गृह युद्ध से जर्जर होता सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक
सेंट्रल अफ्रीकल रिपब्लिक में भड़के गृह युद्ध ने हजारों लोगों की बेघर कर दिया है, और इससे देश की स्थिरता को भारी खतरा पैदा हो गया है

'हमने सबसे पहले गोलियों की आवाज सुनी. फिर हमने देखा कि कुछ घोड़े आए. हर घोड़े पर दो या तीन लोग सवार थे, सबके हाथों में क्लाश्निकोव, राइफलें, तीर-कमान थे. चार्ल्स टॉम्बे बताते हुए सिहर जाते हैं.' दवाओं की छोटी दुकान चलाने वाले 52 साल के टॉम्बे आगे बताते हैं, 'उन लोगों पर किसी पर गोलियां बरसा दीं. हमलोग झाड़ियों की तरफ भागे. हर तरफ लाशें ही लाशें थीं.'
टॉम्बे के गांव बेकोरो मिस्सो में लूट-पाट के बाद आग लगा दी गई और उनकी दवाओं दुकान उस आगजनी की भेंट चढ़ गई.
टॉम्बे उन अनगिनत चश्मदीद गवाहों में से एक हैं जिन्होंने सेंट्रल अफ्रीकल रिपब्लिक के पश्चिमोत्तर इलाके में भड़की उग्रवादी हिंसा को भड़कते देखा है. इस हिंसा ने इस नाजुक और गरीब देश में स्थिरता को गंभीर चुनौती दे रखी है.
टॉम्बे और उन जैसे हजारों दूसरे लोगों ने पोउआ नाम के छोटे और धूलभरे शहर में शरण ले रखी है. इनमें से कई लोग लोगों को आज भी गोलियों की आवाजों और हमलों के सपने आते हैं.
सेंट्रल अफ्रीकल रिपब्लिक के दो प्रतिद्वन्द्वी हथियारबंद उग्रवादी समूह नेशनल मूवमेंट फॉर द लिबरेशन ऑफ द सेंट्रल अफ्रीकल रिपब्लिक (एमएनएलसी) और रिवॉल्यूशन एंड जस्टिस (आरजे) इलाकों पर अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर रहे हैं. पिछले साल के अंत तक, इन्होंने अपने क्षेत्र सीमांकित करके चुंगियां लगा ली थीं जो कि उनकी आमदनी का अहम जरिया है.
इन चुंगियों में कारोबारियों, यात्रियों और किसानों से वसूली की जाती है. लेकिन नवंबर में एक आरजे सदस्य की हत्या से हिंसा और हत्याओं का एक बदले भरी कार्रवाईयों का दौर शुरू हो गया है.
इन हमलों का रुख बड़े आहिस्ते से अब स्थानीय आबादी की ओर मुड़ गया है, क्योंकि प्रतिद्वंद्वी गुटों को लोगों के दूसरे पक्ष के साथ मिले होने का अंदेशा होता है. चश्मदीद बताते हैं कि दोनों गुटो में से एमएनएलसी के पास बेहतर हथियार हैं और उन्हें घोड़ो पर सवार फुलानी खानाबदोश जनजातियों का समर्थन हासिल है. ये लोग चाड देश से आकर यहां हमले करते हैं.
पिछले कुछ हफ्तों में 60 हजार से अधिक लोगों ने पाउआ शहर में शरण ले रखी है. इस शहर का सामान्य आबादी महज 40 हजार है.
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