर सिंह यादव ब्लॉक प्रमुख चुने गए थे. इसके बाद साल 2000 में हुए चुनाव में भी रणवीर सिंह को ही ब्लॉक प्रमुख चुना गया.
2002 में उनके निधन के बाद मुलायम सिंह के दूसरे भतीजे धर्मेंद्र यादव ब्लॉक प्रमुख बने. 2005 में दिवंगत रणवीर सिंह के बेटे तेज प्रताप सिंह यादव को ब्लॉक प्रमुख चुना गया. इसके बाद 2010 के चुनाव में भी तेज प्रताप ही चुने गए. 2014 के चुनाव में तेज प्रताप को मैनपुरी लोकसभा से सांसद चुन लिया गया, इसके बाद 2015 के चुनाव में तेज प्रताप की मां व दिवंगत रणवीर सिंह की पत्नी मृदुला यादव ब्लॉक प्रमुख चुनीं गईं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ. मनोज मिश्र कहते हैं, “जो सीटें कभी एससी के लिए आरक्षित नहीं रहीं हैं उनको प्राथमिकता पर एससी के लिए आरक्षित कराने का फरमान प्रदेश सरकार ने जारी किया था. इसी आदेश की जद में आकर सैफई ब्लॉक प्रमुख की सीट पहली बार एससी महिला के लिए आरक्षित हुई.”
इटावा जिले के पंचायतों में समाजवादी पार्टी (सपा) के दबदबे को इस बार कड़ी चुनौती मिलेगी. जिले की आठ क्षेत्र पंचायतों में पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय तक सपा का दबदबा रहा. सैफई, जसवंतनगर, बसरेहर, ताखा और भरथना कुल चार क्षेत्र पंचायतें तो ऐसी हैं जहां सपा अभी तक अपराजेय रही है. बढ़पुरा, महेवा और चकरनगर में जरूर कभी भाजपा तो कभी सपा का दांव चलता रहा. ताखा में एक बार कांग्रेस काबिज रही परंतु भाजपा यहां कभी अपना वजूद कायम नहीं कर सकी. ताखा में एक बार को छोड़कर बाकी सभी चुनावों में सपा ही काबिज रही. वर्ष 1995 से लगातार 2015 तक के चुनावों में सपा का ही परचम लहराता रहा है. अब राजनीति की बयार बदलने से चुनाव का परिदृश्य भी पहली बार बदलने जा रहा है. इस बार सपा को भाजपा के अलावा शिवपाल सिंह यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया (प्रसपा) से भी लड़ना पड़ सकता है. वैसे तो भरथना में पूर्व सांसद प्रदीप यादव और जसवंतनगर में प्रोफेसर बृजेश यादव के परिवार का ही एकाधिकार रहा है. इस बार भाजपा इस एकाधिकार को तोड़ने की भरसक कोशिश करेगी.
भरथना में पूर्व सांसद प्रदीप यादव के भाई और सपा नेता हरिओम यादव ब्लॉक प्रमुख हैं. वहीं जसवंतनगर में प्रोफेसर बृजेश यादव के पुत्र अनुज यादव मोंटी ब्लॉक प्रमुख हैं. वे इस समय शिवपाल सिंह यादव के नजदीकी होने के कारण प्रसपा में हैं. तीसरी सीट बसरेहर की है. जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव के फूफा डॉ. अजंट सिंह यादव ब्लॉक प्रमुख हैं. इस बार जसवंतनगर को सामान्य महिला, भरथना को अन्य पिछड़ा वर्ग और बसरेहर को अनारक्षित की श्रेणी में रखा गया है. इन तीनों सीटों पर पुराने प्रत्याशी फिर से मैदान में आ सकते हैं. उनके लिए आरक्षण बदल जाने से कोई समस्या नहीं है. इटावा के एक वरिष्ठ वकील राम सहाय यादव बताते हैं, “जसवंतगनर, ताखा, भरथना और बसरेहर में सपा और प्रसपा के बीच अगर कोई चुनावी समझौता नहीं हुआ तो जोरआजमाइश वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के सेमीफाइलन जैसा होगा.” भाजपा ने पूर्व में बढ़पुरा, चकरनगर, महेवा में समय समय पर अपने प्रत्याशी जिताए हैं. अब इन सीटों पर भाजपा पूरी ताकत लगाएगी. बढ़पुरा को अन्य पिछड़ा वर्ग, महेवा को अनुसूचित जाति, ताखा को अन्य पिछड़ी जाति महिला और चकरनगर को अनारक्षित की श्रेणी में रखा गया है. यहां भाजपा अपना जातीय समीकरण फिट करने की कोशिश करेगी. इस बार का ब्लॉक प्रमुख चुनाव काफी दिलचस्प और रोचक होगा.
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