गांव में बिजली पहुंचने का मतलब नहीं कि घर भी रोशन हुए
देश की आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सरकार अब दावे में ही सही, यह कह रही है कि उसने देश के सभी गांवों को विद्युतीकृत कर दिया है. लेकिन दिलचस्प होगा यह जानना कि गांवों को विद्युतीकृत करने का क्या अर्थ है?

देश की आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी सरकार अब दावे में ही सही, यह कह रही है कि उसने देश के सभी गांवों को विद्युतीकृत कर दिया है. लेकिन दिलचस्प होगा यह जानना कि गांवों को विद्युतीकृत करने का क्या अर्थ है?
पूरे भारत में, कुल घरों (हाउसहोल्ड) की संख्या 17.99 करोड़ हैं. लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि देश के 3.14 करोड़ घरों तक (इस दावे के बाद भी कि सभी गांव विद्युतीकृत हो गए हैं) बिजली नहीं पहुंच पाई है.
यह देश के कुल घरों का करीबन 17 फीसदी है. आखिर बिजली पहुंचाने में यह कमी कहां से आई? इसका उत्तर ग्रामीण विद्युतीकरण नीति, 2006 में दी गई विद्युतीकरण की परिभाषा में मिलता है. जिसके मुताबिक, किसी गांव को विद्युतीकृत माना जाएगा अगर, वहां वितरण ट्रांसफॉर्मर और पारेषण लाइनों जैसी बुनियादी ढांचे लगाए जा चुके हों और उस बस्ती में दलित बस्ती को शामिल किया गया हो, साथ ही, इस बुनियादी ढांचे के जरिए गांव या बस्ती के दस फीसदी घरों में बिजली पहुंचाई जा सकी हो.
बिना बिजली वाले घरों की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे ऊपरी पायदान पर है.
अब जरा उन राज्यों की फेहरिस्त पर नजर डालिए, जो 2018 के अप्रैल महीने के आखिरी तारीख तक बिना बिजली की सुविधा वाले घरों की संख्या के हिसाब से बदतरीन फेहरिस्त में ऊंचे पायदानों पर हैं.
राज्य-----------बिना बिजली वाले घरों की संख्य़ा----राज्य के घरों की तुलना में अनुपात
उत्तर प्रदेश--- 133.42 लाख -------------------------- 44 फीसदी
बिहार --------- 32.03 लाख---------------------------- 26 फीसदी
ओडिशा--------30.91 लाख-----------------------------36 फीसदी
झारखंड--------28.69 लाख----------------------------52 फीसदी
असम----------22.65 लाख----------------------------43 फीसदी
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